Thursday, May 2, 2024
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श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जीवनी परिचय Syama Prasad Mukherjee Biography In Hindi

हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में बताने जा रहा हूँ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का भारतीय राजनीति से गहरा नाता हुआ करता था और इन्हें इनकी अलग विचारधारा के लिए जाना जाता था. इन्होंने हमेशा से ही हिंदुत्व की रक्षा करने के लिए अपनी आवाज उठाई थी और इन्होंने अनुच्छेद 370 का काफी विरोध भी किया था.

नाम (Name) श्यामा प्रसाद मुखर्जी
जन्मदिन (Birthday) 06 जुलाई 1901
मृत्यु 23 जून, 1953
जन्म स्थान (Birth Place) कलकत्ता, बंगाल, ब्रिटिश भारत
मृत्यु स्थान कश्मीर कारावास, स्वतंत्र भारत
नागरिकता (Citizenship) भारतीय
गृह नगर (Hometown) कलकत्ता
कहां से हासिल की शिक्षा (Education) प्रेसिडेंसी कॉलेज लिंकन इन, प्रेसीडेंसी कॉलेज
धर्म (Religion) हिन्दू
भाषा का ज्ञान (Language) हिंदी, अंग्रेजी
पेशा (Occupation) राजनेता
किस पार्टी से जुड़े हुए थे (Party) भारतीय जनसंघ पार्टी

श्यामा प्रसाद मुखर्जी के परिवार के बारे में जानकारी

पिता का नाम (Father’s Name) आशुतोष मुखर्जी
माता का नाम (Mother’s Name) जोगमाया देवी मुखर्जी
दादा का नाम (grandfather’s Name) गंगा प्रसाद मुखर्जी
भाई का नाम (Brother’s Name) उमा प्रसाद और राम प्रसाद मुखर्जी
बहनों का नाम कमला, अमला और रामाला
पत्नी  का नाम (Wife’s Name) सुधा देवी
बेटों का नाम (Son’s Name) अनुतोष और देबातोश
बेटियों का नाम (Daughter’s Name) सबिता और आरती
नातिन (Grandniece’s Name) कमला सिन्हा

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म और परिवार

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाता एक बंगाली परिवार से था और इनका जन्म कलकत्ता में हुआ था. इनके परिवार में काफी विद्वान लोग हुआ करते थे और इनके पिता बंगाल के उच्च न्यायालय में बतौर एक न्यायाधीश के रुप में कार्य किया करते थे और साथ में ही वो कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलगुरू भी हुआ करते थे.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी के परिवार में इनके कुल तीन भाई और तीन बहने थी और इनके एक भाई राम प्रसाद था, जों कलकत्ता के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश हुआ करते थे.



श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पत्नी का नाम सुधा देवी था और इन दोनों का विवाह 16 अप्रैल, सन् 1922 में हुआ था. इन दोनों के कुल पांच बच्चे थे जिनमें से इनके एक बच्चे की मृत्यु डिप्थीरिया के कारण हो गई थी. जिसके बाद इनके कुल चार बच्चे रहे गए थे जिनमें से इनके दो बेटे और दो बेटियां थी.

निजी जीवन से जुड़ी जानकारी-

इन्होंने साल 1924 में कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में दाखिला लिया था और इसी वर्ष ही इनके पिता की मृत्यु हो गई थी.

की पत्नी का निधन सन् 1934 में गंभीर बीमारी से हो गया था, जिसके बाद इनके बच्चों की देखभाल इनकी पत्नी की बहन के द्वारा की गई थी.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी की शिक्षा और वकालत का करियर

इन्होंने भवनपुर मित्रा संस्थान से अपनी आरंभिक शिक्षा हासिल की थी और ये पढ़ाई में काफी तेज हुआ करते थे. जिसके चलते ये अपनी अध्यापकों के लोकप्रिय छात्रों में से एक हुआ करते थे.

साल 1914 में मैट्रिक परीक्षा को सफलतापूर्वक पास करके ने प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिल ले लिया था और अपनी आगे की पढ़ाई यहां से जारी रखी थी. इन्होंने अंग्रेजी भाषा में अपनी स्नातक की डिग्री हासिल की थी और इसके बाद इन्होंने बंगाली भाषा में एमए की पढ़ाई की थी.

एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने वकालत की पढ़ाई करने का फैसला लिया था और इस विषय में इन्होंने स्नातक की डिग्री सन् 1924 में हासिल की.

वकालत की शिक्षा हासिल करने के बाद इन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय में वकील के तौर पर कार्य करना शुरू कर दिया था.

ये सन् 1926 में इंग्लैंड चले गए थे और यहां पर जाकर इन्होंने बार का अध्ययन करने के लिए लिंकन इन कॉलेजी में दाखिला ले लिया था. जिसके बाद सन् 1927 में इन्होंने पहले वकील के रूप में कार्य किया था और फिर अंग्रेजी बार के सदस्य बन गए थे.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का राजनीति का करियर

सन् 1929 में इनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ था और इन्होंने इस साल बंगाल विधान परिषद में कलकत्ता विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कांग्रेस की ओर से किया था. हालांकि एक साल बाद ही इन्होंने इस परिषद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन इन्हें एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया था.

सन् 1939 में ये हिंदू महासभा से जुड़ गए थे और इसी साल इन्हें इस महासभा का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया था.

भारत के स्वतंत्रता के बाद, इन्हें अंतरिम केंद्र सरकार में उद्योग और आपूर्ति मंत्री बनाया था. लेकिन सरकार द्वारा लिए गए कुछ निर्णय के विरोध में इन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.

कांग्रेस पार्टी से अलग होने के बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आरएसएस से जुड़े श्री गोलवलकर गुरुजी के परामर्श करने के बाद 21 अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ (बीजेएस) पार्टी का गठन किया था.

इस पार्टी को बनाने के साथ ही ये इसके प्रथम अध्यक्ष बन गए थे और साल 1952 में इनकी पार्टी ने लोकसभा के चुनावों में भाग लिया था. इस चुनाव में इनकी पार्टी को 3 सीटों पर जीत प्राप्त हुई थी.

लेख 370 का किया था विरोध (Article 370)

जम्मू-कश्मीर राज्य का अलग संविधान बनाने के विरुद्ध ने अपनी आवाज उठाई थी. वो इस राज्य के लिए अलग संविधान बनाने के पक्ष में नहीं थे और इसी दौरान इन्होंने इस राज्य का दौरा भी किया था.

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निधन

श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने अपने जीवन की अंतिम सांसे जम्मू- कश्मीर राज्य में सन् 1953 में ली थी और जिस वक्त इनका निधन हुआ था, उस वक्त ये इस राज्य में लेख 370 का विरोध कर रहे थे और इनको उसी समय हिरासत में ले लिया गया था

किस तरह से हुई मृत्यु

दरअसल लेख 370 के तहत इस राज्य में सरकार की अनुमति के बिना नहीं जाया जा सकता था और इस चीज का विरोध करने के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 11 मई, 1953 में इस राज्य में बिना सरकार की अनुमति के प्रवेश ले लिया था. जिसके चलते इनको गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया था.

हालांकि कुछ समय बाद मुखर्जी और उनके साथ गिरफ्तार किए गए दो लोगों को एक कॉटेज में पुलिस द्वारा रखा गया था और इसी दौरान इनकी तबीयत खराब हो गई थी. वहीं तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद इन्हें 22 जून को अस्पताल में भी भर्ती करवाया गया था, जहां पर इनको हाई अर्टक होने की बात कही गई थी और एक दिन बाद ही इनकी मौत भी हो गई थी. हालांकि कहा जाता है कि इनकी मौत की वजह कोई और थी और इनकी मौत रहस्यमय परिस्थितियों में हो गई थी.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी के मौत से जुड़े विवाद

इनकी मृत्यु के बाद इनकी मां ने उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से इनकी मौत की जांच करवाने को कहा था. लेकिन नेहरू जी ने इनकी मौत की जांच करवाने से मना कर दिया था. वहीं साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी ने इनकी मौत को साजिश करार दिया था और कहा था कि इनकी हत्या हुई है

श्यामा प्रसाद मुखर्जी की विरासत-

साल 1969 में इनकी याद में दिल्ली में श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज को स्थापित किया गया था और ये दिल्ली का काफी प्रसिद्ध कॉलेज है.

इनके नाम पर दिल्ली के एक मार्ग का नाम भी रखा गया था, जिसका नाम ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्ग’ है. इसके अलावा अहमदाबाद और कोलकाता में भी इनके नाम पर कई मार्ग हैं.


साल 2017 में, मध्य प्रदेश राज्य के कोलार नगर का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर के रूप में बदल दिया गया था. इसके अलावा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर कई योजनाएं भी सरकार द्वारा चलाई गई हैं.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन से जुड़ी अन्य जानकारी-

मात्र 33 वर्ष की उम्र में यें कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलगुरू बने गए थे और इनसे पहले कोई भी व्यक्ति इस आयु में इस विश्वविद्यालय का कुलगुरू नहीं बना था.

इन्होने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था और इस आंदोलन के विरोध में एक पत्र बंगाल के गवर्नर सर जॉन हरबर्ट को भी लिखा था.

महात्मा गाँधी अनमोल वचन

साल 1946 में जी को भारत की संविधान सभा का सदस्य भी बनाया गया था और इन्होंने इस साल ही बंगाल के विभाजन की मांग भी लॉर्ड माउंटबेटन से की थी.

जिस वक्त इनकी मृत्यु हुई थी उस वक्त इनकी मां ने कहा था, कि मुझे लगता है कि मेरे बेटे की मौत का नुकसान भारत माता का नुकसान है.

निष्कर्ष

अपने विचारों को बिना किसी डर के प्रकट करते थे और इन्होंने हमेशा ही उन चीजों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी जो इनको देश की भलाई के विरुद्ध लगती थी. और लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ही इन्होंने भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन किया था.

FAQ

Q-श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म कब हुआ?

A-6जुलाई 1901

Q-श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु कब हुई?

A-23जून 1953

Q-श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मस्थान क्या है?

A-कोलकाता

Q-श्यामा प्रसाद मुखर्जी किस पार्टी से संबंधित थे?

A-भारतीय जनसंघ

 

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