Saturday, April 27, 2024
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कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित, जीवन परिचय व जयंती

कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित, जीवन परिचय व जयंती- कबीर दास 15वीं शताब्दी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञानमार्गी उपशाखा के महानतम कवि थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनकी रचनाएँ सिक्खों के आदि ग्रंथ में सम्मिलित की गयी हैं। कबीर एक महान रहस्यवादी कवि थे। उन्होंने अपने दोहों और रचनाओं में ईश्वर, जीवन, मृत्यु और मोक्ष के रहस्यों पर विचार किया। उनकी रचनाएँ सरल और सीधी भाषा में लिखी गई हैं, जो आज भी लोगों को आकर्षित करती हैं।


कबीर के प्रमुख विचारों में से एक है कि ईश्वर निराकार है। उनका मानना ​​था कि ईश्वर किसी भी रूप या नाम में सीमित नहीं है। वे ईश्वर को एक आध्यात्मिक शक्ति के रूप में देखते थे, जिसे मनुष्य प्रेम, दया और करुणा के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। कबीर का एक अन्य प्रमुख विचार है कि सभी मनुष्य एक हैं। उनका मानना ​​था कि जाति, धर्म या जन्म के आधार पर भेदभाव करना गलत है। वे सभी मनुष्यों के समान अधिकारों और अवसरों के लिए खड़े थे।

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कबीर एक महान सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने उस समय की सामाजिक बुराइयों, जैसे जातिवाद, अंधविश्वास और भ्रष्टाचार की निंदा की। उन्होंने लोगों को एकता और समानता के लिए प्रेरित किया। कबीर का जीवन और विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। वे एक महान रहस्यवादी कवि, संत और सामाजिक सुधारक थे।

कबीर की प्रसिद्ध दोहे हैं

ईश्वर निराकार है।

“निंदक हितैषी साधू, संतोषी संत। मन मर्दन करे जो, तेहि नर परमात्मा।”

सभी मनुष्य समान हैं।

“जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान।”

सामाजिक बुराइयों का विरोध।

“पत्थर पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार। तातें तो चक्की भली, पीस खाये संसार।”

कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित

ईश्वर निराकार है

“निंदक हितैषी साधू, संतोषी संत।

मन मर्दन करे जो, तेहि नर परमात्मा।”

अर्थ: जो व्यक्ति निंदा करने वाले की भी आलोचना नहीं करता है, वह सच्चा साधू है। जो व्यक्ति संतोषी है, वह सच्चा संत है। जो व्यक्ति अपने मन को वश में करता है, वह परमात्मा को प्राप्त कर लेता है।


सभी मनुष्य समान हैं

“जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।

मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान।”

अर्थ: किसी साधु की जाति नहीं पूछनी चाहिए, उसका ज्ञान पूछना चाहिए। तलवार की कीमत करो, म्यान की नहीं।


“कबीर कहे, जाति-पाँति छोड़ि, मनुष्यता धारण करो।

सब एक हैं, सब एक ईश्वर के अंश हैं।”

अर्थ: कबीर कहते हैं कि जाति-पाँति को छोड़कर मनुष्यता को अपनाओ। सभी एक हैं, सभी ईश्वर के अंश हैं।


सामाजिक बुराइयों का विरोध

“पत्थर पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार।

तातें तो चक्की भली, पीस खाये संसार।”

अर्थ: अगर पत्थर पूजने से भगवान मिल जाए तो मैं पहाड़ ही पूजूँगा। लेकिन चक्की अच्छी है, क्योंकि वह संसार को खाती है।


“कबीर, जो मशीन चलाये, सो चक्की का देवता।

जो पिसवाये, सो गरीब, जो खाये, सो धनी।”

अर्थ: जो मशीन चलाता है, वह चक्की का देवता है। जो पिसवाता है, वह गरीब है और जो खाता है, वह धनी है।


कबीर दास जीवन परिचय व जयंती

कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि उनका जन्म 1398 में वाराणसी में हुआ था, जबकि अन्य का मानना ​​है कि उनका जन्म 1440 के आसपास हुआ था। उनके माता-पिता के बारे में भी कोई निश्चित जानकारी नहीं है। कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जबकि अन्य का मानना ​​है कि उनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था।

कबीर दास पालन-पोषण

कबीर का पालन-पोषण एक जुलाहा परिवार ने किया था। बचपन से ही वे धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों में रुचि रखते थे। उनका विवाह लोई नामक महिला से हुआ था, जिससे उनके दो पुत्र हुए।

कबीर दास की शिक्षा

कबीर ने किसी भी गुरु से औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी। उन्होंने स्वयं ही ज्ञान प्राप्त किया। वे अक्सर वाराणसी के घाटों पर लोगों से मिलते और उनसे बात करते थे। कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित, जीवन परिचय व जयंती

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कबीर दास की रचनाएँ

कबीर ने अपने दोहों और रचनाओं में ईश्वर, जीवन, मृत्यु और मोक्ष के रहस्यों पर विचार किया। उनकी रचनाएँ सरल और सीधी भाषा में लिखी गई हैं, जो आज भी लोगों को आकर्षित करती हैं। कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित, जीवन परिचय व जयंती

कबीर सागर








भक्तमाल

अनुपवाने

अमृतवाणी

कबीर के विचार

कबीर के प्रमुख विचारों में से एक है कि ईश्वर निराकार है। उनका मानना ​​था कि ईश्वर किसी भी रूप या नाम में सीमित नहीं है। वे ईश्वर को एक आध्यात्मिक शक्ति के रूप में देखते थे, जिसे मनुष्य प्रेम, दया और करुणा के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। कबीर का एक अन्य प्रमुख विचार है कि सभी मनुष्य समान हैं। उनका मानना ​​था कि जाति, धर्म या जन्म के आधार पर भेदभाव करना गलत है। वे सभी मनुष्यों के समान अधिकारों और अवसरों के लिए खड़े थे। कबीर एक महान सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने उस समय की सामाजिक बुराइयों, जैसे जातिवाद, अंधविश्वास और भ्रष्टाचार की निंदा की। उन्होंने लोगों को एकता और समानता के लिए प्रेरित किया।

कबीर की जयंती

कबीर दास की जयंती प्रतिवर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन भारत के विभिन्न हिस्सों में कबीर महोत्सव का आयोजन किया जाता है। कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित, जीवन परिचय व जयंती

कबीर का प्रभाव

कबीर दास एक महान रहस्यवादी कवि, संत और सामाजिक सुधारक थे। उनका प्रभाव हिन्दी साहित्य, धर्म और समाज पर गहरा पड़ा है। वे आज भी लोगों को प्रेरित और मार्गदर्शन देते हैं। कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित

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