Friday, March 29, 2024
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सीता नवमी क्यों मनाई जाती है




सीता नवमी क्यों मनाई जाती है

सीता नवमी क्यों मनाई जाती है- सीता नवमी एक हिंदू त्योहार है जो की हिंदू कैलेंडर के हिसाब से वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार सीता माता को याद करने के लिए मनाया जाता है, जो भगवान राम की पत्नी थीं। सीता माता का जन्म ज्येष्ठा महीने की वैशाख मास की नवमी को हुआ था।

सीता नवमी को भगवान राम और सीता माता के प्रेम को स्मरण करने लिए मनाया जाता है। यह दिन भगवान राम और सीता माता के प्रति भक्तों की श्रद्धा को दर्शाता है और उनके द्वारा की जाने वाली भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं। इस दिन माता सीता के गुणों और उनके महत्व को विशेष रूप से समझा जाता है। इस दिन लोग भजन करते है और कथाओं को सुनते हैं जो सीता माता के जीवन की कहानियों से सम्बंदित होती थी। सीता नवमी के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता सीता की पूजा करती हैं. माता सीता की कृपा से उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनके पति को दीर्घायु प्राप्त होती होते हैं.

कथाओं के अनुसार, एक बार मिथिला नरेश जनक जी अपने खेतों में हल चला रहे थे, तो उस समय उनको वहां से माता सीता पुत्री स्वरूप में प्राप्त हुई थीं. बाद में प्रभु श्रीराम से उनका विवाह हुआ. उनके दो पुत्र लव और कुश हैं. माता सीता को मां लक्ष्मी की एक रूप मन जाता हैं.

सीता नवमी इस साल कब मनाई जाएगी

हिंदू पंचांग के अनुसार सीता नवमी की शुरुआत 09 मई दिन सोमवार से शाम 6:32 से होगी और नवमी तिथि का समापन 10 मई मंगलवार होगा इसलिए सीता नवमी का व्रत 10 मई को रखा जाएगा.

सीता नवमी की पूजा विधि :-

  • सीता माता की मूर्ति के सामने जाकर पूजा स्थल स्थापित करें।
  • पूजा स्थल पर रंगों की रंगोली बनाएं।
  • सीता माता की मूर्ति को पान और गुलाब के पत्तों से सजाएं।
  • सीता माता को फूलों से अर्चना करें।
  • अगर आप व्रत रखना चाहते हैं तो इस दिन एक महिला व्रत रख सकती है।
  • कुंकुम, और दीप के साथ सीता माता की पूजा करें।
  • सीता माता को पुष्पांजलि अर्पित करें।
  • पूजा के बाद प्रसाद बांटें और दरिद्रों को खाना खिलाएं।

सीता नवमी का महत्त्व:-

सीता नवमी हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व नवमी तिथि को आश्विन मास में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम और सीता माता की पूजा की जाती है।

सीता नवमी का महत्व इसलिए बहुत उच्च है क्योंकि भगवान राम और सीता माता की जीवन गाथा बहुत ही महान है। इन्होंने जीवन के हर पहलूओं में लोगों को सही मार्ग दिखाया है। भगवान राम की महानता तो सभी जानते हैं। उन्होंने दशरथ राजा के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने अपने पिता का वचन मानते हुए 14 वर्षों तक वनवास गुजारा था। उन्होंने दशरथ राजा के वचन के अनुसार अपनी पत्नी सीता माता का हरण होने के बाद रावण को मार डाला था। उनकी इस महानता को स्मरण रखते हुए सीता नवमी मनाया जाता है।

सीता नवमी का इतिहास

सीता नवमी का महत्व हिंदू धर्म में बहुत ही उच्च माना जाता है। यह पर्व नवमी तिथि को आश्विन महीने मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम और सीता माता की पूजा की जाती है।

इस त्योहार का महत्व महाभारत में भी वर्णित है। महाभारत के अनुसार, भगवान राम की दुष्ट भाई रावण ने सीता माता को अपहरण कर लिया था। फिर भगवान राम ने सम्पूर्ण समाज की सहमति से रावण को मार डाला था और सीता माता को वापस लाया था। इस दिन सीता माता का जन्म तथा उनके सुरक्षा के लिए नवमी तिथि को मनाया जाता है।




इसके अलावा भी कुछ लोगों के अनुसार, सीता माता के जन्म की विवरणों के अनुसार भी सीता नवमी मनाई जाती है।

इस दिन भक्तगण भगवान राम और सीता माता की पूजा करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के प्रसाद का भोग लगाते हैं। इस दिन ज्यादातर लोग व्रत रखते हैं और इस त्योहार के दौरान दान-धर्म भी किया जाता है।सीता नवमी का महत्त्व
सीता नवमी हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व नवमी तिथि को आश्विन मास में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम और सीता माता की पूजा की जाती है।

सीता नवमी का महत्व इसलिए बहुत उच्च है क्योंकि भगवान राम और सीता माता की जीवन गाथा बहुत ही महान है। इन्होंने जीवन के हर पहलूओं में लोगों को सही मार्ग दिखाया है। भगवान राम की महानता तो सभी जानते हैं। उन्होंने दशरथ राजा के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने अपने पिता का वचन मानते हुए 14 वर्षों तक वनवास गुजारा था। उन्होंने दशरथ राजा के वचन के अनुसार अपनी पत्नी सीता माता का हरण होने के बाद रावण को मार डाला था। उनकी इस महानता को स्मरण रखते हुए सीता नवमी मनाया जाता है।

 

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