Sunday, September 8, 2024
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वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय Virendra Sehwag biography in Hindi

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको वीरेन्द्र सहवाग के बारे में बताने जा रहा हु। क्रिकेट, यह ऐसा खेल है जिसे हर कोई पसंद करता है तथा भारत देश के, हर शहर के छोटे से छोटे मैदानों यहाँ तक की हर गली मोहल्ले मे खेला जाता है.  और देखा जाये तो यही से बड़े-बड़े क्रिकेटर भी निकलते है उनमें से एक नाम है वीरेन्द्र सहवाग.  जिन्हें प्यार से वीरू नाम से भी जाना जाता है, ये बेहतरीन बल्लेबाजों मे से एक है..

नाम (Name) वीरेन्द्र सहवाग
 अन्य नाम ( Nick Name) वीरू
नाम का मतलब (Meaning of Name) लीडर ऑफ हीरोज,नायक
अलंकृत नाम (Decorate Name) नजफगढ़ के नवाब,जेन मास्टर ऑफ मार्डन क्रिकेट
जन्म तारीख(Date of birth) 20 अक्टूबर 1978
जन्म स्थान(Place) हरियाणा
राशि (Zodiac Sign) तुला
उम्र( Age)  40 साल
पता (Address) 14/5 लक्ष्मी गार्डन,नजफगढ़,न्यू दिल्ली
स्कूल (School) अरोरा विध्या स्कूल,दिल्ली
कॉलेज(College) जामिया मिलिया इस्मलिया कालेज, न्यू दिल्ली
शिक्षा (Educational Qualification) ग्रेजुएट
कुल सम्पति(Total Assets) 40 मिलियन(लगभग)
भाषा(Languages) हिंदी , इंग्लिश
नागरिकता(Nationality) इंडियन
खास दोस्त (Best

 

Friend’s)

सचिन तेंदुलकर, हरबजन सिंग
मुख्य टीम (Major Team) इंडिया, एशियन क्रिकेट काउंसिल XI, आईसीसी वर्ल्ड XI,देहली डेयरडेविल्स, किंग XI पंजाब.
दिलचस्पी (Hobbies) किशोर कुमार,मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर के गाने सुनना, थ्रिलर मूवी देखना
बुरी आदत (Bed Habits) ड्रिंकिंग
कोच (Coach/Mentor) एएन शर्मा( विकासपूरी क्रिकेट सेंटर)
बेटिंग स्टाइल (Batting Style) राईट-हैण्ड बेट्समेन

 

जन्म और पारिवारिक जानकारी

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-वीरेन्द्र का जन्म बीस अक्टूबर उन्नीस सौ अठतर मे हरियाणा के एक संपन्न तथा सयुंक्त परिवार मे हुआ था. इनके पिता का अनाज का व्यापार था तथा माता ग्रहणी थी घर मे इनसे बड़ी इनकी दो बहने तथा एक छोटा भाई था व ये तीसरे नंबर के पुत्र थे. बचपन से ही खेल में दिलचस्पी होने की वजह से बहुत ज्यादा पढ़ाई इन्होंने नही की है. इनकी प्रारंभिक शिक्षा अरोरा विध्या स्कूल,दिल्ली तथा जामिया मिलिया इस्मलिया कालेज, न्यू दिल्ली से ग्रेजुएशन हुआ है. इनका विवाह सन् दो हजार चार में आरती अहलावत से हुई इनके दो बेटे है आर्यवीर तथा वेदांत. इनको शाकाहारी खाना बहुत पसंद है, अपनी इसी पसंद को ध्यान रखते हुए उन्होंने एक रेस्टोरेंट दिल्ली मे खोला है.

खेलने के तरीका

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-यह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बहुत बड़े फेन थे तथा उनको फॉलो करते थे. उनके खेलने के तरीकों को बहुत हद तक अपनाया था यह राईट हेंड से खेलते थे. शुरूआत मे इनके तरीके को क्रिकेट खेलने के नियम के अनुसार गलत बताया गया क्योंकि यह शाट्स खेलते समय अपने आर्म्स का गलत तरीके से उपयोग करते थे धीरे-धीरे प्रयास कर इतने निपूर्ण हो गये की. इनका बेटिंग मे कोई तोड़ नही था जिसके लिये इनको सबसे रोमांचक बल्लेबाज भी कहा जाने लगा.

ब्रांड एम्बेसडर

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-यह FILA  नाम की बहुत बड़ी स्पोर्ट्स कंपनी के ब्रांड एम्बेसडर है. जो कि सभी तरह के फुटवेयर तथा स्पोर्ट्स एसेसरीज रखते है. इन्होंने तीन साल के लिए इनको ब्रांड एम्बेसडर बनाया है जिसके लिये 80 मिलियन या एक साल का लगभग 25 मिलियन से ज्यादा में इनको दिये गये है.

प्रारंभिक करियर 

इनको बचपन से क्रिकेट का शौक था सबसे मजेदार बात यह थी, की जब वह मात्र सात साल के थे, इनका सबसे पहले खिलौने के रूप मे उनके पिता ने उनको बल्ला लाकर दिया था. एक बार जब वह छोटे थे तब क्रिकेट खेलते हुए उनका दांत टूट गया था, जिसकी वजह से उनके पिता उनके क्रिकेट खेलने के खिलाफ हो गये थे. पर उनकी रुचि देख कर उनकी माता के आग्रह पर उनको फिर से क्रिकेट खेलने की परमिशन मिली.

इनके करियर के शुरुआती चरण 

सबसे पहले 1997-1998 मे दिल्ली क्रिकेट में शामिल होकर अपने करियर की शुरुवात की.

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-1998 मे इनका सिलेक्शन डुलेप ट्राफी के लिये नॉर्थ जोन क्रिकेट टीम से हुआ, तब इनका नाम कुल रनिंग लिस्ट मे पांचवे स्थान पर था. कड़ी मेहनत के बाद अगले साल इनका नाम रनिंग लिस्ट मे चौथे स्थान पर आ गया, जिसमे इन्होंने टू सेवनटी फोर का स्कोर किया. इसके बाद पंजाब के खिलाफ साऊथ जोन मे अगरतला मे थ्री, टवेंटी सेवन बाल्स मे वन सेवनटी फाइफ रनों मे रणजी ट्राफी खेला.

इसके बाद उनका चयन अंडर-19 टीम में किया गया, जोकि साऊथ अफ़्रीका के खिलाफ खेला गया.

वन डे इंटरनेशनल(ओडीआई) करियर–

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-इसमे इनकी शुरुवात बिलकुल भी अच्छी नही हुई थी, यह 1999 मे इनका पहला बड़ा मैच था जोकि पाकिस्तान के खिलाफ खेला गया था. इसमे यह एक रन बना कर आउट हो गये थे जिसमे शोएब अख्तर ने इन्हें एलबीडब्ल्यू मे रन आउट किया था. इसी मैच मे उनका बोलिंग का परफोरमेंस भी बहुत ही खराब था, जिसमे तीन ओवर मे पैतीस रन दिये थे. इसी वहज से इन्हें लगभग बीस महीने तक राष्ट्रीय टीम मे खेलने का मौका नही मिला.

सन् 2000 में फिर इनको जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलने का मौका नही दिया गया. लगातार असफलता के बाद 2001 मे बहुत मेहनत की और यह तब दिखा जब बेंगलौर मे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच खेल कर 54 गेंद मे 58 रन बनाये तथा पहला मेन ऑफ दी मैच का पुरुस्कार हासिल किया.  तब यह राष्ट्रीय टीम के सदस्य के रूप में चुने गये, यहाँ से उनके असली करियर की शुरुवात हुई, जिससे उन्होंने अन्तराष्ट्रीय खेलो मे अपनी भागीदारी दर्ज करी.  पर उन्होंने अपनी टीम दिल्ली के लिए खेलना नही छोड़ा.

उन्होंने पुनः 2001 मे श्रीलंका मे अपनी सफलता का परचम लहराया जब उन्हे ट्री-सीरीज मे न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच के लिये चुना गया था . जिसमे सचिन तेंदुलकर अपनी चोट के कारण नही खेल पाए तब अजरुद्दीन ने बासठ तथा युवराज ने चौसठ गेंदों तथा इन्होंने अपनी उनसत्तर गेंदों से पहली बार शतक बनाई. इसी के साथ यह तीसरी ओडीआई में पहली सबसे तेज शतक थी.

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-ओडीआई मे दस मैचों मे पचास से अधिक रन का पहला स्कोर रहता था जिसके लिये उन्हें मेन ऑफ दी मैच दिया गया. किसी भी मैच के दौरान सचिन और सहवाग की साझेदारी सबसे अच्छी मानी जाती थी. लगातार उम्दा प्रदर्शन के बाद उन्हें ओडीआई में नियमित खिलाडी के रूप मे चुना गया.

जनवरी 2002 मे क्रिकेटर सौरभ गांगुली को चोट आने के कारण इनको एक और मौका मिला जिसमे कानपुर मे इंग्लैंड के खिलाफ चौसठ गेंद मे बयासी रन बना कर एक अच्छी बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया .

इसके अलावा उन्होंने 2003 मे क्रिकेट वर्ल्ड कप खेला जिसमे इन्होंने दो सौ निन्यानवें रन बनाये जिसका औसत सत्ताविस रन का था. इसी मैच के दौरान इन्होने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल कर बयासी रन बनाये परंतु दुर्भाग्यवश इसमे इंडिया हार गई. लगातार एक के बाद एक मैच खेलते हुए उन्होंने 2003 मे हैदराबाद मे न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच खेला जिसमे सचिन और उनकी साझेदारी रही, जिसमे एक सौ तीस रन बना कर एक सौ बयास्सी रन की पारी खेली तथा चौथी शतक बनाई.

2004 के ओडीआई में तीन एमओएम अवार्ड जीते जोकि श्रीलंका, पाकिस्तान,और बांग्लादेश के खिलाफ खेले गये थे. इनका सबसे अच्छा प्रदर्शन कोच्ची मे रहा जब इन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ खेला उसमे नाइन्टी फाइफ बाल्स मे वन जीरो ऐट रन बना कर शानदार जीत हासिल की.

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-2006 मे कन्धे पर चोट लगने के कारण पाकिस्तान में ओडीआई में दो साल ठीक से खेल नही पाए जिससे उनका स्कोर बोर्ड उसका ग्राफ नीचे चला गया और ओडीआई मे काफी पीछे हो गये. जिसकी वजह से उनको डब्ल्यूआई-आईएनडी मैच से हटा दिया गया. यह इनके के लिये बड़ा कठिन समय था, जिसके चलते 2007 वर्ल्डकप में इनको लेने से इंकार कर दिया गया. तब कप्तान राहुल द्रविड़ ने इन पर विश्वास दिखाते हुए इनको टीम मे शामिल किया पर सहवाग उसमे नाकामियाब रहे तथा पहले ग्रुप मे इनका प्रदर्शन खराब रहा. पर इसके बाद उन्होंने अपनी शानदार वापसी सतयासी गेंदों मे एक सौ चौदह रन बना करी थी. इसी के साथ इंडियन टीम ने वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाये जो कि टुर्नामेंट मे इनकी एक मात्र जीत थी.

2009 मे ओडीआई मे न्यूजीलैंड के खिलाफ सबसे तेज शतक बनाया, जो कि सहाठ गेंदों पर लगाया था. यह न्यूजीलैंड के खिलाफ फर्स्ट सीरीज थी जिसमे उन्होंने इंडिया का नेतृत्व किया था, यह इनकी एक बड़ी जीत थी.

इन्होंने 2011 में इंदौर में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेल कर अबतक के सारे रिकार्ड तोड़ दिये. इस मैच में सहवाग ने एक सौ उनपचास गेंदों में दो सौ उन्नीस रन बनाये तथा ओडीआई क्रिकेट मे आठ हजार रन का रिकार्ड पार किया. यहाँ वह इंडियन टीम के लिये मजबूत खिलाडी साबित हुए.

इंग्लैंड श्रंखला मे दक्षिण अफ्रीका के पहले दौरे मे चार अर्द्धशतक के साथ फोर टवेंटी सिक्स रन बनाये.

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-इंग्लैंड दौरे से वापसी के बाद आईसीसी चैम्पियन ट्रॉफी मे टू सेवनटी वन रन बनाये जिसमे इनको दो बार मेन ऑफ दी मैच मिला. यहाँ गांगुली के साथ उनकी साझेदारी रही, जिसमे एक सौ चार गेंदों मे एक सौ छबीस रन बनाये तथा आठ विकेट से इंग्लेंड के खिलाफ जीत दर्ज कराई.

इसके साथ राजकोट में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलकर नौ विकेट से जीत दर्ज करायी. सबसे बड़ी बात यह थी कि न्यूजीलैंड ओडीआई सीरीज मे सात मैचों मे शतक लगाने वाले एक मात्र बल्लेबाज थे.

टी-20 इंटरनेशनलस मे करियर –

यह शुरू से ही एक अच्छे बैट्समैन के रूप मे साबित हुए पर धीरे-धीरे यह बात मैचों मे साबित हुई. इनके टी-20 इंटरनेशनलस के रिकार्डस इस प्रकार है.

टेस्ट मैच का करियर

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-इनका टेस्ट मैच में पूरी तरह से निपूर्ण होकर उतरे थे, इन मैचों में ये पारी दर पारी खेल कर रनों का रिकार्ड तोड़ते चले गये. इन्होंने साल 2001 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहला टेस्ट मैच खेला तथा एक सौ पांच रन बनाये.

2002 में इंग्लैंड और जिम्बाब्वे के खिलाफ होम सीरीज़ खेली तथा चोरासी रन बनाये, तथा दूसरे टेस्ट मैच मे शतक बनाया.

2003 में फर्स्ट होम सीरीज खेली जो कि वेस्टइंडीज के खिलाफ थी, जिसमे इन्होंने एक सौ सेतालिस रन बना कर एक शतक बनाई. जिसके लिये इनको टॉप स्कोर बनाने का ख़िताब मिला. इसी के साथ 2003 में मोहाली में न्यूजीलैंड के खिलाफ एक सौ तीस रन बनाये.

2004 के प्रारंभ मे मुल्तान मे पाकिस्तान के खिलाफ तीन सौ नौ रन बना कर पिछले सारे रिकार्ड को तोड़ दिये (इसमे वीवीएस लक्ष्मण का आस्ट्रेलिया के खिलाफ दो सौ इक्क्यासी रन का रिकॉर्ड था). तथा यह इक्कीसवा टेस्ट मैच था, जिसमे इनकी छटवी शतक थी. इसके बाद लाहौर में अलगे टेस्ट मैच में नब्बे रन बना कर मेन ऑफ दी मैच का खिताब जीता.

2004 में क्रिकेटर सुनील गावस्कर ट्राफी के लिये बैंगलोर में खेले, जिसमे एम्पायर बिली बाउडेन ने इन्हें एलबीडबल्यू बता कर डिसमिस कर दिया. इसके बाद सहवाग ने चेन्नई मे एक सौ पचपन रन बनाये, परंतु यहाँ बारिश आ जाने की वजह से मैच वही स्थगित हुआ. इसी वर्ष होम सीरीज में साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मे कानपुर मे एक सौ चौसठ रन तथा कोलकाता मे अठ्ठासी रन बना कर इंडियन टीम को दूसरा स्थान हासिल कराया, जिसके लिये इनको मेन ऑफ दी सीरीज का पुरुस्कार मिला.

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-2005 में होम सीरीज के दौरान इन्होने क्रमशः माहोली मे एक सौ तिहोत्तर रन, कोलकाता मे इक्यासी रन, बंगलोर मे दो सौ एक रन बनाए, जिसमे इनका औसत पांच सौ पैतालीस रन का रहा. जिसके लिये मेन ऑफ दी सीरीज का अवार्ड मिला. इन्होंने बंगलोर टेस्ट मैच में तीन हजार रन का रिकार्ड पार कर लिया था. इन्होंने पारी में सबसे तेज रन बनाकर आईसीसी टेस्ट टीम आफ दी इयर का ख़िताब मिला जिसके कारण उनका नाम टेस्ट प्लेयर के रूप में चुना गया.

2005 मे ही इनको आईसीसी सुपर सीरीज मे आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला, जिसमे फर्स्ट इनिंग कर छियोत्तर रन बनाये. पर फिर कुछ समय इनका परफोरमेंस अच्छा नही रहा, इन्होंने श्रीलंका और जिम्बाब्वे के खिलाफ चार मैचों में मात्र पचास रन बनाये. कुछ समय के बाद अहमदाबाद में इन्होंने टीम में वापसी की तथा द्रविड़ के बीमार होने के कारण उस समय इन्हें केप्टन बनाया गया.

2006 में लाहौर पहला टेस्ट मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला गया, जिसमे टू फिफ्टी फोर रन बनाये तथा सबसे ज्यादा टेस्ट रन बना कर डबल सेंचुरी बनाई. उसके बाद राहुल द्रविड़ के साथ साझेदारी कर पाकिस्तान के खिलाफ चार सौ दस बना कर टेस्ट मैचों के अब तक के सारे रिकार्ड तोड़ दिये.

2006 में वेस्टइंडीज में दूसरे टेस्ट मैच के शुरुवाती दौर में यह कई बार मैचों मे बहुत कम रन पर आउट हो गये, पर बाद में इन्होंने एक सौ नब्बे बाल्स पर एक सौ अस्सी रन बना कर मेन ऑफ दी मैच जीता. वेस्टइंडीज दौरे में पहली बार इनको बोलिंग  के लिए अजमाया गया तब जबकि हरबजन सिंग मौजूद नही थे पर बोलिंग के लिये सही नही थे.

2007 में अच्छा ना खेलने की वजह से कुछ समय इनको कुछ खेलो से बहार रखा गया जिसके बाद यह लगातार मेहनत करते रहे.

वीरेन्द्र सहवाग का जीवन परिचय-2008 में फिर से होम सीरीज मे इन्होंने वापसी की तथा साउथ अफ्रीका के खिलाफ अच्छा मैच खेला. चिदंबरम स्टेडियम में इन्होंने पहले टेस्ट मे तीन सौ उन्नीस रन बनाये जिसमे दो सौ अठोतर बाल्स मे तीन सौ रन बनाकर टेस्ट मैच मे सबसे तेज ट्रिपल शतक बनाने का इतिहास रचा. तीसरे दिन उन्होंने दो सौ सतावन रन बनाये जिसमे कई सालो का रिकार्ड तोडा गया

करियर सबंधित हाईलाइटस

  1. सबसे पहला वनडे मैच एक अप्रैल 1999 को खेला था.
  2. सबसे आखिरी वनडे मैच तीन जनवरी 2013 को खेला था.
  3. सबसे पहला टी-20 मैच एक दिसम्बर 2006 को खेला था.
  4. सबसे आखिरी टी-20 मैच दो अक्टूबर 2012 को खेला था.
  5. सबसे पहला टेस्ट मैच तीन नवम्बर 2001 को खेला था.
  6. सबसे आखिरी टेस्ट मैच पांच मार्च 2013 को खेला था.
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