Wednesday, May 1, 2024
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चंद्रयान 3 के बाद आदित्य L1 मिशन शुरू होगा जानिए क्या काम करेगा

 

चंद्रयान 3 के बाद आदित्य L1 मिशन शुरू होगा जानिए क्या काम करेगा – आदित्य L1 मिशन भारत का सूर्य का अध्ययन करने वाला एक महत्वाकांक्षी मिशन है। यह मिशन 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन का लक्ष्य सूर्य के बाह्य वायुमंडल, कोरोना के अध्ययन करना है। कोरोना सूर्य का सबसे बाहरी वायुमंडल है, जो सूर्य की सतह से लाखों किलोमीटर तक फैला हुआ है। यह बहुत गर्म और चमकीला होता है, लेकिन इसका अध्ययन करना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह सूर्य की चमक के कारण छिप जाता है। आदित्य L1 मिशन 

  • एक कोरोनाग्राफ, जो कोरोना को देखने के लिए एक विशेष प्रकार का कैमरा है।
  • एक स्पेक्ट्रोग्राफ, जो कोरोना के प्रकाश को अलग-अलग तरंग दैर्ध्य में तोड़कर अध्ययन करेगा।
  • एक मैग्नेटोमीटर, जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेगा।
  • आदित्य L1 मिशन सूर्य के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • यह हमें सूर्य के जन्म, विकास और जीवन चक्र को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है।

यह हमें सूर्य की ऊर्जा के बारे में अधिक जानने में भी मदद कर सकता है, जो पृथ्वी और अन्य ग्रहों को ऊर्जा प्रदान करती है।

आदित्य L1 मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।

ISRO क्या है

चंद्रयान 3 के बाद आदित्य L1 मिशन शुरू होगा- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है। इसका मुख्यालय कर्नाटक राज्य के बंगलौर में है। इसरो की स्थापना 15 अगस्त, 1969 को हुई थी। इसरो का मुख्य कार्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और अनुप्रयोग है। इसरो ने उपग्रहों, प्रक्षेपण वाहनों, साउन्डिंग राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास किया है। इसरो ने कई अंतरिक्ष अन्वेषण मिशन भी लॉन्च किए हैं, जिनमें चंद्रयान-1, मंगलयान और गगनयान शामिल हैं।

आदित्य एल 1 मिशन लॉन्च तिथि

आदित्य-एल1 मिशन सितंबर में लॉन्च किया जाएगा इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने घोषणा की कि सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला, आदित्य-एल1 मिशन सितंबर के पहले सप्ताह तक लॉन्च होने की संभावना है।

एस्ट्रोसैट क्या है?

एस्ट्रोसैट को सितंबर, 2015 में श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) से PSLV-C30 द्वारा लॉन्च किया गया था। यह पहला समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन है जिसका उद्देश्य एक्स-रे, ऑप्टिकल और यूवी स्पेक्ट्रल बैंड में एक साथ खगोलीय स्रोतों का अध्ययन करना है। चंद्रयान 3 के बाद आदित्य L1 मिशन शुरू होगा

  • उपग्रहों का विकास और प्रक्षेपण
  • प्रक्षेपण वाहनों का विकास और प्रक्षेपण
  • साउन्डिंग राकेटों का विकास और प्रक्षेपण
  • भू-प्रणालियों का विकास और प्रक्षेपण
  • अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों का विकास और प्रक्षेपण

इसरो ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसरो के उपग्रहों और प्रक्षेपण वाहनों का उपयोग संचार, दूरदर्शन प्रसारण, मौसम विज्ञान, संसाधन प्रबंधन और अंतरिक्ष आधारित नौसंचालन सेवाओं के लिए किया जाता है। इसरो के अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।

चंद्रयान 3 के बाद आदित्य L1 मिशन शुरू होगा  इसरो भारत के सबसे सफल सरकारी संस्थानों में से एक है। इसरो को अपने उत्कृष्ट काम के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न शामिल हैं।

भारत का पहला सौर मिशन

भारत का पहला सौर मिशन आदित्य L1 मिशन है। यह मिशन 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। इस मिशन का लक्ष्य सूर्य के बाह्य वायुमंडल, कोरोना के अध्ययन करना है। कोरोना सूर्य का सबसे बाहरी वायुमंडल है, जो सूर्य की सतह से लाखों किलोमीटर तक फैला हुआ है। यह बहुत गर्म और चमकीला होता है, लेकिन इसका अध्ययन बहुत मुश्किल है क्योंकि यह सूर्य की चमक के कारण छिप जाता है।

भारत ने इससे पहले भी सौर अन्वेषण के लिए कुछ प्रयास किए थे। 1994 में, इसरो ने ध्रुवीय उपग्रह (Polar Satellite) लॉन्च किया था, जिसमें एक सोलर एक्स-रे टोमोग्राफ (Solar X-ray Telescope) शामिल था। इस उपग्रह ने सूर्य से निकलने वाली एक्स-रे किरणों का अध्ययन किया। 2008 में, इसरो ने चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया था, जिसमें एक सोलर एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Solar X-ray Spectrometer) शामिल था। इस उपकरण ने सूर्य से निकलने वाली सौर हवा का अध्ययन किया। लेकिन आदित्य L1 मिशन भारत का पहला पूर्ण सौर मिशन है। यह मिशन सूर्य के कोरोना के बारे में एक गहन और व्यापक अध्ययन करने में सक्षम होगा।

 

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