Friday, May 3, 2024
Homeपरिचयपी॰ वी॰ नरसिम्हा राव जीवन परिचय P V Narasimha Rao biography in...

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव जीवन परिचय P V Narasimha Rao biography in hindi




पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव जीवन-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है। में आज आपको बड़े ही महान वेक्ति के बारे में बताने जा रहा हु।

Cannect with JUGADME TEAM

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव जी भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री थे. यह दक्षिण से बनने वाले पहले प्रधानमंत्री थे . यह असंख्य प्रतिभा के घनी थे . इन्हें कई विधाओं का ज्ञान प्राप्त था . यह 1991-1996 के बीच भारत के प्रधानमंत्री थे .इन्हें संगीत, साहित्य एवम कला में विशेष रूचि अवन ज्ञान भी प्राप्त था . इन्हें विभिन्न भाषाओँ का ज्ञान प्राप्त था इन्हें भारतीय भाषाओँ के साथ स्पेनिश और फ़्रांसिसी भाषाओँ का भी ज्ञान था . यह बहुत शौक़ीन थे, इन्हें फ़िल्मी दुनिया से भी प्रेम था . राजनीति के साथ इन जगहों में भी रूचि होना इन्हें सबसे  अलग बनाता था . यह कर्मठ व्यक्ति थे जो डींगे हांकने के बजाय करने में विश्वास रखते थे

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव जीवन परिचय ।

क्रमांक जीवन परिचय बिंदु  राव जीवन परिचय
1. पूरा नाम पामुलापार्ती वेंकट नरसिम्हा राव
2. जन्म 28 जून 1921
3. जन्म स्थान करीम नगर गाँव, हैदराबाद
4. माता – पिता रुकमनीअम्मा – पी रंगा राव
5. म्रत्यु 23 दिसम्बर 2004 दिल्ली
6. पत्नी सत्याम्मा राव (मृत्यु 1970)
7. राजनैतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

इनका जन्म 28 June 1921 को आंध्रप्रदेश  के छोटे से गाँव करीम नगर  में हुआ था. 3 साल की उम्र में इन्हें पी. रंगा व रुकमनीअम्मा द्वारा गॉड ले लिया गया था. इसके बाद यही इनके माता पिता कहलाये.  इनका पूरा नाम पामुलापति वेंकट राव था इनके बहुत करीबी इस नाम से परिचित रहे . इनका अध्ययन उस्मानिया विश्वविद्यालय से प्रारंभ हुआ . इनकी उच्चतम शिक्षा बॉम्बे  एवम नागपुर से हुई. इन्होने लॉ में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी. नरसिम्हा जी की शादी सत्याम्मा से ही थी, जिनसे उन्हें 3 बेटे व् 5 बेटियां हुई. इनके बेटे भी इनकी तरह राजनीती में सक्रीय है.

पी वी नरसिम्हा राव का राजनैतिक सफ़र।

यह भारत में एक भारतीय वकील, स्वतंत्रता संग्रामी  एवम राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते है. इन्होने भारतीय राजनीति में बहुत अहम रोल अदा किया . इन्होने बहुत से आर्थिक परिवर्तन किये इसलिए इन्हें “भारतीय आर्थिक सुधारों के जनक” (Father of Indian Economic Reforms) भी कहा जाता है . इनके द्वारा लिए गए गंभीर फैसलों को आगामी प्रधानमंत्री ने भी जारी रखा. इन्होने डॉ मनमोहन सिंह  को वित्त मंत्री बनाया . राव के आदेष पर डॉ मनमोहन  ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष नीति प्रारंभ (International Monetary Fund policy) की. जिसके कारण बैंक में होने वाले भ्रष्टाचार में काफी कमी आई . राव को भारतीय संस्कृति से काफी लगाव था. भारत के राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम  ने  इनके लिए कहा था कि यह ऐसे देशभक्त है जो देश को राजनीति से सर्वोपरी मानते है .



पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव जीवन-राव का प्रधानमंत्री  के रूप में मिली प्रसिध्दी आज भी सजीव है . राव के कार्यकाल में ही अब्दुल कलाम जी ने परमाणु के परिक्षण की तरफ जोर दिया, पर 1996 के आम चुनाव  के कारण यह उस वक्त सम्भव नहीं हुआ, बाद में  परमाणु का सफल परिक्षण बीजेपी सरकार के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी  ने करवाया . उस वक्त कांग्रेस के सामने बीजेपी ने देश में एक प्रबल दावेदारी साबित कर दी थी . राव के कार्यकाल में देश में हिन्दू

मुस्लिम लड़ाई जोरो पर थी. बाबरी मस्जिद और राम मंदिर को लेकर देश में बहुत अशांति थी, जिसे भड़का कर देश के अन्य नेता अपनी राजनीति खेल रहे थे . सांप्रदायिक लड़ाई हमेशा ही देश की प्रगति में बाधक है जो कि आज तक देश में व्याप्त है . इन्ही सब घटनाओ जैसे इन्दिरा गाँधी की मौत के बाद देश में फैली अशांति, बाबरी मस्जिद के टूटने के कारण हुए दंगे इन्हें बहुत परेशनियों का सामना करना पड़ा.

नरसिम्हा राव जी को भ्रष्ट्राचारी होने का आरोप भी झेलना पड़ा, पर इन्होने किसी भी आरोप पर अपने मत नहीं रखे, इसलिए इन्हें गूंगा प्रधानमंत्री कहा गया. इन पर सांसदों को रिश्वत देकर अपनी तरफ कर लेने के भी आरोप लगे .

हर्षद मेहता ने इन पर 1 करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप लगाया. सांप्रदायिक झगड़ो ने उस वक्त भारत में आतंक फैला रखा था, जिस पर काबू पाना बहुत मुश्किल था . आंतकी ताकतों और सत्ता लोभियों ने इन परिस्थितियों का भरपूर फायदा उठाया . परिस्थितियों के कारण  प्रधानमंत्री  बनना तो आसान था, पर उसका निर्वाह करना बहुत कठिन हो गया था . इन्दिरा के कार्यकाल के दौरान नरसिम्हा राव जी गृहमंत्री थे, उस वक्त भी इन पर कई सवाल उठाये गए . राजीव गाँधी की मृत्यु के बाद नरसिम्हा राव जी को एक प्रबल दावेदार के रूप में देखा गया, इसलिए  इनका नाम प्रधानमंत्री के पद के लिए सामने आया .

नरसिम्हा राव जी का स्वास्थ्य बहुत ख़राब रहता था, लेकिन वे अपने दायित्वों का निर्वाह पूरी लगन और निष्ठा से किया करते थे. इनके दिल में देश प्रेम अपार था . स्वतंत्रता सेनानी से प्रधानमंत्री के पद में पहुँचने तक, इनमे  देशहित बहुत प्रबल था. यह पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो दक्षिण के थे, जिनको हिंदी नहीं आती थी. जवाहर नेहरु एवम गाँधी परिवार के अलावा यह पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने पुरे 5 सालों तक भारत के  शासन को

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव जीवन-सम्भाला. नरसिम्हा राव ने महाराष्ट्रा के नन्द्याल से चुनाव लड़ा और उसमें 5 लाख वोट से जीत हासिल की. जिसके लिए इनका नाम गिनीज़ बुक में शामिल किया गया .



इन्होने काँग्रेस को एक सफल राजनीति दी. उस वक्त प्रधानमंत्री  अगर सफल थे, तो वो गाँधी या नेहरु परिवार से थे, परन्तु उन सभी की मृत्यु ने देश को बहुत आघात पहुंचाया. उनके अलावा जो भी इस पद पर आसीन हुए, वे पुरे 5 वर्षं तक रहे नहीं कार्य कर पाए, इसलिए राव का योगदान बहुत सराहनीय था.

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव की मृत्यु  (P V Narasimha Rao death) –

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव की मृत्यु 2004 जून के महीने में हुई थी। उनका जन्म 28 जून 1921 को आंध्र प्रदेश के करीमनगर गांव में हुआ था और उन्होंने भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी। पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के सदस्य के रूप में राजनीति में भी काम किया था। उन्होंने भारत की आठवीं प्रधानमंत्री पद की कार्यकालीन शपथ 21 जून 1991 को ली थी और उन्होंने यह पद पांच वर्षों तक निभाया था। पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव अपनी अद्वितीय व्यक्तित्व और नीति-नियमों के प्रति अपनी संवेदनशीलता के लिए प्रसिद्ध हुए थे। उनकी मृत्यु के पश्चात भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न सम्मानित किया

पी वी नरसिम्हा राव का राजनैतिक करियर
(P V Narasimha Rao political career) –

पी.वी. नरसिम्हा राव का राजनैतिक सफ़र बहुत संघर्षपूर्ण और महत्वपूर्ण रहा है। वे भारतीय नेता और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के सदस्य थे।

नरसिम्हा राव ने 1977 और 1980 में आंध्र प्रदेश विधानसभा के चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में विजय प्राप्त की। उन्हें 1980 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का भी कार्यभार सौंपा गया।

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव जीवन-1984 में नरसिम्हा राव को भारतीय लोक सभा का सदस्य बनाया गया और वे 1991 तक नागरिक स्वाधीनता आंदोलन के बाद के सबसे लंबे समय तक लोक सभा के सदस्य रहे।

1991 में, जब भारत आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, नरसिम्हा राव को भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की प्रधानमंत्री पद की कार्यकालीन शपथ दिलाई गई। उनकी कार्यकाल में वे विशेष रूप से आर्थिक उदारीकरण, आर्थिक सुधार, और विदेशी निवेशों को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध थे।

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव का राजनीती से सन्यास (P V Narasimha Rao retirement) –

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव ने अपनी राजनीतिक करियर के बाद सन्यास नहीं लिया था। उन्होंने राजनीतिक जीवन के बाद भी सामाजिक और विचारिक क्षेत्र में अपना योगदान जारी रखा।

पदाधिकारी रूप से पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव ने अपनी सेवाएं संपादित कीं, जिसमें उन्होंने 1991-1996 के बीच प्रधानमंत्री के रूप में भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उनकी कार्यकाल में उन्होंने आर्थिक सुधारों, बदलते विश्व व्यापार में लिबरलीकरण, और नई आर्थिक नीतियों को प्रचुर महत्व दिया।

हमे पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव से क्या सिख मिलती है?

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव जीवन-पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव के जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण सीखें मिलती हैं।

  1. नरसिम्हा राव ने अपनी राजनीतिक करियर में बहुत सामरिकता और साहस दिखाए। उन्होंने अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संघर्ष किया और मुश्किल समयों में भी दृढ़ता और स्थिरता बनाए रखी। यह सीख हमें विपणित और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी मजबूत रहने की प्रेरणा देती है।
  2. नरसिम्हा राव एक नवीनताप्रिय नेता थे और अपने कार्यकाल में उन्होंने आर्थिक उदारीकरण और बदलते दुनियाभर के साथ कदम मिलाए। वे नई विचारधाराओं और नीतियों को स्वीकार करने के लिए साहसपूर्वक प्रेरित करते थे। हमें यह सिखाता है कि नवीनता, सोच को बदलने और प्रगति को स्वीकार करने की आवश्यकता होती है।
  3. नरसिम्हा राव को नीति-निष्ठा की प्रमुखता मिली थी। उन्होंने अपनी नीतियों के प्रति विशेष समर्पण और आदर्शता दिखाई। यह सीख हमें यह बताती है कि स्थिरता, सटीकता, और नीति-निष्ठा से चलना महत्वपूर्ण होता है ताकि हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।



Cannect with JUGADME TEAM

Also Read

RELATED ARTICLES
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Most Popular