40 बेहतरीन रोचक तथ्य
उत्तराखण्ड का परिचय – हेल्लो दोस्तों मैं रेनू बघेल तो मैं आज आप लोगो को उत्तराखंड के बारे में बताउंगी तो चलिए शुरू करते है
देवभूमि उत्तराखण्ड हिमालय की तलहटी में अवस्थित है। सुरम्य वनों, हिमनदों व दर्रों (घाटियों) से घिरा उत्तराखंड धार्मिक व नैसर्गिक परिप्रेक्ष्यों में समृद्ध भारतीय राज्य है जो मूलतः कृषि प्रधान है.
साथ में पर्यटनाधारित अर्थव्यवस्था लिये भारत सहित सम्पूर्ण विश्व के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किये रहता है, यहाँ हम जानेंगे उत्तराखण्ड से जुड़े चालीस प्रमुख तथ्यों के बारे में जिनसे अधिकांश उत्तराखण्डी भी अब तक अनभिज्ञ होंगे।
उत्तराखण्ड का परिचय – तात्कालिक स्थिति अनुसार कुछ तथ्यों में यदि कोई संशोधन हुआ हो तो उस तारतम्य में देखें।
- उत्तराखण्ड की स्थापना – भारत के सत्ताईसवें राज्य के रूप में उत्तराखण्ड को 9 नवम्बर 2000 को अविभाजित उत्तर प्रदेश से विभाजित किया गया। 1 जनवरी 2007 से पूर्व इसे उत्तराँचल कहा जाता था।
- कृषि व अर्थव्यवस्था (मुख्य व्यवसाय-व्यापार) – दलहन, तिलहन, चाय प्रमुख फसलें; पशु पालन, कागज़ उद्योग व हस्तशिल्प के लिये वानिकी।
- जलवायु – उष्णकटिबन्धीय मानसूनी विशेषताओं से युक्त एवं शीतोष्ण।
- पर्यटन व तीर्थाटन – रानीखेत, मसूरी, हेमकुण्ड साहिब, शिव का केदारनाथ, विष्णु का बद्रीनाथ, नन्दादेवी पर्वतमाला इत्यादि
- उत्तराखण्ड का परिचय – इतिहास – गुप्त, चंद, पाल, कत्युरी राजवंश, गोरखा व अंग्रेज़ों ने उत्तराखण्ड पर शासन किया. वनसंरक्षण के लिये ‘ चिपको आँदोलन ’ का आरम्भ 1990 के दशक में उत्तराखण्ड में किया गया था। पंचप्रयाग नाम से प्रसिद्ध पाँच अतिपवित्र संगमस्थल भी उत्तराखण्ड में ही हैं.. विष्णुप्रयाग, नन्दप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग एवं देवप्रयाग।
- पौराणिक महत्त्व – चारों छोटे धाम बद्रीनाथ में, विश्व का सबसे ऊँचा शिवमंदिर ‘तुंगनाथ’ तुंगनाथ पर्वत पर पंचकेदार क्षेत्र में अवस्थित है।
- प्रमुख तीज-त्यौहार – उत्तरायणी मेला (बागेश्वर), देवीधुरा मेला (चम्पावत), पूर्णागिरि मेला (चम्पावत), विषु मेला (जौनसार बावर), नन्दादेवी मेला (अल्मोड़ा), हरेला (कुमाऊँ), गौचर मेला (चमौली), गंगा दशहरा व बैशाखी (उत्तरकाशी), माघमेला (उत्तरकाशी), पीरान-कलियार (रुड़की), कुम्भमेला (12वाँ वर्ष), अर्द्धकुम्भ (6वाँ वर्ष), नन्दादेवी राजजात यात्रा (लगभग 12 वर्षों में)
- सिंचाई – यमुना, भागीरथी, भीलांगना, अलकनन्दा, मंदाकिनी, सरयू, गौरी व कोसी सहित काली (शारदा) नदियों से।
- बाँध – स्वामी रामतीर्थ सागर (टिहरी) बाँध भारत का सबसे ऊँचा बाँध है जिसे एक गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदी भागीरथी व भीलांगना नदी के संगम पर बनाया गया था।
- मुख्य नदियाँ – गंगा व यमुना के उद्गमस्थल क्रमश: गंगोत्री व यमुनोत्री, गोमती, रामगंगा, धौली गंगा, गौरी गंगा।
- प्रमुख झीलें – नैनीताल, भीमताल, सातताल, सूखा ताल, नौकुचिया ताल, गरुड़ी ताल, पार्वती ताल, हरीश ताल, श्यामला ताल, गौरीकुण्ड, रूपकुण्ड, नन्दीकुण्ड।
- निर्झर (जलप्रपात) – उत्तराखण्ड में कई झरने हैं, जैसे कि सहस्त्रधारा, भट्टा, झरीपानी, भेलछड़ा, वसुंधरा।
- पहाड़ –उत्तराखंड राज्य के भौगोलिक क्षेत्रफल में 80 प्रतिशत से अधिक भाग पर पहाड़ हैं, नन्दा देवी भारत की सबसे ऊँची चोटी है जो कि पूर्णतया भारत में अवस्थित है जबकि कंचनजंगा तो भारत व नेपाल दोनों में अवस्थित है। इसके अतिरिक्त पंचाचूली (पंचशिरा), सतोपंथ, मुकुट पर्वत।
- कलाएँ –उत्तराखंड में प्राचीन गुफा चित्रकलाएँ, बेंत, बाँस व काष्ठ के शिल्प एवं मूर्तिकला
- पड़ौसी राजकीय सीमाएँ – उत्तराखण्ड उत्तर में तिब्बत से, पूर्व में नेपाल से अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं द्वारा जुड़ा है तथा राज्य के पश्चीमोत्तर में हिमाचल प्रदेश एवं दक्षिण में उत्तरप्रदेश है।
- मुख्य खनिज –उत्तराखंड में उच्चकोटि का चूना-पत्थर, मैग्नेसाइट व स्टीटाइट तथा टंग्स्टन।
- राजधानी – उत्तराखंड देहरादून (अस्थायी राजधानी), ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को राजधानी बनाने की माँग तेज।
- मण्डल – उत्तराखण्ड में दो मण्डल हैं – गढ़वाल (केदारखण्ड) एवं कुमाऊँ (मानसखण्ड), सन् 1854 में कुमाऊँ मण्डल की स्थापना की गयी जिसका मुख्यालय नैनीताल एवं सन् 1969 में गढ़वाल मण्डल स्थापित किया गया जिसका मुख्यालय पौड़ी।
- कुल जिले – कुमाऊँ में 6 जिले (अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत, नैनीताल, पिथौरागढ़, ऊधम सिंह नगर) एवं गढ़वाल में 7 जिले (चमौली, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी)
- वनक्षेत्र –उत्तराखंड के साठ प्रतिशत से अधिक भाग पर वन हैं। राज्य में सर्वाधिक वनक्षेत्र पौड़ी गढ़वाल एवं सबसे कम वनक्षेत्र ऊधम सिंह नगर में है। उत्तराखण्ड में ऊँचाई बढ़ने के साथ वन बढ़ते हैं परन्तु अधिक ऊँचाई बढ़ने के सापेक्ष घटने लगते हैं।
- उत्तराखण्ड में वन-प्रकार –उत्तराखंड में उपोष्ण कटिबन्धीय वन, उष्णकटिबन्धीय शुष्क वन, उष्णकटिबन्धीय आर्द्र पर्णपाती वन, कोणधारी वन, पर्वतीय शीतोष्ण वन, उप एल्पाइन व एल्पाइन वन, घास के मैदान
- वन्यजीव – एशियाई हाथी, हिम-तेन्दुआ, भड़ल (हिमालयी नीली भेड़), चीर फ़ीज़ेण्ट, किंग कोब्ररा, बाघ
- अभयारण्य – अस्कोट अभयारण्य, केदारनाथ अभयारण्य, सोनानदी अभयारण्य, बिन्सर अभयारण्य, मसूरी अभयारण, नन्धौर अभयारण्य, नैनादेवी पक्षी अभयारण्य इत्यादि
- राष्ट्रीय उद्यान – राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, नन्दादेवी राष्ट्रीय उद्यान, गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान, रामगंगा (हैली) राष्ट्रीय उद्यान, गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान
- समस्याएँ – दावानल (जंगल की आग), काष्ठ-तस्करी, बाढ़, भूकम्प
- औद्योगिक नगरी – उत्तराखंड के पंतनगर (वैसे बहुत सारी औद्योगिक इकाइयाँ देहरादून के आसपास भी हैं)
ऊर्जा-संसाधन – कोयला व पेट्रोलियम की कमी के बावजूद अपार जलभण्डार होने से जल-विद्युत् की विपुल सम्भावना, सौर ऊर्जा, जलाऊ लकड़ी
- प्रदूषण-स्तर – उत्तरखंत में चूना-पत्थर के खनन के कारण स्थिति विकराल, स्थानीय परिवहन एवं पर्यटन सम्बन्धी आवागमन से वायु प्रदूषण बड़ी समस्या
- पशुधन – इस राज्य में बकरी व भेड़ पालन मुख्य व्यवसाय
- आधिकारिक भाषाएँ – हिन्दी व संस्कृत (सन् 2010 से द्वितीय राजभाषा संस्कृत है)
- आँचलिक भाषाएँ – उत्तराखंड में कुमाऊँनी एवं गढ़वाली
- लोकभाषाएँ – बंगाणी व जाड़ सहित कुल 13 लोकभाषाएँ
- आदिवासी – राजी, बुक्सा (भोक्सा), थारू, भोटिया (शौका)
- वनौषधियाँ – काफल (मिरिका एस्क्युलाटा), देववृक्ष, प्रूनस सीरेसाइड्स
- प्रमुख वनस्पतियाँ – हल्दू, सेमल, अंजन, बहेड़ा, चीड़, भोजपत्र
- राज्य-पशु – कस्तूरीमृग
- राज्य-पक्षी – हिमालयी मोनाल
- राज्य-पुष्प – ब्रह्मकमल ऊँ बह्मदेवाय नमः
- राज्य-वृक्ष – बुरांश
- राज्य-चिह्न – तीन पर्वत-चोटियाँ एवं उनके मध्य गंगा की चार तरंगें।