बुखारी शरीफ की हदीस -Bukhari Sharif In Hindi – बुखारी शरीफ किताब, इस्लामी धर्म के सबसे महत्वपूर्ण हदीस किताबों में से एक है जो नबी मुहम्मद (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) के वक्तव्य और उनके सुन्ने (सिरत) पर आधारित हदीसों का संग्रह करती है। यह किताब उन्हीं के शिष्य, हजरत इमाम मुहम्मद इब्न इस्माईल बुखारी (رحمة الله عليه) ने तैयार की थी।
Book Name | Sahih Bukhar |
Writer | Imam Bukhari |
Writer Death | 256 |
Total Chapters | 99 |
Total Hadith | 7558 |
Quick Links
हदीस नंबर 1 क्या है?
- हदीस: “अमल के अलावा कोई शरीयत में आजर नहीं, और अमल के अलावा कोई बिदात नहीं।” (सहीह बुखारी, किताबुल-इयतिसाम)
- हदीस: “मुसलमान उस समय तक इमानी नहीं हो सकता जब तक कि वो अपने भाई को वो चीज़ न दे जो खुद पसंद हो।” (सहीह बुखारी, किताबुल-इमान)
- हदीस: “मुसलमान उस वक्त तक ईमान नहीं ला सकता जब तक कि वो अपने बंदों के लिए चाहता न करे जैसे वो अपने लिए चाहता है।” (सहीह बुखारी, किताबुल-इमार)
- हदीस: “विश्वास करने वाले लोगों की चार निशानियां हैं – जो खाने पीने में अपनी इधार-उधार की चीजें अल्लाह के लिए छोड़ देते हैं, जो जोरदार आवाज़ से नमाज़ पढ़ते हैं, जो सरेआम इबादत करते हैं, और जो अपने ही नुस्खों का इलाज करते हैं।” (सहीह बुखारी, किताबुल-ईमान)
- हदीस: “जिसके पास तीन चीजें हैं, वो ज़िन्दगी मिल जाएगी – इमान के साथ वो ज़िन्दगी जीता है, ईमान के साथ वो मरता है, और जन्नत के साथ वो प्रवेश करता है।” (सहीह बुखारी, किताबुल-ईमान)
- हदीस: “शक्श को अच्छे अच्छे ख़्वाब दिखाई देते हैं और मुझे सेर ख़्वाब दिखा देते हैं मगर मैं सेर का ख़्वाब नहीं देखता।” (सहीह बुखारी, किताबुल-तौहीद
हदीस नंबर 2 क्या है?
बुखारी शरीफ की हदीस -Bukhari Sharif In Hindi एक दिन जब हम अल्लाह के दूत के साथ बैठे थे तो हमारे सामने एक आदमी आया और जिसके कपड़े बेहद सफेद थे और जिसके बाल बेहद काले थे; उस पर यात्रा का कोई चिन्ह दिखाई नहीं दे रहा था और हममें से कोई भी उसे नहीं जानता था
- कुरान की हदीस और फजीलत Quran aur Hadees Ki baatein Hindi mein
- कुरान सूरा 33 की आयत 37 और 50 में ऐसा क्या लिखा है
हदीस नंबर 3 क्या है?
हदीस नंबर 4 क्या है?
आप मानव जाति के लिए लाए गए सर्वोत्तम राष्ट्र हैं, जो सही है उसका आदेश देते हैं और जो गलत है उसे रोकते हैं और उस पर विश्वास करते हैं। भगवान के द्वारा, इब्न शिहाब ने कहा, और अबू सलाम बिन अब्द अल-रहमान ने मुझे बताया कि जाबिर बिन अब्दुल्ला अल-अंसारी ने कहा, जब वह शिहाब रहस्योद्घाटन की अवधि के बारे में बात कर रहे थे। मासी आठ मामले, और उन्होंने अपने भाषण में कहा, जब मैं चल रहा था, मैंने आकाश से एक आवाज सुनी जो मेरे पास आई, हीरा आकाश के बीच एक कुर्सी पर बैठा था।
हदीस नंबर 5 क्या है?
बुखारी शरीफ की हदीस -Bukhari Sharif In Hindi कुछ मुश्किल नहीं कि अगर नबी तुम सब बीवियों को तलाक़ दे दे तो अल्लाह उसे ऐसी बीवियाँ तुम्हारे बदले में दे दे जो तुमसे बेहतर हों, सच्ची मुसलमान, ईमान वाली , आज्ञाकारी, तौबा करने वाली, इबादत करने वाली(बहुवचन), और रोज़ेदार, चाहे वो शादी-शुदा हों या कुँवारियाँ।
हदीस कितने प्रकार के होते हैं?
सहीह हदीस (Sahih Hadith): सहीह हदीस वे हदीस होती हैं जिन्हें इस्लामी हदीस ग्रंथों में विशेष सत्यापन के बाद सत्य और सही माना जाता है। इन हदीसों में उन हदीस रिवायतकर्ताओं का जिक्र नहीं होता है जिनके वक्त में हदीस संग्रह हुआ था। ये हदीस प्रत्येक मुस्लिम समुदाय में विशेष मान्यता प्राप्त होती हैं। सहीह हदीस की एक उदाहरण उपरोक्त उत्तर में दी गई हदीस है।
दौ’फ हदीस (Dhaif Hadith): दौ’फ हदीस वे हदीस होती हैं जिन्हें इस्लामी हदीस ग्रंथों में सत्यापन न करने पर भी सच माना जाता है, और उनमें कुछ नकली (फ़र्ज़ी) अंश हो सकते हैं। इन हदीसों को सबकुछ यक़ीनी नहीं माना जाता है और उनके अनुसार किसी धार्मिक निर्णय को लेना सावधानीपूर्वक होना चाहिए। दौ’फ हदीस को इस्लामी फिक्र और हदीस विज्ञान में उदाहरण देने के लिए प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसका धार्मिक आधार नहीं होता।
हदीस पर अमल करना ज़रूरी है
हदीस पर अमल करना इस्लाम में बहुत महत्वपूर्ण है। हदीस वे वक्तव्य और आदर्श होते हैं जो इस्लाम के प्रवक्ता, नबी मुहम्मद (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) के माध्यम से उनके शिष्यों तक पहुंचे थे। ये हदीस उनके जीवन, आचार-व्यवहार, धर्मिक रूप-रंग और अदालतपूर्वक व्यवहार को आदर्श बनाने के लिए आते हैं।
बुखारी शरीफ की हदीस -Bukhari Sharif In Hindi हदीस पर अमल करने का अर्थ है कि मुस्लिम समुदाय को नबी मुहम्मद (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) के वक्तव्यों और सुन्नत पर अमल करने का प्रयास करना चाहिए। ये हदीस दिशा-निर्देशक बनते हैं और धार्मिक जीवन में मार्गदर्शन करते हैं। इसलिए, मुस्लिम समुदाय को अपने जीवन में हदीसों को शामिल करने का प्रयास करना चाहिए।
- सही दिशा में जीवन गुजारना: हदीस उन्हें एक नेतृत्व सूत्र देते हैं जिनसे लोग अच्छे अदालतपूर्वक जीवन जी सकते हैं।
- धार्मिकता में सुधार: हदीस में विशेष उपदेश और आदर्शों का संग्रह होता है जो व्यक्ति को धार्मिकता में सुधारने में मदद करता है।
- नबी के प्रेम का प्रकटीकरण: हदीस पर अमल करना नबी मुहम्मद (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) के प्रेम का प्रकटीकरण करता है और उनके सुन्नत पर चलने में समर्थ बनाता है।
- समाज में अच्छे उदाहरण प्रदान करना: हदीस के अनुसार जीवन जीने से मुस्लिम समुदाय को समाज में अच्छे उदाहरण प्रदान करने में मदद मिलती है।
- इसलिए, हदीस पर अमल करना मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और नैतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।