Thursday, May 2, 2024
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पुरी में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास क्या है- Konark Surya Mandir History in hindi

पुरी में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास और रहस्य क्या है, किसने बनवाया, Konark Surya Mandir Temple History in hindi, Magnet bermuda triangle mystery, Facts, Architecture

कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास क्या है: कोणार्क सूर्य मंदिर भारतीय राज्य ओडिशा में स्थित एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और सूर्यक्षेत्र या सूर्यमंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है और यह विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त है।

कोणार्क सूर्य मंदिर 13वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह मंदिर खगोलशास्त्र, ज्योतिष और वास्तुकला के साथ-साथ अद्वितीय और भव्य शिल्पकला का उदाहरण है। मंदिर की मुख्य विशेषताओं में उसकी चारमुखी विमान, जो सूर्य की चार प्रमुख दिशाओं को प्रतिनिधित्व करती है, शामिल है। मंदिर का मुख्य दर्शनीय अंश सूर्य रथ है, जिसे रथ यात्रा की भावना के साथ बनाया गया है और जो मंदिर के पास स्थित है। इस रथ में सूर्य देव की मूर्ति रथ के पीछे खींची जाती थी, लेकिन अब यह मूर्ति हरिजनों के द्वारा खींची नहीं जाती है। कोणार्क सूर्य मंदिर ने समय के साथ कई नापाक कारणों से क्षति उठाई है, लेकिन यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल रहा है और भारतीय संस्कृति और कला का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कोणार्क का रहस्यमई सूर्य मंदिर कहां पर स्थित है ?

कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास क्या है कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के ओडिशा राज्य में स्थित है। यह मंदिर ओडिशा के पूर्वी किनारे पर आकाशगंगा नदी के किनारे, कोणार्क नगर स्थित है। यह बीजिन्ग पटना (आज की ब्याजनगर) के बीच की समूची दूरी पर स्थित है, लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर। कोणार्क सूर्य मंदिर हिन्दू धर्म के दिव्यतम और सुंदर मंदिरों में से एक है और यहाँ की विशेषता उसकी भव्य शिल्पकला, खगोलशास्त्र, और वास्तुकला में है। यह मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। Konark Surya Mandir History in hindi

कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास एवं इसकी वस्तु कला किस प्रकार है ?

कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास क्या है- मंदिर की शिल्पकला अत्यंत सुंदर है। परिशीलित शिल्पकला के द्वारा बनाए गए खगोलशास्त्र, ज्योतिष, और धार्मिक अवदान का प्रदर्शन किया गया है। मंदिर के पास स्थित सूर्यरथ (चारिओत) भी एक अद्वितीय कृति है। इसमें सूर्य देव की मूर्ति रथ के पीछे खींची जाती थी, लेकिन अब यह मूर्ति हरिजनों के द्वारा खींची नहीं जाती है।

मंदिर में विभिन्न देवताओं की अनेक मूर्तियाँ हैं, जिनमें सूर्य देव की मूर्ति सबसे प्रमुख है। यह मूर्तियाँ अत्यंत सुंदर और विस्तारपूर्ण हैं। मंदिर की आर्किटेक्चर भी उनकी विशेषता का प्रमुख कारण है। मुख्य गोपुरम और उसके चारों दिशाओं की गोपुरम्स, मंदिर की बड़ी सांविदा सुंदरता को प्रकट करते हैं। मंदिर का निर्माण खगोलशास्त्र और ज्योतिष के नियमों के अनुसार किया गया था, जिससे सूर्य की दिशाएँ और महत्वपूर्ण ग्रहों का प्रतिनिधित्व किया गया है।

कोणार्क सूर्य मंदिर 

कोणार्क सूर्य मंदिर 13वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा नरसिंह देव द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और दुनिया के सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और शिल्पकारी के लिए जाना जाता है। मंदिर का निर्माण काले ग्रेनाइट से किया गया है और यह एक विशाल रथ के आकार का है। मंदिर के चारों ओर 24 रथ के पहिये हैं और मंदिर के ऊपर एक विशाल ध्वजस्तंभ है। मंदिर की दीवारों और छतों पर भगवान सूर्य और अन्य देवताओं की मूर्तियां और शिल्पकारी उकेरी गई है

मंदिर को 15वीं शताब्दी में एक मुस्लिम आक्रमण के दौरान नष्ट कर दिया गया था, लेकिन बाद में इसे फिर से बनाया गया था। आज, मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और इसे भारत के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता है। कोणार्क सूर्य मंदिर एक अद्भुत और प्राचीन मंदिर है जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और शिल्पकारी के लिए जाना जाता है। यह मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और इसे भारत के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता है।

कोणार्क मंदिर के बारे में पौराणिक कथाएं क्या कहती हैं ?

समुद्रराज वाणर और नारद कथा

कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास क्या है एक प्रमुख पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्रराज वाणर नामक एक राजा थे जो सूर्य देव के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने बहुत वर्षों तक भगवान सूर्य की उपासना की और उनकी प्रसन्नता पाई। एक दिन वाणर राजा ने सूर्य देव से वर मांगा कि वह उनकी विगतिकल्पित मंदिर की रचना करें। सूर्य देव ने वाणर राज की प्रार्थना स्वीकार की और उनकी उपासना के लिए खगोलशास्त्र और वास्तुकला की मदद से एक मंदिर बनाने का निर्णय लिया। मंदिर का निर्माण कष्टकर हुआ और उसकी रचना बहमिणी वंश के राजा नारसिंहदेव ने करवाई।

सूर्य देव की श्राप कथा

एक और कथा के अनुसार, सूर्य देव की एक गर्मिष्ठ दिन में एक ऋषि नामक बैकुंठनाथ ने उनके पास आकर रात्रि के लिए ठंडा पानी मांगा। सूर्य देव ने उसे अपने दर्शन से तथा अपने प्रकार से दिन को रात्रि बनाने की वर्ता दी। ऋषि नारसिंहदेव ने उस दिन से कोणार्क के सूर्य मंदिर की रचना करने का आदर किया, जिसका परिणामस्वरूप यह मंदिर बनाया गया। ये कथाएं आदिकाल से प्रसिद्ध हैं और कोणार्क सूर्य मंदिर के निर्माण के पीछे उसके महत्वपूर्णता और पौराणिक महत्व को दर्शाती हैं।

कोणार्क सूर्य मंदिर रहस्य PHOTO

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भारत के इस मंदिर को समुद्री यात्री कहते थे 'ब्लैक पगोडा', वजह अब तक बनी है  रहस्य - Interesting And Strange Facts About Konark Sun Temple Mystery -  Amar Ujala Hindi News Live

Interesting and strange facts about konark sun temple mystery

Q:- कोणार्क सूर्य मंदिर किस राजा ने बनवाया था?

कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 1250 ई. में पूर्वी गंगा राजा नरसिम्हादेव-1 के शासनकाल के दौरान पत्थर से एक विशाल  अलंकृत रथ के रूप में किया गया था, जो सूर्य देव को समर्पित था।

Q:- कोणार्क मंदिर को किसने नष्ट किया?

सुल्तान सुलेमान कर्रानी ने

Q:- कोणार्क मंदिर का दूसरा नाम क्या है?

बिरंचि-नारायण
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