Sunday, April 28, 2024
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हरतालिका तीज कथा, पूजा विधि, मुहूर्त 2023 | Hartalika Teej Vrat, Katha in Hindi

हरतालिका तीज व्रत, कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कब है, पूजा का समय 2023 (Hartalika Teej Vrat, Katha, Puja Vidhi in Hindi (Mahtva, Kab Hai, Date Wishes)



हरतालिका तीज व्रत 2023 Hartalika Teej Vrat

त्यौहार का नाम हरतालिका तीज
दिनांक 18 सितंबर
पूजा मुहूर्त 2023 18 सितंबर सुबह 6:05 बजे से 8:34 बजे तक

 

हरतालिका तीज मुहूर्त क्या है Hartalika Teej Muhurt

पूजा मुहूर्त सुबह 6:05 बजे से सुबह 8:34 बजे तक
प्रदोषकाल हरतालिका तीज व्रत पूजा मुहूर्त शाम 6:33 बजे से 8:51 बजे तक

 

Hartalika Teej Vrat- हरतालिका तीज एक पर्व है जो भारत में मनाया जाता है, विशेष रूप से उत्तर भारत में। यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो अक्सर अगस्त और सितंबर के बीच आती है। हरतालिका तीज का मुख्य उद्देश्य पतिव्रता व्रत और सुख-समृद्धि की प्राप्ति करना होता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और पूजा-अर्चना करती हैं, जिसमें भगवान गणेश और भगवती पार्वती की पूजा की जाती है। विशेष रूप से शिव-पार्वती की भक्ति में रत महिलाएं इस दिन विशेष उपासना करती हैं।

हरतालिका तीज की कथा में यह कहा जाता है कि भगवती पार्वती की सखी हरिता नामक एक राजकुमारी थी, जिसकी माता-पिता ने उसके विवाह के लिए दूसरे राजकुमार से प्राथमिकता दी थी, लेकिन हरिता केवल भगवान शिव को पति मानती थी। उसने अपनी मित्रिका तुलसी से बातचीत करके व्रत और तप करने की सलाह दी, जिससे उन्होंने अपने प्रेमी पति को प्राप्त किया। इसी कथा के आधार पर हरतालिका तीज मनाया जाता है। हरतालिका तीज पर्व में महिलाएं सुबह सवेरे उठकर स्नान करती हैं और पूजा के बाद व्रत का खान-पान करती हैं। विशेष रूप से हरितालिका व्रत उन महिलाओं द्वारा रखा जाता है जिनके पति की खुशियों और लम्बे जीवन की कामना होती है। इस पर्व के दौरान महिलाएं विभिन्न प्रकार के खास पकवान बनाती हैं और खाते समय एक दूसरे के साथ साझा करती हैं। पर्व के दिन विभिन्न प्रकार की रसमें भी मनाई जाती है, जिनमें गाने, नृत्य और खेल-कूद शामिल होते हैं। यह पर्व समाज में समृद्धि, सौभाग्य, और परिवार के एकता का प्रतीक माना जाता है और यह महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन होता है।

हरतालिका नाम क्यूँ पड़ा

“हरतालिका” शब्द का उत्पादन संस्कृत भाषा में हुआ है, जिसका अर्थ होता है “हरण” और “तालिका”। इसका अर्थ होता है “हरण की तालिका” या “हरण की सूची”। हरतालिका तीज के पर्व में एक महत्वपूर्ण घटना को संकेतित करने के लिए यह नाम उपयोग होता है। इस पर्व की कथा में एक युवा राजकुमारी नामक हरिता की कहानी होती है, जिन्होंने अपनी भक्ति और तपस्या से अपने प्रेमी पति को प्राप्त किया था। इस कथा के आधार पर हरतालिका तीज का नाम रखा गया है, जिसमें “हरण” यानी पति प्राप्ति की तालिका का संकेत होता है।

हरतालिका तीज महत्व – Hartalika Teej Mahtva

हरतालिका तीज महिलाओं के लिए पतिव्रता व्रत का प्रतीक होता है। महिलाएं इस व्रत के माध्यम से अपने पतियों की दीर्घायु, खुशियाँ और समृद्धि की कामना करती हैं। व्रत के दौरान विशेष प्रकार के आहार और व्रती महिलाओं के बीच उपासना की जाती है। हरतालिका तीज महिलाओं के द्वारा भगवान शिव और पार्वती की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह एक उपासना का अवसर होता है जिसमें महिलाएं अपने प्रेम-भक्ति का अभिवादन करती हैं और उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए तपस्या करती हैं। हरतालिका तीज पर्व में परिवार के सभी सदस्य एकजुट होते हैं और विभिन्न प्रकार की रसमें भाग लेते हैं। यह पर्व परिवार की एकता और मिलनसर संबंधों की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।हरतालिका तीज महिलाओं की शक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक होता है। इस पर्व के दौरान गीत, नृत्य, खेल-कूद और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जो सांस्कृतिक समृद्धि को प्रमोट करते हैं।

हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है

हरतालिका तीज का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव और पार्वती की पूजा करना होता है। इस पर्व के द्वारा भगवती पार्वती की भक्ति, समर्पण और प्रेम की महत्वपूर्णता प्रतिष्ठित होती है, जो समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए पुनः पुनः पतिव्रता व्रत के माध्यम से प्रकट होती है। हरतालिका तीज महिलाओं के लिए पतिव्रता व्रत का प्रतीक होता है। इस व्रत के द्वारा महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु, खुशियाँ और समृद्धि की कामना करती हैं। यह एक पत्नी के प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है।

हरतालिका तीज की कथा में यह दिखाया जाता है कि भक्ति और समर्पण के माध्यम से हर दुखों का हरण किया जा सकता है और भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह कथा महिलाओं को साहस, समर्पण और आत्मा-निर्भरता की सिख देती है। हरतालिका तीज पर्व के दौरान गाने, नृत्य, खेल-कूद और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके माध्यम से सांस्कृतिक एकता, आपसी सम्मान और मनोरंजन की भावना प्रकट होती है। हरतालिका तीज के पर्व के दौरान परिवार के सदस्य एकजुट होते हैं और विभिन्न प्रकार की रसमें भाग लेते हैं। यह पर्व परिवार की एकता और समृद्धि की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।

हरतालिका तीज कथा

हरियाली तीज पर भगवान शिव देवी पार्वती को याद दिलाते हैं कि उनका दिल जीतने के लिए उन्होंने कितनी बार पुनर्जन्म लिया था। माता पार्वती पिछले 107 जन्मों में जो कुछ हुआ था वह सब भूल गई थीं। इसलिए भगवान शिव ने उन्हें उनके संघर्ष, दृढ़ संकल्प और दृढ़ता की कहानियाँ सुनाईं। माता पार्वती का 108वां जन्म राजा हिमालय के घर हुआ।


इस जन्म के दौरान माता पार्वती ने भगवान शिव का दिल जीतने के लिए घोर तपस्या की। वह अन्न-जल त्यागकर सूखी पत्तियों पर जीवित रहीं। उन्होंने कठोर मौसम, ओलावृष्टि और तूफान का सामना किया और अपनी तपस्या जारी रखी। उसे इतना दर्द सहता देख उसके पिता व्याकुल हो गए। हरतालिका तीज कथा, पूजा विधि, मुहूर्त 2023 | Hartalika Teej Vrat, Katha in Hindi

कुछ दिनों बाद, देवर्षि नारद मुनि विवाह का प्रस्ताव लेकर भगवान विष्णु के प्रतिनिधि के रूप में उसके पिता के महल में आये। यह जानने के बाद कि भगवान विष्णु ने उनकी बेटी से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की है, पिता खुशी से झूम उठे, लेकिन इस खबर ने पार्वती को तोड़ दिया। इसलिए, उसने अपने एक दोस्त से मदद मांगी और घने जंगल में छिप गई। हिमालय के राजा ने अपने सैनिकों को कोने-कोने में भेजा, लेकिन उनके सभी प्रयास व्यर्थ गए।

इस बीच, भगवान शिव पार्वती के सामने प्रकट हुए और उन्हें पति के रूप में पाने का वरदान दिया। उन्होंने उससे अपने पिता को भगवान विष्णु से विवाह न करने के निर्णय के बारे में सूचित करने के लिए भी कहा। आखिरकार, अपनी बेटी की इच्छा के बारे में जानने के बाद, पिता ने भगवान शिव को आमंत्रित किया और उनसे पार्वती का विवाह कराया।

हरतालिका तीज कथा विधि

हरतालिका तीज पूजा का शुभ समय सुबह होता है जिसका अर्थ है कि महिलाएं अपनी आत्मा को शुद्ध करने के लिए जल्दी उठकर पवित्र स्नान करती हैं। नए कपड़े पहनना और सजना-संवरना त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि महिलाएं सुंदर पारंपरिक पोशाक, ज्यादातर साड़ी पहनती हैं। महाराष्ट्र में महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाने के साथ-साथ हरे कपड़े, हरी चूड़ियाँ, सुनहरी बिंदी और काजल पहनती हैं। वे निर्जला व्रत रखते हुए भगवान शिव और देवी पार्वती, जिन्हें तीज माता भी कहा जाता है, की प्रार्थना करने के लिए मंदिरों में जाते हैं। हरतालिका तीज कथा, पूजा विधि, मुहूर्त 2023 | Hartalika Teej Vrat, Katha in Hindi

मंदिरों से लौटकर वे अपने पतियों के पैर छूती हैं। शाम को, महिलाएं सूर्यास्त से पहले स्नान करती हैं और नवविवाहित दुल्हन की तरह तैयार होती हैं। वे हरतालिका तीज पूजा करने के लिए मिट्टी या रेत से शिव और पार्वती की मूर्तियाँ बनाते हैं। देवताओं को बिल्व पत्र, फूल, अगरबत्ती और दीया चढ़ाया जाता है। ह रतालिका तीज 

वे हिंदी में हरतालिका तीज व्रत कथा सुनते हैं जो भगवान शिव की प्रसिद्ध हिंदू कथा का वर्णन करती है जो पार्वती को हिमालय की बेटी देवी शैलपुत्री के रूप में अवतरित होने की याद दिलाती है। हरतालिका तीज व्रत अगले दिन सुबह व्रत खोलने और पूजा अनुष्ठान के साथ पूरा होता है। हरियाली तीज के समापन के लिए भक्त शांति मंत्र और शमा मंत्र जैसे मंत्रों का जाप करते हैं। हरतालिका तीज कथा

FAQ

Q : हरतालिका तीज व्रत कब रखा जाता है ?

भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की 3 तिथि को

Q : हरतालिका तीज व्रत 2023 में कब है ?

18 सितंबर

Q : हरतालिका तीज व्रत कौन रखाता है ?

स्त्रियाँ




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