Saturday, May 4, 2024
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इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी जीवन परिचय Indira Gandhi biography in Hindi

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-दोस्तों में कोमल शर्मा आज के आर्टिकल में आप को बताने जा रही हु इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (19 नवंबर 1917-31 अक्टूबर 1984) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं




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इंदरा गाँधी का प्रारंभिक जीवन एवं कैरियर क्या था

इन्दिरा का जन्म 19 नवम्बर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू परिवार में हुआ था। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं। इन्दिरा को उनका “गांधी” उपनाम फिरोज़ गाँधी से विवाह के बाद मिला था।[2] इनका मोहनदास करमचंद गाँधी से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था। इनके पितामह मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।

1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने शान्तिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे “प्रियदर्शिनी” नाम दिया था। इसके बाद यह इंग्लैंड चली गईं और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में बैठीं, परन्तु यह उसमे विफल रहीं और ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने बिताने के बाद 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होंने सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज़ गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह इलाहाबाद से जानती थीं और जो लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में अध्ययन कर रहे थे। अंततः 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म ब्रह्म-वैदिक समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ था

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-ऑक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं। 1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-इन्दिरा का जन्म 19 नवंबर, सन् 1917 में पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी कमला नेहरू के यहाँ हुआ। वे उनकी एकमात्र संतान थीं। नेहरू परिवार अपने पुरखों का खोंज जम्मू और कश्मीर तथा दिल्ली केब्राह्मणों में कर सकते हैं। इंदिरा के पितामह मोतीलाल नेहरू उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से एक धनी बैरिस्टर थे। जवाहरलाल नेहरू पूर्व समय में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बहुत प्रमुख सदस्यों में से थे। उनके पिता मोतीलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक लोकप्रिय नेता रहे। इंदिरा के जन्म के समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में जवाहरलाल नेहरू का प्रवेश स्वतन्त्रता आन्दोलन में हुआ।




इंदरा गाँधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष में क्या योगदान दिया था

1959 और 1960 के दौरान इंदिरा चुनाव लड़ीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। उनका कार्यकाल घटनाविहीन था। वो अपने पिता के कर्मचारियों के प्रमुख की भूमिका निभा रहीं थीं।

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-नेहरू का देहांत 27 मई, 1964 को हुआ और इंदिरा नए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रेरणा पर चुनाव लड़ीं और प्रसारण मंत्री के लिए नियुक्त हो, सरकार में शामिल हुईं। हिन्दी के राष्ट्रभाषा बनने के मुद्दे पर दक्षिण के गैर हिन्दीभाषी राज्यों में दंगा छिड़ने पर वह चेन्नई गईं। वहाँ उन्होंने सरकारी अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया, समुदाय के गुस्से को काम किया और प्रभावित क्षेत्रों के फिर से र्निर्माण प्रयासों की देखरेख की। शास्त्री एवं मंत्री उनके इस तरह के प्रयासों की कमी के लिए शर्मिंदा थे। मंत्री गांधी के पदक्षेप सम्भवत सीधे शास्त्री के या अपने खुद के राजनैतिक ऊंचाई पाने के उद्देश्य से नहीं थे। कथित रूप से उनका मंत्रालय के दैनिक कामकाज में उत्साह का अभाव था लेकिन वो संवादमाध्यमोन्मुख तथा राजनीति और छबि तैयार करने के कला में दक्ष थीं।

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-1959 और 1960 के दौरान इंदिरा चुनाव लड़ीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। उनका कार्यकाल घटनाविहीन था। वो अपने पिता के कर्मचारियों के प्रमुख की भूमिका निभा रहीं थीं।

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-नेहरू का देहांत 27 मई, 1964 को हुआ और इंदिरा नए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रेरणा पर चुनाव लड़ीं और तत्काल सूचना और प्रसारण मंत्री के लिए नियुक्त हो, सरकार में शामिल हुईं। हिन्दी के राष्ट्रभाषा बनने के मुद्दे पर दक्षिण के गैर हिन्दीभाषी राज्यों में दंगा छिड़ने पर वह चेन्नई गईं। वहाँ उन्होंने सरकारी अधिकारियों के साथ विचारविमर्श किया, समुदाय के नेताओं के गुस्से को प्रशमित किया और प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण प्रयासों की देखरेख की। शास्त्री एवं वरिष्ठ मंत्रीगण उनके इस तरह के प्रयासों की कमी के लिए शर्मिंदा थे। मंत्री गांधी के पदक्षेप सम्भवत सीधे शास्त्री के या अपने खुद के राजनैतिक ऊंचाई पाने के उद्देश्य से नहीं थे। कथित रूप से उनका मंत्रालय के दैनिक कामकाज में उत्साह का अभाव था लेकिन वो संवादमाध्यमोन्मुख तथा राजनीति और छबि तैयार करने के कला में दक्ष थीं।1959 और 1960 के दौरान इंदिरा चुनाव लड़ीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। उनका कार्यकाल घटनाविहीन था। वो अपने पिता के कर्मचारियों के प्रमुख की भूमिका निभा रहीं थीं।

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-नेहरू का देहांत 27 मई, 1964 को हुआ और इंदिरा नए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रेरणा पर चुनाव लड़ीं और तत्काल सूचना और प्रसारण मंत्री के लिए नियुक्त हो, सरकार में शामिल हुईं। हिन्दी के राष्ट्रभाषा बनने के मुद्दे पर दक्षिण के गैर हिन्दीभाषी राज्यों में दंगा छिड़ने पर वह चेन्नई गईं। वहाँ उन्होंने सरकारी अधिकारियों के साथ विचारविमर्श किया, समुदाय के नेताओं के गुस्से को प्रशमित किया और प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण प्रयासों की देखरेख की। शास्त्री एवं वरिष्ठ मंत्रीगण उनके इस तरह के प्रयासों की कमी के लिए शर्मिंदा थे। मंत्री गांधी के पदक्षेप सम्भवत सीधे शास्त्री के या अपने खुद के राजनैतिक ऊंचाई पाने के उद्देश्य से नहीं थे। कथित रूप से उनका मंत्रालय के दैनिक कामकाज में उत्साह का अभाव था लेकिन वो संवादमाध्यमोन्मुख तथा राजनीति और छबि तैयार करने के कला में दक्ष थीं।




इंदरा गाँधी की आपातकालीन स्थिति (1975-1977)

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-गाँधी ने व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने के स्वरुप में,अशांति मचानेवाले ज्यादातर विरोधियों के गिरफ्तारी का आदेश दे दिया।उसके बाद उनके मंत्रिमंडल और सरकार द्वारा इस बात की सिफारिश की गई की राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद फैले अव्यवस्था और अराजकता को देखते हुए आपातकालीन स्थिति की घोषणा करें। तदनुसार, अहमद ने आतंरिक अव्यवस्था के मद्देनजर 26 जून 1975 को संविधान की धारा- 352 के प्रावधानानुसार आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी।

इंदरा गाँधी का डिक्री द्वारा शासन / आदेश आधारित शासन

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-कुछ ही महीने के भीतर दो विपक्षीदल शासित राज्यों गुजरात और तमिल नाडु पर राष्ट्रपति शासन थोप दिया गया जिसके फलस्वरूप पूरे देश को प्रत्यक्ष केन्द्रीय शासन के अधीन ले लिया गया। पुलिस को कर्फ़्यू लागू करने तथा नागरिकों को रोक रखने की क्षमता सौंपी गयी एवं सभी प्रकाशनों को सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय के पर्याप्त सेंसर व्यवस्था के अधीन कर दिया गया। इन्द्र कुमार गुजराल, एक भावी प्रधानमंत्री, ने खुद अपने काम में संजय गांधी की दखलंदाजी के विरोध में सूचना और प्रसारण मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया।




इंदरा गाँधी का ओपरेशन ब्लू स्टार और हत्या

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-गांधी के बाद के वर्ष पंजाब समस्याओं से जर्जर थे। सितम्बर 1981 में जरनैल सिंह भिंडरावाले का अलगाववादी सिख आतंकवादी समूह सिख धर्म के पवित्रतम तीर्थ, हरिमन्दिर साहिब परिसर के भीतर तैनात हो गया। स्वर्ण मंदिर परिसर में हजारों नागरिकों की उपस्थिति के बावजूद गांधी ने आतंकवादियों का सफया करने के एक प्रयास में सेना को धर्मस्थल में प्रवेश करने का आदेश दिया। सैन्य और नागरिक हताहतों की संख्या के हिसाब में भिन्नता है। सरकारी अनुमान है चार अधिकारियों सहित उनासी सैनिक और 492 आतंकवादी; अन्य हिसाब के अनुसार, संभवत 500 या अधिक सैनिक एवं अनेक तीर्थयात्रियों सहित 3000 अन्य लोग गोलीबारी में फंसे.[16] जबकि सटीक नागरिक हताहतों की संख्या से संबंधित आंकडे विवादित रहे हैं, इस हमले के लिए समय एवं तरीके का निर्वाचन भी विवादास्पद हैं। इन्दिरा गांधी के बहुसंख्यक अंगरक्षकों में से दो थे सतवंत सिंह और बेअन्त सिंह, दोनों सिख.३१ अक्टूबर 1984 को वे अपनी सेवा हथियारों के द्वारा 1, सफदरजंग रोड, नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में इंदिरा गांधी की राजनैतिक हत्या की। [17] वो ब्रिटिश अभिनेता पीटर उस्तीनोव को आयरिश टेलीविजन के लिए एक वृत्तचित्र फिल्माने के दौरान साक्षात्कार देने के लिए सतवंत और बेअन्त द्वारा प्रहरारत एक छोटा गेट पार करते हुए आगे बढ़ी थीं। इस घटना के तत्काल बाद, उपलब्ध सूचना के अनुसार, बेअंत सिंह ने अपने बगलवाले शस्त्र का उपयोग कर उनपर तीन बार गोली चलाई और सतवंत सिंह एक स्टेन कारबा गई और सतवंत सिंह को गोली मारकर गिरफ्तार कर लिया गया।

इन्दिरा गाँधी प्रियदर्शिनी गाँधी-गांधी को उनके सरकारी कार में अस्पताल पहुंचाते पहुँचाते रास्ते में ही दम तोड़ दीं थी, लेकिन घंटों तक उनकी मृत्यु घोषित नहीं की गईईन का उपयोग कर उनपर बाईस चक्कर गोली दागे. उनके अन्य अंगरक्षकों द्वारा बेअंत सिंह को गोली मार दी

FAQ

Q. इंदिरा गांधी का पहला पति कौन है?

Ans. उनके पिता का नाम जहांगीर एवं माता का नाम रतिमाई था, और वे बम्बई के खेतवाड़ी मोहल्ले के नौरोजी नाटकवाला भवन में रहते थे। फ़िरोज़ के पिता जहांगीर किलिक निक्सन में एक इंजीनियर थे, जिन्हें बाद में वारंट इंजीनियर के रूप में पदोन्नत किया गया था।

Q. इंदिरा गांधी ने कौन सा नारा दिया था?

Ans. गरीबी हटाओ देश बचाओ का नारा 1971 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी ने दिया था।

Q. इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद भारत के प्रधानमंत्री कौन बने?

Ans. भारत के प्रधानमन्त्री बने, उनके ज्येष्ठ पुत्र, राजीव गांधी, जिन्हें, ३१ अक्टूबर की शाम को ही कार्यकाल की शपथ दिलाई गयी। उन्होंने पुनः निर्वाचन करवाया और इस बार, कांग्रेस ऐतिहासिक बहुमत प्राप्त कर, विजयी हुई।

Q. इंदिरा गांधी कितनी बार भारत की प्रधानमंत्री बनीं?

इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी ( 19 नवंबर 1917 – 31 अक्टूबर 1984) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और राजनेता थीं, जिन्होंने 1966 से 1977 तक और फिर 1980 से अपने कार्यकाल तक भारत की तीसरी प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। 1984 में हत्या.

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