Thursday, May 2, 2024
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Vishwakarma Puja क्यों मनाया जाता है 17 सितंबर को?

Vishwakarma Puja क्यों मनाया जाता है 17 सितंबर को- विश्वकर्मा पूजा, एक हिन्दू धार्मिक पर्व है जो मुख्य रूप से भारत में मनाया जाता है। यह पर्व विश्वकर्मा देवता की पूजा और उनकी कृतित्व कौशल की प्रशंसा के लिए मनाया जाता है, जिन्हें भगवान विश्वकर्मा के रूप में पूजा जाता है। Vishwakarma Puja 2023 In Hindi



विश्वकर्मा पूजा भारतीय वर्ष के सितम्बर महीने में आती है, जब विश्वकर्मा देवता की पूजा की जाती है और कारिगरों, उद्योगपतियों, उद्यमियों और कामकाजियों की दिशा में आशीर्वाद मांगा जाता है। इस दिन कामगार अपने उपकरण और काम स्थल को सजाने, उन्हें सफाई देने और नवीनीकरण करने के बाद उन्हें पूजन करते हैं ताकि विश्वकर्मा देवता की कृपा बरसे और उनके कार्यों में सफलता मिले। इस पूजा में उपयुक्त वस्त्र, पुष्प, दीपक, नैवेद्य, धूप, ध्वज आदि की प्रायः पूजा की जाती है। कई स्थानों पर आरती, भजन और कीर्तन किए जाते हैं और विश्वकर्मा देवता का विशेष आराधना किया जाता है। विश्वकर्मा पूजा भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न तरीकों से मनाई जाती है और इसके अलावा यह पूजा कार्यशीलता और उद्यमिता की महत्वपूर्णता को दर्शाती है। Vishwakarma Puja क्यों मनाया जाता है 17 सितंबर को?

नाम विश्वकर्मा जयंती
अन्य नाम विश्वकर्मा पूजा
आरम्भ 17 सितंबर
समाप्त 18 सितंबर
तिथि कन्या संक्रांति; हिंदू कैलेंडर के भाद्र माह का अंतिम दिन
उद्देश्य धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन
पालन भगवान विश्वकर्मा का जन्म
अनुयायी हिन्दू, भारतीय
आवृत्ति सालाना
2023 तारीख 17 सितंबर

विश्वकर्मा पूजा का मतलब क्या होता है?

विश्वकर्मा पूजा” का शाब्दिक अर्थ होता है – “विश्व” जो सभी, और “कर्मा” जो काम या कृति को सूचित करता है। इसका मतलब होता है कि इस पूजा के माध्यम से सभी प्रकार के कामकाज और उद्योगों के सृष्टि, कृतित्व के साथ काम करने का महत्वपूर्ण सन्देश दिया जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दौरान, विश्वकर्मा देवता की पूजा करके उनकी महत्वपूर्णता को स्वीकार किया जाता है और उनके श्रेष्ठतम कृतित्व, कौशल और निरंतरता की प्रशंसा की जाती है। यह उपकरण, मशीनरी, उद्योगों और कृतित्व के प्रतीक के रूप में विश्वकर्मा देवता की उपासना का भी एक हिस्सा है।

इस पर्व के माध्यम से लोग कार्यशीलता, उद्यमिता, और कौशल की महत्वपूर्णता को समझते हैं और इन मानसिकताओं को अपने कामों में प्रयोग करने के लिए प्रेरित होते हैं। यह पूजा कामकाजी समाज के लोगों को उनके प्रयासों की महत्वपूर्णता की याद दिलाने और उन्हें सफलता की दिशा में प्रोत्साहित करने का एक माध्यम है। सम्पूर्ण रूप से देखा जाए तो, विश्वकर्मा पूजा का मतलब होता है काम के प्रति उत्साह और प्रतिबद्धता की प्रक्रिया को महत्वपूर्ण बनाने का, और एक सफल और सुखद जीवन की दिशा में प्रेरित करने का। Vishwakarma Puja क्यों मनाया जाता है 17 सितंबर को?

भगवान विश्वकर्मा कौन है?

भगवान विश्वकर्मा हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवता है, जिन्हें कृतित्व के देवता और सर्वविद्या के प्रथम शिक्षक के रूप में पूजा जाता है। विश्वकर्मा देवता का संबंध सृष्टि के कारिगर और उद्योगों के संदर्भ में है।

विश्वकर्मा देवता को ब्रह्मा के पुत्र माना जाता है और उन्हें ब्रह्मा के सहायक देवता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने ब्रह्मा के निर्देशन में ब्रह्मांड की सृष्टि की है और उनके द्वारा बनाए गए विभिन्न यंत्र, उपकरण, और वस्त्र आदि मानव समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं। विश्वकर्मा देवता की पूजा और उनकी प्रशंसा विभिन्न उद्योगों, कृषि, शिक्षा, कला, और विज्ञान में कौशल और उद्यमिता की प्रतिष्ठा का प्रतीक होती है। इस पूजा के माध्यम से लोग विश्वकर्मा देवता के द्वारा प्रदान किए गए विशेष गुणों को प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं और उनके कामों में सफलता प्राप्त करने के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। समग्र रूप से, विश्वकर्मा देवता का महत्वपूर्ण स्थान हिन्दू धर्म में है और उनकी पूजा उद्योग, कृतित्व, और काम की महत्वपूर्णता को प्रकट करने के लिए की जाती है।

विश्वकर्मा जयंती क्या होता है?

विश्वकर्मा जयंती विश्वकर्मा देवता के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाने वाला पर्व है। यह पर्व विश्वकर्मा देवता की पूजा और उनके कृतित्व कौशल की प्रशंसा के लिए मनाया जाता है। विश्वकर्मा जयंती का आयोजन सितम्बर महीने के पहले दिनों में किया जाता है, जैसे कि सितम्बर 16 या 17 को। इस दिन कामकाजियों, उद्योगपतियों, कारिगरों, और उद्यमियों के लोग अपने कामकाजी उपकरणों और काम स्थल की सजावट करते हैं, उन्हें सफाई देते हैं, और उनके कामों को नयापन देते हैं। इसके साथ ही, विश्वकर्मा देवता की पूजा और आराधना की जाती है।Vishwakarma Puja क्यों मनाया जाता है 17 सितंबर को?

विश्वकर्मा जयंती के दिन विभिन्न स्थानों पर पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें उपयुक्त वस्त्र, पुष्प, दीपक, धूप, ध्वज आदि के साथ विश्वकर्मा देवता की पूजा की जाती है। धार्मिक कार्यक्रम, आरतियाँ, भजन, कीर्तन आदि भी इस पर्व के दौरान आयोजित किए जाते हैं।  विश्वकर्मा जयंती विश्वकर्मा देवता की पूजा और उनके कृतित्व कौशल की महत्वपूर्ण अवसर है, जिसमें लोग उनकी प्रशंसा करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।




2023 में विश्वकर्मा पूजा कब है?

त्यौहार के नाम दिन त्यौहार के तारीख
विश्वकर्मा पूजा रविवार 17 सितंबर 2023

विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाते है?

विश्वकर्मा पूजा का मुख्य उद्देश्य विश्वकर्मा देवता की पूजा करके उनकी कृतित्व कौशल, उद्यमिता, और निरंतरता की प्रशंसा करना होता है। विश्वकर्मा देवता को हिन्दू धर्म में सृष्टि के कारिगर और विशेषज्ञ देवता के रूप में माना जाता है, जिन्होंने ब्रह्मा के निर्देशन में ब्रह्मांड की सृष्टि की है। विश्वकर्मा देवता का मानना है कि उन्होंने भगवान ब्रह्मा के सहायक के रूप में संसार के विभिन्न वस्त्रजन्य वस्तुओं, यंत्रों, और उपकरणों की सृष्टि की है, जिनके माध्यम से मानव समाज के जीवन को सुखद और सुव्यवस्थित बनाया जा सकता है।

इस पूजा के माध्यम से लोग विश्वकर्मा देवता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ताकि वे भी उनके समान कृतित्व और कुशलता के साथ काम कर सकें और अपने कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकें। इसके अलावा, विश्वकर्मा पूजा का यह भी मात्रिकला का पर्व है, जिसमें उपकरण, मशीनरी, और उद्योगों की मातृ देवी की पूजा की जाती है, जिनका मानना है कि वे भी सृष्टि और उत्कृष्टता के प्रतीक हैं। समग्र, विश्वकर्मा पूजा एक प्रकार से कार्यशीलता, कौशल, और उद्यमिता की प्रशंसा और महत्वपूर्णता को दर्शाने वाला पर्व है, जिसका उद्देश्य लोगों को सफलता की दिशा में प्रेरित करना और उन्हें उनके कामों में निरंतरता और प्रतिबद्धता बनाए रखना है। Vishwakarma Puja In hindi 

विश्वकर्मा पूजा कैसे की जाती है?

पूजा का आयोजन शुभ मुहूर्त में किया जाता है, जो कि संस्कृति और स्थान के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।

विश्वकर्मा पूजा सामग्री

  • विश्वकर्मा देवता की मूर्ति
  • फूल, पुष्पमाला
  • दीपक और घी
  • धूप और अगरबत्ती
  • पूजा की थाली
  • प्रसाद (मिठाई, फल, नट्स आदि)

पूजा की प्रक्रिया

  • पूजा की शुरुआत गणेश जी की पूजा से करें, जिसे विघ्नहर्ता माना जाता है।
  • विश्वकर्मा देवता की मूर्ति या छवि को सफ़ाई से साफ करें और उन्हें पूजा के लिए सजाएं।
  • पूजा की थाली पर विश्वकर्मा देवता के लिए पुष्प, धूप, दीपक आदि रखें।
  • पूजा की शुरुआत मंत्रों और श्लोकों के साथ करें। विश्वकर्मा देवता के विशेष मंत्रों का जाप करें।
  • विश्वकर्मा देवता की मूर्ति को अर्चना करें, पुष्प प्रदान करें, धूप और दीपक जलाएं।
  • उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करें, अपने कामों में सफलता पाने की बिनती करें।
  • पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और उसे सभी को खिलाएं।

पूजा के बाद विश्वकर्मा आरती और भजन करने से पूजा का समापन कर सकते हैं। कई स्थानों पर विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर सामाजिक आयोजन भी किए जाते हैं, जैसे कि समुदायिक सभा, प्रसाद वितरण, कला और शिल्प प्रदर्शनी आदि।

विश्वकर्मा के पाँच स्वरूपों और अवतारों का वर्णन

विराट विश्वकर्मा सृष्टि के रचयिता
धर्मवंशी विश्वकर्मा महान् शिल्प विज्ञान विधाता और प्रभात पुत्र
अंगिरावंशी विश्वकर्मा आदि विज्ञान विधाता वसु पुत्र
सुधन्वा विश्वकर्म महान् शिल्पाचार्य विज्ञान जन्मदाता अथवी ऋषि के पौत्र
भृंगुवंशी विश्वकर्मा उत्कृष्ट शिल्प विज्ञानाचार्य

 

विश्वकर्मा का जन्म कैसे हुआ?

विश्वकर्मा के जन्म का कथान हिन्दू पुराणों में मिलता है, जैसे कि “विष्णु पुराण” और “ब्रह्माण्ड पुराण” में। यह कथान विभिन्न पुराणों में थोड़ी-थोड़ी भिन्नता दिखा सकता है, लेकिन एक सामान्य कथा के अनुसार, विश्वकर्मा का जन्म इस प्रकार हुआ था ब्रह्मा, वेदों के सिरजनहार और ब्रह्मांड के सर्वोच्च सृजनहार के रूप में माने जाते हैं। एक बार ब्रह्मा ने अपने मनस्पुत्र मानसपुत्र के रूप में विश्वकर्मा का जन्म दिलाया। विश्वकर्मा ने ब्रह्मा की आदिकला में से उत्पन्न होकर उनके साथ सभी विश्वास्मय उद्यमिता के गुणों का सामर्थ्य दिखाया। विश्वकर्मा की उत्तम कौशलता, उद्यमिता, और विशेष ज्ञान ने उन्हें ब्रह्मा के प्रिय आदिकला बना दिया और उन्हें ब्रह्मा की सहायता में ब्रह्मांड की सृष्टि करने का कार्य सौंपा। उन्होंने दिव्य यंत्र, आकार, रूप, और ज्ञान की सहायता से विश्व की सृष्टि की और उसे सुखद और सुव्यवस्थित बनाया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

Q:- क्या तय हो गई है विश्वकर्मा पूजा की तारीख?

हर साल 16 से 18 सितंबर के बीच मनाया जाता है।

Q:- क्या विश्वकर्मा पूजा पर सरकारी छुट्टी है?

नहीं




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