रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है में आज आपको रामकृष्ण परमहंस के बारे में बताने जा रहा हु। रामकृष्ण परमहंस भारत के बहुत प्रसिद्ध संत में से एक हैं. स्वामी विवेकानंद जी इनके विचारों से प्रेरित थे, इसी कारण विवेकानंद जी ने इन्हें अपना गुरु माना और इनके विचारों को गति प्रदान करने के लिए रामकृष्ण मठ की स्थापना की, जो कि बेलूर मठ के द्वारा संचालित हैं. रामकृष्ण मठ और मिशन नामक यह संस्था जन मानुष के कल्याण के लिए एवं उनके आध्यात्मिक विकास के लिए दुनियाँ भर में काम करती हैं.
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रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय Ramakrishna Paramhans Biography in Hindi
असली नाम | गदाधर |
जन्म मृत्यु | सन 1836 – सन 1886 |
पिता | खुदीराम |
पत्नी | शारदा मणि |
कर्म | संत. उपदेशक |
कर्म स्थान | कलकत्ता |
शिष्य | स्वामी विवेकानंद |
अनुयायी | केशवचंद्र सेन, विजयकृष्ण गोस्वामी, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, बंकिमचंद्र चटर्जी, अश्विनी कुमार दत्त |
रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय-रामकृष्ण परमहंस जी एक महान विचारक थे, जिनके विचारों को स्वयं विवेकानंद जी ने पूरी दुनियाँ में फैलाया. राम कृष्ण परमहंस जी ने सभी धर्मो को एक बताया. उनका मानना था सभी धर्मो का आधार प्रेम. न्याय और परहित ही हैं. उन्होंने एकता का प्रचार किया. राम कृष्ण परमहंस जी का जन्म सन 1836 में हुआ था. बाल्यकाल में इन्हें लोग गदाधर के नाम से जानते थे. यह एक ब्राह्मण परिवार से थे. इनका परिवार बहुत गरीब था लेकिन इनमे आस्था. सद्भावना. एवं धर्म के प्रति अपार श्रद्धा एवम प्रेम था.
रामकृष्ण परमहंस के विचार
रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय-राम कृष्ण परमहंस जी के विचारों पर उनके पिता की छाया थी. उनके पिता धर्मपरायण सरल स्वभाव के व्यक्ति थे. यही सारे गुण राम कृष्ण परमहंस जी में भी व्याप्त थे. उन्होंने परमहंस की उपाधि प्राप्त की और मनुष्य जाति को अध्यात्म का ज्ञान दिया. इन्होने सभी धर्मो को एक बताया. इनके विचारों से कई लोग प्रेरित हुए, जिन्होंने आगे चलकर इनका नाम और अधिक बढ़ाया.
रामकृष्ण परमहंस विवाह, पत्नी एवं मां काली की भक्ति
रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय-राम कृष्ण परमहंस जी देवी काली के प्रचंड भक्त थे. उन्होंने अपने आपको देवी काली को समर्पित कर दिया था. रामकृष्ण परमहंस जी का भले ही बाल विवाह शारदामणि से हुआ था, लेकिन इनके मन में स्त्री को लेकर केवल एक माता भक्ति का ही भाव था, इनके मन में सांसारिक जीवन के प्रति कोई उत्साह नहीं था, इसलिए ही सत्रह वर्ष की उम्र में इन्होने घर छोड़कर स्वयं को माँ काली के चरणों में सौंप दिया. यह दिन रात साधना में लीन रहते थे. इनकी भक्ति को देख सभी अचरज में रहते थे. इनका कहना था कि माँ काली इनसे मिलने आती हैं. वे उन्हें अपने हाथों से भोजन कराते हैं. जब भी माँ काली उनके पास से जाती वे तड़पने लगते और एक बच्चे की भांति अपनी माँ की याद में रुदन करते. उनकी इसी भक्ति के कारण वे पूरी गाँव में प्रसिद्द थे. लोग दूर- दुर से उनके दर्शन को आते थे और वे स्वयं दिन रात माँ काली की भक्ति में रहते थे.
संत से परमहंस बनने तक की कहानी एवं उनके गुरु
रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय-रामकृष्ण जी एक संत थे और उन्हें परमहंस की उपाधि मिली थी. दरअसल परमहंस एक उपाधि हैं यह उन्ही को मिलती हैं, जिनमे अपनी इन्द्रियों को वश में करने की शक्ति हो. जिनमे असीम ज्ञान हो, यही उपाधि रामकृष्ण जी को प्राप्त हुई और वे रामकृष्ण परमहंस कहलाये, हालांकि रामकृष्ण जी के परमहंस उपाधि प्राप्त करने के पीछे कई कहानियाँ हैं.
रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय-रामकृष्ण एक प्रचंड काली भक्त थे, जो माँ काली से एक पुत्र की भांति जुड़े हुए थे, जिनसे उन्हें अलग कर पाना नामुमकिन था. जब रामकृष्ण माता काली के ध्यान में जाते और उनके संपर्क में रहते, तो वे नाचने लगते. गाने लगते और झूम- झूम कर अपने उत्साह को दिखाते, लेकिन जैसी ही संपर्क टूटता, वो एक बच्चे की तरह विलाप करने लगते और धरती पर लोट पोट करने लगते. उनकी इस भक्ति के चर्चे सभी जगह थे. उनके बारे में सुनकर संत तोताराम जो, कि एक महान संत थे, वो रामकृष्ण जी से मिलने आये और उन्होंने स्वयं रामकृष्ण जी को काली भक्ति में लीन देखा. तोताराम जी ने रामकृष्ण जी को बहुत समझाया, कि उनमे असीम शक्तियाँ हैं, जो तब ही जागृत हो सकती हैं, जब वे अपने आप पर नियंत्रण रखे. अपनी इन्द्रियों पर अपना नियंत्रण रखे, लेकिन रामकृष्ण जी अपनी काली माँ के प्रति अपने प्रेम को नियंत्रित करने में असमर्थ थे.
रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय- तोताराम जी उन्हें कई तरह से मनाते, लेकिन वे एक ना सुनते. तब तोताराम जी ने रामकृष्ण जी से कहा, कि अब जब भी तुम माँ काली के संपर्क में आओ, तुम एक तलवार से उनके तुकडे कर देना. तब रामकृष्ण ने पूछा मुझे तलवार कैसे मिलेगी ? तब तोताराम जी ने कहा – अगर तुम अपनी साधना से माँ काली को बना सकते हो. उनसे बाते कर सकते हो. उन्हें भोजन खिला सकते हो. तब तुम तलवार भी बना सकते हो. अगली बार तुम्हे यही करना होगा. अगली बार जब रामकृष्ण जी ने माँ काली से संपर्क किया तब वे यह नहीं कर पाए और वे पुनः अपने प्रेम में लीन हो गए. जब वे साधना से बाहर आये, तब तोताराम जी ने उनसे कहा कि तुमने क्यूँ नहीं किया. तब फिर से उन्होंने कहा कि अगली बार जब तुम साधना में जाओगे, तब मैं तुम्हारे शरीर पर गहरा आघात करूँगा और उस रक्त से तुम तलवार बनाकर माँ काली पर वार करना. अगली बार जब रामकृष्ण जी साधना में लीन हुए. तब तोताराम जी ने रामकृष्ण जी के मस्तक पर गहरा आघात किया, जिससे उन्होंने तलवार बनाई और माँ काली पर वार किया. इस तरह संत तोताराम जी ने रामकृष्ण जी को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण करना सिखाया. और तब से संत तोताराम जी रामकृष्ण जी के गुरु हो गए.
रामकृष्ण परमहंस एवं स्वामी विवेकानंद
रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय-रामकृष्ण जी ने कई सिद्धियों को प्राप्त किया. अपनी इन्द्रियों को अपने वश में किया और एक महान विचारक एवं उपदेशक के रूप में कई लोगो को प्रेरित किया. उन्होंने निराकार ईश्वर की उपासना पर जोर दिया. मूर्ति पूजा को व्यर्थ बताया. उनके ज्ञान के प्रकाश के कारण ही इन्होने नरेंद्र नाम के साधारण बालक जो कि आध्यात्म से बहुत दूर तर्क में विश्वास रखने वाला था, को आध्यात्म का ज्ञान कराया. ईश्वर की शक्ति से मिलान करवाया और उसे नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद बनाया. राष्ट्र को एक ऐसा पुत्र दिया, जिसने राष्ट्र को सीमा के परे सम्मान दिलाया. जिसने युवावर्ग को जगाया और रामकृष्ण मिशन की स्थापना कर देश जागरूकता का अभियान चलाया और अपने गुरु को गुरुभक्ति दी.
रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु कैसे हुई
राम कृष्ण परमहंस जी को गले का रोग हो जान के कारण इन्होने सन 1886 को अपने शरीर को छोड़ दिया और मृत्यु को प्राप्त हुए. इनके अनमोल वचनों ने कई महान व्यक्तियों को जन्म दिया.
रामकृष्ण परमहंस की अमृतवाणी एवं अनमोल वचन
ख़राब आईने में जैसे सूर्य की छवि दिखाई नहीं पड़ती. वैस ही ख़राब मन में भगवान की मूरत नहीं बनती.
- धर्म सभी समान हैं. वे सभी ईश्वर प्राप्ति का रास्ता दिखाते हैं.
- अगर मार्ग में कोई दुविधा ना आये तब समझना की राह गलत हैं.
- जब तक देश में व्यक्ति भूखा और निसहाय हैं. तब तक देश का हर एक व्यक्ति गद्दार हैं.
- विषयक ज्ञान मनुष्य की बुद्धि को सीमा में बांध देता हैं और उन्हें अभिमानी भी बनाता हैं.
राम कृष्ण परमहंस के कई ऐसे अनमोल वचन हैं जो मनुष्य को जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं.
रामकृष्ण परमहंस जयंती कब मनाई जाती हैं
रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय-हिंदू कैलेंडर के अनुसार रामकृष्ण जयंती फाल्गुन द्वितीय तिथी शुक्ल पक्ष विक्रम संवत् 1892. जब श्री रामकृष्ण का जन्म हुआ था. तो प्रति वर्ष मनाई जाती हैं. इस प्रकार इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार यह रामकृष्ण जयंती फरवरी अथवा मार्च में मनाई जाती हैं.
रामकृष्ण परमहंस जयंती 2024
इस साल यानि 2023 में रामकृष्ण परमहंस जयंती (18 फरवरी, 2023) को मनाई जाएगी
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