सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है में आज आपको सरोजिनी नायडू के बारे में बताने जा रहा हु। सरोजिनी नायडू एक महान कवित्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी. सरोजिनी जी पहली महिला थी जो इंडियन नेशनल कांग्रेस की अध्यक्ष और किसी प्रदेश की गवर्नर बनी थी. सरोजिनी जी बच्चों के उपर विशेष रूप से कविता लिखा करती थी, उनकी हर कविता में एक चुलबुलापन होता था, ऐसा लगता था उनके अंदर का बच्चा अभी भी जीवित है. यही वजह है कि उन्हें ‘भारत की कोकिला’ कहा जाता था. भारत की महान सफल महिलाओं की लिस्ट में सरोजिनी नायडू का नाम सबसे उपर आता है. सरोजिनी जी ने बहुत अच्छे अच्छे कार्य किये इसलिए वे दुनिया के लिए एक बहुमूल्य हीरे से कम नहीं थी. सरोजनी जी हम सब भारतीयों के लिए एक सम्मान का प्रतीक है, भारतीय महिलाओं के लिए वे एक आदर्श है, उनके जन्म दिन को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. आइये इस लेख में हम आपको इनके जीवन के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं.
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सरोजिनी नायडू जीवन परिचय Sarojini Naidu Biography in hindi
पूरा नाम | सरोजिनी चटोपाध्य |
अन्य नाम | भारत की कोकिला |
प्रसिद्धि | कवि एवं स्वतंत्रता संग्रामी |
जन्म | 13 फरवरी 1879 |
जन्म स्थान | हैदराबाद |
उम्र | 70 |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जाति | बंगाली |
धर्म | हिन्दू |
माता-पिता | वारद सुन्दरी देवी , डॉ अघोरनाथ चटोपाध्या |
विवाह | डॉ गोविन्द राजुलू नायडू (1897) |
बेटे-बेटी | पद्मजा, रणधीर, लिलामानी, निलावर, जयसूर्या नायडू |
मृत्यु | 2 मार्च 1949 |
मृत्यु स्थान | लखनऊ |
सरोजिनी नायडू जन्म, परिवार एवं पिता
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-सरोजिनी जी का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ था, उनके पिता वैज्ञानिक व डॉक्टर थे, जो हैदराबाद में रहने लगे थे, जहाँ वे हैदराबाद कॉलेज के एडमिन थे, साथ ही वे इंडियन नेशनल कांग्रेस हैदराबाद के पहले सदस्य भी बने. उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ दिया और आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. सरोजिनी जी की माता वरद सुन्दरी देवी एक लेखिका थी, जो बंगाली में कविता लिखा करती थी. सरोजिनी जी 8 भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी. उनके एक भाई वीरेन्द्रनाथ क्रन्तिकारी थे, जिन्होंने बर्लिन कमिटी बनाने में मुख्य भूमिका निभाई थी. इन्हें 1937 में एक अंग्रेज ने मार डाला था व इनके एक और भाई हरिद्र्नाथ कवी व एक्टर थे.
सरोजिनी नायडू की शिक्षा एवं आरंभिक जीवन
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-सरोजिनी जी बचपन से ही बहुत अच्छी विद्यार्थी रही, उन्हें उर्दू, तेलगु, इंग्लिश, बंगाली सारी भाषओं का बहुत अच्छे से ज्ञान था. 12 साल की उम्र में सरोजिनी जी ने मद्रास यूनिवर्सिटी में मैट्रिक की परीक्षा में टॉप किया था, जिससे उनकी बहुत वाहवाही और नाम हुआ. सरोजिनी जी के पिता चाहते थे, की वे वैज्ञानिक बने या गडित में आगे पढाई करे, लेकिन उनकी रूचि कविता लिखने में थी, वे एक बार अपनी गडित की पुस्तक में 1300 लाइन की कविता लिख डालती, जिसे उनके पिता देख अचंभित हो जाते है और वे इसकी कॉपी बनवाकर सब जगह बंटवाते है. वे उसे हैदराबाद के नबाब को भी दिखाते है, जिसे देख वे बहुत खुश होते है और सरोजिनी जी को विदेश में पढने के लिए स्कालरशिप देते है. इसके बाद वे आगे की पढाई के लिए लन्दन के किंग कॉलेज चली गई, इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के गिरतों कॉलेज से पढाई की. कॉलेज में पढाई के दौरान भी सरोजिनी जी की रूचि कविता पढने व लिखने में थी, ये रूचि उन्हें उनकी माता से विरासत में मिली थी
सरोजिनी नायडू की शादी, पति, एवं बच्चे
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-कॉलेज की पढाई के दौरान सरोजिनी जी की मुलाकात डॉ गोविन्द राजुलू नायडू से हुई, कॉलेज के ख़त्म होने तक दोनों एक दुसरे के करीब आ चुके थे. 19 साल की उम्र में पढाई ख़त्म करने के बाद सरोजिनी जी ने अपनी पसंद से 1897 में दूसरी कास्ट में शादी कर ली, उस समय अन्य जाति में शादी करना एक गुनाह से कम नहीं था, समाज की चिंता ना करते हुए उनके पिता ने अपनी बेटी की शादी को मान लिया. उनके 4 बच्चे हुए, जिसमें उनकी बेटी पद्मजा सरोजिनी जी की तरह कवित्री बनी और साथ ही राजनीती में उतरी और 1961 में पश्चिम बंगाल की गवर्नर बनी.
सरोजिनी नायडू की प्रसिद्ध कवितायें
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-सरोजिनी जी ने शादी के बाद भी अपना काम जारी रखा, वे बहुत सुंदर सुंदर कविता लिखा करती थी, जिसे लोग गाने के रूप में गाते थे. 1905 में उनकी कविता बुलबुले हिन्द प्रकाशित हुई, जिसके बाद उन्हें सब जानने पहचानने लगे. इसके बाद से लगातार उनकी कविता प्रकाशित होने लगी और बहुत से लोग उनके प्रशंशक बन गए, इस लिस्ट में जवाहरलाल नेहरु, रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान लोग भी थे. वे इंग्लिश में भी अपनी कविता लिखा करती थी, लेकिन उनकी कविताओं में भारतीयता झलकती थी.
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-सरोजिनी नायडू जी की प्रसिद्द कविताओं में दमयन्ती टू नाला इन द आवर ऑफ एक्साइल, एक्स्टेसी, इंडियन डांसर, द इंडियन, इंडियन लव-सॉन्ग, इंडियन वेवर्स, दि फारेस्ट, राममुराथम, नाइटफॉल सिटी इन हैदराबाद, पालक्विन बेयरर्स, सती, द सोल प्रेयर ,स्ट्रीट क्राइज आदि शामिल है. जोकि उस समय बहुत अधिक लोकप्रिय रहा था.
सरोजिनी नायडू स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-एक दिन सरोजिनी जी गोपाल कृष्ण गोखले से मिली, उन्होंने सरोजिनी जी को बोला, कि वे अपनी कविताओं में क्रांतिकारीपन लायें और सुंदर शब्दों से स्वतंत्रता की लड़ाई में साथ देने के लिए छोटे छोटे गाँव के लोगों को प्रोत्साहित करें. 1916 में वे महात्मा गाँधी से मिली, जिसके बाद से उनकी सोच पूरी तरह से बदल गई, उन्होंने अपनी पूरी ताकत देश को आजाद कराने में लगा दी. इसके बाद वे पुरे देश में घूमी, मानों किसी सेना का सेनापति निरक्षण में गया हो, जहाँ जहाँ वे गई वहां उन्होंने लोगों को देश की आजादी के लिए ललक जगाई. देश की आजादी उनके दिल व आत्मा में भर चुकी थी. उन्होंने देश में औरतों को मुख्य रूप से जगाया, उस समय औरतें बहुत पीछे हुआ करती थी, बहुत सी प्रथाओं में जकड़ी हुई थी, लेकिन सरोजिनी जी ने उन औरतों को उनके अधिकार के बारे में बताया, उन्हें रसोईघर से बाहर निकाला और देश की आजादी की लड़ाई में आगे आने को प्रोत्साहित किया. वे देश के अलग अलग प्रदेश, शहर, गाँव में जाती और औरतों को समझाती थी.
सरोजिनी नायडू राजनितिक करियर
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-1925 में सरोजिनी जी कानपूर से इंडियन नेशनल कांग्रेस की अध्यक्ष बनने के लिए खड़ी हुई और जीत कर पहली महिला अध्यक्ष बन गई. 1928 में सरोजिनी जी USA से आई और गांधीजी के अहिंसावादी बातों को माना और उसे लोगों तक पहुँचाया. 1930 में सरोजिनी जी ने गुजरात में गांधीजी के नमक सत्याग्रह में मुख्य भूमिका निभाई थी. 1930 में जब गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया था, तब सरोजिनी जी ने ही गांधीजी की जगह काम किया और कमान संभाली थी. 1942 में गाँधीजी के भारत छोड़ो आन्दोलन में उनकी मुख्य भूमिका थी, उन्हें गांधीजी के साथ 21 महीनों तक जेल में भी डाला गया.
सरोजिनी नायडू को मिले पुरस्कार एवं उपलब्धियां
- सरोजिनी नायडू पहली महिला थी जोकि इंडियन नेशनल कांग्रेस की अध्यक्ष और किसी राज्य की राज्यपाल बनी थी.
- सन 1928 में सरोजिनी नायडू जी को हिन्द केसरी पदक से सम्मानित किया गया था.
- सरोजिनी नायडू को मिले अवार्ड की सूची में द गोल्डन थ्रेसहोल्ड, द बर्ड ऑफ टाइम, द ब्रोकेन विंग्स, द स्पेक्ट्रड फ्लूट: सांग्स ऑफ इंडिया आदि नाम शामिल है.
- यहाँ तक कि सरोजिनी जी ने मुहम्मद अली जिन्ना की जीवनी को हिंदू-मुस्लिम एकता के राजदूत का शीर्षक भी दिया.
- सरोजिनी नायडू को ‘भारत की कोकिला’ क्यों कहा जाता था
- सरोजिनी नायडू जी को भारत की कोकिला नाम भारत के लोगों ने ही दिया था. और यह नाम उन्हें उनकी सुरीली आवाज में अपनी कविताओं का पाठ पढ़ने के लिए दिया गया था. उनकी कविताओं में एक अलग तरह का भाव होता था जोकि लोगों को काफी प्रभावित करता था. और लोग इसे बेहद पसंद करते थे.
- सरोजिनी नायडू की मृत्यु
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-1947 में देश की आजादी के बाद सरोजनी जी को उत्तर प्रदेश का गवर्नर बनाया गया, वे पहली महिला गवर्नर थी . 2 मार्च 1949 को ऑफिस में काम करते हुए उन्हें हार्टअटैक आया और वे चल बसी. सरोजनी जी भारत देश की सभी औरतों के लिए आदर्श का प्रतीक है, वे एक सशक्त महिला थी, जिनसे हमें प्रेरणा मिलती है.
सरोजिनी नायडू जयंती
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-सरोजिनी नायडू जी ने स्वतंत्रता संग्राम सैनानी के रूप में महिलाओं एवं बच्चों के लिए बेहद अहम् कार्य किये थे. यही वजह है कि उनका नाम उस दौरान काफी चर्चित रहा था. सरोजिनी नायडू एक महिला होते हुए भी एक राज्य की राज्यपाल बनी थी. इसलिए उनके जन्मदिवस के दिन को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन आज भी लोग महिलाओं को समर्पित कर मनाते हैं.
निष्कर्ष
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय-सरोजिनी नायडू महिलाओं के बीच एक चेहरा रही है. जिसने महिलाओं की आवाज ऊँची की. सरोजिनी जी की कवितायेँ उस दौरान इतनी प्रसिद्द हुई कि लोगों ने उनका नाम ही बदल दिया. सरोजिनी नायडू हमारे देश का एक बहुत ही चमका हुआ सितारा रही है. जिन्हें लोग आज भी सम्मान के साथ याद करते है.
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