चौधरी चरणसिंह की जीवनी – हेल्लो दोस्तों मैं रेनू बघेल आप सभी कैसे है आशा करती की आप सभी बहुत अच्छे होंगे। तो मैं आज आप लोगो चरण सिंह जी का जीवन परिचय बताउंगी । तो चलिए शुरू करते है
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चौधरी चरण सिंह का जीवन परिचय (Charan Singh biography in hindi )
क्रमांक | जीवन परिचय बिंदु | चरण सिंह जीवन परिचय |
1. | पूरा नाम | चौधरी चरण सिंह |
2. | जन्म | 23 दिसम्बर 1902 |
3. | जन्म स्थान | मेरठ, उत्तरप्रदेश |
4. | पिता | चौधरी मीर सिंह |
5. | पत्नी | गायत्री देवी(विवाह 1929) |
6. | बच्चे | पांच |
7. | मृत्यु | 29 मई, 1987 (दिल्ली) |
8. | राजनैतिक पार्टी | जनता पार्टी |
चरण सिंह जन्म व शिक्षा ( Chaudhary Charan Singh life history )-
चौधरी चरणसिंह की जीवनी –चरण सिंह जी का जन्म जाट परिवार में 23 दिसम्बर सन 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में चौधरी मीर सिंह के परिवार में हुआ था। और इनके पिता किसान थे, वे अत्याधिक गरीब थे। लोगो का कहना था की इनके व्यवहार में इनके पिता की छवि झलकती थी। चरण सिंह जी ने गरीबी में जीवन व्यतीत करने के बाबजूद उन्होंने अपनी पढाई को पहला दर्जा दिया था। इनके परिवार का संबंध 1857 की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले राजा नाहर सिंह से था। इनके पिता की अध्ययन में काफी रूचि थी, इसलिए इनका भी पढाई की और काफी झुकाव रहा था। प्रारम्भिक शिक्षा नूरपुर ग्राम में ही हुई एवम मेट्रिक इन्होने मेरठ के सरकारी उच्च विद्यालय से किया। सन 1923 में यह विज्ञान के स्नातक हुए,और दो वर्षों के बाद 1925 में कला स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की, इसके पश्चात वकील की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद गाजियाबाद में वकालत का कार्यभार सम्भाला था इनका विवाह गायत्री देवी से हुआ था।
चरण सिंह राजनैतिक सफ़र( chaudhary charan singh political career )
चौधरी चरणसिंह की जीवनी –शायद आप लोग जानते होंगे की चरण सिंह व जवाहर लाल नेहरु के विचारो एवम कार्यप्रणाली में काफी मतभेद था। जिसके चलते इन दोनों में कई बार टकराव हुए,
चौधरी चरणसिंह की जीवनी – हेल्लो दोस्तों मैं रेनू बघेल आप सभी कैसे है आशा करती की आप सभी बहुत अच्छे होंगे। तो मैं आज आप लोगो चरण सिंह जी का जीवन परिचय बताउंगी । तो चलिक्या आप जानते है की चरण सिंह नेहरु की आर्थिक नीती के आलोचक थे। चरण सिंह ने इस मतभेद के चलते 1967 में काँग्रेस पार्टी को छोड़ दिया और राज नारायण एवम राम मनोहर लोहिया के साथ नयी पार्टी का गठन किया, जिसका चिन्ह ‘हलदार’ था। इसके बाद कई काँग्रेस विरोधी नेताओं को सन 1970 एवम 1975 में जेल में बन्द किया गया था। सन 1975-1977 में आपातकालीन स्थिती में इन्दिरा गाँधी के लगभग सभी विरोधी नेता जेल में थे। और इन नेताओं ने जनता पार्टी के लिए जेल में रहकर ही चुनाव लड़ा एवम जीत हासिल की. इसके बाद चौधरी चरण सिंह एक वरिष्ठ नेता के रूप में सत्ता में आये थे।
चौधरी चरणसिंह की जीवनी –मोरारजी देसाई जी के कार्यकाल में चरण सिंह “उप-प्रधानमंत्री” एवम “गृहमंत्री रहे थे। इसी शासन के दौरान चरण सिंह और मोरार जी देसाई के बीच मतभेद बढ़ गये थे। इसके बाद चरण सिंह ने बगावत कर दी व जनता दल पार्टी छोड़ दी, जिससे मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई। क्या आप जानते है की कांग्रेस व दूसरी पार्टी के समर्थन से चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री पद को संभाला. इस समय इन्हें इन्दिरा गाँधी जैसे दिग्गज नेता बहुत समर्थन दिया था। समाजवादी पार्टी और काँग्रेस ने एक साथ समझौता कर शासन किया, पर कुछ वक्त बाद 19 अगस्त 1979 में इन्दिरा ने समर्थन वापस ले लिया और समर्थन के लिए इन्दिरा ने शर्त रखी की, “उनकी पार्टी व उनके खिलाफ़ किये गये मुक़दमें वापस लिए जाये”, पर चरण सिंह के लिए इस शर्त को मानना उनके सिधान्तों के विरुध्द था। और इसलिए उन्होंने इस शर्त को स्वीकार नहीं किया और सिधान्तों के विरुध्द न जाकर, समर्थन न मिलने से प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
चरण सिंह के द्वारा किये गए कार्य ( Chaudhary Charan Singh work) –
क्या आप लोग जानते है कि चरण सिंह किसानों के लिए एक महीसा की तरह थे। इन्होने पुरे उत्तर प्रदेश के किसानों से मिल कर उनकी समस्या का समाधान किया था। भारत की भूमि हमेंशा से कृषि प्रधान रही है। और कृषकों (किसानो ) के प्रति प्रेम ने चरण सिंह को इतना सम्मान दिया की इन्हें कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा। इनका जीवन सादगी पूर्ण एवम सिधांतवादी रहा था यह भी गांधीवादी विचारधारा के नेता थे, जिन्होंने इस विचारधारा को जीवन पर संजोया था। गांधीवादी नेताओं ने बाद में जब कांग्रेस छोड़ अलग पार्टी बनाई थी, तब गाँधी टोपी का त्याग कर दिया था, पर चरण सिंह ने उसे जीवन भर धारण किया था। गाँधी जी ने भी किसानों को भारत का सरताज कहा था। आजादी के बाद चरण सिंह ही ऐसे नेता थे जिन्होंने किसानों के जीवन को सुधारा था।
मध्यावधि चुनाव
चौधरी चरणसिंह की जीवनी – हेल्लो दोस्तों मैं रेनू बघेल आप सभी कैसे है आशा करती की आप सभी बहुत अच्छे होंगे। तो मैं आज आप लोगो चरण सिंह जी का जीवन परिचय बताउंगी । तो चलिप्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देने के साथ ही चौधरी चरण सिंह ने राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी से मध्यावधि चुनाव की सिफ़ारिश भी की ताकि किसी के द्वारा प्रधानमंत्री का दावा न किया जा सके। राष्ट्रपति ने इनकी अनुशंसा पर लोकसभा भंग कर दी। चौधरी चरण सिंह को लगता था कि इंदिरा गांधी की भाँति जनता पार्टी भी अलोकप्रिय हो चुकी है। इसलिए वे अपनी लोकदल पार्टी और समाजवादियों से यह उम्मीद लगा बैठे कि मध्यावधि चुनाव में उन्हें बहुमत मिल जाएगा। इसके अलावा चरण सिंह को यह आशा भी थी कि उनके द्वारा त्यागपत्र दिए जाने के कारण जनता को उनसे निश्चय ही सहानुभूति होगी। उन्हें उत्तर प्रदेश की जनता से काफ़ी उम्मीद थी। किसानों में उनकी जो लोकप्रियता थी, वह असंदिग्ध थी। वे मध्यावधि चुनाव में ‘किसान राजा’ के चुनावी नारे के साथ में उतरे। उस समय कार्यवाहक प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ही थे, जब मध्यावधि चुनाव शुरू हुए थे । वे 14 जनवरी, 1980 तक ही भारत के प्रधानमंत्री रहे। इस प्रकार उनका कार्यकाल लगभग नौ महीनों का ही रहा।
चरण सिंह मृत्यु ( Chaudhary Charan Singh death) –
शायद आप लोग जानते होंगे की 29 मई 1987 को इनका निधन हो गया था। इनकी पत्नी गायत्री देवी और पांच बच्चे थे. इनके पूर्वज राजा नाहर सिंह 1857 की क्रांति में भागीदारी थे। इस तरह देश प्रेम चरण सिंह के स्वभाव में व्याप्त था। क्या आप जानते है की इनकी अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड़ थी, इन्होने कई पुस्तके भी इसी भाषा में लिखी थी।
FAQ
Q- चौधरी चरण सिंह का जन्म कहां हुआ?
Ans- चौधरी चरण सिंह का जन्म हापुड़ जिले में हुआ।
Q- चौधरी चरण सिंह की पत्नी का क्या था नाम?
Ans- चौधरी चरण सिंह की पत्नी थी गायत्री देवी।
Q- कब हुई चौधरी चरण सिंह की मृत्यृ?
Ans- चौधरी चरण सिंह की मृत्यृ 29 नवंबर 1985 को दौरा पड़ने के दौरान हुआ।
Q- चौधरी चरण सिंह की पार्टी का क्या था नाम?
Ans- जनता पार्टी था चौधरी चरण सिंह की पार्टी का नाम।
Q- चौधरी चरण सिंह सबसे ज्यादा किसपर करते थे काम?
Ans- चौधरी चरण सिंह को वातावरण से प्रेम रहा है। इसलिए वो हमेशा पर्यायवरण पर काम किया है।
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