Thursday, May 2, 2024
Homeपरिचयमहर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय | maharishi valmiki biography in hindi

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय | maharishi valmiki biography in hindi

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय – दोस्तों आज हम महर्षि वाल्मीकि के बारे में जानेगे की कैसे वे एक डाकू से रामायण के रचेता बने। हम जानेगे की क्यों  वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है।  मेरा नाम है विशाल सिंह तोह जानते है महर्षि वाल्मीकि के बारे में।



महर्षि वाल्मीकि परिचय

नाम महर्षि वाल्मीकि
वास्तविक नाम रत्नाकर
पिता प्रचेता
जन्म दिवस आश्विन पूर्णिमा
पेशा डाकू , महाकवि
रचना रामायण

 

कौन थे महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय – वाल्मीकि एक डाकू थे और भील जाति में उनका पालन पोषण हुआ, वास्तव में वाल्मीकि जी प्रचेता के पुत्र थे. पुराणों के अनुसार प्रचेता ब्रह्मा जी के पुत्र थे. बचपन में एक भीलनी ने वाल्मीकि को चुरा लिया था, जिस कारण उनका पालन पोषण भील समाज में हुआ और वे डाकू बने.

कैसे रामायण लिखने की प्रेणा मिली

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय – जब रत्नाकर को अपने पापो का आभास हुआ, तब उन्होंने उस जीवन को त्याग कर नया पथ अपनाना चाहा , लेकिन इस नए पथ के बारे में उन्हें कोई ज्ञान नहीं था. जब उन्होंने नारद जी से मार्ग पूछा, तब नारद जी ने उन्हें राम नाम का जप करने की सलाह दी.

रत्नाकर ने बहुत लम्बे समय तक राम नाम जपा पर अज्ञानता के कारण भूलवश वह राम राम का जप मरा मरा में बदल गया, जिसके कारण इनका शरीर दुर्बल हो गया, उस पर चीटियाँ लग गई. शायद यही उनके पापो का भोग था. इसी के कारण इनका नाम वाल्मीकि पड़ा. पर कठिन साधना से उन्होंने ब्रह्म देव को प्रसन्न किया, जिसके फलस्वरूप ब्रम्हदेव ने इन्हें ज्ञान से परिचित कराया और रामायण लिखने का सामर्थ्य दिया, जिसके बाद वाल्मीकि महर्षि ने रामायण की रचना की .

वाल्मीकि रामायण संक्षित विवरण

संस्कृत में रामायण लिख चुके महर्षि वाल्मीकि को रामायण लिखने की प्रेरणा ब्रह्मा जी ने दी थी। इसमें २३००० श्लोक लिखे गए हैं जिसमें इन्होने भवगान विष्णु के अवतार राम चंद्र जी का चरित्र चित्रण किया है।  इसकी आखरी सात किताबों में महर्षि वाल्मीकि का जीवन विवरण भी है।



इसके अलावा उन्होंने अपने आश्रम में रखकर माता सीता को रक्षा दी और राम चंद्र और सीता के दोनों पुत्रों लव और कुश को ज्ञान दिया। वाल्मीकि महर्षि ने राम के चरित्र का चित्रण भी किया

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

वाल्मीकि जयंती कब मनाई जाती हैं

वाल्मीकि जी का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा को हुआ था, इसी दिन को हिन्दू धर्म  कैलेंडर में वाल्मीकि जयंती कहा जाता हैं. इस वर्ष वाल्मीकि जयंती 28 अक्टूबर, को मनाई जाएगी.

वाल्मीकि जयंती का महत्व

वाल्मीकि जी आदि कवी थे. इन्हें श्लोक का जन्मदाता माना जाता है, इन्होने ही संस्कृत के प्रथम श्लोक को लिखा था. इस जयंती को प्रकट दिवस  के रूप में भी जाना जाता हैं.

कैसे मनाई जाती हैं वाल्मीकि जयंती

भारत देश में वाल्मीकि जयंती मनाई जाती हैं. खासतौर पर उत्तर भारत में इसका महत्व हैं.

कई प्रकार के धार्मिक आयोजन किये जाते हैं.

शोभा यात्रा सजती हैं.

मिष्ठान, फल, पकवान वितरित किये जाते हैं.

कई जगहों पर भंडारे किये जाते हैं.

वाल्मीकि के जीवन का ज्ञान सभी को दिया जाता हैं ताकि उससे प्रेरणा लेकर मनुष्य बुरे कर्म छोड़ सत्कर्म में मन लगाये.

वाल्मीकि जयंती का महत्व हिन्दू धर्म में अधिक माना जाता हैं उनके जीवन से सभी को सीख मिलती हैं.

 महर्षि वाल्मीकि जी के बारे में कुछ रोचक जानकारी

ऐसा माना जाता है की त्रेता युग में जन्मे वाल्मीकि जी ने कलयुग में भी जन्म लिया था जो की गोस्वामी तुलसीदास  के रूप में माना जाता है।

चौबीस हज़ार  श्लोकों को रामायण  में महर्षि वाल्मीकि जी ने संस्कृत में लिखा है।

भारत में हर साल हिन्दू धर्म द्वारा महर्षि वाल्मीकि को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। और इस मौके पर कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

रमायण लिखने के अलावा वाल्मीकि हिंदी कविता, ज्योतिष विद्या और खगोल विद्या के भी अच्छे ज्ञानी हुआ करते थे।

अयोध्या छोड़ने के बाद सीता जी वाल्मीकि के ही आश्रम में रहीं थी और इनके दोनों बेटों लव और कुश को भी इन्होने ही ज्ञान दिया था।

इसी के साथ में इस लेख को समाप्त करना चाहूंगा। आशा करता हु आपको ये लेख पसंद आया होगा।




धन्यवाद।

Also Read:- 

RELATED ARTICLES
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Most Popular