पिठोरी व पोलाला अमावस्या पूजा-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको पिठोरी व पोलाला अमावस्या के बारे में बताने जा रहा हूँ पिठोरी अमावस्या के दिन विवाहिता औरतें अपने बच्चों एवं पति के लिए ये व्रत रखती है. यह त्यौहार उत्तरी भारत के कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है. देश के कुछ जगहों पर इसे सावन महिना का ही दिन माना जाता है. आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में पिठोरी अमावस्या को पोलाला अमावस्या कहते है
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पिठोरी अमावस्या व पोलाला अमावस्या 2023 कब है
पिठोरी अमावस्या भादों महीने की अमावस्या के दिन आती है. यह 15 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन माता दुर्गा की पूजा की जाती है
पिठोरी अमावस्या की तिथि
पिठोरी अमावस्या की तिथि 14 सितंबर को दोपहर 04:51 बजे से शुरू हो कर 15 सितंबर को शाम 07:12 बजे तक की है.
पिठोरी अमावस्या का महत्व
पिठोरी व पोलाला अमावस्या पूजा-पिठोरी अमावस्या व्रत का महत्व और उसके बारे में सबसे पहले माता पार्वती ने बताया था. उन्होंने स्वर्गलोक के देव राजा इंद्र की पत्नी को इसके बारे में बताया था. माता पार्वती ने बताया था कि इस व्रत के रखने से जीवन में बच्चों को सुख समृद्धि मिलती है, वे बहादुर बनते है.
पिठोरी अमावस्या पूजा विधि
- यह व्रत शादीशुदा औरतें, विशेषकर जिनके बच्चे होते है, वे माँ ये व्रत रखती है.
- व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर, पवित्र नदी में स्नान किया जाता है, फिर सूर्य को जल को चढ़ाया जाता है, रोज की पूजा की जाती है.
- अमावस्या को पितरों का दिन कहा जाता है, इसलिए इस दिन पिंड दान एवं तर्पण करें. श्राद्ध महालय पक्ष महत्व,पितृ मोक्ष अमावस्या के बारे में जानने के लिए पढ़े.
- गरीबों एवं जरूरतमंदों को अन्य दान, छाता, शाल, चप्पल का दान करें.
- हो सके तो पूरी, सब्जी एवं हलुआ को बनाकर गरीबों, मुख्य रूप से बच्चों को खिलाये.
- इस दिन वे 64 देवीओं की पूजा आराधना करते है. उनसे अपने बच्चों एवं परिवार की खुशहाली के लिए प्राथना करते है, लम्बी आयु की प्राथना की जाती है. वैसे हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हिन्दुओ के 35 करोड़ देवी देवता है.
- पीठ मतलब आटा होता है, जिसे खाकर मनुष्य को जीवन मिलता है, वो अपना पेट भरता है. इस आटे का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व होता है.
- इसी आटे से 64 देवीओं की प्रतिमा बनाई जाती है. और फिर उसकी पूजा की जाती है. इन्हें अपनी इच्छा अनुसार छोटा बड़ा बना सकते है. इन्हें चाहें तो कलर कर भी कर सकते है, एवं वस्त्र पहनाएं.
- कुछ क्षेत्रों में देवी दुर्गा को योगिनी के रूप में पूजा की जाती है. इसलिए हर एक पीठ एक योगिनी को दर्शाता है. इस तरह 64 योगिनी है, जिनकी पूजा की जाती है.
- इन सभी 64 देवी की प्रतिमाओं को एक साथ एक जगह, किसी चौकी या पटे पर रखा जाता है.
- जेवर पहनाने के लिए, बेसन को गूथकर, आटा तैयार करें. अब इससे गले का, मांग टिका, चूड़ी, कान के बाले बनाकर देवी को पहनाएं.
- फूलों से पूजा वाले स्थान को सजाएँ. देवियों की प्रतिमा के उपर फूलों का छत्र बनायें.
- पूजा में प्रसाद के लिए पकवान बनाये जाते है. पूरम पोली, गुझिया, शक्कर पारे, गुड़ के पारे, मठरी, बनाई जाती है.
- कई लोग अपने घर में अलग से पूजा नहीं करते है, मोहल्ले में एक जगह इक्कठा होकर पूजा करते है.
- शाम को इसकी पूजा होती है, देवी की प्रतिमा को सुहाग का समान चढ़ाया जाता है. साड़ी ब्लाउज चढ़ाया जाता है.
- पूरी विधि-विधान से पूजा करने के बाद आरती करते है, और फिर पंडित जी को सबसे पहले प्रसाद के रूप से पकवान देते है. अपने से बड़ों को पकवान देकर पैर छुए जाते है.
- पंडितों को खाना खिलाया जाता है.
पिठोरी अमावस्या
पिठोरी व पोलाला अमावस्या पूजा-पिठोरी अमावस्या के दिन सप्तमातृका की भी पूजा की जाती है. सप्तमातृका 7 दिव्य माताओं से मिल कर बनी है, जो शिव और शक्ति के द्वारा उत्पन्न हुई थी. सात देविओं के नाम है –
1. | ब्राह्मणी |
2. | वैष्णवी |
3. | महेश्वरी |
4. | कुमारी |
5. | वाराही |
6. | इन्द्राणी |
7. | चामुंडी |
पिठोरी व पोलाला अमावस्या पूजा-इन प्रत्येक देवियों के साथ कोई न कोई किंवदंति जुड़ी हुई है, जिसका उल्लेख कुरमा पुराण, वराह पुराण और महाभारत में भी किया गया है. महाभारत के बारे में हिंदी में यहाँ पढ़ें. भगवान् शिव के द्वारा एक महान शक्ति ‘योगेश्वरी’ को उत्पन्न किया गया था, जिसे सात देविओं के बाद आठवां स्थान मिला. पिठोरी अमावस्या के दिन 64 योगनी एवं सप्तमातृका की पूजा की जाती है.
पिठोरा अमावस्या के दिन व्रत रखने से बच्चे स्वस्थ, बुद्धिमान एवं बहादुर होते है. औरतें एक जगह इकट्ठी होकर, तरह तरह का प्रसाद बनाती है और फिर चढ़ाती है. पिठोरी अमावस्या के दिन काली रात होती है, लेकिन इस दिन आसमान में लाखों करोड़ों तारे छाए हुए रहते है. मानों ऐसा लगता है कि किसी ने गेहूं का आटा आसमान में उड़ा दिया है, और वो तारों कर रूप में दिखाई दे रहा है. एक यह भी कारण है कि इसे पिठोरी अमावस्या कहते है
पोलाला अमावस्या
पिठोरी व पोलाला अमावस्या पूजा-पोलाला अमावस्या को मुख्यतः आंध्रप्रदेश, ओड़िसा, कर्नाटका एवं तमिलनाडु में मनाया जाता है. इस दिन भगवान् पोलेराम्मा की पूजा की जाती है. वहां इसे सावन महीने की अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. पोलेराम्मा वहां स्थानीय भगवान् है, जिन्हें भगवान् शक्ति या दुर्गा का रूप माना जाता है. इस व्रत को आंध्रप्रदेश एवं कर्नाटका के कुछ हिस्सों में रखा जाता है. उत्तरी भारत के लोग इसे श्रावण अमावस्या के रूप में मनाते है. पोलेराम्मा को बच्चों का रक्षक माना जाता है.
पोलाला अमावस्या पूजा विधि
इस दिन औरतें, जल्दी उठ घर की साफ़ सफाई करती है, पवित्र नदी में स्नान करती है.
पोलाला अमावस्या का व्रत विवाहिता औरतें, मुख्य रूप से माँ अपने बच्चों में लिखे रखती है.
पिठोरी व पोलाला अमावस्या पूजा-इस व्रत को रखने से पोलेराम्मा उनके बच्चों की रक्षा करती है. मुख्य रूप से छोटी माता (Small pox) एवं बड़ी माता (Chicken pox) जैसी भयानक बीमारियों से उनकी रक्षा होती है. बरसात के समय वायरल और तरह तरह की बीमारियों बच्चों को जल्दी अपनी गिरफ्त में ले लेती है, इन बीमारियों से बचने के लिए ये व्रत रखते है. चेचक, स्माल पॉक्स के दाग दूर करने के घरेलु उपाय यहाँ पढ़ें.
इस दिन प्रसाद के रूप में थालिगालू प्रवंनाम (चावल के आते की सेवई को,नारियल के दूध के साथ बनाते है) एवं बिल्ला कुदुमुलू (चावल के आते की रोटी) को बनाया जाता है.
पोलेराम्मा की फोटो को पूजा वाले स्थान में रखते है, फिर विधि-विधान से इनकी पूजा की जाती है.
पोलेराम्मा के रूप में सुरन (एक तरह की सब्जी) की पूजा की जाती है.
पूजा के समय दुर्गा चालीसा को 108 बार पढ़ा जाता है.
रक्षा सूत्र को देवी के चरणों में चढ़ाया जाता है, फिर इसे माँ खुद को एवं अपने बच्चों को इसे बांधती है.
इस व्रत के दिन अगर आपका लड़का है, तो चना दाल और गुड़ को मिलाकर लड्डू बनाये जाते है, और फिर उसे प्रसाद के रूप में चढ़ाकर बच्चों को खिलाते है.
अगर लड़की होती है तो उड़द दाल के वडा बना कर चढ़ाया जाता है.
पोलाला अमावस्या कथा
पिठोरी व पोलाला अमावस्या पूजा-एक बार एक औरत का बच्चा बहुत बीमार हो जाता है, उसको कोई भयानक बीमारी घेर लेती है. औरत बहुत गरीब होती, उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं होते है. लेकिन वह अपने बच्चे से बहुत प्यार करती है, वो किसी भी तरह अपने बेटे को ठीक देखना चाहती है. एक दिन मंदिर में बैठी वह रो रही थी, तभी वहां से एक बूढ़ी औरत निकली उसने, उस औरत से रोने का कारण पुछा. तब उस औरत ने उस बूढ़ी अम्मा को सब बताया. उस बूढ़ी अम्मा ने उसे पोलाला अमावस्या के बारे में बताया. और पोलेराम्मा देवी एवं उनके व्रत के बारे में विस्तार से बताया.
पोलाला अमावस्या अगले दिन ही थी, जिसे उस औरत ने पुरे विधि विधान से उस व्रत को रखा. मृत्युशैया में लेटा उसका बेटा, व्रत के अगले दिन ही झट खड़ा हो गया और इस तरह पोलेराम्मा के व्रत से उस औरत को उसका बच्चा मिल गया.
FAQ
Q : पिठोरी अमावस्या क्या है ?
Ans : भादों महीने की अमावस्या को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है.
Q : पिठोरी अमावस्या सन 2023 में कब है ?
Ans : 15 सितंबर को
Q : पिठोरी अमावस्या की तिथि क्या है ?
Ans : 14 सितंबर को 4:51 से शुरू हो कर 15 सितंबर को 07:12 तक
Q : पिठोरी अमावस्या को क्या किसी और नाम से भी जाना जाता है ?
Ans : जी हां दक्षिण राज्यों में इसे पोलाला अमावस्या के नाम से जाना जाता है.
Q : पिठोरी अमावस्या को किसकी पूजा की जाती है?
Ans : देवी मां की पूजा की जाती है.
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