Class 12th History Chapter 12 औपनिवेशिक शहर Notes In Hindi – औपनिवेशिक शहर हेलो दोस्तों आज हम औपनिवेशिक शहर के बारे में जानेगे अगर आपको कुछ भी जानकारी नही है तो इस post में आपको पूरी जानकारी मिलेगी और अगर आपको Notes के बारे में भी जानकारी चाहिए तो आप last तक बने रहे
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | HISTORY |
Chapter | Chapter 12 |
Chapter Name | औपनिवेशिक शहर |
Category | Class 12 History Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
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महत्वपूर्ण अवधारणाए
अवधारणाएँ Social, राजनीतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक संदर्भ में महत्वपूर्ण सिद्ध होती हैं और व्यक्ति और समूहों के विचारधारा और व्यवहार को प्रभावित करती हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं:
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स्वतंत्रता (Freedom):
स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण और समृद्धिकरण भरी अवधारणा है जो स्वतंत्रता, न्याय, और अधिकारों के महत्व को बढ़ावा देती है। यह Social न्याय, व्यक्तिगत आज़ादी, और सरकारी सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
Social न्याय (Social Justice):
Social न्याय का सिद्धांत यह बताता है कि समाज में सभी व्यक्तियों को बराबरी और न्याय मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग, या वर्ग के हों।
Social समृद्धि (Social Prosperity):
समृद्धि और Social उन्नति की अवधारणा से यह साबित होता है कि एक समृद्ध और समृद्धि भरा समाज वहाँ होता है जहाँ सभी व्यक्तियों को अच्छी जीवनस्तर और सामूहिक उत्थान का अवसर होता है।
अधिकार (Rights):
अधिकार की अवधारणा बताती है कि हर व्यक्ति को निर्धारित अधिकार और स्वतंत्रता मिलनी चाहिए जो उसे ड्यू प्रमाण में न्याय, सुरक्षा, और स्वतंत्रता प्रदान करती हैं।
समृद्धि (Prosperity):
समृद्धि एक समाज की आर्थिक और Social उन्नति की अवधारणा है जो विभिन्न वर्गों और समूहों को समृद्धि के लाभों का हिस्सा बनाती है।
औपनिवेशिक शासन में शहर
औपनिवेशिक शहर “औपनिवेशिक शासन” का शाब्दिक अर्थ होता है “शहरी शासन” या “शहरी नियंत्रण”। इसे ऐसे आयोजन को कहा जाता है जिसमें नगरीय इलाकों को बेहतरीन और सुरक्षित तरीके से प्रबंधित किया जाता है। यह एक व्यवस्थात्मक मॉडल है जो नगरीय विकास, नियंत्रण, और प्रबंधन को मजबूत करने के लिए उपयोग किया जाता है।
औपनिवेशिक शासन में शहर का महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यहां अधिकांश आधुनिक जीवन की गतिविधियां होती हैं, और यह एक समृद्धि और विकास का केंद्र हो सकता है। यहां कुछ कुंजी विचार हैं जो औपनिवेशिक शासन में शहर के महत्व को दर्शाती हैं:
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आधुनिक आधारभूत सेवाएं:
शहरों में बेहतर आधुनिक आधारभूत सेवाएं होती हैं जैसे कि बेहतर रोड, पानी, बिजली, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाएं।
आर्थिक गतिविधियां:
शहरों में विभिन्न आर्थिक गतिविधियां होती हैं जो अधिकांश लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं और आर्थिक विकास में योगदान करती हैं।
शिक्षा और अनुसंधान केंद्र:
औपनिवेशिक शहर शहरों में Higher education, अनुसंधान संस्थान और विभिन्न पेशेवर कोर्सों के केंद्र होते हैं जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और उद्यमिता को बढ़ावा देते हैं।
सोशल और कल्चरल विविधता:
शहरों में विभिन्न Social और सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं जो विविधता को बढ़ावा देती हैं और लोगों को एक साथ जोड़ती हैं।
पर्यावरण स्थिति:
औपनिवेशिक शासन का मॉडल अक्सर पर्यावरण सजीवता की सख्त मानकों का पालन करता है और शहरी विकास को पर्यावरण से मिलती जुलती करता है।
शहरी निरीक्षण और सुरक्षा:
शहरों में बेहतर सुरक्षा, यानी कि पुलिस बल, और सुरक्षा आवश्यकताओं का अच्छा प्रबंधन होता है।
आधुनिक रचना नीति:
शहरों में आधुनिक रचना नीति और plans बनाई जाती हैं ताकि शहर का विकास सुरक्षित और सुस्तरीत हो सके।
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास:
शहरों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कि सड़कें, पुल, और मेट्रो नेटवर्क का विकास किया जाता है जो आधुनिक जीवन को सुविधाजनक बनाए रखने में मदद करता है।
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इन सभी कारकों के साथ, औपनिवेशिक शासन में शहरों को एक स्थिति मिलती है जिसमें वे Social, आर्थिक, और पर्यावरणीय सृजनात्मकता की दिशा में विकसित हो सकते हैं।
कस्बा
औपनिवेशिक शहर कस्बा ‘ विशिष्ट प्रकार की आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केन्द्र थे । यहाँ पर शिल्पकार , Business , प्रशासक तथा शासक रहते थे । एक प्रकार से शाही शहर और ग्रामीण अंचल के बीच का स्थान था । Class 12th History Chapter 12 औपनिवेशिक शहर Notes In Hindi
शहरों की स्थिति
औपनिवेशिक काल में तीन प्रमुख बड़े शहर विकसित हुए – मद्रास , कलकत्ता तथा बम्बई । ये तीनों शहर मूलतः मत्स्य ग्रहण तथा बुनाई के गाँव थे जो इंग्लिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की Business गतिविधियों के कारण महत्वपूर्ण केन्द्र बन गए । बाद में शासन के केन्द्र बने , जिन्हें प्रेसीडेंसी शहर कहा गया ।
शहरों का महत्व इस बात पर निर्भर करता था कि , प्रशासन तथा आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र कहाँ है , क्योंकि वहीं रोजगार व Business तंत्र मौजूद होते थे ।
मुगलों द्वारा बनाए गए शहर प्रसिद्ध थे – population के केन्द्रीकरण , अपने विशाल भवनों तथा अपनी शाही शोभा एवं समृद्धि के लिए । जिनमें आगरा , दिल्ली और लाहौर प्रमुख थे , जो शाही प्रशासन के केन्द्र थे ।
शाही नगर किलेबंद होते थे , उद्यान , मस्जिद , मन्दिर , मकबरे , कारवाँ , सराय , बाजार , महाविद्यालय सभी किले के अन्दर होते थे , तथा विभिन्न दरवाजों से आने – जाने पर नियंत्रण रखा जाता।
उत्तर India के मध्यकालीन शहरों में ” कोतवाल ‘ नामक राजकीय अधिकारी नगर के आंतरिक मामलों पर नज़र रखता था और कानून बनाए रखता था ।
18 वीं शताब्दी में परिवर्तन :-
मुगल साम्राज्य का पतन होने के साथ ही पुराने नगरों का अस्तित्व समाप्त हो गया और क्षेत्रीय शक्तियों का विकास होने के कारण नये नगर बनने लगे । इनमें लखनऊ , हैदराबाद , सेरिंगपट्म , पूना , नागपुर , बड़ौदा तथा तंजौर आदि उल्लेखनीय हैं ।
Business , प्रशासक , शिल्पकार तथा अन्य व्यवसायी पुराने नगरों से यहाँ आने लगे । यहाँ उनको काम तथा संरक्षण उपलब्ध था । चूंकि राज्यों के बीच युद्ध होते रहते थे इसलिए भाड़े के सैनिकों के लिए भी काम था ।
मुगल साम्राज्य के अधिकारियों ने कस्बे और गंज ( छोटे स्थायी बाजार ) की स्थापना की । इन शहरी केन्द्रों में यूरोपीय कम्पनियों ने भी धाक जमा ली । पुर्तगालियों ने पणजी में , डचों ने मछलीपट्टनम् , अंग्रेजों ने मद्रास तथा फ्रांसीसियों ने पांडिचेरी में अपने Business केन्द्र खोल लिए ।
18 वीं शताब्दी में स्थल आधारित साम्राज्यों का स्थान जलमार्ग आधारित यूरोपीय साम्राज्यों ने ले लिया । India में पूँजीवाद और वाणिज्यवाद को बढ़ावा मिलने लगा ।
औपनिवेशिक शहर मध्यकालीन शहरों – सूरत , मछलीपट्टनम् तथा ढाका का पतन हो गया ।
प्लासी युद्ध के पश्चात् अंग्रेजी Business में वृद्धि हुई और मद्रास , कलकत्ता तथा बम्बई जैसे शहर आर्थिक राजधानियों के रूप में स्थापित हुए ।
ये शहर औपनिवेशिक प्रशासन और सत्ता के केन्द्र बन गये ।
इन शहरों को नये तरीके से बसाया गया और भवनों तथा संस्थानों का निर्माण किया गया । रोजगार के विकास साथ ही यहाँ लोगों का आगमन भी तेज हो गया । Class 12th History Chapter 12 औपनिवेशिक शहर Notes In Hindi
औपनिवेशिक रिकॉर्ड :-
ब्रिटिश सरकार ने विस्तृत रिकॉर्ड रखा , नियमित सर्वेक्षण किया , सांख्यिकीय डेटा एकत्र किया और अपने Businessिक मामलों को विनियमित करने के लिए अपनी Businessिक गतिविधियों के आधिकारिक रिकॉर्ड प्रकाशित किए ।
ब्रिटिशों ने भी मानचित्रण शुरू कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि नक्शे परिदृश्य स्थलाकृति को समझने , विकास की योजना बनाने , सुरक्षा बनाए रखने और वाणिज्यिक गतिविधियों की संभावनाओं को समझने में मदद करते हैं ।
उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध से ब्रिटिश सरकार ने Indiaीय प्रतिनिधियों को शहरों में बुनियादी सेवाओं के संचालन के लिए निर्वाचित करने के लिए जिम्मेदारियां देनी शुरू कर दी और इसने नगरपालिका करों का एक व्यवस्थित वार्षिक संग्रह शुरू किया ।
अखिल Indiaीय जनगणना का पहला प्रयास 1872 ई० में किया गया । इसके बाद 1881 ई . से दशकीय ( प्रत्येक 10 वर्ष में होने वाली ) जनगणना एक नियमित व्यवस्था बन गई । जिससे शहरों में जलापूर्ति , निकासी , सड़क निर्माण , स्वास्थ्य व्यवस्था तथा population के फैलाव पर नियंत्रण किया जा सके तथा वार्षिक नगरपालिका कर वसूला जा सकें ।
कई बार स्थानीय लोगों द्वारा मृत्यु दर , बीमारी , बीमारी के बारे में गलत जानकारी दी गई । हमेशा ये रिपोर्ट नहीं की जाती थीं । कभी कभी ब्रिटिश सरकार द्वारा रखी गई रिपोर्ट और रिकॉर्ड भी पक्षपातपूर्ण थे । हालांकि , अस्पष्टता और पूर्वाग्रह के बावजूद , इन अभिलेखों और आंकड़ों ने औपनिवेशिक शहरों के बारे में अध्ययन करने में मदद की ।
उत्तर औपनिवेशिक शहरों में रिकॉर्ड्स संभालकर रखने के कारण
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Business गतिविधियों का विस्तृत ब्यौरा Business को कुशलता से प्रोन्नत करने के लिए । Class 12th History Chapter 12 औपनिवेशिक शहर Notes In Hindi
शहरों के विस्तार के साथ शहरी नागरिकों के रहन – सहन , आचार – विचार , शैक्षिक जागरूकता , राजनीतिक रूझान आदि का अध्ययन करने के लिए ।
किसी स्थान की geographical बनावट और भू – दृश्यों को भलीभाँति समझने के बाद उन स्थानों पर शहरीकरण , साम्राज्य विस्तार आदि करने के लिए ।
औपनिवेशिक शहर population के आकार में होने वाली Social बढ़ोत्तरी का अध्ययन करके उसके अनुसार प्रशासनिक तौर – तरीकों , नियम – कानूनों आदि को बनाने तथा उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए ।
आँकड़े एकत्रित करने में कठिनाइयाँ :-
( i ) लोग सही जानकारी देने को तैयार नहीं थे ।
( ii ) मृत्यु दर और बीमारियों के आंकड़े एकत्र करना मुश्किल था ।
नोट :- बंदरगाह : – मद्रास , बॉम्बे और कलकत्ता
किले : – मद्रास में सेंट जॉर्ज और कलकत्ता में फोर्ट विलियम ।
औपनिवेशिक संदर्भ में शहरीकरण के पुनर्निर्माण को समझने में जनगणना के आंकड़े किस हद तक उपयोगी हैं ?
ये डेटा population की सही संख्या के साथ – साथ श्वेत और अश्वेतों की कुल population जानने के लिए उपयोगी हैं ।
ये आंकड़े हमें यह भी बताते हैं कि भयानक या घातक बीमारियों से लोगों की कुल संख्या या कुल आबादी किस हद तक प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है ।
जनगणना के आंकड़े हमें विभिन्न समुदायों की कुल संख्या , उनकी भाषा , उनके कार्यों और आजीविका के साधनों के साथ – साथ उनकी जाति और धर्म के बारे में भी पूरी जानकारी प्रदान करते हैं ।
व्हाइट और ब्लैक टाउन
औपनिवेशिक शहरों में गोरों ( Whites ) अर्थात् अंग्रेजों और कालों ( Blacks ) अर्थात् Indiaीयों की अलग – अलग बस्तियाँ होती थीं । उस समय के लेखन में Indiaीयों की बस्तियों को ” ब्लैक टाउन ” और गोरों की बस्तियों को ” व्हाइट टाउन ” कहा जाता था ।
औपनिवेशिक शहर इन शब्दों का प्रयोग नस्ली भेद प्रकट करने के लिए किया जाता था । अंग्रेजों की राजनीतिक सत्ता की मजबूती के साथ ही यह नस्ली भेद भी बढ़ता गया ।
इन दोनों बस्तियों के मकानों में भी अंतर होता था । India एजेंटों और बिचौलियों ने बाजार के आस – पास व्हाइट टाउन में परम्परागत ढंग के दालान मकान बनवाये । सिविल लाइन्स में बँगले होते थे । सुरक्षा के लिए इनके आस – पास छावनियाँ भी बसाई जाती थी ।
व्हाइट्स टाउन साफ सुथरे होते थे जबकि ब्लैक टाउन गंदे होते थे । यहाँ बीमारी फैलने का डर होता था ।