क्यों लगाते है हिंदू धर्म में तिलक-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज आपको हिंदू धर्म में तिलक क्यों लगते है उसके बारे में बताने जा रहा हु। सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह माथे पर लगाया जाने वाला एक छोटा-सा चिह्न होता है, जो कि पूजा अथवा अन्य धार्मिक अवसर तिलक लगाना, हिंदू परंपरा में प्रयोग किया जाने वाला एक विशेष कार्य है. बिना तिलक लगाए ना तो पूजा की अनुमति होती है और ना ही पूजा संपन्न होती है. तिलक द.
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तिलक लगाने के नियम
- बिना स्नान किए तिलक ना लगाएं.
- पहले अपने ईष्ट देव या भगवान को तिलक लगाएं, इसके बाद स्वयं को तिलक लगाएं.
- अपने आप को अनामिका अंगुली से और दूसरे को अंगूठे से तिलक लगाएं.
तिलक लगाने के लाभ
- चंदन का तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ती है.
- रोली और कुमकुम का तिलक लगाने से आकर्षण बढ़ता है, आलस्य दूर होता है.
- केसर का तिलक लगाने से यश बढ़ता है, काम पूरे होते हैं.
- गोरोचन का तिलक लगाने से विजय की प्राप्ति होती है.
- अष्टगंध का तिलक लगाने से विद्या बुद्धि की प्राप्ति होती है.
ग्रहों को मजबूत करने के लिए कौन सा तिलक लगाएं
- सूर्य- लाल चंदन का तिलक अनामिका अंगुली से लगाएं.
- चंद्रमा- सफेद चंदन का तिलक कनिष्ठा अंगुली से लगाएं.
- मंगल- नारंगी सिंदूर का तिलक अनामिका अंगुली से लगाएं.
- बुध- अष्टगंध का तिलक कनिष्ठा अंगुली से लगाएं.
- बृहस्पति- केसर का तिलक तर्जनी अंगुली से लगाएं.
आकर्षण के लिए कैसे बनाएं तिलक?
क्यों लगाते है हिंदू धर्म में तिलक-तांबे के पात्र में थोड़ी सी रोली ले लें. इसमें जरा सा गुलाब जल मिलाएं. इसका पेस्ट बनाकर पहले श्रीकृष्ण को तिलक लगाएं. फिर स्वयं को तिलक को लगाकर मांस मदिरा का सेवन न करें
विजय और शक्ति के लिए कैसे बनायें तिलक?
क्यों लगाते है हिंदू धर्म में तिलक-लाल चन्दन घिस लें. इसको चांदी के या शीशे के पात्र में रख लें. इसको देवी के सामने रखकर “ॐ दुं दुर्गाय नमः” 27 बार जाप करें. अब इस चन्दन को देवी के चरणो
तिलक का अर्थ है शुभ कार्य के लिए माथे पर बनाया जाने वाला चिह्न। शास्त्रों के अनुसार यदि व्यक्ति तिलक नहीं लगाता तो उसके द्वारा किया गया शुभ कार्य फलीभूत नहीं होता। यह दोनों भृकुटी के बीच आज्ञा चक्र पर लगाया जाता है। अन्य स्थानों पर भी तिलक लगाया जाता है। रक्षाबंधन, भैया दूज पर भाइयों को तिलक लगाने की परंपरा है। इसके अलावा पूजा पाठ के बाद भी माथे पर तिलक लगाने का रिवाज भारत में है।
परंपरा की बात करें तो भारत में लोग एक दो नहीं 80 से अधिक तरह से तिलक (टीके) लगाए जाते हैं। इसमें 64 तरीके के तिलक वैष्णव साधु लगाते हैं तो शैव, शाक्त और अन्य मतों के लोग भी अपने मत के अनुसार तिलक लगाते हैं। इससे आत्मशक्ति, एकाग्रता, संयम, शांति और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
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किस चीज का लगाना चाहिए तिलकः धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हमेशा पर्वत के नोक, नदी तट की मिट्टी, तीर्थ, चींटी की बांबी, तुलसी के मूल की मिट्टी या गोपी चंदन की मिट्टी, चंदन और कुमकुम से ही करना चाहिए। चंदन भस्म आदि से भी तिलक लगाया जाता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पुरुषों को चंदन और स्त्री को कुमकुम से ही तिलक माथे पर लगाना चाहिए। तिलक स्थान पर धनंजय प्राण रहता है, इसे जागृत करने के लिए ही तिलक लगाया जाता है। तिलक को अनामिका अंगुली के प्रयोग से लगाया जाता है। वहीं दूसरे को तिलक लगा रहे हैं तो अंगूठे का प्रयोग करें।
शैव परंपरा में तिलक
शैव परंपरा (भगवान शिव के उपासक) में ललाट पर चंदन की आड़ी रेखा या त्रिपुंड लगाया जाता है। त्रिपुंड भगवान शिव के श्रृंगार का हिस्सा है। इसमें भी पंथ बदलने पर अघोरी, कापालिक, तांत्रिक आदि अलग-अलग तरीके से तिलक लगाते हैं। यह काले या लाल रंग का होता है। इसे रोली तिलक भी कहते हैं
शाक्त परंपरा में तिलक
शक्ति के उपासक खास शैली में तिलक लगाते हैं। ये शैली से ज्यादा तत्व पर ध्यान देते हैं। ये चंदन या कुमकुम की जगह सिंदूर का तिलक लगाते हैं।
ब्रह्म तिलक
आम तौर पर मंदिर के पुजारी और ब्राह्मण यह तिलक लगाते हैं। ब्रह्मदेव की पूजा करने वाले गृहस्थ भी यह तिलक लगाते हैं। यह सफेद रंग की रोली से लगाया जाता है।
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