Monday, May 6, 2024
Homeपरिचयसलीम अली जीवन परिचय salim ali biography in hindi

सलीम अली जीवन परिचय salim ali biography in hindi

सलीम अली जीवन परिचय – हेलो दोस्तों में कोमल शर्मा आज के आर्टिकल में आप को सलीम अली के बारे में बताने जा रही हु सलीम अली का जन्म 12 नवम्बर 1896 को मुंबई के एक मुस्लिम परिवार में  हुआ था जन्मे सलीम अली के पिता का नाम मोइज़ुद्दीन और माता का नाम ज़ीनतउननिस्सा था. ये अपने माता पिता की नौवी सन्तान थे जब अली तीन वर्ष के हुए उस समय तक उनके माता पिता दोनों गुजर गये थे. इस वजह से इनका लालन पोषण इनके मामा और चाची ने किया था बचपन से ही उनका शौक पशु पक्षियों में अधिक था उनके इसी शौक को परवान चढाने का कार्य किया बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सचिव  डबल्यू.एस. मिलार्ड ने इन्होंने बालक सलीम को पक्षियों की ओर आकर्षित कराया, अपनी सोसायटी में कैद सभी पक्षी उन्हें दिखाए, पक्षियों से जुड़ी किताबे उन्हें पढने दी, बस अब क्या था. पढ़ाई और अन्य क्षेत्रों से अधिक उनकी रूचि खेल और पशु पक्षियों में लग गई थी जब ये १३ साल के थे तो भारी सिरदर्द के कारण सलीम को किसी के कहने पर मामा के घर सिंध पाकिस्तान भेज दिया गया. वहा की जलवायु में उन्हें सिरदर्द की बीमारी से छुटकारा तो मिल गया था मगर एक नयें देश नई प्रजातियों के पक्षियों ने इन्हें अपनी ओर अधिक आकर्षित किया. कुछ समय बाद इन्हें फिर मुंबई ले जाया गया था यहाँ से इन्होने 17 वर्ष की आयु में आखिर 10 वीं तक की पढ़ाई पूरी करने में कामयाबी पाई थी 1985 में सालिम अली ने फॉल ऑफ एक स्पैरोशीर्षक से अपनी आत्मकथा भी लिखी इस किताब में उन्होंने अपने जीवन की उन घटनाओं का जिक्र भी किया है जिसके चलते वे पक्षी प्रेमी बन पाए तथा उनके जीवन की बाधाओं का वर्णन भी किया गया है.




सलीम अली की जीवनी

सलीम अली जीवन परिचय – सलीम अली भारत के ऐसे पहले व्यक्ति थे. जिन्होंने भारत भर में व्यवस्थित रूप से पक्षी सर्वेक्षण का आयोजन किया और पक्षियों पर लिखी उनकी किताबों ने भारत में पक्षी विज्ञान के विकास में काफी मदद की थी पक्षियों के सर्वेक्षण में ६५ साल गुजार देने वाले इस शख्स को परिंदों का चलता फिरता विश्वकोष कहा जाता था उनकी पक्षियों पर आधारित पुस्तकें बुक ऑफ इंडियन बर्ड्स” ”हैंडबुक ऑफ बर्ड्स ऑफ इंडिया एंड पाकिस्तानएवं फॉल ऑफ स्पैरोबहुत प्रसिद्ध हुई प्रकृति की विज्ञान और पक्षियों पर किये गये महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्म विभूषण जैसे देश के अनेक सम्मानों से सम्मानित किया गया था भरतपुर पक्षी अभयारण्य केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना और साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान को समाप्त होने से बचाने में सलीम अली का बहुत बड़ा योगदान रहा 27 जुलाई 1987 के दिन ९१ वर्ष की आयु में भारत के इस पक्षी प्रेमी का देहावसान हो गया. उनका सपना था कि भारत में एक पक्षी शोध एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना हो भारत सरकार द्वारा उनकी स्मृति में बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटीकी तथा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की पहल पर इनके नाम पर सलीम अली पक्षीविज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केन्द्र की स्थापना की गई थी



सलीम जी की बर्डमैन ऑफ़ इंडिया

भारत के बर्डमैन के नाम से विख्यात डॉ सलीम अली ने अपना समूचा जीवन पक्षियों के संरक्षण, उनको करीब से समझने जानने, उनकी जुबान को जानने में बिता दिया था अली ने आम लोगों को पक्षियों के जीवन में रूचि जगाते हुए कई पक्षी उद्यानों और विहारों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई गए थी सलीम अली ने भारत के अलावा कई देशों की यात्रा की और पक्षियों की अलग अलग जातियों के अध्ययन का कार्य किया, उन्होंने कुमाऊ के तराई के क्षेत्रों से बया की एक विलुप्त प्रजाति को पुनः खोज निकाला था अली को साइबेरियन क्रेन के जीवन पर भी अच्छी स्टडी थी वे सारस की हर एक आदत से वाकिफ थे, उन्होंने अपने अध्ययन में पाया कि सारस मांसाहारी नहीं होते है तथा ये जल स्रोतों के निकट बची काई को खाकर अपना जीवन निर्वहन करते हैं ये पक्षियों के अध्ययन के लिए उन्हें बिना कष्ट दिए सैकड़ों तरीको से पकड़ना जानते थे. उन्होंने गोंग एंड फायर और डेक्कन मेथड की खोज की, जिनका उपयोग आज के पक्षी विज्ञानियों द्वारा किया जाता हैं डॉ सलीम अली ने बर्लिन युनिवर्सिटी में विख्यात जीव विज्ञानी इरविन स्ट्रेसमैन के निर्देशन में अपने करियर की शुरुआत की और 1930 में ये भारत लौट आए थे भारत के कई पक्षी विहारों में अली ने काम किया स्वतंत्रता पश्चात इन्हें नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और राजस्थान के केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के देखरेख की जिम्मेदारी दी गई थी वर्ष 1976 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से उन्हें सम्मानित किया गया था

सलीम जी की गाइड की नौकरी

सलीम अली जीवन परिचय – डॉ सलीम अली का आरंभिक जीवन अस्वस्थता अपनों से बिछुड़जाने के बीच व्यतीत हुआ था दसवीं तक की पढाई इन्होने बम्बई में की, बाद में सिंध चले गये थे वहां से ये बर्मा और जर्मनी की यात्रा पर गये और 1920 में पुनः मुंबई लौट आए विदेशों में रहकर पढाई करना जब सम्भव नहीं हुआ तो सलीम अली ने अपने अध्ययन को मुंबई में ही जारी रखा था किसी तरह उन्होंने प्राणी विज्ञान के कोर्स को पूरा किया, मगर वे डिग्री के योग्य नहीं बन सके इन्हें ब्रिटिश सरकार ने बम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी में एक गाइड के रूप में नियुक्त किया, जहाँ वे आने वाले लोगों को पक्षी दिखाते तथा उनके बारे में जानकारी देते. कुछ समय बाद ही यह नौकरी छूट गई. मगर अली ने पक्षियों पर अपने शोध के कार्य को जारी रखा

सलीम जी का वैवाहिक जीवन

सलीम अली जीवन परिचय – डॉ सलीम अली का विवाह 1918 में तहमीना के साथ सम्पन्न हुआ, विवाह के पश्चात दोनों मुंबई में एक छोटे से घर में ख़ुशी से जीवन व्यतीत करने लगे थे तहमीना भी उनके कार्यों की सराहना करती तथा हाथ बटाती थी उनके मकान के पास ही एक पेड़ पर बया के बहुत से घौसले थे. ये दिनभर उस पेड़ के नीचे बैठकर उनको करीब से जानते और जो कुछ वे अनुभव करते अपनी डायरी में नोट करते जाते हैं वर्ष 1939 में तहमीना की सर्जरी हुई तथा इस दौरान उसकी मृत्यु हो गई, पत्नी की मृत्यु के वियोग में सलीम अली पूरी तरह टूट गये. उन्होंने अपना शेष जीवन बहन कम्मो और बहनोई के साथ व्यतीत किया था

पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली द्वारा लिखित पुस्तकें

सलीम अली जीवन परिचय – इंडियन बर्डभारतीय पक्षीउनके शोधपत्र स्वयं के नोट्स और अनुभव पर आधारित लिखित पहली पुस्तक थी, जो वर्ष 1941 में प्रकाशन में आई थी इस किताब के आने के बाद डॉ अली ख्याति देश विदेश में एक पक्षी विज्ञानी के रूप में फैलने लगी थी डिल्लन रिप्ले के साथ मिलकर सलीम अली ने अपनी दूसरी पुस्तक हैन्डबुक ऑफ बर्ड्स ऑफ इंडिया एण्ड पाकिस्तान लिखी, इस किताब के दस अध्यायों को लिखने में दोनों को करीब दस वर्ष लगे. सलीम अली ने कई क्षेत्रीय गाइड भी लिखी थी  इनकी आत्मकथा अर्थात ऑटोबायोग्राफी का नाम फॉल ऑफ स्पैरो हैं

सम्मान पुरस्कार

एक पक्षी विज्ञानी के रूप में सलीम अली को कई पुरूस्कार और सम्मान मिले. अली को अंतर्राष्ट्रीय सम्मान के रूप में 5 लाख रूपये की राशि मिली, कहते हैं इन्होने इसे बम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के उत्थान के लिए दान में दे दिया सालिम अली को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (1958), दिल्ली विश्वविद्यालय (1973), आंध्र विश्वविद्यालय (1978) से मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली. इन्हें ब्रिटिश ऑर्निथोलॉजिस्ट यूनियन के स्वर्ण पदक भी दिया गया वर्ष 1967 में उन्हें 1 लाख डॉलर की पुरस्कार राशि वाला जे पॉल गेट्टी वाइल्डलाइफ कंजरवेशन का खिताब दिया गया. भारत सरकार की ओर से 1958 में पद्म भूषण और 1976 में पद्म विभूषण से नवाजा गया तथा ये 1985 में राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी बनाए गये थे भारत सरकार ने सलीम अली को सम्मान देने के लिए डाक टिकट भी जारी किया गया. कोयम्बटूर के पास अनाइकट्टीनामक जगह परसलीम अली पक्षीविज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केन्द्र की स्थापना इनके सम्मान में की गई प्रतिवर्ष भारत में 12 नवम्बर को सलीम अली की याद में राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाया जाता हैं. भारत के पक्षियों से जुडी खोजो और जानकारियों में अली का बड़ा योगदान हैं. इनके सम्मान में भारत में सलीम अली पक्षी अभ्यारण गोवा की राजधानी पणजी के पास ही स्थापित किया गया हैं

सलीम अली की मृत्यु कैसे हुई

सलीम अली जीवन परिचय – करीब 60 वर्षों तक भारत और भारत से बाहर पक्षियों के बारे में शोध करने और जानकारियाँ जुटाने वाले पक्षी विज्ञानी सलीम अली प्रोस्टेट कैंसर के शिकार हो गये थे लम्बे समय तक बीमार रहने के पश्चात 91 साल की आयु में 20 जून 1987 को मुंबई में इनका निधन हो गया था बर्डमैन अथवा परिंदों के मसीहा के रूप में उनका नाम अमर हो गया. आज के विज्ञान और तकनीक के दौर में जीवों के प्रति संवेदना रखने वाला तथा उन्हें जानने के लिए जंगलों की धुड फाकने वाले कम ही पक्षी प्रेमी पाए जाते हैं भारत जैसे देशों में पक्षियों के बारे में शोध के लिए अक्सर कम ही रूचि दिखाई जाती हैं. सलीम अली ने पक्षियों के अध्ययन के साथ ही कई नई बाते और शोध प्रकाशित किये थे. उन्होंने खासकर प्रवासी पक्षियों के केवलादेव और कच्छ में आवास से जुड़े जो खुलासे किये वे दुनिया के लिए नई

Also Read:- 

RELATED ARTICLES
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Most Popular