चिपको आंदोलन प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है। में आज आपको सूंदर लाल बहुगुणा के बारे में बताने जा रहा हु। सुंदरलाल बहुगुणा भारत के प्रमुख पर्यावरण चिंतक और चिपको आंदोलन के प्रणेता माने जाते है। जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का निधन हो गया है।
चिपको आंदोलन प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा-कोरोना से संक्रमित होने के कारण 94 वर्षीय बहुगुणा का आठ मई से ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उपचार चल रहा था। शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। शाम को ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बहुगुणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
इनका जन्म 9 जनवरी 1927 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के छोटे से गांव मरोडा में हुआ। कुछ समय पहले बहुगुणा को बुखार व खांसी की शिकायत हुई थी। कोविड टेस्ट कराने पर उनकी रिपोर्ट पाजिटिव आई। एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल ने बताया कि बीती शाम से उनका आक्सीजन लेबल गिरने लगा था, जिसके बाद उन्हें आइसीयू में लाइफ सपोर्ट पर रखा गया।
चिपको आंदोलन प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा-शुक्रवार की दोपहर करीब 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पुत्र राजीव नयन बहुगुणा, प्रदीप बहुगुणा, पत्नी विमला बहुगुणा व पुत्री माधुरी पाठक अस्तपाल में ही मौजूद थे। दोपहर बाद तीन बजे उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेट कर पूर्णानंद घाट ले जाया गया। उनके पुत्र राजीव व प्रदीप बहुगुणा ने उन्हें मुखाग्नि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , राज्यपाल बेबीरानी मौर्य, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शोक प्रकट किया है।
चिपको आंदोलन प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा-न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के बड़े प्रतीक में शुमार सुंदरलाल बहुगुणा ने 1972 में चिपको आंदोलन को धार दी। साथ ही देश-दुनिया को वनों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप चिपको आंदोलन की गूंज समूची दुनिया में सुनाई पड़ी। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी बहुगुणा का नदियों, वनों व प्रकृति से बेहद गहरा जुड़ाव था। वह पारिस्थितिकी को सबसे बड़ी आर्थिकी मानते थे। यही वजह भी है कि वह उत्तराखंड में बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए छोटी-छोटी परियोजनाओं के पक्षधर थे। इसीलिए वह टिहरी बांध जैसी बड़ी परियोजनाओं के पक्षधर नहीं थे। इसे लेकर उन्होंने वृहद आंदोलन शुरू कर अलख जगाई थी।
चिपको आंदोलन प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा-उनका नारा था-‘धार ऐंच डाला, बिजली बणावा खाला-खाला।’ यानी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पेड़ लगाइये और निचले स्थानों पर छोटी-छोटी परियोजनाओं से बिजली बनाइये। सादा जीवन उच्च विचार को आत्मसात करते हुए वह जीवनपर्यंत प्रकृति, नदियों व वनों के संरक्षण की मुहिम में जुटे रहे। बहुगुणा ही वह शख्स थे, जिन्होंने अच्छे और बुरे पौधों में फर्क करना सिखाया। उनका विवाह विमला बहुगुणा से हुआ और दोनो के तीन बच्चे हुए और फिर 21 मई 2021 को सुंदरलाल बहुगुणा की मृत्यु अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में हो गई थी।
Quick Links
सुंदरलाल बहुगुणा जीवन परिचय।
- नाम – सुंदर लाल बहुगुणा (SundarLal Bahuguna)
- पत्नी का नाम – विमला बहुगुणा (Vimala Bahuguna)
- जन्म तिथि और स्थान (Date of birth) – 9 जनवरी 1927 , टिहरी-गढ़वाल, उत्तराखंड
- मृत्यु का समय और स्थान (date of death) – 21 मई 2021 , ऋषिकेश, उत्तराखंड
- प्रसिद्धि -चिपको आंदोलन पर्यावरण रक्षक, स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार
- पुरस्कार – राष्ट्रीय एकता पुरुस्कार (1984),
- वृक्ष मानव पुरुस्कार (1985),
- पद्म विभूषण (2009)
सुंदरलाल बहुगुणा और चिपको आंदोलन निबंध।
वर्ष 1973 में उत्तर प्रदेश के चमोली से प्रारंभ चिपको आंदोलन एक अहिंसक आंदोलन था।
चिपको आंदोलन में लोग वृक्षों के चारों ओर खड़े होकर चिपक गए। जिससे वृक्षों की कटाई रुक पाए।
भागीरथी नदी पर टिहरी बाँध विरोध आंदोलन
सुंदरलाल बहुगुणा ने उत्तराखंड के टिहरी बांध के विनाशकारी परिणामों को देखते हुए इसका विरोध किया और आजाद भारत में 74 दिनो तक इन्होने उपवास भी किया।
सुंदरलाल बहुगुणा और कश्मीर से कोहिमा की यात्रा।
इन्होंने 1980 के दशक में हिमालयन क्षेत्र का ध्यान खींचने के लिए कश्मीर से कोहिमा लगभग 4800 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा भी की।
सुंदरलाल बहुगुणा का पर्यावरण में योगदान और आंदोलन।
- ऋषिगंगा की बाढ़
- टिहरी बांध के खिलाफ प्रदर्शन
- चिपको आंदोलन
- वृक्षों की रक्षा
दलित और सुंदरलाल बहुगुणा।
सुंदरलाल बहुगुणा वैसे तो उच्च जाति में पैदा हुए लेकिन उत्तराखंड में चल रहे छुआछूत का उन्होंने खुलकर विरोध किया और दलितों के मसीहा बनकर सामने आए।
सुंदरलाल बहुगुणा की मृत्यु कब हुई।
सुंदरलाल बहुगुणा की मृत्यु 21 मई 2021 स्थान ऋषिकेश, उत्तराखंड में हुई थी।
FAQ
Q. सुंदरलाल बहुगुणा क्यों प्रसिद्ध थे?
Ans. भारत के एक महान पर्यावरण-चिन्तक एवं चिपको आन्दोलन के प्रमुख नेता थे।
Q. सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म कहाँ हुआ था?
Q. सुंदर लाल बहुगुणा का जन्म कब हुआ था?
Q. चिपको आंदोलन के 3 नेता कौन थे?
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