Monday, April 29, 2024
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पी टी उषा का जीवन परिचय P T Usha Biography in Hindi

पी टी उषा का जीवन परिचय, ताज़ा खबर, पूरा नाम, किस खेल से संबंधित है, आत्मकथा, करियर, शिक्षा, राज्यसभा सांसद (P T (Pilavullakandi Thekkeparambil) Usha Biography in Hindi) (Latest News, Full Name, Husband, Family, Daughter, Parents, Awards)

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पी टी उषा का जीवन परिचय-हेल्लो दोस्तों मैं रेनू बघेल आप कैसे है आशा करती हु की आप  सभी अच्छे होंगे तो आज में आप सभी को पी टी उषा के जीवन के बारे में बताउंगी। तो आइए जानते है



क्या आप लोग जानते है की पी टी उषा का पूरा नाम पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल उषा है। पीटी उषा भारत के सभी  महानतम एथलीटों में से एक हैं, जिन्हें अक्सर देश की “क्वीन ऑफ ट्रैक एंड फील्ड” कहा जाता है।

पी टी उषा का जीवन परिचय (P T Usha Biography in Hindi)

आप जानते होंगे की पीटी उषा लंबे स्ट्राइड के साथ एक बेहतरीन स्प्रिंटर भी  थीं। वो 1980 के दशक में अधिकांश समय तक एशियाई ट्रैक-एंड-फील्ड इवेंट्स में बेहतर रहीं है । जहां उन्होंने कुल 23 पदक जीते है  जिनमें से 14 स्वर्ण पदक थे। और आप जानते होंगे की पी टी उषा जहां भी वो दौड़ने जाती थी  वो दर्शकों की पसंद  बन जाती थीं।

जीवन परिचय बिंदु पी टी उषा जीवन परिचय
पूरा नाम पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा
अन्य नाम पय्योली एक्सप्रेस, गोल्डन गर्ल
जन्म 27 जून, 1964
जन्म स्थान पय्योली, कोज्हिकोड़े, केरल
माता-पिता टी वी लक्ष्मी – इ पी एम् पैतल
पति वी श्रीनिवासन
बेटा उज्जवल
प्रोफेशन ट्रैक एवं फील्ड एथलीट
हाईट 5 फीट 7 इंच
धर्म हिन्दू

पी टी उषा पूरा नाम, जन्म, परिवार, शुरूआती जीवन (P T Usha Full Name, Birth, Family, Early Life)

पी टी उषा का जीवन परिचय- क्या आप जानते है की पी टी उषा  केरल के कुट्टाली गाँव में जन्मी और  पीटी उषा ने पास के पय्योली स्कूल  में अध्ययन किया। और  बाद में उनको निकनेम के रूप में ’द पय्योली एक्सप्रेस’ का नाम मिला। उनकी प्रतिभा का पता तब चला जब वो करीब नौ साल की थीं।

पी टी उषा करियर की शुरुआत (P T Usha Career Start From)

पी टी उषा का जीवन परिचय-क्या आप जानते है की पी टी उषा सबसे पहले एक स्कूल की दौड़ में  पी टी उषा ने चौथी कक्षा के छात्रा को  देखते ही देखते स्कूल के चैंपियन को हरा दिया, जो उससे तीन साल सीनियर था। उसने शिक्षकों को हैरान कर दिया। अगले कुछ सालों में उनकी क्षमताओं ने उन्हें स्पोर्ट्स स्कूलों के पहले बैच में  जगह दिलाई, जिसे केरल सरकार ने स्थापित किया था।




क्या आप लोग जानते है की पीटी उषा ने राज्य और नेशनल गेम्स में अपना दबदबा कायम रखा और 16 साल की उम्र में ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली तत्कालीन सबसे कम उम्र की एथलीट बन गईं, जब उन्हें मास्को में 1980 के खेलों के लिए भारतीय दल में शामिल किया गया था।

क्या आप जानते है की (पी टी उषा) पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा का जन्म 27 जून 1964 में पय्योली गाँव में हुआ था, इन्हें पीटी उषा नाम से ही जाना जाता है. इनके पिता का नाम इ पी एम् पैतल है,  और इनकी  माता का नाम टी वी लक्ष्मी है  पी टी उषा का बचपन में बहुत स्वास्थ्य ख़राब था, लेकिन इन्होने अपने प्राइमरी स्कूल के दिनों में अपनी हेल्थ सुधार ली, और लोगों को इनके अंदर एक महान एथलीट की छवि दिखाई देने लगी। आइए जानते है पी टी उषा करियर की शुरुआत (P T Usha Career Start )

पी टी उषा का जीवन परिचय-सन 1976 में केरल सरकार ने कन्नूर में एक महिला खेल सेंटर की शुरुवात की। और  12 साल की पी टी उषा उन 40 महिलाओं में से  एक थी, जिनका चयन यहाँ ट्रेनिंग के लिए हुआ था।  इनके पहले कोच ओ.एम्. नम्बिअर थे। और सन  1979 में पी टी उषा पहली बार लाइमलाइट में आई थी तब उन्होंने नेशनल स्पोर्ट्स गेम्स में व्यक्तिगत चैम्पियनशिप जीती थी।




पी टी उषा अन्तराष्ट्रीय करियर (P T Usha International Career)

क्या आप जानते है की पी टी उषा ने एथलीट के तौर पर अपने अन्तराष्ट्रीय करियर की शुरुवात 1980 में करांची में हुए ‘पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट’ से की थी और इस एथलीट मीट में पी टी उषा ने 4 गोल्ड मैडल भारत के नाम किये थे। और क्या आप जानते है की 16 साल की इस छोटी सी लड़की ने भारत का सर, दुश्मन माने जाने वाले देश पाकिस्तान में बहुत ऊँचा कर दिया था।  इसके बाद 1982 में पी टी उषा ने ‘वर्ल्ड जूनियर इनविटेशन मीट’ में हिस्सा लिया, और 200 मीटर की रेस में इन्होने गोल्ड मैडल एवं 100 मीटर की रेस में ब्रोंज मैडल जीता था।  लेकिन इसके एक साल बाद ही कुवैत में हुए ‘एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशीप’ में पी टी उषा ने 400 मीटर की रेस में नया रिकॉर्ड कायम किया और गोल्ड मैडल जीताथा।

पी टी उषा का जीवन परिचय-1984 में होने वाले ओलंपिक की तैयारी जमकर करने लगी. 1984 में लॉसएंजिल्स में हुए ओलंपिक में पी टी उषा ने सेमी फाइनल के पहले राउंड की 400 मीटर बढ़ा दौड़ को अच्छे से समाप्त कर लिया,  हार के बाद भी पी टी उषा की यह उपलब्धि बहुत बड़ी थी, यह भारत के इतिहास में पहली बार हुआ था, जब कोई महिला एथलीट ओलंपिक के किसी फाइनल राउंड में पहुंची थी. इन्होने 55.42 सेकंड में रेस पूरी की थी, जो आज भी भारत के इवेंट में एक नेशनल रिकॉर्ड है.1985 में पी टी उषा ने इण्डोनेशिया के जकार्ता में ‘एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशीप’ में हिस्सा लिया, जहाँ इन्होने 5 गोल्ड और 1 ब्रोंज मैडल जीता. 1986 में 10 वें ‘एशियन गेम्स’ जो सीओल में हुआ था, वहां 200 मीटर, 400 मीटर, 400 मीटर बाधा एवं 4*400 मीटर रिले रेस में हिस्सा लिया, जिसमें चारों में ही उषा जी विजयी रहीं और गोल्ड मैडल भारत के नाम कर दिया




पी टी उषा अवार्ड्स (Awards won by P T Usha)

  • एथलेटिक्स के खेल के प्रति उनके प्रयास एवं उत्कृष्ट सेवा, साथ ही राष्ट्र का नाम ऊँचा करने के लिए पी टी उषा जी को 1984 में ‘अर्जुन अवार्ड’ दिया गया.
  • 1985 में देश के चौथे बड़े सम्मान ‘पद्मश्री’ से उषा जी को सम्मानित किया गया.
  • इसके अलावा इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने पी टी उषा जी को ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ़ दी सेंचुरी’ एवं ‘स्पोर्ट्स वीमेन ऑफ़ दी मिलेनियम’ का ख़िताब दिया.
  • 1985 में जकार्ता में हुए ‘एशियन एथलीट मीट’ में उषा जी को उनके बेहतरीन खेल के लिए ‘ग्रेटेस्ट वीमेन एथलीट’ का ख़िताब दिया गया था.
  • बेस्ट एथलीट के लिए पी टी उषा जी को सन 1985 एवं 86 में ‘वर्ल्ड ट्रोफी’ से सम्मानित किया गया था.
  • 1986 के एशियन गेम्स के बाद ‘एडिडास गोल्डन शू अवार्ड फॉर दी बेस्ट एथलीट’ का ख़िताब दिया गया.

केरल खेल पत्रकार

पी टी उषा का जीवन परिचय-हेल्लो दोस्तों मैं रेनू बघेल आप कैसे है आशा करती हु की आप  सभी अच्छे होंगे तो आज में आप सभी को पी टी उषा के जीवन के बारे में बताउंगी। तो आइए जानते है क्या आप लोग जानते है की पी टी उषा का पूरा नाम पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल उषा है। पीटी उषा भारत के सभी  महानतम एथलीटों में से एक हैं, जिन्हें अक्सर देश की “क्वीन ऑफ ट्रैक एंड फील्ड” कहा जाता है।

आप जानते होंगे की पीटी उषा लंबे स्ट्राइड के साथ एक बेहतरीन स्प्रिंटर भी  थीं। वो 1980 के दशक में अधिकांश समय तक एशियाई ट्रैक-एंड-फील्ड इवेंट्स में बेहतर रहीं है । जहां उन्होंने कुल 23 पदक जीते है  जिनमें से 14 स्वर्ण पदक थे। और आप जानते होंगे की पी टी उषा जहां भी वो दौड़ने जाती थी  वो दर्शकों की पसंद  बन जाती थीं।  क्या आप जानते है की पी टी उषा  केरल के कुट्टाली गाँव में जन्मी और  पीटी उषा ने पास के पय्योली स्कूल  में अध्ययन किया। और  बाद में उनको निकनेम के रूप में ’द पय्योली एक्सप्रेस’ का नाम मिला। उनकी प्रतिभा का पता तब चला जब वो करीब नौ साल की थीं। क्या आप जानते है की पी टी उषा सबसे पहले एक स्कूल की दौड़ में  पी टी उषा ने चौथी कक्षा के छात्रा को  देखते ही देखते स्कूल के चैंपियन को हरा दिया, जो उससे तीन साल सीनियर था। उसने शिक्षकों को हैरान कर दिया। अगले कुछ सालों में उनकी क्षमताओं ने उन्हें स्पोर्ट्स स्कूलों के पहले बैच में  जगह दिलाई, जिसे केरल सरकार ने स्थापित किया था।




क्या आप लोग जानते है की पीटी उषा ने राज्य और नेशनल गेम्स में अपना दबदबा कायम रखा और 16 साल की उम्र में ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली तत्कालीन सबसे कम उम्र की एथलीट बन गईं, जब उन्हें मास्को में 1980 के खेलों के लिए भारतीय दल में शामिल किया गया था।

क्या आप जानते है की (पी टी उषा) पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा का जन्म 27 जून 1964 में पय्योली गाँव में हुआ था, इन्हें पीटी उषा नाम से ही जाना जाता है. इनके पिता का नाम इ पी एम् पैतल है,  और इनकी  माता का नाम टी वी लक्ष्मी है  पी टी उषा का बचपन में बहुत स्वास्थ्य ख़राब था, लेकिन इन्होने अपने प्राइमरी स्कूल के दिनों में अपनी हेल्थ सुधार ली, और लोगों को इनके अंदर एक महान एथलीट की छवि दिखाई देने लगी।

 पी टी उषा करियर की शुरुआत (P T Usha Career Start )

सन1976 में केरल सरकार ने कन्नूर में एक महिला खेल सेंटर की शुरुवात की। और  12 साल की पी टी उषा उन 40 महिलाओं में से  एक थी, जिनका चयन यहाँ ट्रेनिंग के लिए हुआ था।  इनके पहले कोच ओ.एम्. नम्बिअर थे। और सन  1979 में पी टी उषा पहली बार लाइमलाइट में आई थी तब उन्होंने नेशनल स्पोर्ट्स गेम्स में व्यक्तिगत चैम्पियनशिप जीती थी।

 पी टी उषा अन्तराष्ट्रीय करियर (P T Usha International Career)

क्या आप जानते है की पी टी उषा ने एथलीट के तौर पर अपने अन्तराष्ट्रीय करियर की शुरुवात 1980 में करांची में हुए ‘पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट’ से की थी और इस एथलीट मीट में पी टी उषा ने 4 गोल्ड मैडल भारत के नाम किये थे। और क्या आप जानते है की 16 साल की इस छोटी सी लड़की ने भारत का सर, दुश्मन माने जाने वाले देश पाकिस्तान में बहुत ऊँचा कर दिया था।  इसके बाद 1982 में पी टी उषा ने ‘वर्ल्ड जूनियर इनविटेशन मीट’ में हिस्सा लिया, और 200 मीटर की रेस में इन्होने गोल्ड मैडल एवं 100 मीटर की रेस में ब्रोंज मैडल जीता था।  लेकिन इसके एक साल बाद ही कुवैत में हुए ‘एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशीप’ में पी टी उषा ने 400 मीटर की रेस में नया रिकॉर्ड कायम किया और गोल्ड मैडल जीताथा।

1984 में होने वाले ओलंपिक की तैयारी जमकर करने लगी. 1984 में लॉसएंजिल्स में हुए ओलंपिक में पी टी उषा ने सेमी फाइनल के पहले राउंड की 400 मीटर बढ़ा दौड़ को अच्छे से समाप्त कर लिया,  हार के बाद भी पी टी उषा की यह उपलब्धि बहुत बड़ी थी, यह भारत के इतिहास में पहली बार हुआ था, जब कोई महिला एथलीट ओलंपिक के किसी फाइनल राउंड में पहुंची थी. इन्होने 55.42 सेकंड में रेस पूरी की थी, जो आज भी भारत के इवेंट में एक नेशनल रिकॉर्ड है.1985 में पी टी उषा ने इण्डोनेशिया के जकार्ता में ‘एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशीप’ में हिस्सा लिया, जहाँ इन्होने 5 गोल्ड और 1 ब्रोंज मैडल जीता. 1986 में 10 वें ‘एशियन गेम्स’ जो सीओल में हुआ था, वहां 200 मीटर, 400 मीटर, 400 मीटर बाधा एवं 4*400 मीटर रिले रेस में हिस्सा लिया, जिसमें चारों में ही उषा जी विजयी रहीं और गोल्ड मैडल भारत के नाम कर दिया




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