सूरदास जयंती क्यों मनाई जाती है
सूरदास जी को उनके कार्य और उच्च कोटि के साहित्यिक कौशल के लिए उन्हें सारी दुनिया जानती है। उनके गीतों और कविताओं ने पूरे देश में बहुत प्रशंसा प्राप्त की है । सूरदास भगवान कृष्ण के सबसे महान अनुयायियों में से एक थे और श्री कृष्ण के जीवन के विभिन्न चरणों के बारे में कई सारे लेखन और गायन लिखे थे।
भगवान कृष्ण के सम्मान में उनकी दिव्य गायन और कविता के कारण, उन्हें श्री कृष्ण के शिष्य के रूप में जाना और माना जाता था इसलिए सारे भारत में खासकर उत्तर भारत में सूरदास जयंती को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। मुख्य रूप से संगीत और कविता के क्षेत्र से जुड़े लोग सूरदास जयंती के दिन सूरदास जी को श्रद्धांजलि देते हैं, क्योंकि उनका कविता में उनके प्रति जबरदस्त और अविश्वसनीय योगदान था।
सूरदास जयंती कैसे मनाई जाती है
- यह जयंती मुख्य रूप से देश के उत्तर भारत में मनाई जाती है।
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और सूरदास के साथ इस दिन भगवान कृष्ण के लिए भी व्रत रखा जाता है.
- ब्राह्मणों को भोजन कराने की भी परंपरा है।
- लोग उनके द्वारा लिखित पांडुलिपियों का जाप करते हैं और महान संत को याद करने के लिए इस दिन भजन और कीर्तन भी आयोजित किए जाते हैं।
- वृंदावन और ब्रज में सूरदास यह जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है और इस दिन विभिन्न संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है
- वृंदावन में इस दिन एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता हैं।
- सूरदास जयंती के इस पावन अवसर पर ब्रज के लोग जोश और उत्साह से भर जाते है और हर साल जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
- सूरदास जयंती के दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर प्रसिद्ध भजनों का पाठ करते हैं और सूरदास की कृष्ण भक्ति के संदेशों का आनंद लेते हैं।
सूरदास जयंती का महत्व
सूरदास भगवान कृष्ण के एक उत्साही अनुयायी थे और उनका जीवन उनके देवताओं के लिए लेखन और गायन के लिए समर्पित है।इस दिन, लोग महान कवि सूरदास के अविश्वसनीय योगदान के लिए श्रद्धांजलि देते हैं।
इस त्योहार को मनाने से सूरदास के उपदेशों और संदेशों को याद रखने के साथ-साथ, हम उनकी भक्ति और समर्पण की भावना से प्रेरित होते हैं। सूरदास जयंती के अवसर पर भक्तों द्वारा उनके काव्य और भजनों का पाठ किया जाता है और इस दिन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सूरदास के द्वारा लिखे कुछ निम्न प्रसिद्ध भजन है जिसे इसदिन गया जाता है
- रे मन कृष्णा नाम कही लीजै
- मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे
- दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे
- मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो
- सबसे ऊंची प्रेम सगाई
इस साल सूरदास जयंती कब है
वैशाख शुक्ल पंचमी क। इनकी जयंती मनाई जाती है।
अवं इस वर्ष सूरदास जयंती मई 06 की शुक्रवार को मनाई जाएगी।