Thursday, March 28, 2024
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Gateway क्या है, इसके प्रकार और कैसे काम करता है?

Gateway क्या है, इसके प्रकार और कैसे काम करता है?

Gateway क्या है-हेलो दोस्तो क्या  आप जानते हैं की ये Gateway क्या है? यदि हाँ तब तो शायद आपको इसके विषय में पूरी जानकारी होगी जो की बहुत ही अच्छी बात है लेकिन यदि नहीं जानते तो  चिंता की कोई बात नहीं है क्यूंकि आज हम इसी networking device के विषय में जानेंगे।

  • वैसे तो gateway हम सभी के घरों में आपने जरुर देखा होगा, मेरा मतलब है की हम गेटवे इन नेटवर्किंग इन हिंदी को हमारे घर के मुख्य द्वार से तुलना कर सकते हैं। क्यूंकि यह एक ऐसा junction होता है जो की किसी को network के भीतर जाने के लिए या उससे बाहर आने के लिए इस्तमाल किया जाता है। Internet में वो node, जो की stopping point भी होता है, उसे हम एक host node या एक gateway कहते हैं।
  • यह gateway node उस computer को कहा जाता है जिसका इस्तमाल किसी company के network को या ISP के traffic या  bandwidth को काबू करने या  manage करने के लिए हो किया जाता  है। ज्यादातर ISPs खुद ही gateway प्रदान करते हैं अपने users को घरों में जिससे की वो आसानी से internet से connect हो सकें।
  • आसान भाषा में कहें तब एक गेटवे इन कंप्यूटर नेटवर्क एक तरह का entrance होता है, या एक ऐसा point है
  • जिससे की network को access किया जा सके। यह एक inter operating system होता है जिसकी क्ष्य्मता होती है बहुत से networks को एक समय में handle कर पाना।
  • ये किसी भी form में हो सकता है software या hardware। Gateway node का function होता है एक firewall का या एक proxy server का enterprise network में। इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न हम लोगों को Gatway क्या है हिंदी  के माध्यम से समझाया जाये जिससे आपको इस networking component को समझने में आसानी हो।

गेटवे क्या होता है – What is Gateway in हिंदी

  • ये gateway एक ऐसा hardware device होता है जो की एक “gate” के तरह कार्य करता है दो networks के भीतर। ये कोई router, firewall, server, या फिर कोई दूसरा device भी हो सकता है जो की traffic को network में in और out flow होने के लिए enable करती है।
  • ये gateway एक ऐसा network node है जो की दो networks को connect करता है अलग अलग protocols के इस्तमाल से । जहाँ एक bridge का इस्तमाल दो similar (समान) प्रकार के networks को join कर सकता है वहीँ एक gateway का इस्तमाल दो dissimilar networks को join करने के लिए होता है।
  • वैसे ये gateways ही हैं, जिसके मदद से हम data को back और forth भेज सकते हैं। ये Internet बिलकुल ही काम की चीज़ नहीं होती अगर हम gateways का इस्तमाल न करें तो बहुत से hardware और software इस्तमाल नहीं किये जा सकते हैं।
  • वैसे एक gateway protect करता है nodes को network के भीतर, इसके अलावा ये खुद भी एक node होता है। ये gateway node network के edge में एक जगह होता है और सभी data इसके माध्यम से flow होता है जो की network के अन्दर घुसता है या फिर बाहर निकलता है।

इसके साथ ही ये received data को translate भी कर सकती है जो की बाहर के networks से प्राप्त होती है, एक ऐसे format या protocol में जिन्हें की devices के द्वारा recognize किया जा सके internal network के भीतर।

Gateway कैसे काम करता है?

एक gateway उन बहुत से तरीकों में से एक है जिसके द्वारा हमारा data पुरे web में move करता रहता है। ये gateway हमें बहुत से अलग अलग networks में entry प्रदान करता है जिससे की हम email send कर सकते हैं, Web pages को browse कर सकते हैं, online चीजें खरीद सकते हैं और बहुत कुछ।

आप कह सकते हैं की ये device हमें freedom, information और साथ में convenience प्रदान करता है जिससे हम online enjoy करते हैं।

  • यह एक ऐसा data communication device होता है जो की प्रदान करता है एक remote network जिसमें की connectivity होती है एक host network से।
  • यह एक network के लिए entry और exit point का काम करता है; सभी data जो की routed होते हैं inward या outward उन्हें पहले pass करके जाना होता है और साथ में communicate भी करना होता है gateway में जिससे की वो सही routing paths का इस्तमाल कर पाए ।
  • अक्सर एक router को configure किया गया होता है को एक gateway device के तरह कार्य करने के लिए computer networks में।
  • सभी network की एक boundary या एक limit होती है, जिससे की सभी communication जो की placed होते हैं network में, उन्हें conduct किया जाता है उन devices का इस्तमाल करते है जो की उसके साथ attached होते हैं, जिसमें switches और routers भी शामिल होते हैं।
  • वहीँ अगर एक network node चाहे की वो किसी ऐसे node/network के साथ communicate करे जो की network के बाहर हो, तब ऐसे में वो network को gateway की service की जरुरत होती है, जो की एक तरह से बहुत ही familiar होते हैं दुसरे remote networks के routing path के साथ।
  • Gateway (या default gateway) को implement किया जाता है network के boundary में जिससे की वो manage करे सभी data communication को जो की routed हों internally या externally उस network से।
  • Packets को routing करने को छोड़कर, gateways में दुसरे information भी होते हैं जैसे की host की network’s internal paths और सिखी गयी path अलग अलग remote networks के। अगर एक network node चाहे communicate करने के लिए एक foreign network के साथ, तब ये data packet को pass कर देती है  gateway के पास, जो की उसे route कर देगी destination तक, वो भी best possible path में।
  • एक network gateway join करता है दो networks को, जिससे की एक network का device दुसरे network के device के साथ communicate कर सकें। बिना gateways को मदद , आप internet को access ही नहीं कर सकते हैं, न ही communicate कर सकते हैं और न ही data को आगे पीछे भेज सकते हैं।
  • एक gateway को implement किया जाता है software में, hardware में, या फिर उन दोनों के combination में। ऐसा इसलिए क्यूंकि एक network gateway हमेशा network के edge में ही appear होता है।

 

नेटवर्क गेटवे के प्रकार (Types of Gateway in Hindi)

चाहे आप किसी भी प्रकार के  network gateway का इस्तमाल कर लो आपके घरों में या छोटे business में, उन सभी का function हमेशा समान ही होता है। ये connect करता है और आपके local area network (LAN) और सभी devices को जो की इस network में होते हैं और फिर उससे किसी भी devices तक जहाँ तक वो जाना चाहता हो।

  • Home networks और एक small businesses में, एक broadband router typically serve करता है एक network gateway के तरह। ये connect करता है devices को जो की आपके घरों में होता है या small business में, उन्हें internet के साथ। एक gateway बहुत ही महत्वपूर्ण feature होता है एक router का। Routers सबसे ज्यादा प्रकार के gateways होते हैं।
  • कुछ cases में, जैसे की एक residence में जहाँ की dial-up internet access का इस्तमाल होता है, वहां gateway एक router ही होता है internet service provider की location में। ये ज्याद popular नहीं बन पाता क्यूंकि dial-up access की popularity धीरे धीरे कम होने लगी।
  • कुछ small businesses configure करते हैं एक computer को जिससे की ये serve करें एक gateway के तोर पर internet के लिए, न की एक router के तरह इस्तमाल होने के लिए। इस method में दो network adapters की जरुरत होती है — एक को connect किया जाता है local network और वहीँ दूसरा को internet के साथ connect किया जाता है।

Gateways : Protocol Converters के रूप में

Gateways एक तरह से network protocol converters होते हैं। अक्सर दो networks जिन्हें की एक gateway join करता है वो अलग अलग base protocols का इस्तमाल करते हैं।

यहाँ पर ये gateway compatibility प्रदान करता है दोनों protocols के मध्य में। Protocols के प्रकार के ऊपर ये निर्भर करता है की वो किसे support करते हैं, वैसे ये network gateways OSI model के किसी भी level पर operate कर सकते हैं।

Gateway Security क्या है?

ये gateway generally काम करता है एक safeguard के हिसाब से एक local network का और साथ में ये connect भी करता है local network को public network के साथ। ये device offer करता है security जैसे की एक firewall जिसमें NAT जैसी technique का इस्तमाल किया जाता है ।

  • Gateway facilitating machine वो भी local internet protocol addresses के साथ इस्तमाल होता है internet को access करने के लिए via Gateway का inclusive address।
  • Gateway प्राप्त करता है packets local network से और साथ में ये alternate करता है इसके exterior IP address को और एक नयी port address को IP and UDP headers के resource fields में।

Gateway Devices क्या है?

Gateway में बहुत से प्रकार के devices होते हैं जो की बहुत ही ज्यादा essential होते हैं और जो बनाते हैं available system interoperability को signal translators में।

वहीँ दुसरे devices हैं protocol translators, impedance matching devices, rate converters, और fault isolators। कभी कभी gateway दोनों router और switch के साथ जुड़े हुए होते हैं कोई action को perform करने के लिए।

सबसे common gateway होता है एक router जो की connect करता है एक घर या enterprise network को internet के साथ।

ज्यादातर IP-based networks में, वो एक ही traffic जो की एक भी gateway से pass नहीं करते हैं, वो एक ऐसा traffic होता है जो की flow करता है दुसरे nodes के साथ वही समान same local area network (LAN) segment में – उदाहरण के लिए, computers जो की connected होते हैं वही समान switch में।




Gateways के अलग अलग Functions क्या होते हैं?

Gateways बहुत से forms ले सकते हैं और साथ में बहुत से प्रकार के tasks perform कर सकते हैं। इनमें बहुत से चीज़ें शामिल हैं :

  • Web Application Firewall:-ये traffic को साफ  करने के लिए काम में करती हैं Web Server से to और from होने में, साथ में ये application-layer data का भी ध्यान रखते हैं।
  • API, SOA या XML Gateway:-ये manage करते हैं traffic को जो की flow करती हैं Service के भीतर और बाहर, microservices-oriented architecture या एक XML-based web service।
  • IoT Gateway:- ये aggregate करती हैं sensor data को, साथ में ये translate करती हैं sensor protocols के बीच में, ये sensor data को process भी करता है उसे आगे भेजने  से पहले।
  • Cloud Storage Gateway:-ये इसका विस्तार करती है  करता है और storage requests को बहुत से अलग अलग cloud storage service API calls की  माध्यम से।
  • Media Gateway:-ये convert करता है data को एक format से दुसरे format में जो की अलग network को जरुरत होता है।
  • Amazon API Gateway:-ये allow करता है एक developer को connect होने के लिए non-AWS applications को AWS back-end resources के साथ।
  • VoIP Trunk Gateway:-ये मदद करती है plain old telephone service (POTS) equipment के इस्तमाल करने में, जैसे की landline phones और fax machines, वो भी एक voice over IP (VoIP) network के साथ।
  • Email Security Gateway:-ये रक्षा करती है emails की transmission को जो की company policy को एक दूसरे से तोड़ते हैं और information को गलत इरादों के लिए transfer करना चाहते हैं।

Gateways के Uses क्या होते हैं?

वैसे Gateways के बहुत से uses होते हैं, चलिए उन्ही के विषय में जानते हैं

  • एक gateway को implement किया जा सकता है software, hardware और कभी कभी तो इनके mixture में एक साथ। ऐसे बहुत से equipments और techniques हैं जिन्हें की process किया जाता है जैसे की voice और data communication।
  • ये gateways बहुत ही बेहतरीन option होते हैं multimedia communications को achieve करने के लिए dissimilar networks के बीच क्यूंकि प्रत्येक network में अलग अलग protocol और characteristics होते हैं।
  • Gateways एक तरह से key mechanism होते हैं किसी भी telephony communications में। क्यूंकि ये device offer करते हैं bridge telephone network और internet के बीच में।
  • Real-time communication में gateway support करते हैं audio conversion और carry out करते हैं extinction, साथ में call setup। Gateway processing information को भी control करती है network के across जिसमें की information होते हैं, और जो की एक actual end to end call को setup करने की कगार में होते हैं।
  • एक network gateway काम करती है एक firewall और filters packets की तरह। ये separate करती है corporate network को intranet के जैसे एक public network से।
  • एक gateway को install किया जा सकता है एक stand-alone device में। ये कार्य करता है एक interface के तरह local और wide area protocols के बीच में जैसे की TCP/IP Internet में।
  • एक gateway supervise करता है उसकी client devices को, उनकी data को इक्कठा करता है और फिर दुसरे task को execute करता है। Gateway devices allow करता है net client को access करने के लिए बहुत से variety की computer networks को।

Gateways के Advantages क्या है?

एक gateway का इस्तमाल दो computers को आपस में connect करने के लिए होता है जिनकी अलग अलग protocols होती हैं, जिससे की वो एक दुसरे के साथ आसानी से communicate कर सकें। इसे कभी कभी एक communication gateway भी कहा जाता है।

Gateways बहुत ही ज्यादा useful तब होते हैं जब हम computers को connect करने की सोचें different operating systems और functions के साथ, लेकिन उन्हें troubleshoot करना भी उतना ही कठिन होता है। तो चलिए अब gateways के advantages के बारे में जानते हैं।

  • Flexibility का होना:-कुछ networks को set up किया गया होता है एक router के मदद से। एक router को उन computers में इस्तमाल किया जा सकता है जिनमें similar protocols का इस्तमाल होता है, इसका मतलब है की उनमें similar hardware और software installed होते हैं।एक gateway आपके network के लिए ज्यादा flexibility grant करती है क्यूंकि ये computers की information को translate कर सकती हैं जो की अलग अलग systems से होते हैं। इसका मतलब होता है की बहुत से प्रकार के computers को set up किया जा सका है वही समान gateway में, और वही समान information को access किया जा सकता है प्रत्येक computer से।

Security बढाती है:-Gateways को programmed किया जा सकता है जिससे की वो कुछ users privileages को grant या deny कर सकें। Gateways user authentication को भी allow करता है, जिससे की एक password या कोई दूसरा form का security बहुत ही जरुरी हो, इससे पहले की एक user के पास gateway का access मेह्जुद हो।उन networks के लिए जिनमें की sensitive information होती हैं, उनके लिए ये बहुत ही useful होती है इसलिए की केवल privileged users के पास ही information को access करने की permission होगी। इस प्रकार की security ज्यादातर सभी networks में featured होती हैं जिससे ये unwanted access को दूर कर सकें।

Gateways के Disadvantages क्या हैं?

अब चलिए जानते हैं की Gateways के disadvantages क्या हैं।

Time Delay का होना:-

चूँकि एक gateway को हमेशा information को translate करना होता है अलग अलग protocols में उन्हें आगे pass करने से पूर्व, इसलिए gateway networks को इस्तमाल करते समय time delay का होना आम सी बात है।

Instant transfer तो मानो बिलकुल ही possible नहीं होती है जब हम gateways का इस्तमाल कर रहे हैं। एक gateway ज्यादातर समय में cached information या पुरानी information भी deliver करती है जो की stored होते हैं gateway में, अगर cache को सही ढंग से clear नहीं किया गया तब।

इससे और भी समय की खपत हो सकती हैं जब gateways का इस्तमाल हो रहा होता है, क्यूंकि cache को clear करने के लिए समय की जरुरत तो होती ही है।

Troubleshooting करना कठिन होता है;-

ये device बहुत ही rigid process का पालन करता है और इसलिए इन्हें आसानी से programmed नहीं किया जा सकता है। इन्हें सही ढंग से troubleshooting करना आसान नहीं होता है क्यूंकि अलग अलग tools की जरुरत होती है computers में problems खोजते वक़्त वो भी विभिन्न protocols में।

अगर एक gateway fail हो जाता है, तब communication तभी की समाप्त हो जाती है network में। इसमें communication को तब तक restore नहीं किया जा सकता है जब तक की problem को locate न कर लिया जाये, जिसका मतलब है की आपको प्रत्येक computer से गुजरना होगा जो की network पर उपलब्ध हों और उन्हें individually ही troubleshoot करना होगा जब तक की असली problem की खोज कर ली जाये।

 

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