अनदेखी खाटू श्याम आरती –पंचांग और पौराणिक कथाओं के आधार पर, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्री खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन देवउठनी एकादशी भी मनाई जाती है। इस मौके पर भक्त श्री खाटू श्याम जी की पूजा करते हैं और विभिन्न प्रकार के भोग चढ़ाते हैं। खाटू श्याम
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खाटू श्याम जी जानिए इस अद्वितीय अवतार के रहस्यमय जीवन के बारे में
“शास्त्रों के आधार पर, श्री खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत काल से माना जाता है, और वे पांडु पुत्र भीम के पौत्र थे। श्री खाटू श्याम जी को शक्तिशाली रूप में प्रस्तुत किया गया है।”
अनदेखी खाटू श्याम आरती –पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पांडव जब अपनी जान बचाने के लिए वन में घूम रहे थे, तो भीम का सामना हिडिंबा के साथ हुआ। इसके बाद, हिडिंबा ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम घटोखा था। फिर, घटोखा का एक पुत्र हुआ, जिसे बर्बरीक नाम दिया गया। बर्बरीक को बाद में खाटू श्याम के रूप में प्रसिद्ध किया गया।”
भगवान श्री कृष्ण ने दिया था ये अद्भुत वरदान, जिसके बारे में आपने कभी सुना है
“भगवान श्रीकृष्ण ने श्री खाटूश्याम जी को अपनी अद्वितीय शक्तियों और सामर्थ्य के साथ कलयुग में अपने नाम से पूजनीय बनाने का वरद
“महाभारत के युद्ध के दौरान, बर्बरीक ने भी भाग लेने की इच्छा व्यक्त की थी।”
अनदेखी खाटू श्याम आरती –उन्होंने श्रीकृष्ण से पूछा कि वह किसकी ओर से लड़ें, तो श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया कि जो पक्ष हारेगा, वही उनकी ओर से लड़ेगा।”इस प्रकार, श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए उनके दान की मांग की और उसमें उनका सिर मांग लिया। बर्बरीक ने बि देर किए अपना सिर उन्हें दान कर दिया। बर्बरीक ने श्रीकृष्ण से यह भी प्रार्थना की कि वह पूरा महाभारत युद्ध देखना चाहते हैं। इस पर, श्रीकृष्ण ने उनके शीर्षक ऊंची पहाड़ी में रख दिया, जहां से वे पूरे युद्ध का साक्षी बने। जब पांडव जीत गए, तो सभी अपनी-अपनी ओर बढ़ने लगे कि जीत का श्रेय किसे जाए। इस पर, बर्बरीक ने कहा कि जीत का श्रेय श्रीकृष्ण को होना चाहिए। इस प्रकार, श्रीकृष्ण ने कलयुग में खाटू श्याम जी के नाम से पूजे जाने का वरद
।। खाटू श्याम आरती lyrics।।
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे ।
खाटू धाम विराजत,
अनुपम रूप धरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे ।
रतन जड़ित सिंहासन,
सिर पर चंवर ढुरे ।
तन केसरिया बागो,
कुण्डल श्रवण पड़े ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे ।
गल पुष्पों की माला,
सिर पार मुकुट धरे ।
खेवत धूप अग्नि पर,
दीपक ज्योति जले ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे ।
मोदक खीर चूरमा,
सुवरण थाल भरे ।
सेवक भोग लगावत,
सेवा नित्य करे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे ।
झांझ कटोरा और घडियावल,
शंख मृदंग घुरे ।
भक्त आरती गावे,
जय-जयकार करे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे ।
जो ध्यावे फल पावे,
सब दुःख से उबरे ।
सेवक जन निज मुख से,
श्री श्याम-श्याम उचरे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे ।
श्री श्याम बिहारी जी की आरती,
जो कोई नर गावे ।
कहत भक्त-जन,
मनवांछित फल पावे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे ।
जय श्री श्याम हरे,
बाबा जी श्री श्याम हरे ।
निज भक्तों के तुमने,
पूरण काज करे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे ।
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत,
अनुपम रूप धरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे ।
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