Saturday, April 27, 2024
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जन्माष्टमी पर पढ़े जन्माष्टमी की कथा और कहानी – Read The Story Of Janmashtami On Janmashtami

जन्माष्टमी पर पढ़े जन्माष्टमी की कथा और कहानी – (Read The Story Of Janmashtami On Janmashtami)

जन्माष्टमी पर पढ़े जन्माष्टमी की कथा और कहानी – Read The Story Of Janmashtami On Janmashtami- श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन की खुशी में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में जाना जाता है।  जन्माष्टमी की कथा

त्यौहार का नाम जन्माष्टमी
अन्य नाम गोकुलाष्टमी
तिथी श्रावण मास की पुर्णिमा के बाद आठवे दिन
तारीख 2023 06 सितंबर
इष्ट भगवन श्री कृष्ण
विशेष कृष्ण जन्मोत्सव
त्यौहार का प्रकार धार्मिक
धर्म हिन्दू






दही हांडी क्या है? What is Dahi Handi?

जन्माष्टमी पर पढ़े जन्माष्टमी की कथा और कहानी जन्माष्टमी पर पढ़े जन्माष्टमी की कथा और कहानी – Read The Story Of Janmashtami On Janmashtami – गोविंदा या दही हांडी एक जन्माष्टमी परंपरा है जो कृष्ण के शरारती स्वभाव को दर्शाती है। दही और घी के मिश्रण से भरा एक मिट्टी का बर्तन जमीन से ऊपर लटकाया जाता है। और लोगों के द्वारा दान किए गए कुछ पैसे होते हैं। फिर पुरुषों के समूह एक मानव पिरामिड बनाएंगे और उसकी सामग्री तक पहुंचने के लिए बर्तन को तोड़ने का प्रयास करेंगे। जीत की रकम पूरी टीम के बीच बांट दी जाती है। जन्माष्टमी  की कथा

जन्माष्टमी व्रत एवं पूजा विधि

1. उत्सव अष्टमी के व्रत और पूजा से शुरू होता है, और नवमी को पारण के साथ समाप्त होता है। जन्माष्टमी कब है 2023
2. व्रत रखने वाले को एक दिन पहले यानी सप्तमी को कुछ हल्का सात्विक भोजन अवश्य करना चाहिए। अगली रात को जीवनसाथी के साथ किसी भी तरह की शारीरिक अंतरंगता से बचें और सभी इंद्रियों को नियंत्रण में रखें।
3. व्रत के दिन सुबह जल्दी तैयार होकर सभी देवी-देवताओं को प्रणाम करें; फिर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें।
4. हाथ में पवित्र जल, फल और फूल रखकर व्रत का संकल्प लें।
5. इसके बाद काले तिल मिश्रित जल को अपने ऊपर छिड़कें और देवकी जी के लिए प्रसव कक्ष बनाएं।
6. अब इस कमरे में एक शिशु पलंग और उसके ऊपर एक पवित्र कलश रखें।
7. इसके अतिरिक्त, कृष्ण को दूध पिलाती देवकी जी की मूर्ति या चित्र भी रखें।
8. क्रमशः देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी जी का नाम लेकर पूजा करें।
9. यह व्रत आधी रात के बाद ही खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का सेवन नहीं किया जाता है. केवल फल और ऐसी कोई चीज़ ही ली जा सकती है जैसे कुट्टू के आटे की तली हुई गोलियां, गाढ़े दूध से बनी मिठाइयाँ और सिंघाड़े का हलवा।

जन्माष्टमी मुहूर्त

निशिता पूजा समय   24:03+ से 24:49+
अवधि 46 मिनट
आधी रात का समय  24:26+

ष्टमी की कथा 2023


श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा पुराणों में विभिन्न रूपों में प्रस्तुत है, परंतु एक प्रमुख कथा विष्णु पुराण और भागवत पुराण में मिलती है। निम्नलिखित कथा श्रीकृष्ण के जन्म की प्रमुखता दिखाती है: कंस राजा, मथुरा के राजा उग्रसेन का पुत्र, देवकी के भाई था। कंस ने अपनी दुष्टता के कारण उग्रसेन को कैद कर दिया और उग्रसेन की पत्नी देवकी को अपने साथ गहरी कैद में डाल दिया। कंस ने एक दिव्य वचन में कहा कि देवकी का प्रथम संतान मृत्यु के मुख से बच्चा होगा, क्योंकि वही उसके हाथों से मरेगा। इस बीच, देवकी का भाई नन्द और उनकी पत्नी यशोदा गोकुल गए हुए थे।

देवकी ने अपने पति वसुदेव से विनम्रता से प्रार्थना की कि वे भगवान विष्णु का अवतार उनकी संतान के रूप में उत्पन्न होने की स्वीकृति ले लें। विष्णु भगवान ने देवकी की प्रार्थना को सुना और उन्होंने वादा किया कि वे उनकी संतान के रूप में उत्पन्न होंगे। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन, जब व्यास महर्षि के आश्रम में देवकी-वसुदेव को कैद किया था, विष्णु भगवान ने अपनी माया से देवकी के गर्भ में अवतरित हो गए। गर्भवती देवकी के पेट से अचानक दिव्य ज्योति चमकी, और जगत का प्रकाश फैल गया। इसी दिन, वृन्दावन में नंद और यशोदा के घर में देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले बच्चे का जन्म हुआ। यह बच्चा भगवान श्रीकृष्ण थे।

जन्माष्टमी पर पढ़े जन्माष्टमी की कथा और कहानी  उनकी जन्म के समय, घर में आद्य रात्रि की शांति के बावजूद, अचानक उजियारा फैला और सभी चक्कर चलाने लगे। इसके बाद, विष्णु भगवान के आदिश्वारूप में श्रीकृष्ण ने अपने पालकों को दिखाया और वहां से गोकुल लिए गए। उनके पालकों ने उन्हें यशोदा माता और नंद बाबा के पास ले जाकर पाला। यहीं से श्रीकृष्ण की बचपन की अनगिनत लीलाएं और माखन चोरी की कथाएं शुरू होती हैं, जिन्हें उनके वृन्दावन के जीवन से जोड़कर प्रस्तुत किया जाता है। यह कथा श्री कृष्ण के जन्म की मुख्यता दर्शाती है और इस दिन की महत्वपूर्णता को स्पष्ट करती है।

श्री कृष्ण जी को भगवान विष्णु का अवतार 

  • अष्टमी रोहिणी
  • श्री जयंती
  • कृष्ण जयंती
  • रोहिणी अष्टमी
  • कृष्णाष्टमी
  • गोकुलाष्टमी




Janmashtami 2023 Gujarati Calendar

जन्माष्टमी पर पढ़े जन्माष्टमी की कथा और कहानी

श्री कृष्ण की बचपन की कहानी

जन्माष्टमी पर पढ़े जन्माष्टमी की कथा और कहानी –  श्रीकृष्ण की सबसे प्रसिद्ध कथाओं में से एक यह है, जिसमें वे गोपियों के साथ वृन्दावन में रहते थे और उनके घरों से माखन चुराते थे। उनके माखन चोरी के प्रसंग में अनेक रोमांचक घटनाएँ होती थीं, जिनमें गोपियाँ उन्हें पकड़ने का प्रयास करती थीं। श्रीकृष्ण के बचपन में पुतना नामक डाकू राक्षसी आई थी, जो बच्चों को मारने के लिए उनके पास आई थी। श्रीकृष्ण ने उसकी गोली बनी छाया में बचपनी खेलते हुए उसके स्तन में जाकर उसकी आत्मा को मुक्त की।यशोदा माता के घर में नंदोत्सव और दही हांडी की कथा बचपन की बड़ी प्रसिद्ध घटनाओं में से हैं।

श्रीकृष्ण और उनके सखा गोप बच्चों ने माखन चुराते समय घरों में बड़े ही मजाकिया और आनंदपूर्ण अवसर मनाया। एक दिन, श्रीकृष्ण ने बड़े आत्मविश्वास के साथ माखन खाने वाली गोपियों की माथे पर उनकी पायलें बांध दी। उन्हें पकड़ने के बाद वे गोपियाँ उन्हें दही में डुबकी लगाने के लिए कालिंदी नगर के तालाब में ले गईं, जिससे उन्होंने नाग कालिंदी को मुक्ति दिलाई। एक बार श्रीकृष्ण ने अपनी माता यशोदा से कहा कि वह अपने मुख को एक झूले में बांधकर देखना चाहते हैं, जैसा कि उनके सखा कन्हैया के मुख की रचना थी। उन्होंने मुख को आजर बजर कर बांध दिया और यशोदा माता के समक्ष खड़े हो गए। यशोदा माता ने उनके वायुमंडलिक रूप को देखकर हृष्ट हो गईं।


जन्माष्टमी पर कविता Janmashtmi Kavita

जन्माष्टमी की धूम है आई, गोपियाँ गाती हैं मधुर सरगमाई। माखन चुराते कान्हा कान्हाई, माता यशोदा की आँखों में प्यार की धार बहाई।

मोर मुकुट सजाते बाल कान्हा के सिर, बंसी की मधुर ध्वनि सुनकर सब हो जाते त्राहिमाम्।  नन्द के घर आये गोपाल, खुशियों का आगमन है सबका इंतजार करता जन्माष्टमी के विशेष पल।

छोटे छोटे कान्हा के लाल, उनकी बंसी की मधुर आवाज़ सुनकर हो जाते प्रेमालाप। रास लीला में राधा के संग, सब भूल जाते आपने दर्शक जीवन के रंग।

माखन चुराने की मस्ती में कान्हा रास रचाते, गोपियाँ उनके पीछे दौड़ जाती हैं, हर कदम पर प्रेम बरसाते। जन्माष्टमी के इस पवित्र दिन, हम सब मिलकर करें यही आवाज़ उच्चारण: “कृष्णा कन्हैया, लाल की जय!”

FAQ

Q : कृष्ण जन्माष्टमी कब हैं?

भादव मास की अष्टमी कृष्ण पक्ष

Q : भगवन कृष्ण के गुरु का नाम क्या हैं ?

 गुरु संदीपनी

Q : भगवन कृष्ण का जन्म स्थान कहा हैं ?

गोकुल

Q : भगवन कृष्ण कहाँ बड़े हुये ?

 गोकुल

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