अय्यप्पा मंडला पूजा कथा और महत्व –हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ “हमारे पुराणों में कई रोचक कथाएं संग्रहित हैं, जो हमें रीति-रिवाजों और त्योहारों के माध्यम से सिखाती हैं। उनमें से एक कथा है अय्यप्पा मंडला पूजा, जो हमें धार्मिक अनुष्ठान की महत्वपूर्णता को समझाती है। भारत में सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है सबरीमाला मंदिर, जो पथानामथिट्टा जिले में स्थित है। इस विशेष मंदिर का एक अन्य रोचक तत्व यह है कि यह वर्षभर नहीं खुलता, जिससे इसका महत्व और बढ़ता है। मंदिर में विभिन्न नियमों का पालन किया जाता है साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। केरल में सबरीमाला मंदिर को बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, यहां की तीर्थ यात्रीगण द्वारा अद्वितीयता से मनाई जाती है।”
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सबरीमाला मंदिर का इतिहास
यहां एक अठारह पहाड़ी पर स्थित है भगवान अय्यप्पा का मंदिर। इस, जैसे सभी मंदिर, पूरे वर्ष खुला नहीं रहता। इस मंदिर के अनुसार, मलयालम पंचाग के प्रति माह के पहले पांच दिनों तक ही यह खुला रहता है। इसके अलावा, यह मंदिर केवल मंडला पूजा के लिए ही खुलता है और विशेष पूजा और त्योहारों के दिन भी सबरीमाला मंदिर खुला रहता है। मंडला पूजा के दौरान, सबरीमाला में कई हजार भक्त एकत्र होते हैं।
आचार्यों के अनुसार, भगवान अय्यप्पा शिव और विष्णु के दिव्य संतान माने जाते हैं। इसके साथ ही, मकर संक्रांति के दिन, कतामाला पर्वत पर एक दिव्य प्रकाश ज्योति चमकी थी, जिससे इस स्थान को पवित्र सबरीमाला मंदिर के रूप में प्रमाणित हुआ।
सबरीमाला मंदिर विवाद और वर्तमान न्यूज़
अय्यप्पा मंडला पूजा कथा और महत्व –आजकल हम रोज़ न्यूज़ चैनल्स पर देखते हैं कि चाहे राम मंदिर अयोध्या में हो या काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में, तीर्थ स्थलों के संबंध में चल रहे विवादों का अगर कोई समाप्त नहीं हो रहा तो उसका उदाहरण केरल के सबरीमाला मंदिर का भी है। इस मंदिर के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले ने हिंदू मान्यता को आपस में खड़ा कर दिया है और इसे एक दूसरे के सामने खड़ा करता है। इस विवाद की दृष्टि से यह साफ है कि आज का आधुनिक और वैद्युत तकनीक का ज्ञान पुराने रीति-रिवाज़ों को स्वीकृति देने के लिए तैयार नहीं है, और यही इस विवाद का मुख्य कारण है।
क्या है पूरा मामला
केरल में स्थित इस मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा की जाती है, और यहां यह मान्यता प्राप्त है कि भगवान अय्यप्पा ब्रह्मचारी थे, इसलिए यहां छोटी बच्चियाँ और वृद्ध महिलाएं ही जा सकती हैं, जबकि अन्य सभी महिलाओं के लिए दर्शन निषेध है। इसके अलावा, किसी भी जाति और धर्म के लोग इस मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।
हाल ही में, उच्च न्यायालय ने इस संबंध में निर्णय लिया कि यहां दर्शन के लिए सभी महिलाओं को प्रवेश देना चाहिए। परंतु, मंदिर प्रशासन और संबंधित व्यक्तियों ने इस निर्णय को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। आज, जब इस मंदिर के दर्शन के लिए अगले 2 महीने के लिए द्वार खुलने वाले हैं, तो इस मुद्दे पर विवाद उभरा है। इस समय पुलिस ने हालत को काबू में करने के लिए कड़ा कदम उठाया है, और केरल के मुख्यमंत्री ने भी 15 नवंबर को एक बैठक बुलाई, लेकिन उसमें सहमति नहीं मिली और कुछ पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने बैठक छोड़कर चले गए।
इस मंदिर से जुड़ा तृप्ति देसाई का मामला
इस मंदिर में उच्च न्यायालय के फैसले के बाद, आज यहां महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई अपनी सहयोगियों के साथ दर्शन के लिए पहुंची. वे अल सुबह ही दर्शन के उद्देश्य से पुणे से रवाना होकर कोच्चि हवाई अड्डे पर पहुंच गई, परंतु उन्हे यहां कड़े विरोध का सामना करना पड़ा. वे पिछले कई घंटो से यहां फंसी हुई है और बाहर भाजपा और संघ के कार्यकर्ता उनका कडा विरोध कर रहें है. परंतु तृप्ति जी ने बिना दर्शन के वापस लौटने से इंकार कर दिया है और उन्होने राज्य सरकार से कड़ी सुरंक्षा की मांग भी की है.
कैसे और कब से चालू हुआ ये विवाद
अय्यप्पा मंडला पूजा कथा और महत्व –वर्ष 2006 में सबरीमाला मंदिर के मुख्य पूजारी ने यह दावा किया, कि इस मंदिर के भगवान की शक्ति क्षीण हो रही है, उनका यह दावा था कि यह सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि यहां किसी महिला ने प्रवेश किया है. इसके बाद एक कन्नड अभिनेता की पत्नी ने यह बात कबूल करी, कि भूल से उन्होने भगवान आयप्पा को छुआ इस कारण यह सब हुआ और वे इसका पश्चाताप करना चाहती है. और इसी घटना के बाद लोगों का ध्यान इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश वर्जित होने पर गया, और यहां के युवा अधिवक्ता एसोसिएशन ने उच्च न्यायालय में इस संबंध में याचिका दायर की. लगभग 10 साल बाद उच्च न्यायालय ने इस संबंध में अपना फैसला देते हुए कहा, कि महिलाओं के मौलिक अधिकार को देखते हुए हम उन्हे मंदिर में प्रवेश से वर्जित नहीं कर सकते और न्यायालय ने यहां महिलाओं को प्रवेश कि अनुमति दी
अब आज जब इस मंदिर में दर्शन शुरू हो चुका है तो यह देखना है कि यहां महिलाओं को प्रवेश मिलता है कि नहीं. यहां मंदिर की मान्यताओं को तव्व्जों मिलती है या उच्च न्यायालय के निर्णय को मंदिर प्रशासन स्वीकार करता है
मंडला पूजा 2023 में कब है
मंडला पूजा में अय्यप्पा भगवान की पूजा की जाती हैं, यह दक्षिण भारत का विशेष फेस्टिवल हैं, जिसमे पुरे 41 दिनों तक विधि विधान से पूजा होती हैं. दक्षिण भारत के आलावा पुरे देश और विदेश में जहाँ भी दक्षिणी भारतीय मूल के निवासी रहते है, वहां इस पूजा का आयोजन पुरे उत्साह से किया जाता हैं.
सबरीमाला मंदिर में मंडला पूजा बहुत उत्साह से की जाती हैं, यह पूरा व्रत पुरे विधान से 41 दिन चलता हैं और इन्ही 41 दिनों में सबरीमाला टेम्पल के पट अर्थात दरवाजे खुले होते हैं. वर्ष 2023 में यह पर्व 17 नवंबर को हैं. मंडला पूजा व्रत 27 दिसंबर तक रहेगा.
मंडला अय्यप्पा पूजा कथा एवं महत्व
मंडला पूजा में भगवान अय्यप्पा की पूजा का महत्व हैं. भगवान अय्यप्पा को हरिहर के नाम से भी जाना जाता हैं जिसका अर्थ हैं भगवान शिव एवं विष्णु का अंश. यहाँ हरी महत्व विष्णु एवम हर मतलब भगवान शिव से हैं. मान्यता यह हैं कि भगवान हरिहर मोहिनी जो कि विष्णु भगवान का नारी रूप थी की संतान हैं
अय्यप्पा मंडला पूजा कथा और महत्व –कथा इस प्रकार हैं राजा ने भगवान हरिहर को गोद लिया, लेकिन हरिहर इस बात से नाखुश होकर महल त्याग देते हैं, इसलिए पूजा के दौरान भगवान हरिहर की रथ यात्रा आज भी निकाली जाती हैं और मकर संक्रांति के दिन सबरीमाला तक लाई जाती हैं.
मंडला अय्यप्पा पूजा विधि
मंडला पूजा में भगवान अय्यप्पा की पूजा की जाती हैं यह पूजा पुरे 41 दिनों तक चलती हैं जिसमे सबसे पहले भगवान गणेश का आव्हान किया जाता हैं. इन दिनों में भजन कीर्तन किये जाते हैं एवम दक्षिणी सभ्यता के अनुसार सांस्कृतिक उत्सव भी होते हैं.
- इस पूजा के दौरान भक्त तुलसी माला अथवा रुद्राक्ष माला धारण करते हैं जो कि भगवान अय्यप्पा को अतिप्रिय हैं.
- माला धारण करने के बाद मनुष्य को इस दिन अपने मन एवं कर्मो को नियंत्रित कर पूरा ध्यान पूजा में लगाना होता हैं.
- मन की शुद्धता के साथ तन की शुद्धता का भी ध्यान रखा जाता हैं. पूजा के दौरान अलग तरह के वस्त्र धारण किये जाते हैं. और पूरी सफाई के साथ पूजा की जाती हैं.
- मंडला पूजा के दौरान भक्तो को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके शुद्ध पूजा के वस्त्र धारण करना होता हैं. नियमित कार्यो के बाद भगवान अय्यप्पा की पूजा की जाती हैं. भक्त जन अपने मस्तक पर चंदन और भभूती का लेप लगाते हैं.
- यह पूरा पूजा विधान शाम के वक्त भी किया जाता हैं.
- मंडला पूजा 41 से 56 दिनों की होती हैं. इसका पालन सभी अपनी मान्यतानुसार करते हैं.पूजा के दिनों में भक्त जन सबरी माला मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं.
- कई भक्त मंडला पूजा मकर संक्रांति के दिन तक करते हैं.
- मंडला पूजा में सबरी माला मंदिर के दर्शन का महत्व होता हैं. बड़े विधि विधान से इस पूजा का आयोजन किया जाता हैं. इसके नियम बहुत कठिन हैं जिनका सावधानी से ध्यानपूर्वक पालन किया जाता हैं.
भारत के हर एक प्रान्त में भगवान के अलग-अलग रूपों को पूजा जाता हैं. कई लोगो को इस बात में संदेह हैं कि भगवान का कोई अस्तित्व नहीं लेकिन इतनी बड़ी संख्या में दुनियाँ के हर एक देश में भगवान का कोई न कोई रूप मौजूद हैं केवल भारत ही नहीं हर जगह त्यौहार मनाये जाते हैं ऐसे में इस दिव्य शक्ति को झुठला पाना असंभव सा लगता हैं.
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