गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी 2024 व्रत महत्व, कहानी, पूजा विधि, कब है, किस दिन है, तारीख, Ganesha Chaturthi and Vinayak Chaturthi Vrat, Puja Vidhi, Story in Hindi) (Kab hai, Date, Decoration, Innovation Card
गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी व्रत महत्व कहानी पूजा विधि (Ganesha Chaturthi Puja Vidhi, Katha in Hindi) 2024- गणेश चतुर्थी भारतीय हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान गणेश की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है, जिसका मतलब होता है कि यह वर्ष के मार्च या अप्रैल महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है और इसके दौरान भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना की जाती है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी व्रत महत्व कहानी पूजा विधि – गणेश चतुर्थी के दौरान लोग विशेष रूप से गणेश जी की पूजा करते हैं, उनके चालीसा, आरती और मंत्रों का पाठ करते हैं और विभिन्न प्रकार की भक्ति भावनाओं से उनका स्तुति करते हैं। इसके बाद, आरती का प्रसाद बाँटा जाता है और लोग एक-दूसरे के साथ खुशियाँ बाँटते हैं।
गणेश चतुर्थी के दौरान लोग जीवन में सुख, समृद्धि और शुभकामनाएं मांगते हैं, और भगवान गणेश से उनकी इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। यह त्योहार भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और यह एक उत्साहपूर्ण और आध्यात्मिक माहौल में गुजरता है।
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गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी 2023 Ganesha Chaturthi Puja
गणेश चतुर्थी: गणेश चतुर्थी भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जिसमें भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस त्योहार में मूर्तियों की स्थापना की जाती है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है दस दिन तक, जिनमें अष्टमी तिथि को भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। यह त्योहार ज्यादातर श्रद्धालु और परिवारों के बीच धूमधाम से मनाया जाता है।
विनायक चतुर्थी: विनायक चतुर्थी भी भगवान गणेश की पूजा के लिए मनाया जाने वाला त्योहार है, लेकिन यह गणेश चतुर्थी के बाद मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय राज्य महाराष्ट्र में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और उसके बाद ही इसे दुनियाभर में मनाया जाता है। विनायक चतुर्थी महाराष्ट्र में 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है और इसके दौरान लोग गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना करते हैं, पूजा करते हैं और उन्हें विदाई देते हैं।
गणेश चतुर्थी 2024 में कब मनाई जाएगी व शुभमुहूर्त कब है? Ganesh chaturthi 2024 Date and timing
गणेश पूजा की तारीख | 6 सितम्बर |
गणेश पूजा का मुहूर्त | 11:11 से 13:41 |
कुल समय | 2 घंटे 29 मिनट |
गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कब और कहाँ मनाई जाती है Ganesh Chaturthi Celebration
गणेश चतुर्थी: यह त्योहार भारतीय हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इसका मतलब होता है कि यह मार्च या अप्रैल महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार 10 दिनों तक चलता है, जिसमें आठवीं तिथि को भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।
विनायक चतुर्थी: यह त्योहार महाराष्ट्र राज्य के विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और यह भी गणेश चतुर्थी के बाद मनाया जाता है। इसकी तिथि भी वर्षभर में बदलती रहती है, लेकिन यह आमतौर पर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। गणे श चतुर्थी व्रत का महत्व (Ganesh Chaturthi Significance)
गणेश चतुर्थी मनाने का तरीका How to celebrate Ganesh Chaturthi
गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी व्रत महत्व कहानी पूजा विधि गणेश चतुर्थी के पहले दिन, भगवान गणेश की मूर्ति को घर में स्थापित करें। आप मार्बल, मिट्टी, पीपल पत्र, आदि से बनी मूर्तियों में से एक का चयन कर सकते हैं। मूर्ति की स्थापना के बाद, गणेश जी की पूजा और आराधना करें। आप गणेश चालीसा, आरती, मंत्र और श्लोक पढ़ सकते हैं और उनके साथ ही प्रासाद (खाने का आहार) को भगवान के चरणों में अर्पित कर सकते हैं। पूजा के बाद, प्रसाद को बाँटें और अपने परिवार और दोस्तों के साथ शेयर करें।
गणेश जी की आरती करने के लिए आप आरती की थाली ले सकते हैं और उसमें दिया, धूप, कलश और पुष्प रख सकते हैं। फिर, आरती गाने के बाद मूर्ति की दिशा में घूमाएं और आरती करें। गणेश चतुर्थी के दसवें दिन, भगवान गणेश की मूर्ति को विसर्जित करने का समय आता है। इसे आप निकट स्थित झील, नदी या सागर में विसर्जित कर सकते हैं। गणेश चतुर्थी को आप अपने परिवार और समाज के सदस्यों के साथ उत्साहपूर्णता के साथ मना सकते हैं। आप समुदाय में गणेश पूजा के आयोजन, सामुदायिक भजन संध्या, कला और सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि का आयोजन कर सकते हैं। Ganesh Chaturthi Vrat Katha
गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व Ganesh Chaturthi Significance
गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी व्रत महत्व कहानी पूजा विधि भगवान गणेश को हिन्दू पंथ में ‘विघ्नहर्ता’ यानी आपदा हरनेवाले के रूप में माना जाता है। उन्हें सभी कार्यों की शुरुआत में पूजा जाता है ताकि उनकी कृपा से कोई भी कार्य बिना बाधाओं के हो सके। गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी होता है। यह व्रत भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मविकास की दिशा में प्रेरित करता है। गणेश चतुर्थी के दौरान परिवार और समुदाय में आपसी मिलनसर माहौल बनता है। लोग मिलकर पूजा करते हैं, सामूहिक भजन संध्याओं में भाग लेते हैं और सामुदायिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। इस व्रत के माध्यम से लोग भगवान गणेश के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था को प्रकट करते हैं और उनके दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं। गणेश चतुर्थी के व्रत से लोगों को उपयुक्त दिशा में प्रेरित किया जाता है और उन्हें सही और नैतिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
विनायक चतुर्थी व्रत 2024 तारीख व समय Vinayak chaturthi vrat 2023 date and time
तारीख | महीना | दिन | चतुर्थी |
14 | जनवरी | रविवार | विनायक चतुर्थी |
13 | फरवरी | मंगलवार | विनायक चतुर्थी |
13 | मार्च | बुधवार | विनायक चतुर्थी |
12 | अप्रैल | शुक्रवार | विनायक चतुर्थी |
11 | मई | शनिवार | विनायक चतुर्थी |
10 | जून | सोमवार | विनायक चतुर्थी |
10 | जुलाई | बुधवार | विनायक चतुर्थी |
08 | अगस्त | गुरुवार | विनायक चतुर्थी |
07 | सितम्बर | शनिवार | गणेश चतुर्थी |
07 | अक्टूबर | सोमवार | विनायक चतुर्थी |
05 | नवम्बर | मंगलवार | विनायक चतुर्थी |
05 | दिसम्बर | गुरुवार | विनायक चतुर्थी |
गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कथा Ganesh Chaturthi Story
गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी व्रत महत्व कहानी पूजा विधि विनायक चतुर्थी कथा- एक दिन, भगवान शिव और पार्वती, जो नर्मदा नदी के तट पर बैठे थे, ने चौसर खेलने का विचार किया। चूँकि खेल को नियंत्रित करने वाला कोई नहीं था, भगवान शिव ने एक छोटे लड़के को जन्म दिया और उसे रेफरी के रूप में कार्य करने के लिए कहा। देवी पार्वती ने लगातार तीन बार खेल जीता, लेकिन लड़के ने भगवान शिव को विजेता घोषित कर दिया। लड़के के घोर पूर्वाग्रह से क्रोधित होकर, माता पार्वती ने उसे शाप दिया और कहा कि वह दलदल में रहने के योग्य है। लड़के ने उससे दया की याचना की और उससे बहुत माफ़ी मांगी। इसके बाद, माता पार्वती ने छोटे लड़के को नाग कन्याओं के आगमन की प्रतीक्षा करने और गणेश चतुर्थी व्रत के बारे में जानने के लिए कहा। उसने श्राप के प्रभाव को नकारने के लिए उसे 21 दिनों तक व्रत रखने के लिए कहा। माता पार्वती के सुझाव के अनुसार, छोटे लड़के ने व्रत रखा और भगवान गणेश को प्रसन्न करने में सफल रहा।
कथा 1: गणेश चतुर्थी कथा (भगवान गणेश की उत्पत्ति कथा)
देवी पार्वती के गर्भ से उत्पन्न हुए भगवान गणेश की कथा है
दिनों पहले की बात है, देवी पार्वती ने एक अद्भुत और शक्तिशाली पुत्र की इच्छा की। उन्होंने महादेव शिव से प्रार्थना की और उन्हें एक सूक्ष्म बच्चे की शक्ति का उपहार दिया। पार्वती देवी ने उस शक्ति का उपयोग करके मिट्टी की मूर्ति को बनाया और उसे जीवन दिया। यह मूर्ति थी भगवान गणेश की पहली अवतार।
गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी व्रत महत्व कहानी पूजा विधि एक दिन, पार्वती देवी की आदि अद्यतन करने के दौरान उन्होंने उसे स्नान करने के लिए सेन्दनी पर भेजा। उसी समय, भगवान शिव अपने आदिकल्प में आये, लेकिन उन्हें उस बच्चे की जानकारी नहीं थी जो पार्वती ने बनाया था। भगवान शिव और बच्चा की मूर्ति के बीच में विवाद हुआ, जिसमें भगवान शिव ने बच्चे की मूर्ति की सिर पर आपने त्रिशूल की प्रहार किया। इसके परिणामस्वरूप, बच्चे की मूर्ति की सिर अलग हो गई।
जब पार्वती देवी ने इसे देखा, तो उन्होंने अपने बच्चे को बचाने के लिए अपने मातृत्व और आदिशक्ति का प्रदर्शन किया। उन्होंने शिव जी से प्रार्थना की और बच्चे की सिर की जगह एक हाथी की मुद्रा की गई। इस प्रकार, गणेश भगवान की पहली अवतार हो गई और उन्हें “विघ्नहर्ता” यानी आपदा हरनेवाले के रूप में माना गया। इस कथा से सिख निकलती है कि भगवान गणेश के विगत और आवश्यकताओं के पीछे एक गहरा संदेश है, जो हमें उनके दिशा-निर्देशों का पालन करने की महत्वपूर्णता बताता है।
कथा 2: विनायक चतुर्थी कथा (गणपति बप्पा की कथा)
लोकमान्य तिलक ने गणेश चतुर्थी को महाराष्ट्र में सामाजिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए पुनरावित किया था। एक दिन, एक लोकमान्य तिलक के घर में एक साधू आये और उन्होंने उनसे गणेश चतुर्थी की कथा सुनाई। इस कथा के प्रेरणास्त्रोत से लोकमान्य तिलक ने गणेश चतुर्थी को जनमानस में फिर से जगाने का निर्णय लिया। उन्होंने इसे एक राष्ट्रीय उत्सव बनाया और लोगों को एकजुट होकर स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग करने की प्रेरणा दी। इन दो कथाओं से प्रकट होता है कि गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी का महत्व आध्यात्मिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए उदाहरणीय है।
गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी व्रत पूजा विधि Ganesh Chaturthi vrat and puja vidhi in hindi
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
हालाँकि गणेश पूजा प्रातःकाल, मध्याह्नकाल और सायंकाल के दौरान की जा सकती है, लेकिन गणेश चतुर्थी पूजा के लिए प्रातःकाल की सिफारिश की जाती है। गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त गणेश पूजा के लिए मध्याह्नकाल पूजा का समय प्रदान करता है। तैयारी
- सुबह सबसे पहले स्नान कर लें.
- साफ कपड़े पहनें. लाल वस्त्र पहनना सबसे शुभ होता है।
- दिनभर व्रत रखें. आप उपवास के दौरान स्वीकार्य सात्विक खाद्य पदार्थों के साथ फल और दूध आहार का पालन कर
- सकते हैं, या आप प्रत्येक दिन केवल एक भोजन खा सकते हैं। हालाँकि, मध्याह्न के दौरान पूजा करने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
- पूजा के लिए सभी आवश्यक तैयारियां और नैवेद्य करें। अपनी पूजा वेदी को केले के पत्तों, आम के पत्तों और रंगीन सजावटी वस्तुओं से सजाएँ।
- पूजा शुरू करने से पहले दीप-प्रज्वलन और संकल्प किया जाता है।
गणेश चतुर्थी की शुभकामनाये Ganesha Chaturthi Wishes Shayari
जय गणेश, जय गणपति,
आपकी जीवन में हर खुशियाँ हासिल हो,
वक्रतुण्ड महाकाया, सूर्यकोटि समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
विघ्नहर्ता तुझको सदा नमामी,
आशीर्वाद देना हमें सब पर बनी रही तुझपर नजरें।
गणपति बाप्पा मोरया!
गणपति बाप्पा मोरया,
मंगलमूर्ति मोरया।
गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर,
हम सभी मिलकर करते हैं तुझको वंदन।
वक्रतुण्डाय धीमहि, गणनायकाय विद्महे।
कर्पूरगौराय हृदय ध्यायामः, तन्नो गणेश प्रचोदयात्।
गणपति बाप्पा मोरया!
चंदन की खुशबु, रेशम की बातें,
खुशियों का माला, गणपति की सवारी,
भक्ति का मन, बिना तलवार के,
आपको मिले गणेश चतुर्थी के इस त्योहारी।
गणेश जी का रूप निराला है,
चेहरा भी प्यारा और किस्मत वाला है।
वक्रतुण्ड महाकाया, सूर्यकोटि समप्रभा,
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गणपति बाप्पा मोरया,
मंगलमूर्ति मोरया।
आपके जीवन में आए खुशियाँ बड़ी प्यारी,
गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ हमारी।
FAQ
Q : गणेश चतुर्थी कब है ?
19 सितम्बर
Q : गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है ?
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को
Q : गणेश चतुर्थी 2024 में पूजा का मुहूर्त क्या है ?