Monday, May 20, 2024
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भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय Rakesh Sharma Biography In Hindi

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भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय

भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय: राकेश शर्मा भारत के पहले और विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री हैं। उन्होंने एक छोटे से शहर से शुरुआत की और भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बन गए। उन्होंने भारत को अंतरिक्ष में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राकेश शर्मा का जीवन परिचय  

भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय (Rakesh Sharma biography in hindi)

राकेश शर्मा भारत के पहले और विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री हैं। उनका जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। राकेश बचपन से ही विज्ञान में काफी रुचि रखते थे। बिगड़ी चीजों को बनाना और इलेक्ट्रॉनिक चीजों पर बारीकी से नजर रखना उनकी आदत थी। भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय

Rakesh Sharma Biography In Hindi राकेश ने 1966 में राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और भारतीय वायुसेना में शामिल हो गए। उन्होंने पायलट के रूप में उड़ान भरी और कई युद्धों में भाग लिया। 1982 में, उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया।

राकेश शर्मा का प्रारंभिक जीवन (Rakesh Sharma early life)

राकेश शर्मा ने 2 अप्रैल, 1984 को सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी। उन्होंने दो सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष स्टेशन सेल्यूट-7 पर सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए। उन्होंने इस दौरान कई प्रयोग किए, जिसमें भारत की तस्वीरें लेना और गुरूत्वाकर्षणहीनता में योग करना शामिल था।

अपने अंतरिक्ष अभियान के बाद, राकेश शर्मा को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। उन्होंने भारतीय वायुसेना में सेवा जारी रखी और 1987 में विंग कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए।

अंतरिक्ष में जाने के बाद, राकेश शर्मा ने भारत के युवाओं को प्रेरित करने के लिए काम किया है। उन्होंने कई विद्यालयों और कॉलेजों में व्याख्यान दिए हैं और अंतरिक्ष विज्ञान पर कई पुस्तकें लिखी हैं। वह आज भी एक लोकप्रिय वक्ता और लेखक हैं। भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय राकेश शर्मा भारत के लिए एक राष्ट्रीय गौरव हैं। उन्होंने भारत को अंतरिक्ष में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

राकेश शर्मा का कैरियर (Rakesh Sharma career)

  • बचपन और शिक्षा (1949-1966): राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही विज्ञान में रुचि दिखाई और 1966 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
  • भारतीय वायु सेना (1966-1987): स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद, राकेश शर्मा ने भारतीय वायु सेना में शामिल हो गए और पायलट के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने कई युद्धों में भी भाग लिया। 1982 में, उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया।
  • अंतरिक्ष यात्री (1982-1984): राकेश शर्मा ने 2 अप्रैल, 1984 को सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी। उन्होंने दो सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष स्टेशन सेल्यूट-7 पर सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए। उन्होंने इस दौरान कई प्रयोग किए, जिसमें भारत की तस्वीरें लेना और गुरूत्वाकर्षणहीनता में योग करना शामिल था।
  • अंतरिक्ष अभियान के बाद (1984-वर्तमान): अपने अंतरिक्ष अभियान के बाद, राकेश शर्मा ने भारतीय वायु सेना में सेवा जारी रखी और 1987 में विंग कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए। अंतरिक्ष में जाने के बाद, उन्होंने भारत के युवाओं को प्रेरित करने के लिए काम किया है। उन्होंने कई विद्यालयों और कॉलेजों में व्याख्यान दिए हैं और अंतरिक्ष विज्ञान पर कई पुस्तकें लिखी हैं। वह आज भी एक लोकप्रिय वक्ता और लेखक हैं।

राकेश शर्मा की उपलब्धियाँ (Rakesh Sharma achievements)

  • भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री: राकेश शर्मा भारत के पहले और विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री हैं। उन्होंने 2 अप्रैल, 1984 को सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी और अंतरिक्ष स्टेशन सेल्यूट-7 पर सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए।
  • अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में योगदान: राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन सेल्यूट-7 पर कई प्रयोग किए, जिनमें भारत की तस्वीरें लेना और गुरूत्वाकर्षणहीनता में योग करना शामिल था।
  • भारतीय युवाओं को प्रेरणा: राकेश शर्मा भारत के युवाओं को प्रेरित करने के लिए काम करते हैं। उन्होंने कई विद्यालयों और कॉलेजों में व्याख्यान दिए हैं और अंतरिक्ष विज्ञान पर कई पुस्तकें लिखी हैं।

राकेश शर्मा का जीवन घटनाक्रम (Rakesh Sharma life story)

  • 13 जनवरी, 1949: राकेश शर्मा का जन्म पंजाब के पटियाला में हुआ।
  • 1966: राकेश शर्मा ने उस्मानिया विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
  • 1966: राकेश शर्मा ने भारतीय वायु सेना में शामिल हो गए।
  • 1971: राकेश शर्मा ने पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में हिस्सा लिया।
  • 1982: राकेश शर्मा को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया।
  • 2 अप्रैल, 1984: राकेश शर्मा ने सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी और अंतरिक्ष स्टेशन सेल्यूट-7 पर सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए।
  • 1987: राकेश शर्मा ने भारतीय वायु सेना से विंग कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए।
  • वर्तमान: राकेश शर्मा अंतरिक्ष विज्ञान पर व्याख्यान देते हैं और लेखन कार्य करते हैं।

FAQ

Q: राकेश शर्मा के अंतरिक्ष यान का नाम

सोयूज ट-11

Q: राकेश शर्मा चांद पर कब गए थे

दो अप्रैल, 1984

Q: भारत के अंतरिक्ष यात्री कौन कौन है

राकेश शर्मा, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स और अब सिरिशा बांदला

Q:  भारत की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री कौन थी?

कल्पना चावला भारत में जन्मी पहली महिला अंतरिक्ष यात्

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय Dr Sarvepalli Radhakrishnan biography Hindi

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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय व अनमोल वचन ( Dr Sarvepalli Radhakrishnan biography and Quotes in hindi)

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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय Dr Sarvepalli Radhakrishnan biography Hindi

पूरा नाम डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
धर्म हिन्दू
जन्म 5 सितम्बर 1888
जन्म स्थान तिरुमनी गाँव, मद्रास
माता-पिता सिताम्मा, सर्वपल्ली विरास्वामी
विवाह सिवाकमु (1904)
बच्चे 5 बेटी, 1 बेटा

 

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। वे एक प्रसिद्ध दार्शनिक, शिक्षाविद और लेखक भी थे। उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था। उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। डॉ. राधाकृष्णन ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा को एक व्यापक प्रक्रिया के रूप में देखा, जो केवल ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का भी मार्ग प्रशस्त करती है। उनके अनुसार, शिक्षा का लक्ष्य व्यक्ति को एक सभ्य और जिम्मेदार नागरिक बनाना है। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीय एकता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

डॉ. राधाकृष्णन ने भारत के राष्ट्रपति के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी मजबूत किया।

डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षा के क्षेत्र

  • शिक्षा का केन्द्र विद्यार्थी होना चाहिए।
  • शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के सर्वांगीण विकास करना होना चाहिए।
  • शिक्षा व्यक्ति को ज्ञान और कौशल प्रदान करनी चाहिए।
  • शिक्षा व्यक्ति को एक सभ्य और जिम्मेदार नागरिक बनानी चाहिए।
  • शिक्षा राष्ट्रीय एकता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देनी चाहिए।

डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षा के क्षेत्र में की गई सेवाओं के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनका जन्मदिन भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय Dr Sarvepalli Radhakrishnan biography Hindi

डॉ. राधाकृष्णन के कुछ प्रमुख कार्यों

  • उन्होंने “द इंडियन फिलॉसफी” और “द मिस्टिक एंड द मैन ऑफ साइंस” जैसी प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं।
  • उन्होंने भारत में कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए।
  • डॉ. राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उनकी शिक्षा के क्षेत्र में की गई सेवाएं भारत के लिए अमूल्य हैं।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की शिक्षा (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Education) –

  • प्रारंभिक शिक्षा: तिरुमनी में स्थानीय स्कूल में।
  • माध्यमिक शिक्षा: तिरुपति के लुथरन मिशन स्कूल में।
  • उच्च शिक्षा: मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से दर्शनशास्त्र में एम.ए. (1906) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में डी.लिट. (1916)।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय: डॉ. राधाकृष्णन जी ने प्रारंभिक शिक्षा अपने गृहनगर तिरुमनी में प्राप्त की। माध्यमिक शिक्षा के लिए वे तिरुपति के लुथरन मिशन स्कूल गए। 1904 में, उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में दर्शनशास्त्र में प्रवेश लिया। 1906 में, उन्होंने दर्शनशास्त्र में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। 1909 में, डॉ. राधाकृष्णन जी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। 1916 में, उन्होंने दर्शनशास्त्र में डी.लिट. की उपाधि प्राप्त की। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में, उन्होंने दर्शनशास्त्र के प्रसिद्ध प्रोफेसर एफ.एच. ब्रैडले से शिक्षा प्राप्त की।

डॉ. राधाकृष्णन जी एक प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने अपनी शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने शोध प्रबंध में भारतीय दर्शन पर महत्वपूर्ण कार्य किया। डॉ. राधाकृष्णन जी की शिक्षा ने उन्हें एक महान दार्शनिक और शिक्षाविद बनने में मदद की। उनकी शिक्षा के क्षेत्र में की गई सेवाओं के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनका जन्मदिन भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के करियर की शुरुवात –

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की। 1909 में, उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के व्याख्याता के रूप में नियुक्ति प्राप्त की। 1916 में, उन्हें मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत किया गया। डॉ. राधाकृष्णन जी एक उत्कृष्ट शिक्षक थे। उन्होंने अपने छात्रों को भारतीय दर्शन के महत्व के बारे में सिखाया। उन्होंने छात्रों को स्वतंत्र विचार करने और अपने स्वयं के दर्शन विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया।

1921 में, डॉ. राधाकृष्णन जी को मद्रास विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने इस पद पर 1936 तक कार्य किया। इस दौरान, उन्होंने विश्वविद्यालय के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय में कई नए विभागों और कार्यक्रमों की स्थापना की। उन्होंने विश्वविद्यालय के अनुसंधान कार्य को भी बढ़ावा दिया।

1939 में, डॉ. राधाकृष्णन जी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने इस पद पर 1948 तक कार्य किया। इस दौरान, उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ. राधाकृष्णन जी ने अपने करियर के दौरान कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्य किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

डॉ. राधाकृष्णन जी एक महान दार्शनिक, शिक्षाविद और समाज सुधारक थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी शिक्षा के क्षेत्र में की गई सेवाओं के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनका जन्मदिन भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉ. राधाकृष्णन जी के करियर की शुरुआत

  • उन्होंने 1909 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के व्याख्याता के रूप में नियुक्ति प्राप्त की।
  • वे एक उत्कृष्ट शिक्षक थे और उन्होंने अपने छात्रों को भारतीय दर्शन के महत्व के बारे में सिखाया।
  • 1921 में, उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया।
  • 1939 में, उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया।

उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनकी शिक्षा के क्षेत्र में की गई सेवाओं के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

डॉ.राधाकृष्णन को मिले सम्मान व अवार्ड (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Awards)–

  • 1954 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
  • 1962 से, उनके जन्मदिन 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • 1968 में, उन्हें साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित किया गया।
  • 1975 में, उन्हें अहिंसा को बढ़ावा देने और ईश्वर के एक सामान्य सत्य को व्यक्त करने के लिए टेम्पलटन पुरस्कार मिला।

डॉ. राधाकृष्णन को 1933 से 1937 तक लगातार पांच बार साहित्य में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। उन्हें 1939 और 1940 में भी इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।

डॉ. राधाकृष्णन को कई अन्य सम्मान और अवार्ड

  •  ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लॉज (डी.एल) की मानद उपाधि (1926)
  • मद्रास विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ साइंस (डी.एससी) की मानद उपाधि (1931)
  • बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (डी.फिल.) की मानद उपाधि (1936)
  • कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लॉज (डी.एल) की मानद उपाधि (1937)
  • ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लेटर्स (डी.लिट.) की मानद उपाधि (1947)

डॉ. राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उन्हें मिले सम्मान और अवार्ड उनकी उपलब्धियों और योगदानों को दर्शाते हैं। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Death)-

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का निधन 17 अप्रैल, 1975 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ। वे 86 वर्ष के थे। उनकी मृत्यु दिल की बीमारी के कारण हुई थी।

डॉ. राधाकृष्णन जी की मृत्यु भारत के लिए एक बड़ी क्षति थी। उन्होंने भारत को एक महान देश बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी शिक्षा के क्षेत्र में की गई सेवाओं के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनका जन्मदिन भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन जी की मृत्यु के बाद, उन्हें भारत के राजकीय सम्मान के साथ सम्मानित किया गया। उन्हें राजकीय अंतिम संस्कार दिया गया और उन्हें नई दिल्ली के राजघाट पर दफनाया गया।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल वचन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Quotes)

शिक्षक व्यक्ति ज्ञान के प्रेरणास्त्रोत होते हैं।”


“विद्या ददाति विनयं”


“सपने वो नहीं जो हम सोते वक्त देखते हैं, सपने तो वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।”


“सिखाने वाले को सदैव श्रद्धान्जलि दीजिए, अगर आपका शिक्षक आपकी श्रद्धान्जलि की प्रतीक्षा करें तो वह सच्चे शिक्षक हैं।”


“जीवन का अर्थ विकास है, न केवल व्यक्तिगत विकास बल्कि भाषाओं, विचारों, विज्ञानों और साहित्य के क्षेत्र में सामाजिक विकास भी।”


“मानवता में सबसे बड़ा यग्य त्याग है, सबसे बड़ा त्याग धर्म है, सबसे बड़ा धर्म सच्चाई है, सबसे बड़ी सच्चाई अहिंसा है।”


“जीवन में सफलता के लिए असफलता का सामर्थ्य होना आवश्यक है।”


“हमें स्वयं को बदलने की क्षमता रखनी चाहिए, क्योंकि हम जितने बड़े होते जाते हैं, हमें बदलने की जरूरत बढ़ती जाती है।”


“जीवन का तात्पर्य सीखना है, न केवल जीना।”


“कर्म करो, फल की इच्छा ना करो।”


FAQ

Q: राधाकृष्णन के अनुसार शिक्षा क्या है?

विद्यार्थी में नैतिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, व्यावसायिक आदि मूल्यों का संचरण करने का प्रयास करना चाहिए

Q; डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?

समाज में शिक्षकों के महत्व को पहचानने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है

Q: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत रत्न कब मिला

1954

बलबीर सिंह जीवन परिचय | Balbir Singh Sr. Biography in Hindi

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बलबीर सिंह जीवन परिचय

बलबीर सिंह जीवन परिचय-हेलो दोस्तों मैं अंजलि आज आप को बलबीर सिंह के बारे में बताऊँगी बलबीर सिंह भारत के हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्होने ओलम्पिक में रिकॉर्ड बनाया है। वे भारत की उन तीन ओलम्पिक टीमों में शामिल थे जिसने स्वर्ण पदक जीता (लन्दन-१९४८, हेलसिंकी-१९५२, मेलबोर्न-१९५६)। उन्होने १९५२ के ओलम्पिक में नीदरलैण्ड के विरुद्ध पाँच गोल किये थे जो अभी तक रिकॉर्ड है। उन्हें प्रायः ‘बलबीर सिंह सीनियर’ कहा जाता है ‘बलबीर सिंह’ नामक ताकि हॉकी के दूसरे खिलाड़ी से भ्रम न हो। बलबीर सिंह सीनियर ऐसे हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्होंने सबसे अधिक हॉकी गोल का रिकार्ड अपने नाम किया है।

बलबीर सिंह जीवन परिचय-1952 के ओलपिंक के दौरान फायनल में नीदरलैंड के विरूद्ध खेलते हुए बलबीर सिंह ने पांच गोल कर रिकॉर्ड बनाया था। उन्हें बलबीर सिंह सीनियर एक अन्य हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह से अलग पहचान के लिए कहा जाता है। भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर और चीफ कोच 1975 में थे। उनके कोच रहते भारतीय टीम भारत ने पुरूषों का हॉकी वर्ल्डकप जीता। 1971 में भारत ने पुरूषों के हॉकी वर्ल्डकप में कांस्य पदक जीता।  2012 के लंदन ओलंपिक के दौरान, रॉयल ओपेरा हाउस के द्वारा सिंह का सम्मान किया गया।

बलबीर सिंह जीवन परिचय Balbir Singh Sr. Biography in Hindi 

क्रमांक जीवन परिचय बिंदु बलबीर सिंह जीवन परिचय
1. पूरा नाम बलबीर सिंह दोसांझ
2. अन्य नाम बलबीर सिंह सीनियर
3. जन्म 10 अक्टूबर 1924 (92)
4. जन्म स्थान हरिपुर खालसा, पंजाब
5.  पिता दलीप सिंह दोसांझ
6. पत्नी सुशील
7. बच्चे
  • बेटी – सुश्बीर
  • बेटा – खंवाल्बिर, करणबीर, गुरबीर
8. स्थानीय पता बुर्नाबी, कैनेडा 

चंड़ीगढ़, भारत

बलबीर सिंह जीवन परिचय-बलबीर सिंह दोसांझ का जन्म 10 अक्टूबर 1924 को पंजाब के हरिपुर खालसा में हुआ था. बलबीर सिंह ने अपने स्कूल की पढाई देव समाग हाई स्कूल मोगा से की है. इसके बाद कॉलेज की पढाई डी एम् कॉलेज और खालसा कॉलेज अमृतसर से आगे की पढाई की थी. बलबीर ने कम उम्र में ही होकी खेलना शुरू कर दिया था. 1936 में हुए बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम विजयी रही थी, जिसे देख बलबीर बहुत प्रेरित हुए थे. बलबीर पहले सिख नेशनल कॉलेज, लाहोर में थे, जहाँ वे होकी टीम के खिलाड़ी भी रहे थे. यहाँ उनकी मुलाकात कोच हरबैल सिंह से हुई, इन्होंने बलबीर सिंह को अमृतसर के खालसा कॉलेज में दाखिला लेने को बहुत बोला. 1942 में बलबीर सिंह को उनके परिवार वालों ने हां बोल दिया और उन्होंने खालसा कॉलेज में दाखिला ले लिया. यहाँ वे कोच हरबैल सिंह के अंडर में रहकर होकी की प्रैक्टिस करने लगे.

प्रारंभिक जीवन

बलबीर सिंह जीवन परिचय-बलबीर सिंह दोसांझ का जन्म 10 अक्टूबर 1924 को पंजाब के हरिपुर खालसा में हुआ था. बलबीर सिंह ने अपने स्कूल की पढाई देव समाग हाई स्कूल मोगा से की है. इसके बाद कॉलेज की पढाई डी एम् कॉलेज और खालसा कॉलेज अमृतसर से आगे की पढाई की थी. बलबीर ने कम उम्र में ही होकी खेलना शुरू कर दिया था. 1936 में हुए बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम विजयी रही थी, जिसे देख बलबीर बहुत प्रेरित हुए थे.

बलबीर सिंह करियर

बलबीर सिंह जीवन परिचय-बलबीर सिंह ने पहली बार ओलंपिक के लिए 1948 में लन्दन ओलंपिक में खेला था. यहाँ उन्होंने अर्जेंटीना के खिलाफ दूसरा मैच खेला था, जिसे इंडिया ने 9-1 से जीता था. बलबीर ने इस मैच में 6 गोल मारे थे, जिसमें उन्होंने हेट्रिक भी लगाई थी. इस ओलंपिक के फाइनल मैच में भारत का ब्रिटेन से मुकाबला था, जिसे भारत ने 4-1 से जीता था. 4 में से 2 गोल बलबीर सिंह ने मारे थे. भारत ब्रिटेन आजादी के बाद पहली बार आमने सामने खड़ा था, इस मैच को सभी भारतीय बड़ी उत्सुकता के साथ देख रहे थे. पहली बार इसी ओलंपिक में बलबीर सिंह की वजह से भारत को गोल्ड मैडल मिला था.

बलबीर सिंह जीवन परिचय-1952 में हेलसिंकी में एक बार फिर ओलंपिक में बलबीर सिंह को खेलने का मौका मिला. इस बार बलबीर सिंह को टीम का वाईस कैप्टेन बनाया गया जबकि के डी सिंह बाबु टीम के कैप्टेन थे. बलबीर सिंह इस समारोह के उद्घाटन में भारत के ध्वजवाहक थे. इस ओलंपिक में भारत का सेमीफाइनल मैच ब्रिटेन के साथ था. इसमें 3-1 से भारत विजयी था, जिसमें तीनों गोल बलबीर सिंह ने मारे थे. इसके बाद फाइनल मैच नीदरलैंड के खिलाफ था, जिसमें भारत 6-1 से विजयी रहा. इस मैच में बलबीर सिंह ने 5 गोल मारे, जिसने ओलंपिक में एक रिकॉर्ड कायम कर दिया था. साथ ही हेट्रिक भी मारी. इस ओलंपिक में भारत ने 13 गोल किये थे, जिसमें से 9 बलबीर सिंह के खाते में आये. जो पूरी टीम 69.23% था.

बलबीर सिंह जीवन परिचय-1956 में मेलबर्न ओलंपिक में बलबीर सिंह को टीम का कैप्टेन बना दिया गया. यहाँ पहले ही ओपनिंग मैच में बलबीर सिंह ने अफगानिस्तान के खिलाफ 5 गोल किये थे. इसके बाद बलबीर सिंह को मैच के दौरान चोट लग गई थी, जिसके बाद वे कुछ मैच नहीं खेल पाए थे. इस दौरान ग्रुप मैच के समय रणधीर सिंह को टीम का कप्तान बनाया गया था. बलबीर सिंह ने कुछ ग्रुप मैच नहीं खेले लेकिन उन्होंने सेमीफाइनल और फाइनल मैच में अपनी उपस्तिथि दर्ज कराई. भारत का फाइनल मैच पाकिस्तान के खिलाफ था, जिसे भारत ने 1-0 से जीता था.बलबीर सिंह जीवन परिचय

अन्य टूर्नामेंट

बलबीर सिंह जीवन परिचय-बलबीर सिंह ने 1958 में टोकियो एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. जहाँ टीम को सिल्वर मैडल मिला था. इसके बाद इन्होने 1962 में जकार्ता एशियन गेम्स में भी टीम को सिल्वर मैडल दिलाया था. 1971 में भारतीय होकी टीम वर्ल्ड कप के लिए गई थी, जहाँ टीम के कोच बलबीर सिंह थे. टीम ने वर्ल्ड कप में ब्रोंज मैडल जीता था. इसके बाद 1975 में एक बार फिर वर्ल्ड कप के दौरान बलबीर सिंह टीम के मेनेजर और चीफ कोच थे. इस समय भारतीय होकी टीम ने वर्ल्ड कप की ट्रोफी जीत कर अपने कोच बलबीर सिंह और भारत का नाम गौरवान्वित किया था.

पर्सनल लाइफ

बलबीर सिंह जीवन परिचय-बलबीर सिंह के पिता का खानदान दोसांझ परिवार से थे, जो पंजाब के पवाद्र के रहने वाले थे, जबकि इनकी माँ का खानदान धनोअ था, जो हरिपुर खालसा के रहने वाले थे. दोनों ही गाँव फिलौर तहसील के जालंधर जिला में आते थे. बलबीर सिंह के पिता दलीप सिंह दोसांझ एक स्वतंत्रता संग्रामी थे. भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के बारे में जानने के लिए यहाँ पढ़ें. इनका परिवार मॉडल टाउन, लाहोर में रहा करता था. बलबीर सिंह की शादी 1946 में सुशिल नाम की लड़की से हुई थी. इनकी एक बेटी सुश्बीर सिंह और 3 बेटे कंवाल्बिर, करणबीर और गुरबीर सिंह है. बलबीर सिंह का पूरा परिवार अब कैनेडा में रहता है.बलबीर सिंह जीवन परिचय

बलबीर सिंह अवार्ड्स एवं अचीवमेंट

  • बलबीर सिंह पहले ऐसे स्पोर्ट्स पर्सन थे, जिन्हें भारत में 1957 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.
  • 1956 के मेलबोर्न ओलंपिक के बाद डोमिनिकन गणराज्य द्वारा 1958 में बलबीर सिंह और गुरदेव सिंह के नाम पर एक डाक टिकट जारी किया गया था.
  • 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियन गेम्स में बलबीर सिंह जी ने ही मशाल जलाकर कार्यक्रम की शुरुवात की थी.
  • 1982 में पायनियर न्यूज़पेपर ने एक पोल करवाया था, जिसमें बलबीर सिंह को सदी का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी कहा गया था.
  • सन 2006 में बलबीर सिंह को बेस्ट सिख होकी प्लेयर कहा गया था. तब बलबीर सिंह ने कहा था कि वे एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवादी है, किसी धर्म विशेष की सूचि में वे अपना नाम दर्ज नहीं कराना चाहते. भारतीय होकी का इससे प्रचार होगा, इसलिए उन्होंने इस अवार्ड को स्वीकार कर लिया था.
  • भारतीय होकी ने बलबीर सिंह को सन 2015 में मेजर ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया था.
  • बलबीर सिंह बुक्स
  • बलबीर सिंह ने 2 पुस्तकें लिखी है. ‘दी गोल्डन हेट्रिक’ (1977) एवं ‘दी गोल्डन यार्डस्टिक: इन क्वेस्ट ऑफ़ होकी एक्स्सलेंस’ (2008). ये दोनों बलबीर सिंह जी की ऑटो बायोग्राफी है.
  • अक्षय कुमार फिल्म ‘गोल्ड’

बलबीर सिंह जीवन परिचय-बलबीर सिंह के जीवन पर अक्षय कुमार गोल्ड फिल्म कर रहे है. इस बात की जानकारी अक्षय ने ट्विटर पर दी. उन्होंने बताया कि फिल्म 15 अगस्त 2018 को आएगी. फिल्म को फरहान अख्तर और रितेश सिद्वानी बना रहे है, जिसे डायरेक्ट तलाश फिल्म बना चुकी रीमा कागती करेंगी. अक्षय कुमार का जीवन परिचय, फिल्मों के बारे में पढने के लिए यहाँ क्लिक करें.

बलबीर सिंह जीवन परिचय-खिलाड़ी कुमार की देश भक्ति पर आधारित एयरलिफ्ट और रुस्तम बहुत हिट रही है. गोल्ड फिल्म के द्वारा अक्षय कुमार पहली बार किसी बायोपिक पर काम करेंगें. देश को पहला गोल्ड मैडल दिलाने वाले बलबीर सिंह का किरदार अक्षय कुमार बड़े परदे पर सबके सामने प्रस्तुत करेंगें. बलबीर सिंह ने भारत का नाम इतना गौरवान्वित किया, लेकिन उन्हें फिर भी उस हिसाब से सम्मान नहीं मिला. उनके नाम को होकी के खेल में उतनी अहमियत नहीं मिली, जितनी मिलनी चाहिए थी. फील्ड से रिटायर होने के बाद भी बलबीर सिंह ने राष्ट्रीय खेल को नहीं छोड़ा. वे भारतीय टीम के कोच या मेनेजर के रूप में कई सालों तक कार्यरत रहे. 92 साल की उम्र में अब बलबीर सिंह अपने परिवार के साथ कैनेडा में रहते है. के एम नानावटी केस व रुस्तम फिल्म के बारे में पढ़े.

बलबीर सिंह जीवन परिचय-यह पहली बार नहीं है कि अक्षय कुमार कोई एतेहासिक फिल्म कर रहे है, इससे पहले उन्होंने एयरलिफ्ट, रुस्तम और स्पेशल 26 जैसी फ़िल्में की है, जिसमें किसी तरह से भारत का इतिहास जुड़ा हुआ है. अक्षय कुमार की गोल्ड फिल्म का जनता को बेसब्री से इंतजार रहेगा, क्यूंकि आज के समय में उनसे बेहतर कोई भी देश भक्ति से पूर्ण फ़िल्में नहीं कर सकता है. अक्षय कुमार को आज के समय में बॉलीवुड के बहुमुखी प्रतिभा के धनी है, जो रोमेंटिक, कॉमेडी, सीरियस सभी रोल को बखूबी निभाते है.

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धनराज पिल्लै जीवन परिचय | Dhanraj Pillay Biography in Hindi

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धनराज पिल्लै जीवन परिचय |

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-हेलो दोस्तों मैं अंजलि आज आप को धनराज पिल्लै के बारे बताऊँगी धनराज पिल्लै का नाम हमारे लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं है इन्होने अपनी हॉकी खेल से भारतीय हॉकी टीम को एक अलग ही पहचान दी है यह एक सफल कप्तान की एक उपेक्षा एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में अपनी प्रतिभा अधिक पारदर्शित कर पाए हैं।जो अस्थान क्रिकेट में कपिल देव का है फुटबॉल में डियागो माराडोना का है वही उत्थान भारतीय हॉकी में धनराज पिल्लै को दिया गया है। आज के हमारे इस लेख में हम लोग धनराज पिल्लै के जीवन के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।

धनराज पिल्लै जीवन परिचय Dhanraj Pillay Biography in Hindi

नाम धनराज पिल्ले (Dhanraj Pillay)
जन्मतिथि 16 जुलाई, 1968
जन्म राष्ट्र राज्य के पुणे जिले के समीप स्थित खड़की
उम्र कितनी है 53 साल 2022 के मुताबिक
शैक्षणिक योग्यता उपलब्ध नहीं है
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिंदू धर्म
पेशा सहायक प्रबंधक, इंडियन एयरलाइंस
वैवाहिक स्थिति अविवाहित
कुल संपत्ति 214. 53 करोड़

 

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-धनराज पिल्लै का जन्म 16 जुलाई 1968 को महाराष्ट्र के दक्षिण गोंड परिवार में हुआ था धनराज पिल्लैको बचपन से ही होगी का इतना शौक था कि वे अपने मित्रों के साथ टीम बनाकर के लकड़ी की टहनियों से हॉकी स्टिक बना करके उस से खेला करते थे। धनराज पिल्ले के पिता का नाम नागालिंगम पिल्लै और माता का नाम अंन्दालम्मा पिल्लै था। वह अपने भाई बहनों में चौथे स्थान पर थे।

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-धनराज पिल्लै ने अपना प्रारंभिक जीवन ऑडनेंस फैक्ट्री स्टाफ कॉलोनी में व्यतीत किया, जहां पर उसके पिता ग्राउंड्स मैन (मैदान की देखभाल करने वाले) थे। उन्होंने अपने हुनर को अपने भाइयों और कॉलोनी के मित्रों के साथ ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के मैदान की नरम और धूल भरी सतह पर टूटी हुई लकड़ियों तथा हॉकी की फेंकी हुई गेंदों के साथ खेलते हुए सिखा था। वह महान फॉरवर्ड खिलाड़ी और अपने आदर्श मोहम्मद शहीद की शैली की नकल करने की कोशिश करते थे। वह अपनी सफलता का सारा श्रेय अपनी मां को देते हैं, जिन्होंने बेहद गरीब होने के बावजूद भी अपने पांचों बेटों को हॉकी खेलने के लिए प्रोत्साहित किया था।

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-धनराज पिल्लै 80 के दशक के मध्य में अपने बड़े भाई रमेश के पास मुंबई चले गए थे। जोकि लीग में आरसीएफ की तरफ से खेलते थे।रमेश पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत के लिए खेल चुके थे और उनके मार्गदर्शन में धनराज को एक द्रुतगति वाले बेहतरीन स्ट्राइकर के रूप में विकसित होने में काफी मदद मिली थी। उसके बाद वे महिंद्रा एंड महिंद्रा में शामिल हो गए जहां उन्हें भारत के तत्कालीन कोच जुआकिम कारवालो द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया।

धनराज ने हॉकी में अपना पदार्पण साल 1989 में नई दिल्ली में आयोजित एल्विन एशिया कप में देश का प्रतिनिधित्व के साथ किया था।

धनराज पिल्लै का अंतरराष्ट्रीय हॉकी कैरियर

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-धनराज पिल्लै ने हॉकी में डेब्य साल 1989 में दिल्ली में आयोजित एल्विन एशिया कप से की थी। वह भारतीय हॉकी टीम में साल 2004 तक खेलते रहे और इस दौरान उन्होंने 339 अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेले हैं। वे भारतीय हॉकी संघ,द्वारा किए गए गोलों का कोई भी अधिकारी का आंकड़ा नहीं रखता है।अंता धनराज द्वारा किए गए अंतरराष्ट्रीय गोलों की संख्या के विषय में कोई भी विश्वसनीय जानकारी मौजूद नहीं है। लेकिन उनके अनुसार यह संख्या 170 से भी अधिक गोल उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच में दागे हैं।

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-धनराज पिल्लै उन सारे हॉकी खिलाड़ियों में से गिने जाते हैं जिन्होंने चार ओलंपिक खेलों में भाग लिया है। साल 1992, 1996, 2000 और 2004 इसके साथ ही 4 विश्वकप साल 1990, 1994, 1998 और 2002, यही नहीं चार चैंपियंस ट्रॉफी मैं भी उन्होंने भाग लिया है साल 1995, 1996, 2002 और 2003 और चार एशियाई खेल में भी उन्होंने भाग लिया है।धनराज पिल्लै जीवन परिचय-भारत ने उनके कप्तानी के अंदर में एशियाई खेलों में साल 1998 और एशिया कप साल 2003 में जीत हासिल की थी। उन्होंने बैंकाक में हुए एशियाई खेलों में सबसे ज्यादा गोल दागे थे और सिडनी में साल 1994 में हुए विश्व कप के दौरान वर्ल्ड इलेवन में शामिल होने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी थे।

धनराज पिल्लै विदेशी क्लब

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-वाकई में धनराज पिल्ले महानतम हॉकी खिलाड़ियों में से एक में गिने जाते रहे हैं। अपने कैरियर के दौरान उन्होंने कई सारे विदेशी क्लब के लिए भी खेलना शुरू किया था। जिसमें इंडियन जिमखाना लंदन , एचसी लियोन , बीएसएनल एचएससी एंड टेलीकॉम मलेशिया, इत्यादि क्लब से जुड़े और उनके लिए कई सारे मैच भी खेले। उन्होंने बैंकाक एशियाई खेलों में सर्वाधिक गोल दागे थे और सिडनी ऑस्ट्रेलिया में साल 1994 के हॉकी विश्व कप के दौरान वर्ल्ड इलेवन में शामिल होने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी थे।

धनराज पिल्लै को मिले पुरस्कार एवं सम्मान

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-इस महान हॉकी खिलाड़ी को कई सारे पुरस्कार एवं सम्मान से नवाजा गया है। इन्होंने अपने हॉकी खेल से भारतीय टीम का नाम रोशन किया है। इसी चलते कई राज्य सरकारें और भारत सरकार ने इन्हें कई सारे सम्मान से सम्मानित किया है।

  • साल 1999 से 2000 मैं उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया।
  • साल 2000 में उन्हें नागरिक सम्मान पद्मश्री प्रदान किया गया।
  • साल 2002 एशियाई खेलों की विजेता हॉकी टीम के सफल कप्तान थे।
  • कोलोन जर्मनी में आयोजित साल 2002 चैंपियंस ट्रॉफी में उन्हें टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी पुरस्कार प्रदान किया गया।

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-छोटी कद काठी के और लहराते बालों वाले धनराज अपने युग के सबसे प्रतिभाशाली फॉरवर्ड खिलाड़ी रहे हैं जो विरोधियों के गढ़ में घर भर पाने की क्षमता रखते थे। धनराज पिल्लै वर्तमान समय में मुंबई में एक हॉकी अकादमी शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी अकादमी है तू धन जुटाने के लिए वे एक अभियान का नेतृत्व भी कर रहे हैं जिसके तहत मुंबई में खाली प्रिंटर कार्टेज एकत्र करके एक यूरोपीय रीसाइकलिंग कंपनी को बेच दिया जाता है।

धनराज पिल्लै से जुड़े विवाद

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-धनराज को अक्सर तेज तर्रार के रूप में वर्णित किया जाता है और वे कई विवादों का हिस्सा भी रह चुके हैं। हॉकी प्रबंधन के खिलाफ भी कई बार अपना रोष प्रकट कर चुके हैं। बैंकाक एशियाई खेलों के बाद भारतीय टीम के लिए उनका चयन नहीं किया गया था।अधिकारी कार्य दिया गया कि धनराज और 6 अन्य वरिष्ठ खिलाड़ियों को विश्राम दिया गया है। लेकिन इससे काफी हद तक, अनुचित स्वागत और मैच फीस का भुगतान न किए जाने के कारण उनके द्वारा प्रबंधन के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने के लिए एक प्रतिशोध के रूप में देखा गया।

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-साल 1998 में पाकिस्तान के खिलाफ श्रृंखला से पहले उन्होंने विदेश दौरा पर टीम को कम भत्ता दिए जाने का विरोध किया था। खेल रत्न प्राप्त होने पर धनराज पिल्लै ने यह टिप्पणी की थी कि “यह पुरस्कार कुछ कड़वी यादों को मिटाने में मदद करेगा”. इस चलते हुए हमेशा विवाद एवं सुर्खियों में रहे। इसके अलावा मुंबई में एक हॉकी अकादमी शुरू करने की योजना बना रहे थे। लेकिन वह अभी भी पूरी नहीं हो पाई है क्योंकि मुंबई हॉकी एसोसिएशन ने प्रशिक्षण के लिए अपनी एस्ट्रास सुविधा का इस्तेमाल के जाने की अनुमति उन्हें नहीं दी।

पुरस्कार

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-वर्ष 1999-2000 में उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया। वर्ष 2000 में उन्हें नागरिक सम्मान पद्म श्री प्रदान किया गया। छोटी कद-काठी और लहराते बालों वाले धनराज अपने युग के सबसे प्रतिभाशाली फॉरवर्ड खिलाड़ी रहे हैं जो विरोधियों के गढ़ में कहर बरपाने की क्षमता रखते थे। वे 2002 एशियाई खेलों की विजेता हॉकी टीम के सफल कप्तान थे कोलोन, जर्मनी में आयोजित 2002 चैंपियंस ट्रॉफी में उन्हें टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी पुरस्कार प्रदान किया गया।

धनराज पिल्लै जीवन परिचय-पिल्लै वर्तमान में मुंबई में एक हॉकी अकादमी शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी अकादमी हेतु धन जुटाने के लिए, वे एक अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं जिसके तहत मुंबई में खाली प्रिंटर कार्ट्रिज एकत्र करके एक यूरोपीय रीसाइक्लिंग कंपनी को बेच दिया जाता है।

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इसरो चीफ डॉ एस सोमनाथ का जीवन परिचय | Dr S. Somanath ISRO Chairman Biography, Chandrayaan

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इसरो चीफ डॉ एस सोमनाथ का जीवन परिचय

एस. सोमनाथ की बायोग्राफी कौन है, पूरा नाम, जीवन परिचय, योग्यता, हिस्ट्री, इसरो, एजुकेशन, सैलरी, फॅमिली (S. Somanath Biography) (Full Name, ISRO Chairman, Wife, Family, Qualification, Salary, Net Worth, Chandrayan-3, History)

एस सोमनाथ की बायोग्राफी (S. Somanath Biography in Hindi)

इसरो चीफ डॉ एस सोमनाथ का जीवन परिचय: एस. सोमनाथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष हैं। वह 1 जुलाई 2022 को इस पद पर नियुक्त हुए। इससे पहले, वह विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के निदेशक थे। सोमनाथ का जन्म जुलाई 1963 में केरल के अरूर में हुआ था। उन्होंने महाराजा कॉलेज, एर्नाकुलम से अपनी प्री-डिग्री पूरी की। सोमनाथ के पास टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, क्विलन, केरल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री है, और डायनेमिक्स और कंट्रोल में विशेषज्ञता के साथ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री है। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, सोमनाथ 1985 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में शामिल हो गए। वह अपने प्रारंभिक चरण में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) परियोजना में शामिल थे।

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सोमनाथ को लॉन्च वाहन डिजाइन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने पीएसएलवी, जीसैट और चंद्रयान जैसे कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सोमनाथ को 2023 में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है, जो भारत को चंद्रमा पर पहला रोवर भेजने वाला पहला एशियाई देश बना। सोमनाथ एक अनुभवी एयरोस्पेस इंजीनियर और रॉकेट तकनीशियन हैं, जिनके पास अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। वह एक प्रेरक नेता हैं, जो इसरो को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसरो चीफ डॉ एस सोमनाथ का जीवन परिचय

एस सोमनाथ कौन है (Who is S. Somanath)

डॉ एस सोमनाथ का जीवन परिचय एस सोमनाथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष हैं। वह 1 जुलाई, 2023 को इस पद पर नियुक्त हुए। इससे पहले, वह विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के निदेशक थे।

एस सोमनाथ का पूरा नाम (S. Somanath Full Name)

पूरा नाम श्रीधर पाड़ीकर सोमनाथ है

एस सोमनाथ का एजुकेशन, योग्यता (S. Somanath Qualification)

  • प्री-डिग्री: महाराजा कॉलेज, एर्नाकुलम
  • स्नातक डिग्री: मैकेनिकल इंजीनियरिंग, टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, क्विलन, केरल विश्वविद्यालय
  • मास्टर्स डिग्री: एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर
  • पीएचडी: मैकेनिकल इंजीनियरिंग, IIT मद्रास

सोमनाथ के पास अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। उन्होंने पीएसएलवी, जीसैट और चंद्रयान जैसे कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सोमनाथ को 2023 में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है, जो भारत को चंद्रमा पर पहला रोवर भेजने वाला पहला एशियाई देश बना।

एस सोमनाथ वाइफ (S. Somanath Wife)

इसरो चीफ डॉ एस सोमनाथ का जीवन परिचय : श्रीधर पाणिकर सोमनाथ का विवाह वलसाला नाम की महिला से हुआ है और इन पति-पत्नी के दो बच्चे भी है। इनकी पत्नी मिनिस्ट्री ऑफ़ फाइनेंस के अंतर्गत आने वाली जीएसटी डिपार्टमेंट में काम करती है। इनके दोनों ही बच्चों ने अपने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई इंजीनियरिंग में कंप्लीट कर ली है

एस सोमनाथ का करियर (S. Somanath Career)

एस सोमनाथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष हैं। वह 1 जुलाई, 2023 को इस पद पर नियुक्त हुए। इससे पहले, वह विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के निदेशक थे।

  • 1985: विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में शामिल हुए
  • 1996: पीएसएलवी परियोजना में शामिल
  • 2001: वीएसएससी के प्रक्षेपण वाहन परियोजना निदेशक
  • 2007: वीएसएससी के प्रक्षेपण वाहन प्रणालियों के निदेशक
  • 2014: तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के निदेशक
  • 2018: वीएसएससी के निदेशक
  • 2023: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष

सोमनाथ का जन्म जुलाई, 1963 में केरल के अरूर में हुआ था। उन्होंने महाराजा कॉलेज, एर्नाकुलम से अपनी प्री-डिग्री पूरी की। सोमनाथ के पास टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, क्विलन, केरल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री है, और डायनेमिक्स और कंट्रोल में विशेषज्ञता के साथ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री है। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, सोमनाथ 1985 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में शामिल हो गए। वह अपने प्रारंभिक चरण में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) परियोजना में शामिल थे।

इसरो चीफ डॉ एस सोमनाथ का जीवन परिचय : सोमनाथ को लॉन्च वाहन डिजाइन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने पीएसएलवी, जीसैट और चंद्रयान जैसे कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सोमनाथ को 2023 में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है, जो भारत को चंद्रमा पर पहला रोवर भेजने वाला पहला एशियाई देश बना।

एस सोमनाथ की कुल कमाई (S. Somanath Net Worth)

श्री सोमनाथ ने बहुत कड़ी मेहनत की और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो की बहुत सेवा की। अपनी लगन और मेहनत से उन्होंने अच्छी खासी रकम जुटा ली। तो इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक उनकी अनुमानित कुल संपत्ति लगभग 3 से 5 करोड़ है। इसरो चीफ डॉ एस सोमनाथ का जीवन परिचय

एस सोमनाथ के अवार्ड (S. Somanath Award)

  • 2014: भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) से फेलोशिप
  • 2015: अंतरिक्ष सोसायटी ऑफ इंडिया (ASI) से स्पेस गोल्ड मेडल
  • 2016: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से सर्वोच्च पुरस्कार, ‘भारतीय अंतरिक्ष पुरस्कार’
  • 2020: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष महाविद्यालय (IAC) से ‘IAC अंतरिक्ष पुरस्कार’
  • 2023: भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित

सोमनाथ को चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए विशेष रूप से पुरस्कृत किया गया था, जो भारत को चंद्रमा पर पहला रोवर भेजने वाला पहला एशियाई देश बना। सोमनाथ एक अनुभवी एयरोस्पेस इंजीनियर और रॉकेट तकनीशियन हैं, जिनके पास अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। वह एक प्रेरक नेता हैं, जो इसरो को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

एस सोमनाथ चंद्रयान-3 (S. Somanath Chandrayan-3)

एस. सोमनाथ चंद्रयान-3 मिशन के अध्यक्ष थे, जो भारत का चंद्रमा पर तीसरा मिशन था। मिशन 22 जुलाई, 2023 को सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ और 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की। चंद्रयान-3 मिशन ने भारत को चंद्रमा की सतह पर पहला रोवर भेजने वाला पहला एशियाई देश बनाया। सोमनाथ ने मिशन की सफलता के लिए इसरो की टीम की सराहना की। उन्होंने कहा, “हमने चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता हासिल कर ली है, भारत चांद पर है।” चंद्रयान-3 मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। इसने भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।

एस सोमनाथ – इसरो के नए चेयरपर्सन

एस. सोमनाथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नए चेयरपर्सन हैं। वह 1 जुलाई, 2023 को इस पद पर नियुक्त हुए। इससे पहले, वह विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के निदेशक थे।

सोमनाथ का जन्म जुलाई, 1963 में केरल के अरूर में हुआ था। उन्होंने महाराजा कॉलेज, एर्नाकुलम से अपनी प्री-डिग्री पूरी की। सोमनाथ के पास टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, क्विलन, केरल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री है, और डायनेमिक्स और कंट्रोल में विशेषज्ञता के साथ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री है। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, सोमनाथ 1985 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में शामिल हो गए। वह अपने प्रारंभिक चरण में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) परियोजना में शामिल थे।

सोमनाथ को लॉन्च वाहन डिजाइन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने पीएसएलवी, जीसैट और चंद्रयान जैसे कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सोमनाथ को 2023 में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है, जो भारत को चंद्रमा पर पहला रोवर भेजने वाला पहला एशियाई देश बना। सोमनाथ एक अनुभवी एयरोस्पेस इंजीनियर और रॉकेट तकनीशियन हैं, जिनके पास अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। वह एक प्रेरक नेता हैं, जो इसरो को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अपने नए पद पर, सोमनाथ का लक्ष्य इसरो को एक प्रमुख अंतरिक्ष संगठन के रूप में विकसित करना है। वह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की नेतृत्व स्थिति को मजबूत करने और नए और नवीनतम अंतरिक्ष मिशनों को लॉन्च करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

FAQ

Q : इसरो का नया अध्यक्ष कौन है?

इसरो का नया अध्यक्ष बनाया गया है।

Q : डॉक्टर सोमनाथ कौन है?

 डॉक्टर सोमनाथ इसरो साइंटिस्ट और इसरो संस्था के नए और दसवें अध्यक्ष है।

Q : 2008 में इसरो के अध्यक्ष कौन थे?

 के राधाकृष्णन 2008 में इसरो के अध्यक्ष थे।

 

चाँद पर जाने वाली पहली महिला कल्पना चावला का जीवन परिचय | Kalpana Chawla Biography in Hindi

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चाँद पर जाने वाली पहली महिला कल्पना चावला का जीवन परिचय

कल्पना चावला का जीवन परिचय, जीवनी, जन्म, कैसे मरी थी, निबंध, पूरी कहानी, डेथ, कौन थी, मौत, मृत्यु कैसे हुई (Kalpana Chawla Biography in Hindi) (Born, Education, Age, Husband, Death, Story

महिला कल्पना चावला का जीवन परिचय: कल्पना चावला एक भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल विशेषज्ञ थीं। वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं।

कल्पना चावला का जीवन परिचय

नाम कल्पना चावला
जन्म 1 जुलाई 1961
मृत्यु 1 फरवरी 2003
जन्म स्थान करनाल
पेशा इंजिनियर,टेक्नोलॉजिस्ट

 

कल्पना चावला का जन्म 1 July 1961 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा करनाल में ही प्राप्त की। बचपन से ही कल्पना को उड़ने का शौक था। वे अक्सर अपने पिता के साथ हवाई जहाज देखने जाती थीं। महिला कल्पना चावला का जीवन परिचय

कल्पना चावला का जन्म (Kalpana Chawla Birth)

1982 में, कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय, आर्लिंग्टन से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस की उपाधि प्राप्त की। 1988 में, कल्पना ने नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में एक इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने कई अंतरिक्ष शटल अभियानों के लिए रोबोटिक आर्म के संचालन में सहायता की। 1994 में, कल्पना को नासा के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम के लिए चुना गया। उन्होंने 1996 में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण पूरा किया। महिला कल्पना चावला का जीवन परिचय

कल्पना चावला ने दो अंतरिक्ष मिशनों पर उड़ान भरी। पहली बार, उन्होंने 1997 में STS-87 पर उड़ान भरी। इस मिशन में, उन्होंने अंतरिक्ष में 15 दिनों तक बिताए। कल्पना चावला की दूसरी और अंतिम उड़ान STS-107 थी। यह मिशन 16 जनवरी, 2003 को शुरू हुआ था। कोलंबिया अंतरिक्ष शटल के वायुमंडल में पुन: प्रवेश के दौरान एक टुकड़ा गिर गया, जिससे शटल नष्ट हो गया। सभी सात अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई, जिनमें कल्पना चावला भी शामिल थीं। कल्पना चावला की मृत्यु एक अपूरणीय क्षति थी। वह एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थीं, जिन्होंने दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनकी उपलब्धियों ने भारतीय महिलाओं के लिए एक नए मानक स्थापित किया। कल्पना चावला के सम्मान में, भारत सरकार ने उनके नाम पर एक अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र की स्थापना की है। इस केंद्र का उद्देश्य युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रोत्साहित करना है।

कल्पना चावला का परिवार

पिता का नाम बनारसी लाल चावला
माता का नाम संज्योथी चावला
पति का नाम जीन पिएरे हैरिसन

 

कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च, 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। उनके 2 बहन हैं – सुनीता चावला, दीपा चावला और संजय चावला। इसके अलावा एक भाई संजय भी हैं कल्पना के पिता का नाम बनारसी लाल चावला था, जो एक व्यवसायी थे। उनकी माता का नाम संज्योथी चावला था, जो एक गृहिणी थीं। कल्पना की शादी 1984 में जीन-पियरे हैरिसन से हुई थी। जीन-पियरे एक फ्रांसीसी इंजीनियर थे। उनका एक बेटा था, जेसी। कल्पना की मृत्यु 1 फरवरी, 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष शटल दुर्घटना में हुई थी। उनके परिवार का कहना है कि वे हमेशा उनके लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत रही हैं। महिला कल्पना चावला का जीवन परिचय

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कल्पना चावला का नासा का अनुभव

कल्पना चावला ने नासा के लिए एक सफल इंजीनियर और अंतरिक्ष यात्री के रूप में काम किया। उन्होंने कई अंतरिक्ष शटल अभियानों में सहायता की और दो अंतरिक्ष मिशनों पर उड़ान भरी।

1988 में, कल्पना ने नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में एक इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने कई अंतरिक्ष शटल अभियानों के लिए रोबोटिक आर्म के संचालन में सहायता की। उन्होंने अंतरिक्ष शटल के डेक पर स्थित रोबोटिक आर्म का उपयोग करके अंतरिक्ष में प्रयोगों को निष्पादित करने और उपग्रहों को तैनात करने में मदद की। 1994 में, कल्पना को नासा के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम के लिए चुना गया। उन्होंने 1996 में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण पूरा किया। कल्पना चावला ने दो अंतरिक्ष मिशनों पर उड़ान भरी। पहली बार, उन्होंने 1997 में STS-87 पर उड़ान भरी। इस मिशन में, उन्होंने अंतरिक्ष में 15 दिनों तक बिताए। उन्होंने कई प्रयोगों को निष्पादित किया, जिनमें अंतरिक्ष में तरल पदार्थों का व्यवहार और अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन शामिल था। Kalpana Chawla Biography in Hindi

कल्पना चावला की दूसरी और अंतिम उड़ान STS-107 थी। यह मिशन 16 जनवरी, 2003 को शुरू हुआ था। कोलंबिया अंतरिक्ष शटल के वायुमंडल में पुन: प्रवेश के दौरान एक टुकड़ा गिर गया, जिससे शटल नष्ट हो गया। सभी सात अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई, जिनमें कल्पना चावला भी शामिल थीं।

कल्पना चावला की मृत्यु एक अपूरणीय क्षति थी। वह एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थीं, जिन्होंने दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनकी उपलब्धियों ने भारतीय महिलाओं के लिए एक नए मानक स्थापित किया। नासा ने कल्पना चावला को कई तरीकों से सम्मानित किया है। उन्होंने एक ASTEROID, एक चंद्र क्रेटर और मंगल ग्रह पर एक पहाड़ी का नाम उनके नाम पर रखा। उन्होंने एक सुपरकंप्यूटर भी समर्पित किया है।

स्पेस फ्लाइट अनुभव : STS-87 कोलंबिया (19 नवम्बर से 5 दिसम्बर 1997 तक)

कल्पना चावला ने 19 नवंबर से 5 दिसंबर, 1997 तक STS-87 स्पेस शटल मिशन पर उड़ान भरी। यह मिशन कोलंबिया अंतरिक्ष शटल का 27वां मिशन था। इस मिशन में, कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में 15 दिन बिताए। उन्होंने कई प्रयोगों को निष्पादित किया, जिनमें अंतरिक्ष में तरल पदार्थों का व्यवहार और अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन शामिल था। Kalpana Chawla Biography in Hindi

  • अंतरिक्ष में तरल पदार्थों का व्यवहार का अध्ययन करने के लिए 10 प्रयोगों को पूरा किया।
  • अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए 4 प्रयोगों को पूरा किया।
  • ASTRO-2 अंतरिक्ष दूरबीन को तैनात किया।
  • SPARTAN-201 अंतरिक्ष यान को तैनात किया।
  • 500 से अधिक प्रयोगों के डेटा को पृथ्वी पर भेजा।

कल्पना चावला ने STS-87 मिशन के दौरान कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। उन्होंने अंतरिक्ष में तरल पदार्थों का व्यवहार का अध्ययन करने के लिए कई प्रयोगों का नेतृत्व किया। उन्होंने अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने ASTRO-2 अंतरिक्ष दूरबीन को तैनात करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

STS-107 कोलम्बिया (16 जनवरी से 1 फरवरी 2003 तक) :

कल्पना चावला ने 16 जनवरी से 1 फरवरी, 2003 तक STS-107 स्पेस शटल मिशन पर उड़ान भरी। यह मिशन कोलंबिया अंतरिक्ष शटल का 28वां मिशन था। इस मिशन में, कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में 16 दिन बिताए। उन्होंने कई प्रयोगों को निष्पादित किया, जिनमें अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन, पृथ्वी के वायुमंडल का अध्ययन और अंतरिक्ष में पौधों का विकास शामिल था।

  • अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए 20 प्रयोगों को पूरा किया।
  • पृथ्वी के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए 6 प्रयोगों को पूरा किया।
  • अंतरिक्ष में पौधों का विकास करने के लिए 4 प्रयोगों को पूरा किया।
  • SPARTAN-201 अंतरिक्ष यान को तैनात किया।
  • SPARTAN-100 अंतरिक्ष यान को तैनात किया।
  • 500 से अधिक प्रयोगों के डेटा को पृथ्वी पर भेजा।

कल्पना चावला ने STS-107 मिशन के दौरान कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। उन्होंने अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए कई प्रयोगों का नेतृत्व किया। उन्होंने पृथ्वी के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अंतरिक्ष में पौधों का विकास करने के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने SPARTAN-201 और SPARTAN-100 अंतरिक्ष यान को तैनात करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। Kalpana Chawla Biography in Hindi

STS-107 मिशन कल्पना चावला के लिए एक बड़ी सफलता थी। इस मिशन ने उन्हें एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में एक मजबूत प्रतिष्ठा दिलाई। दुर्भाग्य से, STS-107 मिशन एक त्रासदी में समाप्त हुआ। कोलंबिया अंतरिक्ष शटल के वायुमंडल में पुन: प्रवेश के दौरान एक टुकड़ा गिर गया, जिससे शटल नष्ट हो गया। सभी सात अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई, जिनमें कल्पना चावला भी शामिल थीं।

कल्पना चावला की मृत्यु एक अपूरणीय क्षति थी। वह एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थीं, जिन्होंने दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनकी उपलब्धियों ने भारतीय महिलाओं के लिए एक नए मानक स्थापित किया। नासा ने कल्पना चावला को कई तरीकों से सम्मानित किया है। उन्होंने एक ASTEROID, एक चंद्र क्रेटर और मंगल ग्रह पर एक पहाड़ी का नाम उनके नाम पर रखा। उन्होंने एक सुपरकंप्यूटर भी समर्पित किया है।

कल्पना चावला के सम्मान में, भारत सरकार ने उनके नाम पर एक अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र की स्थापना की है। इस केंद्र का उद्देश्य युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रोत्साहित करना है।

कल्पना चावला की मौत कैसे हुई (Kalpana Chawla Death)

कल्पना चावला, जिनका पूरा नाम कल्पना चावला था, एक प्रमुख भारतीय अंतरिक्ष यात्री और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो (ISRO) की प्रमुख अंतरिक्ष यात्री थीं। उन्होंने 1984 में स्पेस शटल चैलेंजर मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रा की थी। Kalpana Chawla Biography in Hindi

1986 में, शटल चैलेंजर मिशन के STS-51-L उपग्रह के एक्सप्लोड होने के कारण कल्पना चावला की मौके पर मौत हो गई। वायुमंडलीय दबाव में एक असामान्य ब्रेकडाउन के कारण उपग्रह खराब हो गया और इसके परिणामस्वरूप विमान के सात यात्री मौके पर मारे गए।

कल्पना चावला की मौत ने उनके परिवार, दोस्तों और उनके उपयोगकर्ताओं को गहरा दुःख पहुँचाया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष यात्री के रूप में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए स्मृति में बने रहेंगी।

और कौन था कल्पना के साथ उनके अंतिम समय में

कल्पना चावला के अंतिम समय में उनके साथ शटल चैलेंजर मिशन STS-51-L के अन्य सभी यात्री भी थे जो उस अद्भुत प्रक्षेपण में शामिल थे और जिन्होंने उस दुर्घटनाग्रस्त उपग्रह में यात्रा की थी।

  • फ्रांसिस एरिस्टिडेस (Francis R. Scobee) – मिशन के कमांडर थे।
  • माइकल जे स्मिथ (Michael J. Smith) – पायलट थे।
  • रोनाल्ड एम. मक्नाल (Ronald McNair) – अंतरिक्ष में अनुसंधानकर्ता थे।
  • इलोन ज. ओनिजुका (Ellison S. Onizuka) – अंतरिक्ष में अनुसंधानकर्ता थे।
  • जडी एस. रेजनिक (Judith A. Resnik) – अंतरिक्ष में अनुसंधानकर्ता थीं।
  • ग्रेगोरी जेरद (Gregory Jarvis) – कार्गो स्पेसिफिकेशन स्पेशलिस्ट थे।
  • रीचर्ड स्कोबी (Christa McAuliffe) – शिक्षिका थीं और उन्हें पहले सिविलियन अंतरिक्ष यात्री बनने का मौका मिला था।

कल्पना चावला और अवार्ड्स (Kalpana Chawla Awards)

कॉन्ग्रेसियनल स्पेस मेडल: 2003 में, कल्पना चावला को कॉन्ग्रेसियनल स्पेस मेडल से सम्मानित किया गया, जो उनके अंतरिक्ष यात्रा में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए प्रदान किया गया।

भारत रत्न: 2003 में, कल्पना चावला को भारत सरकार द्वारा भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, से सम्मानित किया गया। वे पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया।

इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार: कल्पना चावला को 1994 में इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था जो उनके अंतरिक्ष यात्रा के बाद उनके पर्यावरण से संबंधित योगदान को मान्यता देने के लिए दिया गया था।

FAQ

Q : कल्पना चावला कौन थी?

एक अंतरिक्ष यात्री

Q : कल्पना चावला की उम्र कितनी थी?

42 साल

Q : कल्पना चावला की मृत्यु कब हुई?

 1 फरवरी 2003

Q : कल्पना चावला कैसे मरी थी?

स्पेस शटल धरती पर लैंड होते समय

इसरो चेयरमैन के सिवान का जीवन परिचय ISRO Chief K Sivan Biography in Hindi

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इसरो चेयरमैन के सिवान का जीवन परिचय ISRO Chief K Sivan Biography in Hindi

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K Sivan पूरा नाम क्या है

Dr. Kailasavadivoo Sivan

इसरो चेयरमैन के सिवान का जीवन परिचय ISRO Chief K Sivan Biography in Hindi

Introduction परिचय
के सिवान का पूरा नाम (Full Name) कैलासवादिवु सिवन
जन्म दिन (DOB) 14 अप्रैल 1957 
जन्म स्थान (Birth Place)  सराकल्लविलाई (कन्याकुमारी)
पेशा (Profession) इसरो चीफ
राष्ट्रीयता (Nationality) भारतीय
उम्र (Age) 66 वर्ष
गृहनगर (Hometown) सराकल्लविलाई

 

इसरो चेयरमैन के सिवान का जीवन परिचय ISRO Chief K Sivan Biography in Hindi- के. सीवन (K. Sivan) एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के चेयरमैन के रूप में पदभार संभाला है। वे भारत के उत्कृष्ट अंतरिक्ष मिशनों के निर्माता और प्रबंधक माने जाते हैं। के. सीवन ने भारतीय रॉकेट इंजन तकनीक और अंतरिक्ष विज्ञान में अपने योगदान के लिए खुद को प्रमुख अंतरिक्ष वैज्ञानिकों में से एक बनाया है।

इसरो चेयरमैन के सिवान का जीवन परिचय ISRO Chief K Sivan Biography in Hindi- उन्होंने विभिन्न सफल मिशनों के लिए इसरो के साथ काम किया है, जिसमें चांद्रयान-2 मिशन भी शामिल है। जन्म और शिक्षा: के. सीवन का जन्म 14 अगस्त, 1957 को तिरुवरूर जिले, तमिलनाडु, भारत में हुआ था।



उन्होंने इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल की और उसके बाद विदेश में स्पेस रिसर्च की पढ़ाई की। उन्होंने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनिजेशन (ISRO) के विभिन्न अनुसंधान केंद्रों में काम किया और वहां अंतरिक्ष परिकल्पना और अनुसंधान में योगदान दिया।

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ISRO में काम

इसरो चेयरमैन के सिवान का जीवन परिचय- के. सीवन को इसरो के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था जिसका कार्यकाल 2018 में शुरू हुआ। उन्होंने अपने दायित्व के दौरान भारतीय रॉकेट इंजन तकनीक विकसित की और इसरो के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों की योजना बनाई।

चांद्रयान-2 मिशन

के. सीवन के दौरान एक महत्वपूर्ण मिशन चांद्रयान-2 था, जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिण पोल के पास विकसित भारतीय रोवर “विक्रम” को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर भेजना था। हालांकि, दुःखद तौर पर, मिशन के अंतिम चरण में विक्रम का संपर्क चंद्रमा से खो गया था।

यह एक अप्रत्याशित संघटना थी, लेकिन इस मिशन का नागरिकों में बहुत बड़ा और गर्व करने वाला प्रभाव रहा। के. सीवन को उनके योगदान के लिए अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले हैं और वे भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्ति बने रहे हैं। उनका संघर्ष, समर्पण और विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान की प्रशंसा विश्वभर में है।

चंद्रयान 3 मिशन क्या है

इसरो चेयरमैन के सिवान का जीवन परिचय – चंद्रयान-3 मिशन का आयोजन चंद्रयान-2 मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के बाद किया गया है। चंद्रयान-2 मिशन, जो 2019 में लांच किया गया था, में लैंडर वाहन विक्रम चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड करने में विफल रहा था।





चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य इस लैंडिंग मिशन को सफल बनाना है और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए और अधिक जानकारी जुटाने के लिए एक रोवर को चंद्रमा की सतह पर प्रेषित करना है।

शिक्षा और योग्यता

डॉ. के. सीवन ने इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की थी और इसके बाद मास्टर्स (M.Tech) और फिर डॉक्टरेट (Ph.D.) किया। उन्होंने विभिन्न अंतरिक्ष विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में अध्ययन किया और अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ बनने के लिए तैयारी की। डॉ. के. सीवन को उनके योग्यता और अनुभव के कारण भारतीय अंतरिक्ष उद्यान के प्रमुख बनाया गया था। उन्होंने इसरो में विभिन्न पदों पर कार्य किया और उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन सफलतापूर्वक आयोजित किए गए। उन्हें भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने योगदान के लिए विभिन्न पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त हुए हैं।

डॉ के सिवान का का बेटा, पत्नी एवं परिवार K Sivan Son, Wife and Family

पिता (Father) कैलासावडिवू सिवन पिल्‍लई
माता (Mother) चेलम
पत्नी (Wife) मलाथी सिवन
बच्चे सिद्धार्थ सिवन और सुशांत सिवान

 

डॉ के सिवन को मिलने वाले पुरस्कार K Sivan Awards List

डॉ विक्रम साराभाई रिसर्च अवार्ड  1999
इसरो मेरिट अवार्ड  2007
डॉ बीरेन रॉय स्पेस साइंस अवार्ड 2011
सत्यबामा विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस (ऑनोरिस कॉसा) अवार्ड 

 

  2014 

 

 चेन्नई डिस्टि्रक्ट एलिमिनेटेड अवार्ड  

2018

तमिलनाडु सरकार द्वारा डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार 2019

 

Kailasavadivoo Sivan Height, Weight, Body Measurements / Physical Stats

Height Inches – 5’9”
Weight Kilograms – 73 Kg
Body Measurements 32 – 28 – 12 Inches
Eye Color Black
Hair Color Black

Kailasavadivoo Sivan Net Worth

Net Worth  ₹ 55 lakhs
Salary / Income  ₹ 2 lakhs

FAQ

1. के सिवान कौन है?

 (इसरो) के चेयरमैन

2. के सिवान की उम्र कितनी है?

66 साल

3. के सिवान का जन्म कब हुआ?

14 अप्रैल 1957 को

 4. के सिवान ने हालही में कौन सा राकेट लांच किया है?

चंद्रयान 3

5. चंद्रयान 3 कब लांच हुआ?

14 जुलाई को








चंद्रयान 3 मिशन क्या है, 14 जुलाई 2023 का यादगार दिन बन गया है

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चंद्रयान 3 क्या है कैसे काम करता है

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा निर्मित एक चंद्रमा मिशन है। यह भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन होने की योजना बनाई गई है। चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर एक स्थायी रोवर और एक हाई-रेज़ोल्यूशन कैमरा को स्थापित करना है। 14 जुलाई 2023 का यादगार दिन बन गया है


चंद्रयान 3 मिशन क्या है

दिनांक इवेंट जानकारी
29 जुलाई ऑर्बिट जलाना बर्न टाइम –
2 अगस्त ऑर्बिट जलाना बर्न टाइम –
6 अगस्त ऑर्बिट जलाना बर्न टाइम –
14 अगस्त ट्रांस-चंद्र इंजेक्शन बर्न टाइम –

 

चंद्रयान 3 मिशन क्या है चंद्रयान-3 मिशन का आयोजन चंद्रयान-2 मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के बाद किया गया है। चंद्रयान-2 मिशन, जो 2019 में लांच किया गया था, में लैंडर वाहन विक्रम चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड करने में विफल रहा था। चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य इस लैंडिंग मिशन को सफल बनाना है और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए और अधिक जानकारी जुटाने के लिए एक रोवर को चंद्रमा की सतह पर प्रेषित करना है।

 




चंद्रयान 3 मिशन क्या है – चंद्रयान-3 की अनुमानित प्रक्षेपण तिथि 2023 14 जुलाई को लॉन्च हो गया है अब जानना यह है की इसका क्या उद्देश्य है इस मिशन के माध्यम से भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने का निर्णय लेता है और चंद्रमा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करता है।

चंद्रयान 3 की स्पीड क्या है?

ISRO चीफ ने बताया कि चंद्रयान-3 लैंडर की लैंडिंग वेलोसिटी को 2 मीटर/सेकंड से बढ़ाकर 3 मीटर/सेकंड कर दिया गया है। और साथ ही यह एडजस्टमेंट सुनिश्चित करता है कि 3 मीटर/सेकंड की वेलोसिटी पर भी लैंडर दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगा। इसका वजन करीब 3,900 किलोग्राम है।




चंद्रयान 3 कैसे काम करता है

चंद्रयान-3 एक प्रक्षेपण यान होता है जिसे गट्टेशिल प्रक्षेपण (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाता है। यह रॉकेट चंद्रयान-3 को निर्धारित चंद्रमा यान के निर्धारित आकार और यात्रा मार्ग पर पहुंचाता है।

एक स्थायी लैंडर होता है जो चंद्रमा की सतह पर स्थापित होता है। इस लैंडर का उद्देश्य सतह पर संशोधन, चंद्रमा की भूतिकीय और वैज्ञानिक गतिविधियों का अध्ययन करना होता है। यह अपने उपकरणों और उपयोगी उपकरणों के माध्यम से डेटा और जानकारी जुटाता है और उसे पृथ्वी पर भेजता है।

जो चंद्रमा की सतह पर स्थापित होता है। रोवर एक आपातकालीन वाहन होता है जो चंद्रमा की सतह पर गतिविधियों को संचालित करने के लिए उपयोग होता है। यह चंद्रमा की सतह पर चलकर वैज्ञानिक आधार के रूप में नमूने लेता है, उपकरणों को परीक्षण करता है और उपयोगी डेटा और जानकारी को जुटाता है।

उच्च रेज़ोल्यूशन इमेजिंग कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार और उपग्रही जो वैज्ञानिक अध्ययन के लिए उपयोग होते हैं। इन उपकरणों के माध्यम से चंद्रमा की सतह, वातावरण, खनिज संसाधन और उपयोगी जीवन समर्थक तत्वों की जांच की जाती है।

चंद्रयान 3 से क्या फायदा होगा?

चंद्रयान 3 क्या है- अधिक लोग है जो यह जानना चाहते है की अगर चंद्रयान-3 का ‘विक्रम’ लैंडर वहां सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कर लेता है, तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा. इतना ही नहीं, चांद की सतह पर लैंडर उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा. ऐसे में कई फायदा भी नज़र आ रहा है

चंद्रयान सभी मिशन पर होने वाला खर्च (Chandrayaan all Budget)

  1. Chandrayaan-1 (2008): ₹386 crore (US$52 million)
  2. Chandrayaan-2 (2019): ₹978 crore (US$128 million)
  3. Chandrayaan-3 (2023): ₹615 crore (US$75 million)

FAQ Frequently Asked Questions

Ques:-  चंद्रयान 3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कौन है?

पी वीरमुथुवेल

Ques:-  चंद्रयान 3 चांद पर कैसे उतरेगा?

चंद्रयान-3 लैंडर की लैंडिंग वेलोसिटी को 2 मीटर/सेकंड से बढ़ाकर 3 मीटर/सेकंड कर दिया गया है


Ques:- हम चंद्रयान 3 कहां देख सकते हैं?

यूट्यूब चैनल पर लाइव देख सकते हैं। या फिर हम आपके साथ है jugadme आपके लिए मददगार बनेगी

गदर 2 की अभिनेता सनी देओल का जीवन परिचय Sunny Deol Biography In Hindi

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सनी देओल का जीवन परिचय

सनी देओल का जीवन परिचय, जीवनी, जन्म, शिक्षा, परिवार, करियर, उपलब्धियां, पत्नी, फिल्में, गदर-2 (Sunny Deol Biography In Hindi, Wiki, Family, Education, Birthday, Career, Movies, Gadar 2, Gadar 2 Movie, Marriage, Wife, Children’s, Net Worth, Controversy, Achivement, Awards, Political Party, Political Journey, Upcoming Movie)


गदर 2 की अभिनेता सनी देओल का जीवन परिचय Sunny Deol Biography In Hindi सनी देओल एक भारतीय फिल्म अभिनेता, निर्देशक और निर्माता हैं। उनका जन्म 19 अक्टूबर 1956 को साहनेवाल, पंजाब, भारत में हुआ था। सनी देओल दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के बेटे और अभिनेता बॉबी देओल के भाई हैं। वह बॉलीवुड के एक प्रमुख फिल्मी परिवार से आते हैं।

सनी देओल ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1983 में फिल्म “बेताब” से की, जो व्यावसायिक रूप से सफल रही और इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फिल्मफेयर नामांकन मिला। उन्होंने “अर्जुन,” “त्रिदेव,” “घायल,” “घातक,” और “बॉर्डर” जैसी फिल्मों में अपने शक्तिशाली और गहन प्रदर्शन के लिए व्यापक पहचान और लोकप्रियता हासिल की। देशभक्ति की भावना के साथ एक्शन-उन्मुख भूमिकाओं के उनके चित्रण ने उन्हें बॉलीवुड में 1990 के दशक के सबसे सफल और प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक बना दिया।

सनी देओल का जीवन परिचय-

सनी देओल का जीवन परिचय – सनी देओल ने अभिनय के अलावा फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया है। उन्होंने 1999 में फिल्म “दिल्लगी” से निर्देशन की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने अपने भाई बॉबी देओल के साथ भी अभिनय किया। उन्होंने “घायल वन्स अगेन” और “पल पल दिल के पास” जैसी अन्य फिल्मों का निर्देशन और निर्माण किया है।

सनी देओल का ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व उनकी शक्तिशाली संवाद अदायगी, गहन एक्शन दृश्यों और उनके ट्रेडमार्क संवाद “ढाई किलो का हाथ” (ढाई किलो का हाथ) के लिए जाना जाता है, जो उनके प्रशंसकों के बीच बेहद लोकप्रिय हुआ।

नाम अजय सिंह देओल
उपनाम सन्नी
जन्म 19 अक्टूबर 1957
जन्म स्थान साहनेवाल, लुधियाना -पंजाब
राशि तुला
धर्म सिख
उम्र 66 वर्ष 2023 के अनुसार
गृह नगर साहनेवाल, लुधियाना -पंजाब
नागरिकता भारतीय
लंबाई 5 फीट 8 इंच (लगभग)
वजन 78 किलोग्राम (लगभग)
आंखों का रंग भूरा
बालों का रंग भूरा
शैक्षिक योग्यता स्नातक
स्कूल सेक्रेड हार्ट बॉयज हाई स्कूल महाराष्ट्र
कॉलेज रामनिरंजन आनंदीलाल पोदार कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स, मुंबई
पेशा अभिनेता ,निर्देशक, निर्माता और राजनेता
प्रसिद्ध अपने डायलॉगो के लिए
राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी
शौक फोटोग्राफी ,ट्रैकिंग

 

 

इन वर्षों में, सनी देओल को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और प्रशंसाएं मिली हैं। उन्होंने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हैं, एक फिल्म “दामिनी” के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार और दूसरा “बॉर्डर” के लिए राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार। उन्हें कई फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

सनी देओल भारतीय फिल्म उद्योग में लगातार सक्रिय हैं, हालांकि हाल के वर्षों में फिल्मों में उनकी उपस्थिति कम हो गई है। उनकी एक वफादार फैन फॉलोइंग है और वह बॉलीवुड में एक प्रतिष्ठित शख्सियत बने हुए हैं।

सनी देओल का जन्म एवं शुरुआती जीवन-

सनी देयोल का जन्म अजय सिंह देयोल के रूप में 19 अक्टूबर 1956 को लुधियाना के एक जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम धर्मेंद्र सिंह देओल है जो कि हिंदी फिल्मों के अभिनेता और प्रड्यूसर हैं। उनकी माता जी का नाम प्रकाश कौर है एवं उनकी सौतेली मां का नाम हेमा मालिनी है उनके पिता भारतीय फिल्म उद्योग के एक प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र हैं और उनके दो भाई-बहन हैं, बॉबी देओल (भाई) और विजयता देओल (बहन)।

सनी देओल ने अपनी स्कूली शिक्षा भारत के महाराष्ट्र में सेक्रेड हार्ट बॉयज़ हाई स्कूल से पूरी की। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, वह बर्मिंघम के ओल्ड वेब थिएटर में अभिनय और थिएटर का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए। इंग्लैंड में अपने समय के दौरान उन्होंने अभिनय, फिल्म निर्माण और फिल्म उद्योग के विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षण प्राप्त किया।

प्रमुख देओल परिवार के सदस्य के रूप में, सनी देओल का कम उम्र से ही फिल्म उद्योग से गहरा संबंध था। जब सनी ने फिल्म उद्योग में प्रवेश किया तो उनके पिता धर्मेंद्र और उनके बड़े भाई बॉबी देओल पहले से ही स्थापित अभिनेता थे। उन्हें अभिनय का शौक था और उन्होंने अपने लिए नाम कमाने की ठानी थी।

सनी देओल ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1983 में अभिनेत्री अमृता सिंह के साथ फिल्म “बेताब” से की थी। फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही और सनी के अभिनय को दर्शकों और आलोचकों ने समान रूप से सराहा। उन्होंने अपनी कच्ची और गहन अभिनय शैली के लिए जल्द ही पहचान हासिल कर ली।

एक सफल करियर होने के बावजूद, सनी देओल हमेशा संयमित निजी जीवन जीना पसंद करते थे। उन्हें एक निजी व्यक्ति के रूप में जाना जाता है और उन्होंने अपने निजी मामलों को मीडिया की सुर्खियों से दूर रखा है।

सनी देओल का जीवन परिचय – एक फिल्मी परिवार में सनी देओल की परवरिश, उनके समर्पण और प्रतिभा के साथ मिलकर, भारतीय फिल्म उद्योग में उनकी सफल यात्रा का मार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने बॉलीवुड में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इंडस्ट्री के सबसे प्रसिद्ध अभिनेताओं में से एक बन गए हैं।

सनी देओल का परिवार (Sunny Deol Family)

गदर 2 की अभिनेता सनी देओल का जीवन परिचय Sunny Deol Biography In Hindi
गदर 2 की अभिनेता सनी देओल का जीवन परिचय Sunny Deol Biography In Hindi
पिता का नाम धर्मेंद्र
माता का नाम प्रकाश कौर
सौतेली मां का नाम हेमा मालिनी
भाई का नाम बॉबी देओल
बहनों के नाम विजयता और अजीता
सौतेली बहनों के नाम ईशा देओल और अभाना देओल
पत्नी का नाम पूजा देओल
बेटों के नाम करण देओल और राजवीर देओल

सनी देओल की पसंदीदा वस्तुएं Sunny Deol Favourite Things

 

पसंदीदा अभिनेता धर्मेंद्र ,सिलवेस्टर स्टेलोन
पसंदीदा अभिनेत्री माधुरी दीक्षित
पसंदीदा भोजन थाई भोजन ,मेथी का पराठा ,लौकी की सब्जी
पसंदीदा रंग काला ,सफेद और नीला
पसंदीदा खेल कबड्डी
पसंदीदा स्थान मनाली ,गोवा, लंदन और कनाडा

 

सनी देओल की कुछ बेहतरीन फिल्में Sunny Deol Movies

  • यमला पगला दीवाना
  • राइट या रॉन्ग
  • रोक सको तो रोक लो
  • ग़दर
  • मां तुझे सलाम
  • इंडियन
  • हिम्मत
  • घातक
  • बेताब
  • फुल एंड फाइनल
  • यह रास्ते हैं प्यार के
  • जिद्दी
  • दामिनी
  • बिग ब्रदर
  • तीसरी आंख
  • नक्शा
  • काफिला
  • जो बोले सो निहाल

सनी देओल गदर -2 फिल्म Gadar 2 Movie

सनी देओल का जीवन परिचय

अनिल शर्मा के द्वारा निर्देशित, की थी और शक्तिमान तलवार द्वारा लिखित, एक नई हिंदी भाषा की रोमांटिक एक्शन ड्रामा फिल्म है, यह 2001 की फिल्म गदर की तत्काल अनुवर्ती है। अमीषा पटेल, और उत्कर्ष शर्मा, जिन्होंने ओरिजनल कास्ट बनाई थी फिल्म में सनी देओल, अमीषा पटेल और उत्कर्ष शर्मा मुख्य भूमिका में हैं। यह 11 अगस्त 2023 को रिलीज हो रही है।

सनी देओल की कुल संपत्ति (Sunny Deol Net Worth)

कुल संपत्ति (Net Worth -2023) $16 मिलीयन
कुल संपत्ति भारतीय रुपयों में (Net Worth In Indian Rupees) ₹130 करोड़
वार्षिक आय (Yearly Income) ₹12 करोड़ +
मासिक आय (Monthly Income) ₹1 करोड़ +

 

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SATA और PATA में क्या अंतर है SATA Or PATA Kya Hai In Hindi

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SATA और PATA में क्या अंतर है

SATA का Full Form

Serial Advanced Technology Attachment,” या “Serial ATA।” यह एक ऐसा interface है

PATA Full Form

Parallel Advanced Technology Attachment PATA एक इंटरफ़ेस मानक है जिसका उपयोग फ़्लॉपी ड्राइव, हार्ड डिस्क, ऑप्टिक डिस्क ड्राइव जैसे सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस को पुराने कंप्यूटर से जोड़ने के लिए किया जाता है।

SATA Cable क्या है

SATA और PATA में क्या अंतर है:– SATA Cable एक प्रकार का केबल है जो कंप्यूटर के हार्ड डिस्क ड्राइव को मदरबोर्ड से जोड़ने के लिए उपयोग किया जाता है। SATA का मतलब है सीरियल एडवांस्ड टेक्नोलॉजी अटैचमेंट। SATA केबल एक सीरियल केबल है, जिसका अर्थ है कि यह डेटा को एक केबल के माध्यम से एक के बाद एक बिट के रूप में स्थानांतरित करता है। SATA केबल एक समानांतर केबल की तुलना में अधिक कुशल है, जो डेटा को एक ही समय में कई बिट के रूप में स्थानांतरित करता है। SATA केबल एक समानांतर केबल की तुलना में भी अधिक कॉम्पैक्ट है। SATA केबल में केवल सात पिन होते हैं, जबकि समानांतर केबल में 19 पिन होते हैं। SATA केबल एक समानांतर केबल की तुलना में अधिक विश्वसनीय भी है। SATA केबल में कम खराबी होने की संभावना है क्योंकि इसमें कम पिन होते हैं। SATA केबल का उपयोग कंप्यूटर के हार्ड डिस्क ड्राइव को मदरबोर्ड से जोड़ने के अलावा, ऑप्टिकल ड्राइव, ऑडियो/वीडियो डिवाइस और अन्य स्टोरेज डिवाइस को जोड़ने के लिए भी किया जा सकता है SATA और PATA में क्या अंतर है SATA Or PATA Kya Hai In Hindi

साटा के फायदे

 SATA Or PATA Kya Hai In Hindi- SATA का मतलब है सीरियल एडवांस्ड टेक्नोलॉजी अटैचमेंट। यह हार्ड डिस्क ड्राइव, ऑप्टिकल ड्राइव और अन्य स्टोरेज डिवाइस को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए एक इंटरफेस है। SATA, PATA (पैरेलल एडवांस्ड टेक्नोलॉजी अटैचमेंट) का एक नया और बेहतर इंटरफेस है।

  • SATA, PATA की तुलना में अधिक तेज़ है। SATA 6Gbps तक की डेटा ट्रांसफर दर प्रदान करता है, जबकि PATA 133MBps तक की डेटा ट्रांसफर दर प्रदान करता है।
  • SATA, PATA की तुलना में अधिक कुशल है। SATA, PATA की तुलना में कम पावर का उपयोग करता है।
  • SATA, PATA की तुलना में अधिक कॉम्पैक्ट है। SATA केबल, PATA केबल की तुलना में पतले और छोटे होते हैं।
  • SATA, PATA की तुलना में अधिक विश्वसनीय है। SATA, PATA की तुलना में कम खराबी होने की संभावना है।
  • SATA, PATA की तुलना में अधिक लचीला है। SATA, PATA की तुलना में अधिक डिवाइस को एक साथ जोड़ सकता है।

SATA, PATA की तुलना में एक बेहतर इंटरफेस है। यह तेज़, कुशल, कॉम्पैक्ट, विश्वसनीय और लचीला है। यदि आपके पास एक नया कंप्यूटर है, तो उसमें SATA इंटरफेस होगा। यदि आपके पास एक पुराना कंप्यूटर है, तो उसमें PATA इंटरफेस हो सकता है। यदि आप अपने पुराने कंप्यूटर में एक नई हार्ड डिस्क ड्राइव जोड़ना चाहते हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके कंप्यूटर में SATA इंटरफेस है। यदि आपके कंप्यूटर में PATA इंटरफेस है, तो आपको एक PATA हार्ड डिस्क ड्राइव खरीदनी होगी। SATA और PATA में क्या अंतर है

साटा के नुकसान

  • SATA, PATA की तुलना में अधिक महंगा है।
  • SATA, PATA की तुलना में अधिक जटिल है।
  • SATA, PATA की तुलना में अधिक संवेदनशील है।

PATA Cable क्या है

SATA और PATA में क्या अंतर है PATA Cable का मतलब Parallel Advanced Technology Attachment है। यह एक प्रकार का केबल है जो कंप्यूटर के हार्ड डिस्क ड्राइव को मदरबोर्ड से जोड़ने के लिए उपयोग किया जाता है। PATA Cable एक समानांतर केबल है, जिसका अर्थ है कि यह डेटा को एक केबल के माध्यम से एक साथ कई बिट के रूप में स्थानांतरित करता है। PATA Cable एक सीरियल केबल की तुलना में कम कुशल है, जो डेटा को एक ही समय में एक बिट के रूप में स्थानांतरित करता है। PATA Cable एक सीरियल केबल की तुलना में भी अधिक बड़ा है। PATA Cable में 19 पिन होते हैं, जबकि सीरियल केबल में सात पिन होते हैं। PATA Cable एक सीरियल केबल की तुलना में कम विश्वसनीय भी है। PATA Cable में अधिक खराबी होने की संभावना है क्योंकि इसमें अधिक पिन होते हैं। PATA Cable का उपयोग कंप्यूटर के हार्ड डिस्क ड्राइव को मदरबोर्ड से जोड़ने के अलावा, ऑप्टिकल ड्राइव, ऑडियो/वीडियो डिवाइस और अन्य स्टोरेज डिवाइस को जोड़ने के लिए भी किया जा सकता है। PATA Cable को 2000 के दशक की शुरुआत में SATA Cable द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। SATA Cable, PATA Cable की तुलना में अधिक तेज़, कुशल, कॉम्पैक्ट और विश्वसनीय है SATA और PATA में क्या अंतर है

पाटा के फायदे

  • PATA, SATA की तुलना में सस्ता है।
  • PATA, SATA की तुलना में अधिक आसानी से उपलब्ध है।
  • PATA, SATA की तुलना में अधिक विश्वसनीय है।

पाटा के नुकसान

  • PATA, SATA की तुलना में धीमा है।
  • PATA, SATA की तुलना में कम कुशल है।
  • PATA, SATA की तुलना में अधिक जगह लेता है।
  • PATA, SATA की तुलना में कम विश्वसनीय है।
  • PATA, SATA की तुलना में अधिक महंगा है।

SATA और PATA में क्या अंतर है

SATA, PATA की तुलना में अधिक तेज़ है। SATA 6Gbps तक की डेटा ट्रांसफर दर प्रदान करता है, जबकि PATA 133MBps तक की डेटा ट्रांसफर दर प्रदान करता है। SATA, PATA की तुलना में अधिक कुशल है। SATA, PATA की तुलना में कम पावर का उपयोग करता है।
SATA, PATA की तुलना में अधिक कॉम्पैक्ट है। SATA केबल, PATA केबल की तुलना में पतले और छोटे होते हैं। SATA, PATA की तुलना में अधिक विश्वसनीय है। SATA, PATA की तुलना में कम खराबी होने की संभावना है।
SATA, PATA की तुलना में एक बेहतर इंटरफेस है। यह तेज़, कुशल, कॉम्पैक्ट और विश्वसनीय है। यदि आपके पास एक नया कंप्यूटर है उसमें SATA इंटरफेस होगा। यदि आपके पास एक पुराना कंप्यूटर है, तो उसमें PATA इंटरफेस हो सकता है।
यदि आप अपने पुराने कंप्यूटर में एक नई हार्ड डिस्क ड्राइव जोड़ना चाहते हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके कंप्यूटर में SATA इंटरफेस है यदि आपके कंप्यूटर में PATA इंटरफेस है, तो आपको एक PATA हार्ड डिस्क ड्राइव खरीदनी होगी।

 

Q: सैटा और पाटा केबल क्या है?

SATA का मतलब है सीरियल एडवांस्ड टेक्नोलॉजी अटैचमेंट। यह हार्ड डिस्क ड्राइव, ऑप्टिकल ड्राइव और अन्य स्टोरेज डिवाइस को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए एक इंटरफेस है। SATA, PATA (पैरेलल एडवांस्ड टेक्नोलॉजी अटैचमेंट) का एक नया और बेहतर इंटरफेस है।