अक्षय नवमी कब है – हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको अक्षय नवमी कब बारे में बताने जा रहा हूँ कार्तिक माह में हिन्दू मान्यता के अनुसार बहुत से त्यौहार मनाये जाते है. अलग अलग क्षेत्र, समुदाय के लोग अलग अलग त्यौहार मनाते है. दिवाली से शुभ कामों की शुरुवात हो जाती है. दिवाली में सभी व्यवसायी व्यस्त रहते है, तो इसके बाद लोग पुरे परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाते है, पिकनिक में कहीं जाते है. भारत के उत्तर एवं मध्य भारत में आवला नवमी का त्यौहार इसी तरह का पारिवारिक त्यौहार है.
आवला अथवा अक्षय नवमी इस दिन भगवान कृष्ण वृन्दावन गोकुल की गलियाँ छोड़ मथुरा गए थे. इस दिन उन्होंने अपनी बाल लीलाओं को त्याग कर अपने कर्तव्य के पथ पर कदम रखा था. यह पूजा खासतौर पर उत्तर भारत में की जाती हैं. इस दिन वृंदावन की परिक्रमा शुरू कर दी जाती हैं. महिलायें आँवला नवमी की पूजा पुरे विधि विधान के साथ करती हैं. यह पूजा संतान प्राप्ति एवम पारिवारिक सुख सुविधाओं के उद्देश्य से की जाती हैं.
Quick Links
आँवला नवमी अथवा अक्षय नवमी कब मनाई जाती हैं
अक्षय नवमी कब है – आँवला नवमी अथवा अक्षय नवमी कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन मनाई जाती हैं. यह पर्व दिवाली त्योहार के बाद आता हैं. वर्ष 2023 में 21 नवंबर को मनाई जायेगी. इसी दिन के साथ भारत के दक्षिण एवम पूर्व में जगद्धात्री पूजा का महा पर्व शुरू होता हैं. यह पर्व भी बड़े जोरो शोरो से मनाया जाता हैं.
आँवला नवमी तिथि | 21 नवंबर 2023 |
पूजा मुहूर्त | – |
कुल समय | – |
आँवला या अक्षय नवमी पूजा कथा एवम महत्व
अक्षय नवमी कब है – एक व्यापारी और उसकी पत्नी जो काशी में रहते थे. उनकी कोई संतान नहीं थी. इसी कारण व्यापारी की पत्नी हमेशा दुखी सी रहती थी और उसका स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो गया था. एक दिन उसे किसी ने कहा कि अगर वो संतान चाहती हैं, तो वह किसी जीवित बच्चे की बलि भैरव बाबा के सामने दे. इससे उसको संतान प्राप्ति होगी. उसने यह बात अपने पति से कही, लेकिन पति को यह बात फूटी आँख ना भायी. पर व्यापारी की पत्नी को संतान प्राप्ति की चाह ने इस तरह से बाँध दिया था, कि उसने अच्छे बुरे की समझ को ही त्याग दिया
और एक दिन एक बच्चे की बलि भैरव बाबा के सामने दे दी, जिसके परिणाम स्वरूप उसे कई रोग हो गये. अपनी पत्नी की यह हालत देख व्यापारी बहुत दुखी था. उसने इसका कारण पूछा. तब उसकी पत्नी ने बताया कि उसने एक बच्चे की बलि दी. उसी के कारण ऐसा हुआ. यह सुनकर व्यापारी को बहुत क्रोध आया और उसने उसे बहुत मारा. पर बाद में उसे अपनी पत्नी की दशा पर दया आ गई और उसने उसे सलाह दी कि वो अपने इस पाप की मुक्ति के लिए गंगा में स्नान करे और सच्चे मन से प्रार्थना करे. व्यापारी की पत्नी ने वही किया. कई दिनों तक गंगा स्नान किया और तट पर पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की. इससे प्रसन्न होकर माता गंगा ने एक बूढी औरत के रूप में व्यापारी की पत्नी को दर्शन दिए और कहा उसके शरीर के सारे विकार दूर करने के लिए वो कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन वृंदावन में आँवले का व्रत रख उसकी पूजा करेगी, तो उसके सभी कष्ट दूर होंगे.
WhatsApp Group | Join Now |
Telegram Group | Join Now |
व्यापारी की पत्नी ने बड़े विधि विधान के साथ पूजा की और उसके शरीर के सभी कष्ट दूर हुये. उसे सुंदर शरीर प्राप्त हुआ. साथ ही उसे पुत्र की प्राप्ति भी हुई. तब ही से महिलायें संतान प्राप्ति की इच्छा से आँवला नवमी का व्रत रखती हैं.
आंवला नवमी पूजा विधि सामग्री
यह व्रत घर की महिलायें संतान प्राप्ति और परिवार के सुख के लिए करती हैं. आजकल यह पूजा एक पिकनिक के रूप में पुरे परिवार एवम दोस्तों के साथ मिलकर की जाती हैं.
सामग्री
1 | आँवले का पौधा पत्ते एवम फल, तुलसी के पत्ते एवम पौधा |
2 | कलश एवम जल |
3 | कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, चावल, नारियल, सूत का धागा |
4 | दुप, दीप, माचिस |
5 | श्रृंगार का सामान, साड़ी ब्लाउज |
6 | दान के लिए अनाज |
आंवला नवमी पूजा विधि
औरतें जल्दी उठ नहा धोकर साफ कपड़े पहनती है.
अक्षय नवमी कब है – इस दिन आवला के पेड़ की पूजा होती है, और उसी के पास भोजन किया जाता है. तो इस दिन पूरा परिवार ऐसी जगह पिकनिक की योजना बनाता है, जहाँ आवला का पेड़ होता है.
कई लोग अपने दोस्तों, क्लब वालों के साथ इस त्यौहार की योजना बनाते है, और किसी फार्म हाउस या पिकनिक स्पॉट में जाते है.
पूरा परिवार नहीं जाता है, तब भी औरतें तो इस दिन को बड़ी धूमधाम से अपने मित्रों परिवार के साथ मनाती है.
जो लोग बाहर कही नहीं जाते है, वे घर में आवले के छोटे पोधे के पास ही इसकी पूजा करते है, और फिर भोजन करते है.
पुरे परिवार के लिए यह एक पिकनिक हो जाती है, जिसमें औरतें घर से खाना बनाकर ले जाती है, या वहीँ सब मिलकर बनाते है.
आमले के पेड़ की पूजा की जाती है, उसकी परिक्रमा का विशेष महत्व है.
आँवले के वृक्ष में दूध चढ़ाया जाता हैं पूरी विधि के साथ पूजन किया जाता हैं.
श्रंगार का सामान एवम कपड़े किसी गरीब सुहागन अथवा ब्राहमण पंडित को दान देते हैं.
इस दिन दान का विशेष महत्व होता हैं गरीबो को अनाज अपनी इच्छानुसार दान देते हैं.
सफ़ेद या लाल मौली के धागे से इसकी परिक्रमा करते है. औरतें अपने अनुसार 8 या 108 बार परिक्रमा करती है. इस परिक्रमा में 8 या 108 की भी चीज चढ़ाई जाती है. इसमें औरतें बिंदी, टॉफी, चूड़ी, मेहँदी, सिंदूर आदि कोई भी वस्तु का चुनाव करती है, और इसे आमला के पेड़ में चढ़ाती है.
इसके बाद इस समान को हर सुहागन औरत को टिकी लगाकर दिया जाता है.
फिर सब साथ बैठकर कथा सुनती है, और खाने बैठती है.
इस दिन ब्राह्मणी औरत को सुहाग का समान, खाने की चीज और पैसे दान में देना अच्छा मानते है.
अक्षय नवमी कब है – आजकल कई बड़े- बड़े गार्डन में आँवला नवमी पूजा का आयोजन किया जाता हैं. पुरे परिवार के साथ सभी महिलायें गार्डन में एकत्र होती हैं पूजा करती हैं और साथ में मिलकर सभी भोजन करते हैं. कई खेल खेलते हैं और भजन एवम गाने गाकर उत्साह से आँवला पूजन पूरा करते हैं.
FAQ
Q : आंवला नवमी 2023 में कब है ?
Ans : 21 नवंबर
Q : आंवला नवमी में किसकी पूजा की जाती है ?
Ans : आंवला के पेड़ की.
Q : आंवला नवमी की पूजा कैसे करें ?
Ans : इसकी जानकारी लेख में दी हुई है.
Q : आंवला नवमी कब आती है ?
Ans : दीवाली के बाद वाली नवमी को आंवला नवमी कहते हैं.
Q : आंवला नवमी पूजा का सही मुहूर्त क्या है ?
Ans : अभी ज्ञात नहीं
READ MORE :-
महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय | maharishi valmiki biography in hindi