क्या है करतारपुर कॉरिडोर की-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको करतारपुर कॉरिडोर के बारे में बताने जा रहा हु। आप सभी इस चीज से बहुत अच्छे से वाकिफ है कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच के हालात कैसे हैं. भारत और पाकिस्तान के विभाजन में लाखों लोग मारे गये थे.
और दोनों देशों के बीच एक लकीर खिंच गई थी. जिससे पाकिस्तान में रह रहे सभी हिन्दुओं को भारत की सीमा के अंदर आना पड़ा और मुसलमानों को भारत की सीमा के दूसरी ओर यानि पाकिस्तान जाना पड़ा. किन्तु दोनों देशों द्वारा हालात सुधारने के लिए कोशिशें भी की जाती रही हैं. ऐसी ही कोशिश भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के प्रधानमंत्री द्वारा की जा रही है, जोकि करतारपुर कॉरिडोर है. इसके बारे में आपको सभी जानकारी जानने के लिए नीचे दिए गये लेख को पढ़ना होगा.
करतारपुर कॉरिडोर भारत और पाकिस्तान का बॉर्डर कॉरिडोर है, जोकि दोनों देशों के बीच एक प्रस्ताव पर बनाया जाना है. यह भारत और पाकिस्तान में स्थित दो प्रमुख सिख मंदिरों को एक – दूसरे से जोड़ता है. ये दोनों मंदिर भारत के पंजाब शहर में और पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित है. ये स्थान भारत – पाकिस्तान सीमा से लगभग 4.7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वर्तमान में दोनों देशों के प्रधानमंत्री द्वारा यह निर्णय लिया गया है, कि दोनों पवित्र मंदिरों के बीच एक कॉरिडोर का निर्माण किया जायेगा और भारत के धार्मिक सिख भक्तों को भारत से पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा में जाने की इजाजत दी जाएगी, और इसके लिए उन्हें वीजा दिखाने की भी आवश्यकता नहीं है. इस तरह से दोनों देशों के बीच के तनाव को कुछ कम किये जाने के लिए एक कदम उठाया गया है.
क्या है करतारपुर कॉरिडोर की-करतारपुर के इतिहास के बारे में कहा जाए, तो यह वह स्थान है, जिसकी स्थापना सिख धर्म के प्रथम गुरु यानि गुरुनानक देव जी ने सन 1504 ईसवीं में रवि नदी के किनारे दाहिनी ओर की थी, और उस स्थान पर पहला सिख समुदाय स्थापित किया. उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय इसी स्थान पर व्यतीत किये थे. सन 1539 में उनकी मृत्यु हो जाने के बाद हिन्दूओं और मुस्लिमों दोनों ने यह दावा किया, कि यह स्थान उनका है. और उनके बीच एक आम दीवार के साथ उनकी स्मृति में एक समाधि बना दी गई,
लेकिन रवि नदी के चलते यह समाधि बह गई. इसके बाद रवि नदी के बाएं ओर उनका एक नया आवास स्थान बनाया गया. सिख धर्म के लोग इस पवित्र स्थल के दर्शन करने के लिए एक स्थान पर इकठ्ठा होते हैं, और दूरबीन की सहायता से गुरूद्वारे को देखकर गुरु नानक जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. क्योकि भारत के सन 1947 के विभाजन के दौरान यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच बंट गया था. इनके बीच एक अंतर्राष्ट्रीय सीमा खींच दी गई, जिसके चलते रवि नदी के दाहिने किनारे पर शकारगढ़ तहसील जिसमे पाकिस्तान का करतारपुर स्थित हैं और रवि नदी के बाएँ किनारे पर गुरदासपुर तहसील स्थापित कर दी गई.
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करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट
क्या है करतारपुर कॉरिडोर की-बहुत सालों से सिख भक्तों द्वारा यह आवेदन किया जा रहा था, कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक के साथ जुड़ता हुआ एक कॉरिडोर बनाने के लिए सहयोग दे. सन 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इसके निर्माण का सुझाव दिया था. उस दौरान वे अपनी पहली लाहौर की बस यात्रा के लिए पाकिस्तान गये थे. सन 2018 में पाकिस्तान, सिख तीर्थयात्रियों को सीमा से भारत की ओर से मंदिर तक एक पुल का निर्माण करके बिना वीजा के मंदिर जा कर दर्शन करने जाने के लिए अनुमति देने पर सहमत हो गया. अगस्त 2018 में पूर्व क्रिकेटर एवं संसद के सदस्य नवजोत सिंह सिद्धू ने यह ऐलान किया, कि कमर जावेद बावजा जोकि, पाकिस्तानी सेना प्रमुख है उन्होंने उनसे यह विश्वास के साथ कहा है, कि साल 2019 नवंबर में डेरा बाबा नानक – करतारपुर कॉरिडोर खुलेगा. दरअसल साल 2019 में सिख धर्म के संस्थापक, जोकि इनके प्रथम पूजनीय गुरु हैं उनकी 550 वीं जयंती है.
2019 नवंबर माह में कैबिनेट की एक बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमे कई निर्णयों पर चर्चा की गई. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अध्यक्ष थे. इस बैठक में अंतिम परिणाम यह निकला, कि बाबा नानक से पाकिस्तान सीमा तक कॉरिडोर बनाने के लिए मान्यता दे दी गई. केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस निर्णय के बारे में बताते हुए कहा कि – “वीजा व्यवस्था की जाएगी और कॉरिडोर 3 से 4 किलोमीटर लंबा होगा”. इसी महीने की 26 तारीख को, भारत की ओर से गुरदासपुर जिले के एक गाँव ‘मान’ में इस कॉरिडोर की नींव रखकर इसकी शुरुआत की गई. इस कार्यक्रम के प्रमुख भारत के उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू एवं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह थे. इसके दो दिन बाद पाकिस्तान की ओर से करतारपुर में कॉरिडोर की नींव रखकर इसकी शुरुआत की गई. इसकी शुरुआत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा की गई. यह स्थान पाकिस्तान के पंजाब के नरवाल जिले के पास स्थित है. पाकिस्तान के इस आयोजन में भारत के कुछ प्रमुख मंत्रियों ने भी सिरकत की थी, जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू, गुरजीत सिंह औजला और दो अन्य केन्द्रीय मंत्री हर्सिमरत कौर बादल और हरदीप सिंह पूरीम उपस्थित थे.
यात्रा में दी जाने वाली सुविधा
क्या है करतारपुर कॉरिडोर की-यह कॉरिडोर सीमा पार करेगा, लेकिन यह किस जगह से शुरू होगा, यह अभी तय नहीं किया गया है. रवि नदी पर 800 मीटर लंबा पुल होने की उम्मीद है. इसके निर्माण में ‘बोर्डिंग टर्मिनल’ शामिल होंगे, जहाँ से शटल बसें तीर्थयात्रियों को भारत से करतारपुर ले जायेगी. तीर्थयात्रियों के लिए अस्थायी आवास और तंबू भी होंगे. एक उम्मीद यह भी है कि तीर्थयात्रियों को वीजा तो नहीं, लेकिन विशेष परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता होगी और साथ ही उन्हें बायोमेट्रिक टेस्ट देकर ही पाकिस्तान के करतारपुर में प्रवेश मिलेगा.
करतारपुर कोरिडोर का समझोता भारत पाकिस्तान के बीच हो गया है. गुरु गोविन्द साहब के 550वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 9 नवम्बर को इसकी शुरुवात हो गई है. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 500 लोगों के पहले जथ्ते को रवाना किया. पहले जत्थे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पंजाब मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह एवं राजनेता नवजोत सिंह सिधु भी शामिल है. भारत के इन नेताओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा है. पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान ने सुरक्षा की पूरी गारंटी दी है. इस योजना से भारत पाकिस्तान के रिश्तों में बहुत हद तक सुधार की आशा की जा रही है.
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