दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको दुर्गाबाई देशमुख के बारे में बताने जा रहा ह। दक्षिणी राज्यों में, आंध्र में महिलाओं का सत्याग्रहों का सबसे बड़ा दल योगदान करने का अनूठा गौरव था
जो कि कठिनाइयों से बेखबर, जेलों में प्रवेश करता था। 1 9 22 के असहयोग आंदोलन में, बारह साल की एक जवान लड़की काकीनाडा में सत्याग्रह की पेशकश की। इस युवा लड़की, दुर्गाबाई, बाद में एक अनोखी संगठन स्थापित करके अपनी गतिशील क्षमताओं का प्रदर्शन करते हैं – आंध्र महिला सभा – जिसे पूरे दक्षिण भारत के महिलाओं के कल्याण और शैक्षिक संस्थानों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
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दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय।
नाम | दुर्गाबाई देशमुख ( durgabai deshmukh ) |
जन्म | 15 जुलाई 1909 |
जन्म स्थर | आन्ध्र प्रदेश , राजमुंदरी ,काकीनाडा |
माता | श्रीमती कृष्णवेनम्मा |
पिता | श्री रामाराव |
जीवन साथी | सीडी देशमुख
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शिक्षा | आंध्र विश्वविद्यालय \मद्रास विश्वविद्यालय |
प्रमुख के सनमान | पद्म विभूषण |
मृत्यु | 9 मई 1981 |
मृत्यु का कारण | एक गंभीर बीमारी के वजह |
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-दुर्गाबाई देशमुख (१५ जुलाई, १९०९ – ९ मई, १९८१) भारत की स्वतंत्रता सेनानी तथा सामाजिक कार्यकर्ता तथा स्वतंत्र भारत के पहले वित्तमंत्री चिंतामणराव देशमुख की पत्नी थीं।
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-आंध्र प्रदेश से स्वाधीनता समर में सर्वप्रथम कूदने वाली महिला दुर्गाबाई का जन्म राजमुंदरी जिले के काकीनाडा नामक स्थान पर हुआ था। इनकी माता श्रीमती कृष्णवेनम्मा तथा पिता श्री रामाराव थे। पिताजी का देहांत तो जल्दी ही हो गया था; पर माता जी की कांग्रेस में सक्रियता से दुर्गाबाई के मन पर बचपन से ही देशप्रेम एवं समाजसेवा के संस्कार पड़े।
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-दुर्गाबाई देशमुख ने आन्ध्र महिला सभा, विश्वविद्यालय महिला संघ, नारी निकेतन जैसी कई संस्थाओं के माध्यम से महिलाओं के उत्थान के लिए अथक प्रयत्न किये। योजना आयोग द्वारा प्रकाशित ‘भारत में समाज सेवा का विश्वकोश’ उन्हीं के निर्देशन में तैयार हुआ। आंध्र के गांवों में शिक्षा के प्रसार हेतु उन्हें नेहरू साक्षरता पुरस्कार दिया गया। उन्होंने अनेक विद्यालय, चिकित्सालय, नर्सिंग विद्यालय तथा तकनीकी विद्यालय स्थापित किये। उन्होंने नेत्रहीनों के लिए भी विद्यालय, छात्रावास तथा तकनीकी प्रशिक्षण केन्द्र खोले।
दुर्गाबाई देशमुख की शिक्षा
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-दुर्गाबाई के बाल्यकाल के दिनों में बालिकाओं को विद्यालय नहीं भेजा जाता था। पर दुर्गाबाई में पढ़ने की लगन थी। उन्होंने अपने पड़ोसी एक अध्यापक से हिन्दी पढ़ना आरंभ कर किया। उन दिनों हिन्दी का प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय आंदोलन का एक अंग था। दुर्गाबाई ने शीघ्र ही हिन्दी में इतनी योग्यता अर्जित कर ली कि 1923 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय खोल लिया। गांधी जी ने इस प्रयत्न की सराहना करके दुर्गाबाई को स्वर्णपदक से सम्मानित किया था।
दुर्गाबाई देशमुख की जेल यात्रा
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-अब दुर्गाबाई सक्रिय रूप से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगीं। वे अपनी माँ के साथ घूम-घूम कर खद्दर बेचा करती थीं। नमक सत्याग्रह में उन्होंने प्रसिद्ध नेता टी. प्रकाशम के साथ भाग लिया। 25 मई, 1930 को वे गिरफ्तार कर लीं और एक वर्ष की सज़ा हुई। सज़ा काटकर बाहर आते ही फिर आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें पुनः गिरफ्तार करके तीन वर्ष के लिए जेल में डाल दिया। जेल की इस अवधि में दुर्गाबाई ने अपना अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान बढ़ाया।
महिला वकील
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-बाहर आने पर दुर्गाबाई ने मद्रास विश्वविद्यालय में नियमित अध्ययन आरंभ किया। वे इतनी मेधावी थीं कि एम.ए. की परीक्षा में उन्हें पांच पदक मिले। वहीं से क़ानून की डिग्री ली और 1942 में वकालत करने लगीं। कत्ल के मुक़दमे में बहस करने वाली वे पहली महिला वकील थीं।
दुर्गाबाई देशमुख के महत्त्वपूर्ण योगदान
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-दुर्गाबाई 1946 में लोकसभा और संविधान परिषद् की सदस्य चुनी गईं। उन्होंने अनेक समितियों में महत्त्वपूर्ण योग दिया। 1952 में दुर्गाबाई ने सी. डी. देशमुख के साथ विवाह कर लिया। वे अनेक समाजसेवी और महिलाओं के उत्थान से संबंधित संस्थाओं की सदस्य रहीं। योजना आयोग के प्रकाशन ‘भारत में समाज सेवा का विश्वकोश’ उन्हीं की देखरेख में निकला। 1953 में दुर्गाबाई देशमुख ने केन्द्रीय ‘सोशल वेलफेयर बोर्ड’ की स्थापना की और उसकी अध्यक्ष चुनी गईं।
दुर्गाबाई देशमुख का निजी जीवन
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-गुमुमिथिला परिवार में राजामुंदरी, आंध्र प्रदेश, ब्रिटिश भारत में जन्मे; दुर्गाबाई का विवाह 8 वर्ष की उम्र में उनके चचेरे भाई सुब्बा राव से हुआ था। उसने परिपक्वता के बाद उसके साथ रहने से इनकार कर दिया, और उसके पिता और भाई ने अपना निर्णय समर्थित किया। बाद में उन्होंने अपनी शिक्षा का पीछा करने के लिए उन्हें छोड़ दिया।
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-1953 में, उन्होंने भारत के तत्कालीन वित्त मंत्री चिंतामण देशमुख से शादी की अपने खाते के अनुसार, प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू तीन गवाहों में से एक थे। सी डी डी देशमुख की पिछली शादी से एक बेटी थी, लेकिन जोड़ी बेमिसाल बनी रही। हालांकि उन्होंने सुब्बा राव के साथ अलग-अलग तरीके जुटाए थे, लेकिन उन्होंने अपनी मृत्यु के बाद उनकी विधवा तिम्मायम्मा का समर्थन किया। टिममायम्मा दुर्गाबाई और चिंतामण देशमुख के साथ रहते थे, और दुर्गाबाई ने भी उनके लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-दुर्गाबाई देशमुख ने द स्टोन यू स्पीकेथ नामक एक पुस्तक की रचना की। उनकी आत्मकथा चिंटमान और मैं उनकी मृत्यु 1 9 81 में एक साल पहले प्रकाशित हुई थी।
नारसनपेटा श्रीकाकुलम जिले में उनकी मृत्यु हो गई।
दुर्गाबाई देशमुख पुरस्कार
- पॉल जी हॉफ़मैन पुरस्कार
- नेहरू साक्षरता पुरस्कार
- यूनेस्को पुरस्कार (साक्षरता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए)
- भारत सरकार से पद्म विभूषण पुरस्कार
- जीवन पुरस्कार और जगदीश पुरस्कार
- दुर्गाबाई द्वारा स्थापित संगठन
- 1 9 38 में आंध्र महिला सभा
- सामाजिक विकास परिषद
- 1 9 62 में दुर्गाबाई देशमुख अस्पताल
श्री वेंकटेश्वरा कॉलेज, नई दिल्ली
दुर्गाबाई देशमुख जीवन परिचय-आंध्र एजुकेशन सोसाइटी (एईएस) की स्थापना 1 9 48 में डॉ। दुर्गाबाई देशमुख ने दिल्ली में रहने वाले तेलुगु बच्चे की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए की थी।
FAQ
Q- दुर्गाबाई देशमुख क्यों प्रसिद्ध है?
Ans. दुर्गाबाई देशमुख ने अनाथ बच्चों, शिक्षा का प्रसार और महिला अधिकार समेत तमाम मुद्दों पर संविधान सभा में अपनी बात जोरदार तरीके से रखने वाली दुर्गाबाई देशमुख ने संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
Q- भारत में लड़कियों को शिक्षा का अधिकार कब मिला?
Q- लड़कियों को शिक्षा का अधिकार कब मिला?
Q- स्त्री को शिक्षा का अधिकार कब मिला?
Q- भारत की पहली महिला राष्ट्रपति कौन है?
Q- शिक्षा की जननी कौन थी?
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