Tuesday, April 30, 2024
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ईसा मसीह (हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम) पैदाइश कैसे हुई थी ?

ईसा मसीह (हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम) पैदाइश कैसे हुई थीं ? – अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाह बरकातहू हजरत ईसा अलेहिससलाम को यीशु के नाम से जाना जाता है जैसे कि आप सभी जानते हैं हजरत ईसा का जिक्र ईसाई धर्म से हैं इस्लाम के लोग हजरत ईसा के नाम से पुकारत थे मुसलमानों का मानना है कि हज़रत ईसा (जीसस ) अल्लाह की पैगंबर थे कुंवारी मरियम (वर्जिन मेरी) ने जन्म दिया था

ईसा मसीह (हजरत ईसा अलैहिस्सलाम) का जन्म किस देश में हुआ था

ईसा मसीह (हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम) पैदाइश कैसे हुई थीं ? 
ईसा मसीह (हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम) पैदाइश कैसे हुई थीं ? 

ईसा मसीह (हजरत ईसा अलैहिस्सलाम) का जन्म रोमन साम्राज्य के यहूदिया प्रांत में हुआ था। यह क्षेत्र आज फिलिस्तीन के नाम से जाना जाता है। यीशु का जन्म बेथलहम नामक शहर में हुआ था, जो यरूशलेम से दक्षिण में स्थित है आज बेथलहम फिलिस्तीन के पश्चिमी तट पर स्थित है

ईसा मसीह (हजरत ईसा अलैहिस्सलाम) का जन्म किस युग में हुआ था

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ईसा मसीह (हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम) पैदाइश कैसे हुई थीं ? – ईसा मसीह (हजरत ईसा अलैहिस्सलाम) को ईसाई धर्म में ईश्वर के पुत्र के रूप में माना जाता है। ईसाई मान्यता के अनुसार, वे परमेश्वर का अवतार हैं, जो पृथ्वी पर मानव जाति को पापों से मुक्ति दिलाने और ईश्वर के प्रेम का संदेश देने आए थे।

यहूदी धर्म में, मसीहा (अंग्रेज़ी: Messiah) एक भविष्यद्वक्ता या राजा होता है, जिसे ईश्वर द्वारा भेजा जाएगा ताकि वह इज़राइल के लोगों को मुक्ति दिला सके और एक नया युग स्थापित कर सके। ईसाई धर्म में, यीशु को मसीहा माना जाता है, जो ईश्वर के वादे को पूरा करने आए थे।

ईसा मसीह (हजरत ईसा अलैहिस्सलाम) का जन्म लगभग 4 ईसा पूर्व में यहूदिया के बैतलहम शहर में हुआ था। उनकी जन्मतिथि निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है, लेकिन क्रिसमस 25 दिसंबर को उनके जन्म का उत्सव मनाया जाता है।

मुस्लिम जीसस को ईसा बोलते हैं, लेकिन बस दोनों धर्मों की सोच में फर्क इतना है कि ईसाई जीसस को ईश्वर का बेटा (सन ऑफ गॉड) मानते हैं, जबकि मुस्लिम मानते हैं कि ईसा (अलैयहिस्सलाम) अल्लाह के बेटे नहीं बल्कि वो अल्लाह के भेजे हुए दूत थे, जो आम इंसान को सही रास्ता दिखाने आए थे.

हज़रत ईसा की पैदाइश कैसे हुई थीं ? 

मरियम, जो एक कुंवारी थीं, उनको स्वर्गदूत गेब्रियल ने बताया कि वो पवित्र आत्मा से गर्भवती होंगी और ईश्वर के पुत्र यीशु मसीह को जन्म देंगी। जब रोमन सम्राट ऑगस्टस ने जनगणना का आदेश दिया, तो मरियम और उनके पति यूसुफ को बेथलहम जाना पड़ा। वहां, उन्हें आश्रय के लिए केवल एक चरनी मिली, जहाँ उन्होंने यीशु को जन्म दिया।  यीशु के जन्म के साथ कई चमत्कार हुए। एक चमकीला तारा पूर्व में दिखाई दिया, जिसने बुद्धिमानों को यीशु के जन्मस्थान तक निर्देशित किया। स्वर्गदूतों ने चरवाहों को यीशु के जन्म की खबर दी। और जानवरों ने भी यीशु की पूजा की।
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