और साथ ही शायद ही कई लोग यह नहीं जानते कि 10 बीवियों की कहानी क्यों सुनी जाती है कहा जाता है कि अगर हम किसी परेशानी या दिक्कत में है तो हम कहते हैं कि अगर मेरी परेशानी टल जाती है तो मैं 10 बीवियों की कहानी सुनेगी अगर आपकी मुसीबत में निजात मिलेगी तो आप इस हाजत को पूरी करनी होगी
जैसे कि आप लोग यहां तक समझ चुके हैं कि आपको किस समय पर यानी कि कब आपको यह 10 बीवियों की कहानी सुनाई होती है तो लिए आगे जानते हैं 10 बीवियों की कहानी के बारे में
बीवियों की कहानी
एक शहर में दो भाई रहते थे जिसका बड़ा भाई काफी ज्यादा अमीर था और छोटा भाई बहुत नादार और मुफलिस था वह अपनी बीवी से कहने लगा यह कब तक फिक्र व फाका की मुसीबत सहे अब मैं परदेस जाता हूं शायद मुझको कहीं नौकरी मिल जाए और यह मुसीबत एक दिन कट जाए
दस बीवियों की कहानी- 10 bibiyon ki kahani In Hindi- कह कर वह शख्स अपनी बीवी से रुखसत हो गया और रोजगार की तलाश में प्रदेश चला गया थाअब वहां पर उसकी बीवीबहुत ही ज्यादा परेशान थी दिल में कहने लगी ए पालनेवाले तू ही रज्जाक है अब मेरा शहर भी चला गया अब मेरा कोई सहारा नहीं रहा सेवाएं तेरी जात पात के यह मोमिना जब बहुत मजबूर हो गई तो अपने शहर के बड़े भाई के घर गई वहां जाकर उसने अपने सारे हालत को बयां किया तमाम हाल सुनकर उसे शख्स ने अपनी बीवी से कहा यह मेरी भावज आई है
तुम इसे घर का काम करो यह तुम्हारी और तुम्हारे बच्चों की खिदमत करेगी कहा कि जो भी तुम्हारा खाना बच जाता है उसे दे देना खाना के लिए अपने शहर के भाई के घर के तमाम काम करती और साथ ही पूरा दिन बच्चों की खिदमत करती हैउसे पर भी अमीर की बीवी उसे ताने देती है और अपने आगे का बचा हुआ खाना उसे गरीब को दे देती है इसी तरह एक दिन मुद्दत गुजर गई हर रात यह मुसीबतजद मोमिना अपने सोहर की वापसी की दुआ मांगती थी
इसी हालत में एक शब यह मोमिना रोते-रोते सो गई उसके ख्वाब में देखा कि एक बीवी नाकाम पोस्ट तशरीफ लाए और फरमाया कि ए मोमिना तू अपने शोहर के लिए इस तरह परेशान ना हो इंशा अल्लाह तेरा शौहर सही सलामत तुझे आकर मिलेगा तू जुम्मेरात के दिन 10 बीवियों की कहानी सुन और जब तेरा शहर आ जाए तो मीठी रोटी का मलीदा बनाकर उसके 10 लड्डू बनाना और उसे पर 10 बीवियों की नियम देना
और औरत ने सवाल किया कि आप है कौन आपका नाम क्या है और इन 10 बीवियों का नाम क्या है जिनकी मैं नियाज दूं इसके जनाब सैयदा ने फरमाया मेरा नाम सैयदा ताहिरा फातिमा जोहरा हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम है और नौ बिवियो के नाम है
हजरत मरियम रज़ियल्लाहु अन्हु
हजरत सायरा रज़ियल्लाहु अन्हु
हजरत आसिया रज़ियल्लाहु अन्हु
हजरत हजरा रज़ियल्लाहु अन्हु
हजरत जैनब रज़ियल्लाहु अन्हु
हजरत फातिमा सोगरा रज़ियल्लाहु अन्हु
हजरत उम्मे कुलसुम रज़ियल्लाहु अन्हु
हजरत सकीना रज़ियल्लाहु अन्हु
इन्हें जिंदगी बहुत ही मुसीबत का सामना करना पड़ा इन बीवियों ने सब्र किया और जो शख्स इनकी तुफेल मे अल्लाह से जो भी हाजत तलब करेगा खुदाबवनद आलम उसकी हजरत पुरी करेगा
यह कहानी एक दिन जब अमीरुल मोमिनीन मैं हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अपना मेहमान किया और उसे दिन घर में एक फाका था
आप थोड़ा सा जो का आता कहीं के कर्ज ले और जब सैयदा को देखकर कहा कि आज रसूले खुदा मेरे मेहमान है
जब सैयदा ने उसकी छह रोटियां पकाई मगरिब की नमाज के बाद हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तस्लीम लेकर आए और इसके बाद दस्तरखान पर बैठे जब सैयदा ने रोटी हजरत फजा को दी पंजतन पाक ने खाई
मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जाने लगे तो जब ने अपनेहुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अर्ज किया कि मुझे भी सरफराज फरमाए हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम में दावत कबूल कर दी इसी तरह मासूम हजरत इमाम हसन और हजरत इमाम हुसैन मैं भी अपने नाना हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को दावत दी शेरे खुदा हजरत अली हर रोज सामान कर्ज पर लाते हैं जब सैयदा अनाज पीसटी और उसकी छह रोटियां पकाती