सपिंड विवाह किसे कहते है? और दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक क्यों लगाई?- सपिंड विवाह का अर्थ है ऐसे दो लोगों का विवाह जिनके पूर्वज एक ही हैं। हिंदू धर्म में, सपिंड विवाह को वर्जित माना गया है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5(3) के अनुसार, सपिंड विवाह को मान्यता नहीं दी जाती है।
दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला
सपिंड विवाह किसे कहते है – दिल्ली हाई कोर्ट ने 2023 में एक फैसले में सपिंड विवाह को वर्जित माना। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सपिंड विवाह को वर्जित मानने के पीछे सामाजिक, नैतिक और कानूनी कारण हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सपिंड विवाह से जन्म लेने वाले बच्चों में जन्मजात विकारों का खतरा अधिक होता है। कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया गया। कई लोगों का मानना है कि यह फैसला समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगा और जन्मजात विकारों को रोकने में मदद करेगा।
क्यों चर्चा में है हिंदुओं का सपिंड विवाह
हिंदुओं का सपिंड विवाह 2024 में चर्चा में है, क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2023 में एक फैसले में सपिंड विवाह को वर्जित माना था। इस फैसले के बाद कई लोग इस बात पर बहस कर रहे हैं कि सपिंड विवाह को कानूनी रूप से वर्जित करना उचित है या नहीं।
इस बहस में दो प्रमुख पक्ष हैं। एक पक्ष का मानना है कि सपिंड विवाह को कानूनी रूप से वर्जित करना उचित है, क्योंकि इससे जन्मजात विकारों को रोकने में मदद मिलेगी। इस पक्ष के समर्थकों का कहना है कि सपिंड विवाह में दो लोगों के बीच रक्त संबंध होता है, जिससे आनुवांशिक विकार होने की संभावना बढ़ जाती है।
दूसरे पक्ष का मानना है कि सपिंड विवाह को कानूनी रूप से वर्जित करना उचित नहीं है, क्योंकि इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन होगा। इस पक्ष के समर्थकों का कहना है कि हर व्यक्ति को अपने जीवनसाथी को चुनने का अधिकार है, चाहे वह उसके रिश्तेदार ही क्यों न हों। इस बहस में कई सामाजिक, नैतिक और कानूनी पहलुओं पर विचार किया जाना है। यह देखना होगा कि भविष्य में इस मुद्दे पर क्या निर्णय लिया जाता है। सपिंड विवाह किसे कहते है? और दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक क्यों लगाई?
हिंदुओं में चचेरे-ममेरे भाई बहनों में शादी कितनी प्रचलित?
सपिंड विवाह किसे कहते है- हिंदुओं में चचेरे-ममेरे भाई बहनों में शादी की प्रथा अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग है। सामान्य तौर पर, दक्षिण भारत में चचेरे-ममेरे भाई बहनों में शादी अधिक प्रचलित है, जबकि उत्तर भारत में यह कम प्रचलित है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के अनुसार, भारत में चचेरे-ममेरे भाई बहनों में शादी का अनुपात लगभग 11% है। हालांकि, दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में यह अनुपात 20% से भी अधिक है। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में यह अनुपात 28% है, जबकि केरल में यह केवल 4.4% है।