Sunday, April 28, 2024
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Akbar Birbal Ki Kahani In Hindi- सोने के कबूतर की चौरी जानिए अकबर और बीरबल की कहानी के बारे में

Akbar Birbal Ki Kahani In Hindi- सोने के कबूतर की चौरी- अकबर और बीरबल की कहानियाँ भारतीय लोककथाओं में से प्रमुख हैं, जिनमें मुग़ल सम्राट अकबर और उनके चाणक्यवत्सल मंत्री बीरबल के बीच के दिलचस्प और शिक्षाप्रद संवाद का वर्णन किया जाता है। ये कहानियाँ मनोरंजन के साथ-साथ मानवीय मूल्यों और बुद्धिमता के प्रतीक के रूप में भी जानी जाती हैं। Akbar Birbal Ki Kahani

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सोने के कबूतर की चौरी

एक बार की बात है, अकबर ने अपने मन्त्रियों से एक सवाल पूछा, “क्या तुम मुझे ऐसा कोई काम बता सकते हो जिससे मैं खुश रहूँ और दुखी न होऊँ?” मंत्रियों ने अकबर के सवाल का उत्तर देने का प्रयास किया, परंतु कोई सही उत्तर नहीं दे पाया। तब बीरबल ने अकबर से कहा, “महाराज, मैं आपके लिए एक ऐसा काम कर सकता हूँ, जिससे आप खुश रहेंगे और दुखी नहीं होऊँगे, परंतु उसके लिए मैं एक दिन का समय मांगता हूँ।”




अकबर ने बीरबल की विशेष बात सुनकर सहम गए, पर उन्होंने मान लिया। उन्होंने बीरबल को एक दिन की अवधि दी और उन्हें किसी ऐसे काम का पता लगाने का मौका दिया जिससे उनकी खुशी बढ़ सके।

अगले दिन, बीरबल ने एक सोने के कबूतर को पकड़ लिया और उसकी पूंछ में एक छोटा सा संदूक बांध दिया। फिर उन्होंने उसे छोड़ दिया। जब सोने के कबूतर अपने घर वापस गए, तो उनकी साथी कबूतर ने पूंछा, “तूने यह संदूक क्यों बांधी है?” सोने के कबूतर ने कहा, “मैंने देखा है कि मेरे मालिक बीरबल के पास सोने की संदूक छिपाई है, और उसे किसी और कबूतर से छिपने का मौका नहीं मिलता। मैं इस संदूक को छिपाकर उसकी खुशी बढ़ाना चाहता हूँ।” बीरबल ने अकबर से इस घटना की रिपोर्ट की और उन्होंने उसके द्वारा किए गए काम की व्याख्या की। अकबर ने बीरबल की बुद्धिमता को सराहा और उन्हें उनकी उम्र तक खुश रहने की इजाजत दी। सोने के कबूतर की चौरी

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि खुद को दूसरों के सुख में खुश देखने की कला ही सच्ची खुशी है, और अकेले आत्मसुख से हमें सच्ची खुशी नहीं मिल सकती।

अकबर और बीरबल की अन्य कहानी

अकबर की सोच

एक दिन अकबर ने अपने दरबार में एक बड़ी मुश्किल सवाल पूछा और कहा कि जो भी उसे सही उत्तर देगा, उसे बड़ा इनाम मिलेगा। बहुत सारे लोग अपने-अपने उत्तर देने आए, लेकिन उनमें से कोई भी सही उत्तर नहीं दे पाया। तब बीरबल आये और एक छोटे से बच्चे को उस सवाल का सही उत्तर दिया। अकबर ने बीरबल को इनाम दिया और उससे पूछा कि उसने कैसे सही उत्तर दिया। बीरबल ने कहा कि बच्चे के मानसिकता को समझने के बाद ही वह उत्तर दिया था। इससे अकबर ने यह सिखा कि समस्याओं का समाधान सोच-समझकर मिलता है।

खरगोश की अदलत

एक बार अकबर ने एक खरगोश के साथ दौड़ते समय एक खरगोश को मार दिया। खरगोश की मृत्यु के बाद उसके दोस्त अबेद की शिकायत करने लगे कि अकबर ने न्याय नहीं किया। अबेद ने कहा कि वह खरगोश की जान के बदले में एक खरगोश को मार से मार देगा। अकबर ने बीरबल से सलाह मांगी और बीरबल ने उन्हें यह समझाया कि किसी जानवर को मारकर किसी दूसरे जानवर को उसकी जान वापस नहीं मिल सकती है। उन्होंने अकबर को खरगोश को बचाने के लिए अबेद को सजा देने की सलाह दी।

बीरबल की छल

एक बार बीरबल को एक शत्रु ने धोखा दिया और उसकी संपत्ति छीन ली। बीरबल ने विचार किया कि कैसे उसको इसका पलटवार करना है। उन्होंने शत्रु को एक खेल खेलने के लिए कहा, जिसमें वे एक चादर के टुकड़ों को बदल-बदल कर देने के बाद उस चादर के टुकड़े का पूरा आकार बताना था। शत्रु ने खेल खेलकर टुकड़ों को बदल बदल कर दिखाया, लेकिन उसे चादर के टुकड़े का पूरा आकार याद नहीं रहा। बीरबल ने फिर उसे समझाया कि इसी तरह से वह उनकी संपत्ति की जानकारी भी नहीं रखता है और वे अब संपत्ति की जानकारी के बगैर उसे वापस नहीं कर सकते।

अकबर और बीरबल कौन थे

जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जिन्हें सिर्फ अकबर के नाम से भी जाना जाता है, मुग़ल साम्राज्य के तीसरे सम्राट थे। उनका राजसत्ताकारी और समझदारी से परिपूर्ण शासनकाल भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है। अकबर ने धर्मिक सहमति की नीति अपनाई और विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच सद्भाव बढ़ाने का प्रयास किया। उनकी राजसत्ता, कला, साहित्य, और समृद्धि के क्षेत्र में योगदान कायम है।

महेशदास भवनीराय वर्मा, जिन्हें बीरबल के नाम से भी जाना जाता है, अकबर के दरबार में एक प्रमुख और सजीव सलाहकार थे। उनकी समझदारी, तर्कशीलता, और विचारशीलता के कारण वे अकबर के द्वारा महत्वपूर्ण स्थान पर रखे गए थे। उनके और अकबर के बीच आकस्मिक प्रश्नों की चर्चा आम थी, और उनकी कई कहानियाँ शिक्षाप्रद और मनोरंजक होती थीं।

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अकबर और बीरबल की कहानिया

बीरबल की खोज

एक दिन बादशाह अकबर ने अपने दरबार में एक खेल आयोजित किया जिसमें कुछ बच्चे भाग लेने आए। बीरबल ने एक सर्कसवाले को बुलवाया और उसे एक दूध के प्याले के बीच से सिक्के निकालकर दिए। सर्कसवाला ने यह काम सफलतापूर्वक किया और बीरबल ने उसे बताया कि वह सिक्के को कैसे निकालता है। इससे सिख: अकलमंद व्यक्ति के पास समस्याओं का समाधान होता है।

बीरबल की छतरी

एक दिन बीरबल ने एक छतरी की तारीख के साथ दरबार के दरवाजे पर अपनी चिट्ठी छोड़ी। अकबर ने वह छतरी पहन ली और उसे पसंद किया, लेकिन बाद में उसने दरबार के लोगों के सामने वही छतरी फिर से पहनकर आने को कहा। इससे सिख: बुद्धिमता से और आपत्तियों के बावजूद भी सहयोग करना आवश्यक होता है।

खरगोश की ताकद़

एक दिन अकबर ने अपने दरबार में एक विवाद का मुद्दा उठाया कि खरगोश की ताकद़ क्या है। सभी दरबारी उनके खुदाई काम के लिए खरगोश को चुनौती देने लगे। बीरबल ने एक बड़े बटुआ में खरगोश को बंद करके अकबर के सामने रख दिया और कहा कि खरगोश जितने में उनकी ताकद़ है। खरगोश भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन बटुआ भारी था और खरगोश थक गया। इससे सिख: आपकी ताकद़ आपके संविदान की मात्रा में नहीं, बल्कि आपके प्राधिकृत उपयोग में है।

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