Friday, May 3, 2024
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श्री श्री रवि शंकर की जीवनी Sri Sri Ravi Shankar Biography In Hindi




 श्री श्री रवि शंकर की जीवनी-श्री रवि शंकर जी विश्व भर में अपने कार्यों के लिए लोगो के बिच में बोहत   जाने जाते हैं. रवि शंकर जी का लक्ष्य दुनिया में शांति बकाए रखने का है।  और लोगों को तनाव से मुक्त जिंदगी देना है अपने इन्हीं लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इनके द्वारा ‘आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशनकी नीव  की सुरवात की गई थी और आज ये फाउंडेशन दुनिया भर में चर्चे पर है दुनिया भर में रवि शंकर के लाखों की संख्या में फॉलोअर का सहत भी है

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श्री श्री रवि शंकर की जीवनी

असली नाम रवि शंकर
जन्म स्थान पप्पानसमतमिलनाडु
जन्म तिथि 13 मई,1956
माता का नाम विसालक्षी रत्नम (Visalakshi Ratnam)
पिता का नाम आर.एस वेंकट रत्नम
कुल भाई-बहन एक बहन
पत्नी का नाम
पेशा आध्यात्मिक गुरु, शांति राजदूत
लंबाई 5’5
वजन 70 किलो
आंखों का रंग काला
बालों का रंग काला
कुल संपत्ति 1000 करोड़ के करीब

 

श्री रवि शंकर का जन्म और शिक्षा (Sri Ravi Shankar Birth And Education)-

श्री श्री रवि शंकर की जीवनी-रवि शंकर जी का जन्म सन् 1956 में हुआ जब इनके माता-पिता तमिलनाडु के निवासी थे. इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा, एमएसई बैंगलोर स्कूल से  पूरी की थी. वहीं  बैंगलोर  के सेंट. जोसेफ कॉलेज से इन्होंने विज्ञान में स्नातक  हासिल  कर। विज्ञान में डिग्री हासिल करने के साथ-साथ इन्होंने वैदिक साहित्य में भी स्नातक की उपाधि हासिल की हुई है। इन्होंने ये दोनों उपाधियां महज 17 वर्ष की आयु में पूरी कर ली थी.




 श्री रवि शंकर का परिवार (Sri Sri Ravi Shankar Family)

रवि शंकर जी के परिवार में इनके माता पिता के सात –सात  एक छोटी बहन भी शामिल है। इनके पिता का नाम आर. वेंकट रत्नम है और इनकी माता का नाम विसालक्षी रत्नम है. इनकी बहन का नाम भानुमती नरसिम्हन है और ये आर्ट ऑफ लिविंग महिला और बाल कल्याण कार्यक्रम के निदेशक के तौर परआपने काम  करती हैं.

श्री रवि शंकर का आध्यात्मिक गुरू बनने का सफर

श्री श्री रवि शंकर की जीवनी-अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त  करने के बाद रवि शंकर जी ने वैदिक विज्ञान पर उपदेश देने सोच।  जब  इन्होंने ये कार्य महर्षि महेश योगी के साथ काम किया था .

1980 के दशक में इन्होंने दुनिया भर में कई जगह  किया साल 1981 में रवि शंकर जी ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की सुरवात की।  इस फाउंडेशन के जरिए लोगों को तनाव और सामाजिक समस्याओं से लड़ने का ज्ञान और योग करना समझाया जाता है.

इन्होंने सन् 1983 में स्विटजरलैंड में पहली बार आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स की सुरवात की।  साल 1986 में रवि शंकर जी ने एक आर्ट ऑफ लिविंग कार्यशाला के लिए कैलिफोर्निया की यात्रा पैर गई  और जल्द ही ये यहां के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय बन गया।

आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन का विस्तार (Art of Living Foundation)

श्री श्री रवि शंकर की जीवनी-इस वक्त दुनिया के लगभग हर देश में आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना सुरु हो चुकी  ह।   और लाखों की संख्या में लोग आर्ट ऑफ लिविंग के वसत जोड़ गए है। कुल 152 देशों में स्थापित आर्ट ऑफ लिविंग के करीब दस लाख से जेयादा अनुयायी(Follower) अनुमाान किया जाते हैं. इसके अलावा ‘आर्ट ऑफ लिविंगपाठ्यक्रम नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को भी पढ़ाई जाता है.

रवि शंकर जी को मिले पुरस्कार और उपलब्धियां (Sri Sri Ravi Awards & Achievements)

रवि शंकर जी केवल भारत में ही  नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में अपने कार्यों के लिए प्रसिद्ध मने जाते हैं और इनको भारत सरकार के अलावा दुनिया के अन्य देशों द्वारा भी कई सारे सम्मानित किया जाता हैं और नीचे हम ने इनको मिल कुछ पुरस्कारों और उपलब्धियों की जानकारी बाती है 

साल 2016 में भारत सरकार ने रवि शंकर जी को ‘पद्म विभूषणअवार्ड से सम्मानित किया था . इसी साल इन्हें डॉ नागेंद्र सिंह अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार से भी सामान्य किया जा चुका है।  1986 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा रवि शंकर जी को ‘योग शिरोमणिका शीर्षक दिया गया था. इसके अलावा इन्हें साल 1997 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘गुरु महात्म्य खिताबसे दिया गया है. वहीं साल 2005 में इन्हें ‘शिरोमणि पुरस्कारभी हासिल कर चुका ह।  .

श्री श्री रवि शंकर की जीवनी-साल 2005  में अमेरिका में रवि शंकर जी को उनके द्वारा दिए गए योगदान के लिए ‘ग्लोबल ह्यूमनिटीअरी अवार्ड’  दिया है . वहीं साल 2010 में इन्हें आत्मज्योति अवार्ड  से सामनित किया गया 

रवि शंकर जी का नाम फोर्ब्स पत्रिका द्वारा बनाई गई एक सूची में जोड़ा गया था. साल 2009 में इस पत्रिका ने भारत के सबसे पांच ताकतवर व्यक्तियों की सूची चलिए गई थी और इस सूची में इनका नाम शामिल था

रवि शंकर जी के कार्यों को देखते हुए इन्हें साल 2012 में पैराग्वे सरकार द्वारा भी सम्मानित किया गया और इन्हें इस देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार दिया गया. इसी तरह रवि शंकर जी को पेरू की सरकार ने भी अपने देश का सर्वोच्च पुरस्कार दिकर सामनित किया।




रवि शंकर जी के द्वारा किए गए नेक कार्य (Social Work  Details)

रवि शंकर जी दुनिया भर में बतौर शांति राजदूत के रूप में मने जाते है  और ये आर्ट श्री श्री रवि शंकर की जीवनी-ऑफ लिविंग फाउंडेशन के माध्यम से अहिंसा और मानवता जैसा ज्ञान लोगो तक पहुंचते है। इनके द्वारा किए गए कुछ नेक कार्यों की जानकारी नीचे है. आप उन्हें पढ़े

कैदियों के लिए किया कार्य-

साल 1992 में रवि शंकर जी ने जेल के कैदियों के बेहतर जीवन के लिए भी पहल चलिए थी। जेसे  इन्होंने कैदियों की रिहाई के बाद उन्हें सम्मानित काम मिलने को लेकर एक प्रोग्राम जारी किया  था।

वैश्विक शांति को बढ़ावा देने का प्रयास-

विश्व में शांति बनाए रखने के मकसद से रवि शंकर जी ने पाकिस्तान और इराक देश का यात्रा की जिसे . अपने इस यात्रा  के दौरान रवि शंकर जी ने वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए इन देशों के राजनीतिक और धार्मिक नेताओं से मिले । 

सुनामी के वक्त की थी मदद-

इनकी आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने साल 2004 में हमारे देश में दस्तक दी सुनामी, से ग्रस्त हुए लोगों पहुचाई  थी. इनकी फाउंडेशन ने सुनामी  से पीड़ितों को भोजन और आश्रय दिया था इसके अलावा इनकी फाउंडेशन ने ‘कैटरीनानामक तूफान के वक्त भी लोगों की आर्तिक सहित की थी।  .

दिल्ली गैंग रेप को लेकर उठाई आवाज-

साल 2012 में दिल्ली गैंगरेप के मामले को लेकर शंकर जी ने एक पहल जारी  की थी. उनके द्वारा 5 दिसंबर, 2012 को जारी की गई इस पहल का नाम ‘बेहतर भारत के लिए स्वयंसेवी’ (‘Volunteer for Better India’) रखा था।

साल 1997 में की आईएएचवी की स्थापना-

साल 1997 में इन्होंने इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यू (आईएएचवी) की स्थापना करी , जो एक मानवीय संगठन था।  इस संगठन का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना और मानवीय मूल्यों की रक्षा करना है.

रवि शंकर जी के विचार (Sri Sri Ravi Shankar Philosophies)

रवि शंकर जी का मानना है कि हर व्यक्ति को रोज ध्यान जरूर करे।  ध्यान करने से श्री श्री रवि शंकर की जीवनी-आप एकदम तरोताजा होने के साथ-साथ मन संत  भी हो जाते हैं.  रवि शंकर जी की फिलोसोफी के अनुसार भगवान का निवास हर किसी के दिल में  होता है।

रवि शंकर जी  कहे है  कि हर धर्म में तीन विशेषतायेँ हैं जो कि रीति-रिवाज, प्रतीक और मूल्य है. इन विशेषताओं के दम पर एक शांतिपूर्ण और संयुक्त विश्व का निर्माण किया जाता  है. इसके अलावा इनके विचार में  एक ‘हिंसा मुक्त समाजका गठन धर्म के माध्यम से नहीं बल्कि आध्यात्मिकता के माध्यम से किया जाता है।  

रवि शंकर जी से जुड़े विवाद (Sri Sri Ravi Shankar Controversy in hindi)

सरकारी स्कूलों पर दिया था विवादित बयान साल 2012 में गुरु  श्री रविशंकर के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की गई थी ।  और ये शिकायत उनके द्वारा दिए गए एक विवादित बयान को लेकर थी।  दरअसल जयपुर में रवि शंकर जी ने एक बयान देते हुए कहा था कि सरकारी स्कूल में नक्सलवाद पनप रहा है और यहां के बच्चे नक्सलवादी  कहते  हैं. अपने इस बयान में इन्होंने आगे कहा कि हमारे देश के सभी सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में दे देना चाहिए. इनके इस बयान पर कई राजनेताओं ने नाराजगी दर्शी थी और  कपिल सिब्बल ने कहा था कि क्या हमारे देश के जो राष्ट्रपति सरकारी स्कूलों से सिक्छ प्रप्त की  , वो क्या नक्सली हैं.

यमुना तट को नुकसान पहुंचाने का विवाद

साल 2016 में दिल्ली में युमना नदी के पास विश्व संस्कृति महोत्सव मनाया गया था. ये महोत्सव आर्ट ऑफ लिविंग के स्‍थापना दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया था. वहीं इस महोत्सव के चलते यमुना तट को नुकसान पहुंचा था. इस नुकसान के लिए आर्ट ऑफ लिविंग को जिम्मेदार ठहराया गया था.

रवि शंकर जी का बाबरी मस्जिद पर बयान-

राम जन्म भूमि पर रवि शंकर जी ने एक बयान देते हुए कहते है। कि राम मंदिर वहां ही बनाया जहां ये पहले था और मस्जिद को थोड़ी दूरी पर बनाना चाहिए. इनके इसी बयान से एक समुदाय के लोग नाराजी दिखाई।. इतना ही नहीं बाबरी मुद्दे पर रवि शंकर ने  यही कहा था कि अगर इस मसले को हल नहीं किया गया, तो हमारे देश में सीरिया जैसे हालात हो जाएंगे. गौरतलब है कि कई सालों से सीरिया में युद्ध चल रहा है.



रवि शंकर से जुड़ी अन्य बातें-

रवि शंकर ने लिखी है किताब

रवि शंकर जी ने ‘सेलिब्रेटिंग साइलेंस’, नामक एक पुस्तक भी लिखी है. ये पुस्तक जब लोगो तक आई तो कुछ दिनों के अंदर ही इस किताब को करीब 1.4 लाख लोगों ने  पसंद की . इस किताब को अभी तक की सबसे लोकप्रियता पाने वाली किताबों कहते है।

 आर्ट ऑफ लिविंग का ‘सुदर्शन क्रियापाठ्यक्रम

इनके द्वारा बनाए गए सभी आर्ट ऑफ लिविंग कोर्सों में से, ‘सुदर्शन क्रिया’  काफी प्रसिद्ध पाठ्यक्रम है. इस पाठ्यक्रम की कई चिकित्सा संस्थानों द्वारा समीक्षा की गई थी . और समीक्षा के दौरान इस क्रिया को मस्तिष्क और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए कारगर मन गया था ।।

  श्री विश्वविद्यालय की स्थापना

श्री रवि शंकर जी ने साल 2009 के दौरान श्री श्री विश्वविद्यालय की नीव ओडिशा में रखी गई थी . इस विश्वविद्यालय का मकसद बच्चों को अच्छी शिक्षा देना है. इसके अलावा रवि शंकर जी हमारे देश के बच्चों की शिक्षा के लिए कई तरह के कार्य कर रहे  थे  ताकि हमारे देश को अच्छा भविष्य मिल सके और हमारा देश अच्छी तरक्की करे . वहीं हम उम्मीद करते हैं कि ये अपने इस लक्ष्य में जल्द कामयाब हो सकें.



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