Sunday, April 28, 2024
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गणेश चतुर्थी महत्व कहानी पूजा Ganesha Chaturthi Puja in Hindi

गणेश चतुर्थी महत्व कहानी पूजा-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज आपको गणेश चतुर्थी के बारे में बताने जा रहा हु। हर चन्द्र महीने में हिन्दू कैलेंडर में 2 चतुर्थी तिथी होती है. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार चतुर्थी तिथि भगवान गणेश से सम्बंधित होती है. शुक्ल पक्ष के दौरान अमावस्या या नए चाँद के बाद चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है, और कृष्ण पक्ष के दौरान एक पूर्णमासी या पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है.

गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी

गणेश चतुर्थी महत्व कहानी पूजा-यद्यपि विनायक चतुर्थी उपवास हर महीने किया जाता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण विनायक चतुर्थी भाद्रपद के महीने में होती है. भाद्रपद के दौरान विनायक चतुर्थी, गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है. गणेश चतुर्थी को हर साल पूरे भारत में भगवान गणेश के जन्मदिन के उपलक्ष्य में हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी का त्यौहार चातुर्मास में आता है. चौमासा या चातुर्मास व्रत का महत्व यहाँ पढ़ें. चातुर्मास त्यौहारों से भरा होता हैं. यह चार महीने पूजा अर्चना की दृष्टी से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. इन दिनों बहुत से धार्मिक उत्सव किये जाते हैं. पूरे श्रावण मास में शिव भक्ति की जाती हैं.

गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कब और कहाँ मनाई जाती है

गणेश चतुर्थी महत्व कहानी पूजा-भादो के महीने में शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती हैं, और विनायक चतुर्थी हर महीने मनाई जाती है. इस दिन से दस दिनों तक गणेश पूजा की जाती हैं. इसका महत्व देश के महाराष्ट्र प्रांत में अधिक देखा जाता हैं. महाराष्ट्र में गणेश जी का एक विशेष स्थान होता हैं. वहाँ पुरे रीती रिवाजों के साथ गणेश जी की स्थापना की जाती हैं उनका पूजन किया जाता हैं. पूरा देश गणेश उत्सव मनाता हैं.

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी 2023 में कब मनाई जाएगी व शुभमुहूर्त कब है

गणेश पूजा की तारीख 19 सितम्बर
गणेश पूजा का मुहूर्त 11:11 से 13:41
कुल समय 2 घंटे 29 मिनट

विनायक चतुर्थी व्रत 2023-24 तारीख व समय

तारीख महीना दिन चतुर्थी
14 जनवरी रविवार विनायक चतुर्थी
13 फरवरी मंगलवार विनायक चतुर्थी
13 मार्च बुधवार विनायक चतुर्थी
12 अप्रैल शुक्रवार विनायक चतुर्थी
11 मई शनिवार विनायक चतुर्थी
10 जून सोमवार विनायक चतुर्थी
10 जुलाई बुधवार विनायक चतुर्थी
08 अगस्त गुरुवार विनायक चतुर्थी
19 सितम्बर मंगलवार गणेश चतुर्थी
18 अक्टूबर बुधवार विनायक चतुर्थी
17 नवम्बर शुक्रवार विनायक चतुर्थी
16 दिसम्बर शनिवार विनायक चतुर्थी

गणेश चतुर्थी मनाने का तरीका

नई दिल्ली और डीएसटी के स्थानीय समय के साथ 24 घंटे की घड़ी सभी मूहूर्त के समय के लिए समायोजित है

गणेश चतुर्थी महत्व कहानी पूजा-गणेश उत्सव को सामाजिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं क्यूंकि यह त्यौहार केवल घर के लोगो के बीच ही नहीं सभी आस पड़ोसियों के साथ मिलकर मनाया जाता हैं. गणेश जी की स्थापना घरो के आलावा कॉलोनी एवम नगर के सभी हिस्सों में की जाती हैं. विभिन्न प्रकार के आयोजन, प्रतियोगिता रखी जाती हैं, जिनमे सभी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. ऐसे में गणेश उत्सव के बहाने सभी में एकता आती हैं. व्यस्त समय से थोड़ा वक्त निकाल कर व्यक्ति अपने आस पास के परिवेश से जुड़ता हैं.

गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व

जीवन में सुख एवं शांति के लिए गणेश जी की पूजा की जाती हैं.

संतान प्राप्ति के लिए भी महिलायें गणेश चतुर्थी का व्रत करती हैं.

बच्चों एवम घर परिवार के सुख के लिए मातायें गणेश जी की उपासना करती हैं.

शादी जैसे कार्यों के लिए भी गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता हैं.

किसी भी पूजा के पूर्व गणेश जी का पूजन एवम आरती की जाती हैं. तब ही कोई भी पूजा सफल मानी जाती हैं.

गणेश चतुर्थी को संकटा चतुर्थी भी कहा जाता हैं. इसे करने से लोगो के संकट दूर होते हैं.

विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के आलावा हर महीने की चतुर्थी का व्रत भी किया जाता हैं. जिसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है.

विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है. वरद का अर्थ होता है “भगवान से किसी भी इच्छा को पूरा करने के लिए पूछना”.

जो इस उपवास का पालन करते हैं, उन भक्तों को भगवान गणेश ज्ञान और धैर्य के साथ आशीर्वाद देते हैं.

बुद्धि और धैर्य दो गुण है, जिनके महत्व को मानव जाति में युगों से जाना जाता है. जो कोई भी इन गुणों को प्राप्त करता है, वह जीवन में प्रगति कर सकता है साथ वह अपनी इच्छा भी प्राप्त कर सकता है.

विनायक चतुर्थी / गणेश चतुर्थी पर गणेश पूजा दोपहर के दौरान की जाती है जो हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से मध्यान्ह होता है.

गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कथा

गणेश जी को सर्व अग्रणी देवता क्यूँ कहा जाता हैं

गणेश चतुर्थी महत्व कहानी पूजा-एक बार माता पार्वती स्नान के लिए जाती हैं. तब वे अपने शरीर के मेल को इक्कट्ठा कर एक पुतला बनाती हैं और उसमे जान डालकर एक बालक को जन्म देती हैं. स्नान के लिए जाने से पूर्व माता पार्वती बालक को कार्य सौंपती हैं कि वे कुंड के भीतर नहाने जा रही हैं अतः वे किसी को भी भीतर ना आने दे. उनके जाते ही बालक पहरेदारी के लिए खड़ा हो जाता हैं. कुछ देर बार भगवान शिव वहाँ आते हैं और अंदर जाने लगते हैं तब वह बालक उन्हें रोक देता हैं. जिससे भगवान शिव क्रोधित हो उठते हैं और अपने त्रिशूल से बालक का सिर काट देते हैं. जैसे ही माता पार्वती कुंड से बाहर निकलती हैं अपने पुत्र के कटे सिर को देख विलाप करने लगती हैं. क्रोधित होकर पुरे ब्रह्मांड को हिला देती हैं. सभी देवता एवम नारायण सहित ब्रह्मा जी वहाँ आकर माता पार्वती को समझाने का प्रयास करते हैं पर वे एक नहीं सुनती.

तब ब्रह्मा जी शिव वाहक को आदेश देते हैं कि पृथ्वी लोक में जाकर एक सबसे पहले दिखने वाले किसी भी जीव बच्चे का मस्तक काट कर लाओं जिसकी माता उसकी तरफ पीठ करके सोई हो. नंदी खोज में निकलते हैं तब उन्हें एक हाथी दिखाई देता हैं जिसकी माता उसकी तरफ पीठ करके सोई होती हैं. नंदी उसका सिर काटकर लाते हैं और वही सिर बालक पर जोड़कर उसे पुन: जीवित किया जाता हैं. इसके बाद भगवान शिव उन्हें अपने सभी गणों के स्वामी होने का आशीर्वाद देकर उनका नाम गणपति रखते हैं. अन्य सभी भगवान एवम देवता गणेश जी को अग्रणी देवता अर्थात देवताओं में श्रेष्ठ होने का आशीर्वाद देते हैं. तब से ही किसी भी पूजा के पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं.

गणेश जी को संकट हरता क्यूँ कहा गया

एक बार पुरे ब्रहमाण में संकट छा गया. तब सभी भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे इस समस्या का निवारण करने हेतु प्रार्थना की गई. उस समय कार्तिकेय एवम गणेश वही मौजूद थे, तब माता पार्वती ने शिव जी से कहा हे भोलेनाथ ! आपको अपने इन दोनों बालकों में से इस कार्य हेतु किसी एक का चुनाव करना चाहिए.

गणेश चतुर्थी महत्व कहानी पूजा-तब शिव जी ने गणेश और कार्तिकेय को अपने समीप बुला कर कहा तुम दोनों में से जो सबसे पहले इस पुरे ब्रहमाण का चक्कर लगा कर आएगा, मैं उसी को श्रृष्टि के दुःख हरने का कार्य सौपूंगा. इतना सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मयूर अर्थात मौर पर सवार होकर चले गये. लेकिन गणेश जी वही बैठे रहे थोड़ी देर बाद उठकर उन्होंने अपने माता पिता की एक परिक्रमा की और वापस अपने स्थान पर बैठ गये. कार्तिकेय जब अपनी परिक्रमा पूरी करके आये तब भगवान शिव ने गणेश जी से वही बैठे रहने का कारण पूछा तब उन्होंने उत्तर दिया माता पिता के चरणों में ही सम्पूर्ण ब्रह्माण बसा हुआ हैं अतः उनकी परिक्रमा से ही यह कार्य सिध्द हो जाता हैं जो मैं कर चूका हूँ. उनका यह उत्तर सुनकर शिव जी बहुत प्रसन्न हुए एवम उन्होंने गणेश जी को संकट हरने का कार्य सौपा.

इसलिए कष्टों को दूर करने के लिए घर की स्त्रियाँ प्रति माह चतुर्थी का व्रत करती हैं और रात्रि में चन्द्र को अर्ग चढ़ाकर पूजा के बाद ही उपवास खोलती हैं.

गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी व्रत पूजा विधि

भद्रपद की गणेश चतुर्थी में सर्वप्रथम पचांग में मुहूर्त देख कर गणेश जी की स्थापना की जाती हैं.

सबसे पहले एक ईशान कोण में स्वच्छ जगह पर रंगोली डाली जाती हैं, जिसे चौक पुरना कहते हैं.

उसके उपर पाटा अथवा चौकी रख कर उस पर लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाते हैं.

उस कपड़े पर केले के पत्ते को रख कर उस पर मूर्ति की स्थापना की जाती हैं.

इसके साथ एक पान पर सवा रूपये रख पूजा की सुपारी रखी जाती हैं.

कलश भी रखा जाता हैं एक लोटे पर नारियल को रख कर उस लौटे के मुख कर लाल धागा बांधा जाता हैं. यह कलश पुरे दस दिन तक ऐसे ही रखा जाता हैं. दसवे दिन इस पर रखे नारियल को फोड़ कर प्रशाद खाया जाता हैं.

सबसे पहले कलश की पूजा की जाती हैं जिसमे जल, कुमकुम, चावल चढ़ा कर पुष्प अर्पित किये जाते हैं.

कलश के बाद गणेश देवता की पूजा की जाती हैं. उन्हें भी जल चढ़ाकर वस्त्र पहनाए जाते हैं फिर कुमकुम एवम चावल चढ़ाकर पुष्प समर्पित किये जाते हैं.

गणेश जी को मुख्य रूप से दूबा चढ़ायी जाती हैं.

इसके बाद भोग लगाया जाता हैं. गणेश जी को मोदक प्रिय होते हैं.

फिर सभी परिवार जनो के साथ आरती की जाती हैं. इसके बाद प्रशाद वितरित किया जाता हैं.

गणेश चतुर्थी महत्व कहानी पूजा-यह समझना महत्वपूर्ण है कि विनायक चतुर्थी / गणेश चतुर्थी के लिए उपवास का दिन दो शहरों के लिए अलग हो सकता है, भले ही वे शहर एक ही राज्य के भीतर हो. विनायक चतुर्थी / गणेश चतुर्थी के लिए उपवास सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है और यह तब देखा जाता है जब दोपहर के दौरान चतुर्थी तिथि बनी रहती है. इसलिए विनायक चतुर्थी / गणेश चतुर्थी उपवास तिथि के अनुसार मनाया जाता है, यानि चतुर्थी तिथि के एक दिन पहले, जैसा कि दोपहर का समय सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है, जोकि सभी शहरों के लिए अलग है. हिन्दू कैलेंडर को अन्य वेबसाइट की तरह स्थान के आधार पर विनायक चतुर्थी / गणेश चतुर्थी के दिनों को सूचीबद्ध करना महत्वपूर्ण है. स्थान आधारिक तारीखों को बनाने के लिये समय लेने वाले अधिकांश स्त्रोत इस तथ्य को अनदेखा करते है, और सभी भारतीय शहरों के लिए एकल सूची प्रकाशित करते हैं.

भारत में गणेश जी के प्रसिद्ध मंदिर की सूची

क्र मंदिर के नाम
1 गणपति पुले कोंकण तट
2 सिद्धी विनायक
3 रणथम्भौर
4 कर्पगा विनायक
5 रॉक फोर्ट उच्ची पिल्लायर तिर्रुचिल्लापली
6 मनाकुला विनयागर
7 मधुर महा गणपति मंदिर
8 ससिवे कालू कदले गणेशा
9 गणेश टोक
10 दगडूशेठ
11 मोती डूंगरी
12 मंडई गणपति
13 खड़े गणेश जी
14 स्वयंभू गणपति
15 खजराना

गणेश जी के बारे में जानकारी

गणेश चतुर्थी महत्व कहानी पूजा-पुरे भारत में गणपति जी की पूजा की जाती हैं. विशेष तौर पर महाराष्ट्र में गणपति जी का महत्व बहुत अधिक हैं. मुबई में बड़े- बड़े सेलेब्रिटी गणपति जी की स्थापना करते हैं पूरी धूम धाम से गणपति जी को घर में लाया जाता हैं फिर उन्हें विसर्जित किया जाता हैं. भादो में पुरे दस दिनों तक गणपति के नाम की धूम रहती हैं. रुके हुए मांगलिक कार्य इन दिनों में पुरे किये जाते हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश जी देवताओं में सबसे श्रेष्ठ होते हैं वे भगवान् शिव एवम माता पार्वती की संतान हैं. मूषक अर्थात चूहा गणेश जी का वाहक हैं. उन्हें खाने में मोदक पसंद हैं. इनकी दो पत्नियाँ रिद्दी एवम सिद्धि हैं. गणपति जी को बुद्धि का देवता कहा जाता हैं. गणपति जी ने ही महर्षि वेद व्यास के द्वरा बोली गई भगवत गीता को लिखा था.

गणेश जी की उपासना में गणपति अथर्वशीर्ष का बहुत अधिक महत्व हैं. इसे रोजाना भी पढ़ा जाता हैं. इससे बुद्धि का विकास होता हैं एवम संकट दूर होते हैं.

गणेश चतुर्थी की शुभकामनाये

हर संकट से वो निवारे

देवों में अग्रणी वो कहलाते

ऐसे भगवन को वंदन

शीष झुकाकर गणपति को नमन

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