Friday, May 3, 2024
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पाइथागोरस का जीवन परिचय Pythagoras Biography in Hindi

पाइथागोरस का जीवन परिचय-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है। आज में आपको पाइथागोरस के बारे में बताने जा रहा हु। Pythagoras Biography in hindi पाइथागोरस प्राचीन यूनान के एक महान गणितज्ञ और दार्शनिक (Philosopher) थे. गणित के क्षेत्र में इन्हें आज भी ‘पाइथागोरस का प्रमेय’ (Pythagoras Theorem) के लिए ख्याति प्राप्त है. हालाँकि गणित के क्षेत्र में योगदान से इत्तर पाइथागोरस को एक संगीतकार, रहस्यवादी, वैज्ञानिक और धार्मिक आंदोलन के संस्थापक के तौर पर भी पश्चिम के इतिहास में सम्मान प्राप्त है. इसकी वजह छठी शताब्दी ईसा पूर्व में उनका धार्मिक शिक्षण और दर्शन में महत्वपूर्ण योगदान का होना है. उन्होंने पायथागोरियन पंथ की स्थापना की थी जिसके क्रियाकलाप बहुत ही गुप्त होते थे



पाइथागोरस का जीवन परिचय Pythagoras Biography in Hindi

पूरा नाम(Name) पाइथागोरस (ऐतिहासिक आलेखों के अनुसार)
पेशा (Carrer) दार्शनिक और गणितज्ञ
राष्ट्रीयता (Nationality) यूनानी
जन्म(Birth Place) 570 ईसा पूर्व
जन्म स्थान (Birth Place) सामोस, यूनान
मृत्यु (Death Date) 495 ईसा पूर्व (Around 75 Years)
मृत्यु स्थान (Death Place) मेतापोंतम
पिता का नाम (Father Name) मनेसार्चस
माता का नाम (Mother Name) पयिथिअस
पत्नी का नाम(Wife Name) थेनो
बच्चों के नाम (Children) टेलिगास, डामो, अरिग्नोत तथा मयिया
शिक्षा (Education) पैथोगोरियंस
कार्य और उपलब्धि (Work and Award) गणित के क्षेत्र में दुनिया को ‘पाइथागोरस का प्रमेय’ की देन के साथ दार्शनिक शिक्षा

 

 महान गणितज्ञ और दार्शनिक पाइथागोरस का जीवन परिचय

पाइथागोरस का जीवन परिचय-पाइथागोरस के अनुयायीओं को पैथोगोरियंस कहा जाता था. तत्कालीन संगीत के बारे में पाइथागोरस का मानना था कि उनमें पर्याप्त सामंजस्य नहीं है. इसलिए उन्होंने संगीत के लय को गणितीय समीकरणों में अनुवाद करने की खोज की. हालाँकि पाइथागोरस ने संख्या के सिद्धांत को अपने आलेखों में विस्तारपूर्वक स्पष्ट किया है परन्तु इसकी व्याख्या को लेकर आज भी विद्वानों में मतभेद हैं.

पाइथागोरस का जन्म और प्रारंभिक जीवन

पाइथागोरस का जीवन परिचय-पाइथागोरस का जन्म पूर्वी एजियन के एक यूनानी द्वीप सामोस (Samos) में 570 ईसा पूर्व में हुआ था. ऐसा माना जाता है कि उनकी माँ पयिथिअस (Pythias) उस द्वीप की मूल निवासी थीं और पिता मनेसार्चस (Manesarchus) लेबनान स्थित टायर के एक व्यापारी थे जो रत्नों का व्यापार करते थे. ऐसा भी कहा जाता है कि पाइथागोरस के दो या तीन भाई-बहन भी थे. पाइथागोरस का बचपन का ज्यादातर समय सामोस में ही व्यतीत हुआ था. जब वह बड़े हुए तो पिता के साथ व्यापारिक यात्रा पर जाने लगे. इसी दौरान पाइथागोरस के पिता उन्हें टायर लेकर गए और वहां उन्हें सीरिया के विद्वानों से शिक्षा दिलाने लगे. ऐसा माना जाता है कि पाइथागोरस ने इस दौरान इटली का भी दौरा किया था.

पाइथागोरस का जीवन परिचय-बहरहाल, विभिन्न जगहों की यात्राओं के दौरान पाइथागोरस का शिक्षा का क्रम चलता रहा. उन्होंने होमर के काव्य के साथ-साथ वीणा के नाटकों का भी अध्ययन किया. सीरिया के विद्वानों से शिक्षा ग्रहण करने के अलावा पाइथागोरस ने शल्डिया के विद्वानों को भी अपना गुरु बनाया था. सयरस के फेरेसायडेस पाइथागोरस के पहले शिक्षक थे जिनसे उन्होंने दर्शनशास्त्र की शिक्षा ली थी. अठारह साल की उम्र में पाइथागोरस ने मिल्ट्स की यात्रा की जहाँ उनकी मुलाक़ात गणित और अंतरिक्ष विज्ञान के विद्वान थेल्स से हुई. हालाँकि उस समय तक थेल्स काफी बूढ़े हो चुके थे और पढ़ाने की स्थिति में नहीं थे फिर भी उनसे मुलाकात से पाइथागोरस काफी प्रभावित हुए और उनके अंदर विज्ञान, गणित और अंतरिक्ष विज्ञान के अध्ययन के प्रति उत्सुकता बढ़ गई. अपनी उत्सुकता और जिज्ञासा को मूर्त रूप देने के लिए उन्होंने थेल्स के विद्वान शिष्य अनेक्जिमेंडर को अपना गुरु बनाया और गणित का गहराई से अध्ययन करने लगे. बाद के वर्षों में पाइथागोरस द्वारा प्रतिपादित कई सिद्धांतों में अनेक्जिमेंदर के सिद्धांतों से बहुत कुछ मिलता-जुलता पाया गया. ऐसा माना जाता है कि दोनों द्वारा प्रतिपादित अंतरिक्षीय और ज्यामितिय सिद्धांत (Astronomical and Geometrical Theories) प्राकृतिक तौर पर उनके गुरुओं द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों का ही विकसित रूप है.

पाइथागोरस का जीवन परिचय-आगे जाकर 535 ईसा पूर्व में पाइथागोरस मंदिर के पुजारियों से अध्ययन करने के लिए मिश्र चले गए. इस संबंध में थेल्स ने भी उन्हें पूर्व में सुझाव दिया था. परन्तु इस संबंध में एक दूसरी मान्यता है कि पाइथागोरस ने सामोस के शासक पोलिक्रेट्स के अत्याचारों से दुखी होकर मिश्र का रुख किया था. पाइथागोरस मिश्र में लगभग दस सालों तक रहे. यहाँ उन्हें आवश्यक नियमों को पूरा करने के बाद डियोस्पोलिस के मंदिर में प्रवेश मिला और आगे जाकर पुजारी के रूप में इन्हें मान्यता मिली. ऐसा भी माना जाता है कि कुछ वर्षों तक पाइथागोरस ने हेलिपोलिस के पुजारी ओएनुफिस से भी शिक्षा ग्रहण की थी.

पाइथागोरस का जीवन परिचय-पाइथागोरस के संबंध में उपलब्ध आलेखों के अनुसार 525 ईसा पूर्व में जब पर्शिया के शासक कैम्बीसस द्वितीय ने मिश्र पर आक्रमण कर उसे जीता तो पाइथागोरस को बंदी बनाकर बेबीलोन ले जाया गया था. परन्तु यहाँ पाइथागोरस जल्दी ही पर्शिया के पुरोहितों और विद्वानों के साथ घुल-मिल गए और उनसे गणित, विज्ञान और संगीत की शिक्षा लेने लगे. इसी दौरान 522 ईसा पूर्व में अचानक घटे एक घटनाक्रम में पर्शिया के अत्याचारी शासक कैम्बीसस द्वितीय की संदिग्धावस्था में मृत्यु हो गई और साथ ही सामोस को भी उसके आतंक से मुक्ति मिल गई. इस घटनाक्रम से पाइथागोरस को सामोस लौटने का मौका मिला और वह 520 ईसा पूर्व में सामोस लौट गए.

पाइथागोरस द्वारा पैथोगोरियंस पंथ की स्थापना

पाइथागोरस का जीवन परिचय-520 ईसा पूर्व में पर्शिया से सामोस वापस लौटने के बाद पाइथागोरस ने एक स्कूल खोला और जिसका नाम उन्होंने सेमीसर्कल रखा. इस स्कूल में उनका पढ़ाने का तरीका उस समय के परंपरागत तरीकों से अलग था इसलिए लोग जल्दी आकर्षित नहीं हो सके और उनका शिक्षा का व्यवसाय मंदा रहा. इसी दौरान वहां के राजनेता पाइथागोरस को शहर के प्रशासनिक कार्यों में शामिल करना चाहते थे परन्तु यह काम भी उन्हें नहीं जंचा. अंततः 518 ईसा पूर्व में वह दक्षिणी इटली के क्रोटन शहर चले गए और यहीं पर अपनी शिक्षा का केंद्र स्थापित करने का फैसला किया. हालाँकि कई विद्वानों का मानना है कि पाइथागोरस वहां कानून की पढाई करने गए थे और फिर वापस आ गए थे. परन्तु जैसा कि उपलब्ध साक्ष्यों से पता चलता है, क्रोटन में पाइथागोरस ने विस्तृत तौर पर अध्यापन का कार्य शुरू किया था. जल्दी ही यहाँ उनके अनुयायिओं की संख्या बढ़ने लगी. यहाँ उन्होंने एक गुप्त धार्मिक पंथ की स्थापना की. माना जाता है कि पाइथागोरस का यह गुप्त पंथ ओर्फिक कल्ट से मिलता-जुलता था और शायद वह उससे प्रभावित भी था.

पाइथागोरस का जीवन परिचय-पाइथागोरस ने अपने नवोदित पंथ के माध्यम से क्रोटन के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में सुधार लाने का प्रयास शुरू कर दिया. वे वहां के नागरिकों को जीवन में सदाचार का पालन करने के लिए प्रेरित करते थे. जल्दी ही उनका प्रयास सफल हुआ और उनके अनुयायिओं की संख्या बढ़ने लगी और उन सभी का एक समूह बन गया. आगे जाकर अनुयायिओं का यह समूह पैथोगोरियंस के नाम से जाना जाने लगा. पाइथागोरस द्वारा स्थापित केंद्र के संचालन करने के नियम बहुत ही कठोर थे. हालाँकि उन्होंने लड़के और लड़कियों, दोनों के लिए समान रूप से अपने केंद्र में प्रवेश लेने का नियम बनाया था. केंद्र के सेवादार या कार्यकर्ता को मेथमेत्कोई कहा जाता था. ये सेवादार अपना घर-द्वार छोड़कर केंद्र यानि मठ में ही रहते थे. उनके लिए शाकाहारी भोजन अनिवार्य था. परन्तु केंद्र के आसपास रहने वाले जो छात्र वहां केवल अध्ययन करते थे उन्हें अकउस्मेतिकोई (Akousmatikoi) कहा जाता था और उन्हें अपने घर में रहने और कुछ भी खाने की छूट थी. कहना गलत नहीं होगा कि पाइथागोरस ने धार्मिक शिक्षा, सादा भोजन, व्यायाम और दार्शनिक शिक्षा से भरपूर जीवन का अनुसरण किया. इस जीवन के लिए पाइथागोरस ने संगीत को आवश्यक माना था इसलिए उनके अनुयायिओं के लिए भजन गाना नित्यक्रम में शामिल था. आत्मसुधी और कई शारीरिक बीमारियों के ईलाज के लिए वे वीणा की धुनों का उपयोग करते थे. इसी तरह स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए सोने से पूर्व कविता पाठ करने का नियम था.



पाइथागोरस का जीवन परिचय-पाइथागोरस ने अपने मठ में एकेमैथिया नाम से एक नियम लागू किया था. यह नियम मठ में शांति स्थापित रखने के लिए बनाया गया था. इस नियम को तोड़ने वालों के लिए मौत की सजा का प्रावधान था. साथ ही मठ के अकउस्मेतिकोई सदस्यों को पाइथागोरस को देखने की भी इजाजत नहीं थी और न ही उन्हें पंथ के गुप्त रहस्य सिखाए जाते थे. हालाँकि उन्हें गुप्त अर्थों के अंश सीखने की अनुमति जरूर थी. पाइथागोरस के शिष्यों में इस प्रकार के भेदभाव के दुष्परिणाम भी निकले. कोहार्ट में ही उनके एक साइक्लोन नामक अकउस्मेतिकोई  शिष्य ने गुस्से में कई मेथमेत्कोई शिष्यों की हत्या कर दी थी. इसके बाद दोनों समूह एक-दूसरे से पूरी तरह अलग हो गए. इस अलगाव में पाइथागोरस की पत्नी थेनो और उनकी दो बेटियों ने मेथमेत्कोई समूह का नेतृत्व किया था. उपलब्ध आलेखों के अनुसार थेनो एक ओर्फिक अनुयायी की बेटी थी और एक गणितज्ञ थीं. उन्होंने गणित, भौतिक और चिकित्सा विज्ञान सहित बाल मनोविज्ञान पर कई पुस्तकें भी लिखी थीं. हालाँकि आज उनके लेखन में से कुछ भी नहीं बचा है.

पाइथागोरस का जीवन परिचय-पैथोगोरियंस पंथ में कई बातों को निषेध किया गया था. जैसे क्रोसबार पर पैर नहीं पड़ना चाहिए और फलियों को नहीं खाना चाहिए. उनका यह भी मानना था कि सीढियों के नीचे चलना दुर्भाग्यपूर्ण होता है. इन्हीं सब अंधविश्वासों के कारण पाइथागोरस को उस समय समाज के एक वर्ग द्वारा मिस्तिकोस लोगोस जैसे अपमानजनक उपाधि से पुकारा जाने लगा था.

पाइथागोरस का व्यक्तिगत जीवन

पाइथागोरस का जीवन परिचय-पाइथागोरस का विवाह थेनो (Theano) नामक एक महिला से हुआ था. माना जाता है कि ओर्फिक पंथ को मानने वाली थेनो, क्रोटन के स्कूल या मठ में उनकी पहली शिष्या थीं. थेनो एक दार्शनिक थीं और उन्होंने ‘On Virtue’ और ‘Doctrine of Golden Mean’ नामक पुस्तकों की रचना की थी. विभिन्न उपलब्ध स्त्रोतों से ज्ञात होता है कि पाइथागोरस को एक बेटा था जिसका नाम टेलिगास था. एक बेटा के अलावा उनकी तीन बेटियां भी थीं जिनका नाम डामो, अरिग्नोत तथा मयिया था. कुछ स्त्रोतों से उपलब्ध जानकारी के अनुसार उनके संतानों की कुल संख्या सात थीं. पाइथागोरस की दूसरी बेटी अरिग्नोत भी एक विद्वान महिला थीं जिन्होंने ‘The Rites of Dionysus’ और ‘Sacred Discourses’ नामक पुस्तकें लिखी थीं. उनकी तीसरी बेटी मयिया की शादी क्रोटन के प्रसिद्ध पहलवान मिलो से हुई थी. कहा जाता है कि मिलो पाइथागोरस के साथ ही रहता था और उसने एक बार एक दुर्घटना में पाइथागोरस की जान बचाई थी.

पाइथागोरस की मृत्यु

पाइथागोरस का जीवन परिचय-कहा जाता है कि अन्य बुद्धिजीवियों की तरह पाइथागोरस भी मुंहफट थे जिसकी वजह से उन्होंने कईयों को अपना दुश्मन बना लिया था. इन्हीं दुश्मनों में से एक ने एक बार कुछ लोगों को पाइथागोरस के विरुद्ध भड़काकर वह जिस मकान में रुके थे उसमें आग लगवा दिया था. परन्तु इस साजिश में वह बच गए थे. इसके बाद वह क्रोटन छोड़कर मेतापोंतम चले गए. यहीं पर 90 वर्ष की आयु में 495 ईसा पूर्व में उनकी म्रत्यु हो गई थी. हालाँकि उनकी मृत्यु के कारण आज भी अज्ञात हैं परन्तु कहा जाता है कि अग्रिएन्तम और सिराकुसंस समूह के बीच संघर्ष में सिराकुसंस के लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी.

पाइथागोरस की दुनिया को देन

पाइथागोरस का जीवन परिचय-एक गणितज्ञ के रूप में (As a Mathematician) – पाइथागोरस को उनके ज्यामितीय खोज ‘पाइथागोरस का प्रमेय’ के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है. यह प्रमेय वह है जो सिद्ध करता है कि एक समकोण त्रिभुज में समकोण की सामने वाली भुजा का वर्ग अन्य दो भुजाओं के वर्ग के योग के बराबर होता है. हालाँकि इस पर विवाद है क्योंकि ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार इस प्रमेय को काफी पहले बेबिलोनियंस और भारतीयों द्वारा प्रयोग में लाया जाता रहा है. इसके साथ ही पाइथागोरस ने संख्या के सिद्धांत को भी स्पष्ट किया है. उनका मानना था कि जीवन का सम्पूर्ण क्रम संख्याओं द्वारा संचालित होता है. इन सभी संख्याओं की अपनी विशेषता, मजबूती और कमजोरी होती है. उन्होंने संख्या 10 को सम्पूर्ण संख्या माना था. अपने पक्ष के समर्थन में उन्होंने कहा था कि शुरू के चार संख्याओं के जोड़ (1+2+3+4) से 10 आता है और इन चारों संख्या को जब बिंदु अंकन के रूप में रखा जाय तो एक त्रिभुज का निर्माण होता है. पाइथागोरस ज्यामिति को गणित के अध्ययन का सर्वोच्च स्तर मानते थे क्योंकि उनका मानना था कि केवल ज्यामिति के अध्ययन से ही भौतिक दुनिया की व्याख्या की जा सकती है.

पाइथागोरस का जीवन परिचय-धर्म और विज्ञान के क्षेत्र में योगदान (Endowment in Religion and Science) – पाइथागोरस के दृष्टिकोण में धर्म और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं. धार्मिक तौर पर वे स्वयं मेटेम्पसाइकोसिस संप्रदाय के अनुयायी थे. वे आत्माओं के पुनर्जन्म में विश्वास रखते थे. उनका मानना था कि आत्मा को तब तक मुक्ति नहीं मिलती जब तक वह मानव, पशु या फिर पेड़-पौधों में बार-बार पृथ्वी पर जन्म लेती रहती है. पाइथागोरस के इस चिंतन से स्पष्ट है कि वह पुनर्जन्म के मुद्दे पर प्राचीन यूनानी धर्म से प्रभावित थे. वे कहते थे कि उन्हें अपना चार जीवन याद है. उन्होंने कहा था कि विचार की प्रक्रिया दिल में नहीं बल्कि दिमाग में चलती रहती है. पाइथागोरस संख्याओं को जीवन का सार मानते थे. उनका मानना था कि सभी तत्वों की स्थिरता से ही ब्रह्माण्ड बना है. वह कहते थे कि मानव जीवन और शरीर एक स्थिर अनुपात पर निर्भर है. इसमें अगर कुछ ज्यादा हो या फिर कुछ कम हो तो असंतुलन पैदा होता है और मानव शरीर बीमारी से ग्रस्त हो जाता है. मानव जीवन को संतुलित बनाए रखने के लिए वह गणित के अध्ययन को अवश्यंभावी मानते थे.

संगीत के क्षेत्र में योगदान

पाइथागोरस का जीवन परिचय-पाइथागोरस को संगीत में अत्यधिक रूचि थी और वह स्वयं एक बेहतर वीणा वादक भी थे. जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए वह संगीत को अतिआवश्यक मानते थे. परन्तु संगीत में सामंजस्य का अभाव उन्हें खटकता रहता था. इसलिए वह संगीत में सुधार लाना चाहते थे. कहा जाता है कि संगीत की इसी कमी को दूर करने के लिए उन्होंने संगीत के नोट को गणितीय समीकरणों में अनुवाद करने की खोज की थी.



उपरोक्त के अलावा पाइथागोरस यह सोचने वाले भौतिक विज्ञानियो में से एक थे जिन्होंने कहा था कि पृथ्वी गोल है और सभी ग्रह एक केंद्रीय बिंदु के चारों ओर चक्कर लगाते हैं. हालाँकि वह यह पहचानने में असमर्थ थे कि वह केंद्रीय बिंदु सूर्य है.

पाइथागोरस का जीवन परिचय-हालाँकि पाइथागोरस के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है परन्तु जो कुछ भी उपलब्ध हैं उससे इतना तो स्पष्ट होता है कि उनका दर्शन कोई साधारण नहीं था. उनके दर्शन और चिंतन पर भले ही विद्वानों और इतिहासकारों के बीच मतभेद हैं परन्तु इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता कि उनके बाद के यूनानी दार्शनिकों में भी पाइथागोरस के चिंतन की झलक मिलती रही है

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