अजीत पाल सिंह का जीवन परिचय-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको अजीत पाल सिंह के बारे में बताने जा रहा हु। हॉकी के दिग्गज अजित पाल सिंह को पारिवारिक कॉमेडी का सामना करना पड़ा जब उनकी पत्नी और राष्ट्रीय स्तर के पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी किरण अजित पाल सिंह की बीमारी के बाद दिल्ली में निधन हो गया।
अजीत पाल सिंह का जीवन परिचय-अजीत पाल सिंह को अति श्रेष्ठ हाफ-बैक हॉकी खिलाड़ियों में माना जाता है । उनका नाम 1928 तथा 1932 की ओलंपिक टीम के ई.पेनीगर के बाद ‘हाफ बैक’ के रूप में जाना जाता है । वह गेंद को कुशलतापूर्वक हिट कर जाते थे ।
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अजीत पाल सिंह का जीवन परिचय। Ajit Pal Singh Biography In Hindi
जन्मतिथि | 12 फरवरी 1939 (रविवार) |
जन्म स्थान | भदोला गांव, मेरठ, उत्तर प्रदेश, भारत |
मृत्यु तिथि | 6 मई 2021 (गुरुवार) |
मृत्यु स्थान | गुरुग्राम, हरियाणा, भारत |
मृत्यु कारण | कोविड-19 |
आयु (मृत्यु के समय) | 82 वर्ष |
राशि | कुंभ (Aquarius) |
अजीत सिंह का जन्म
अजीत पाल सिंह का जीवन परिचय-अजीत सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1947 को पंजाब के जालंधर छावनी के पास एक छोटे से गाँव संसारपुर में हुआ। उन्होंने स्कूल के समय से ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया था। उनकी प्राम्भिक शिक्षा कैंटोनमेंट बोर्ड हायर सेकेंडरी स्कूल, जालंधर से हुई। आगे की पड़े उन्होंने लायलपुर खालसा कॉलेज से की, वहां भी उन्होंने हॉकी खेलना जारी रखा।
अजीत पाल ने हॉकी खेलना तभी आरम्भ कर दिया था, जब वह कैंटोनमेंट बोर्ड हायर सेकेन्ड्री स्कूल, जालंधर में पढ़ते थे । 1963 में पंजाब स्कूल टीम के लिए उन्होंने ‘फुल बैक’ खिलाड़ी के रूप में खेला था
अजीत पाल सिंह का जीवन परिचय-इसके पश्चात् अजीत पाल ने लायलपुर खालसा कॉलेज, जालंधर की ओर से खेलना आरम्भ कर दिया 1966 में अन्तर विश्वविद्यालय हॉकी टूर्नामेंट में उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय की कप्तानी की । 1968 में उन्होंने विश्वविद्यालयों की मिली-जुली टीम में सेंटर हाफ के रूप में खेला । उन्होंने बार्डर सिक्योरिटी फोर्स में शामिल होने के पश्चात् फोर्स की हॉकी टीम में शामिल होकर फोर्स की ओर से सभी राष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट में भाग लिया । 1966 में अजीत पाल ने पहली बार अन्तरराष्ट्रीय मैच में हिस्सा लिया, जब उन्हें जापान जाने वाली भारतीय टीम में शामिल किया गया । 1967 में अजीत पाल सिंह को लंदन में प्री-ओलंपिक टूर्नामेंट में खेलने का अवसर मिला । इससे उनका चुनाव 1968 में मैक्सिको में होने वाले ओलंपिक में खेलने के लिए भारतीय टीम में हो गया । इस ओलंपिक में भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और टीम तीसरे स्थान पर रही ।
1972 में म्यूनिख ओलंपिक में अजीत पाल ने भारतीय हॉकी टीम का सदस्य बन कर भाग लिया और टीम ने कांस्य पदक जीता । 1976 के मांट्रियल ओलंपिक में अजीत सिंह ने भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी की ।
खेल जीवन की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां
- अजीत पाल सिंह ने तीन बार (1968, 1972 तथा 1976) ओलंपिक खेलों में भाग लिया । 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में भारत ने कांस्य पदक जीता |
- 1970 में वह भारतीय टीम में शामिल थे जिसने बैंकाक के एशियाई खेलों में रजत पदक प्राप्त किया था |
- 1971 में अजीत पाल की कप्तानी में टीम ने सिंगापुर का पोस्ट शुआन टूर्नामेंट जीता और बार्सिलोना में ‘फर्स्ट वर्ल्ड कप’ मुकाबले में कांस्य पदक जीता ।
- 1972 में अजीत सिंह ने टीम के साथ एम्सटरडम वर्ल्ड कप में रजत पदक जीता ।
- 1974 में तेहरान एशियाई खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने अजीत पाल सिंह की कप्तानी में रजत पदक जीता ।
- 1975 में कुआलालंपुर में हुए वर्ल्ड कप में अजीत पाल सिंह की कप्तानी में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को हरा कर वर्ल्ड कप जीत लिया ।
- उन्हें 1970 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया गया |
- 1992 में अजीत पाल को ‘पद्मश्री’ की उपाधि प्रदान की गई ।
अंतर्राष्ट्रीय करियर
अजीत पाल सिंह का जीवन परिचय-अजित पाल सिंह का अंतराष्ट्रीय पदार्पण 1966 में किया जब वह जापान जाने वाली टीम में चुने गए। उन्होंने 1968, 1972 और 1976 तीनों ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया, इस में से दो ओलंपिक में भारत ने कांस्य पदक प्राप्त किया। वर्ष 1975 के हॉकी विश्व कप विजेता टीम के कप्तान रहे। ओलंपिक खेलो के अतिरिक्त वह 1970 के बैंकॉक एशियाई खेल में शामिल हुए एवं 1974 के तेहरान एशियाई खेलों में भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी की।
राजनीतिक यात्रा
वर्ष 1986 में वह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए।
- अजित सिंह 1989 और 1991 में बागपत निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए।
- दिसंबर 1989 से नवंबर 1990 तक वी.पी. सिंह के मंत्रिमंडल में उन्होंने उद्योग मंत्री के रूप में काम किया।
- वर्ष 1991 में अजित सिंह पी.वी. नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में खाद्य मंत्री के रूप में काम किया।
- वर्ष 1999, 2004 और 2009 में उन्हें लोकसभा के लिए दोबारा से चुना गया था।
- वर्ष 1999 और 2014 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा उम्मीदवार से हार गए थे।
अजीत सिंह से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां
चौधरी अजीत सिंह एक भारतीय राजनेता थे जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के बेटे थे। अजीत सिंह ने 1996 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल पार्टी की स्थापना की।
अजीत पाल सिंह का जीवन परिचय-बचपन में वह एक इंजीनियर बनना चाहते थे। लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री हासिल करने के बाद वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए आईआईटी खड़गपुर चले गए थे। इसके बाद उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की।
अजीत पाल सिंह का जीवन परिचय-अजीत सिंह ने संयुक्त राज्य अमेरिका में 15 साल तक कंप्यूटर वैज्ञानिक के रूप में काम किया। 1960 के दशक में वह IBM में काम करने वाले पहले भारतीय बने थे।
1980 के दशक में पिता चौधरी चरण सिंह के बीमार होने के बाद वह भारत लौट आए। पिता की मृत्यु के बाद पार्टी के कार्यकर्तों ने उन्हें राष्ट्रीय लोक दाल का अध्यक्ष्य नियुक्त किया।
वर्ष 1986 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए। 1989 में वह पहली बार बागपत निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए और बाद में वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत निर्वाचन क्षेत्र से सात बार सांसद बने। हालांकि 1998 में वह यह सीट भाजपा के सत्यपाल से हार गए।
अजीत पाल सिंह का जीवन परिचय-वर्ष 2001 से 2003 तक उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्रिमंडल में एक मंत्री के रूप में कार्य किया।
वर्ष 2011 में वह यूपीए सरकार का हिस्सा बने और मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में कार्य किया।
वर्ष 2019 में वह मुजफ्फरनगर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव हार गए।
वर्ष 1990 से 2000 तक अजीत सिंह ने किसानों के कई अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। वह बाबा महेंद्र सिंह टिकैत को किसानों का मसीहा मानते थे और उन्हीं के पदचिन्हों पर चला करते थे।
- वर्ष 2001 से 2003 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया।
वर्ष 2011 से 2014 तक यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री थे।
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